कर्नाटक के मंगलुरु में 19 नवंबर 2022 को हुए धमाके की जिम्मेदारी इस्लामिक इस्लामिक रेजिस्टेंस काउंसिल (IRC) ने ली है। ब्लास्ट के बाद गिरफ्तार मोहम्मद शरीक को उसने अपना ‘मुजाहिद’ बताया है। शरीक के निशाने पर मंदिर था, लेकिन ब्लास्ट रास्ते में ही हो गया। एक रिपोर्ट के अनुसार उसने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के उस कार्यक्रम में जिसमें करीब 10 हजार बच्चे शामिल हुए थे, में भी धमाके की योजना बनाई थी। लेकिन इसे बाद में टाल दिया।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार सोशल मीडिया में वायरल IRC के पोस्ट में कहा गया है कि हमारे मुजाहिद भाई मोहम्मद शरीक ने मंगलुरु में भगवा आतंकियों के गढ़ कादरी (साउथ कन्नड़ जिले में) में हिंदू मंदिर पर हमला करने का प्रयास किया। इस अभियान का मकसद पूरा नहीं हुआ। लेकिन हम रणनीतिक तौर पर इसे सफल मानते हैं। साथ ही आगे भी हमले जारी रखने की चेतावनी दी गई है। यह भी बताया है कि जो ब्लास्ट हुआ वह बम भी शरीक ने ही बनाया था।
दैनिक जागरण ने अपनी रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया है कि शरीक आरएसएस से जुड़े केशव स्मृति संवर्धन समिति की तरफ से 19 नवंबर को आयोजित राज्य स्तरीय बाल उत्सव कार्यक्रम में धमाका करना चाहता था। उसने छात्र बनकर इस कार्यक्रम में घुसने की योजना बनाई थी। आयोजन स्थल की उसने लोकेशन भी सर्च की थी। लेकिन बाद में उसे प्लान बदलना पड़ा।
शरीक से पूछताछ में मिली जानकारी के मुताबिक वह हिंदू बनकर रह रहा था। बेल्लारी के एक हिंदू की ID पर जारी सिम का प्रयोग करता था। यह आधार कार्ड सुरेंद्रन नाम के एक व्यक्ति का है जो टीचर है। बताया जा रहा है कि सुरेंद्रन और शरीक कोयंबटूर के एक होटल में मिले थे। वहाँ शरीक ने खुद को बेरोजगार बताते हुए सुरेंद्रन से मदद माँगी थी। इसी दौरान कुछ लोगों से बात करने के लिए शरीक ने सुरेंद्रन से एक सिम खरीदने की गुजारिश की थी।
फ़िलहाल पुलिस होटल के स्टाफ, सुरेंद्रन और सिम बेचने वाले दुकानदार से अलग-अलग पूछताछ कर रही है। शरीक आसपास के हिन्दुओं के साथ उनके त्योहार भी मनाता था। पुलिस का यह भी मानना है कि वह दुबई में रह रहे 3 लाख के इनामी अब्दुल मतीन ताहा के इशारे पर काम कर रहा था।