Sunday, September 15, 2024
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लालू के लाल से टूटी आस तो राजद नेता ने भी कहा- एनडीए छोड़े तो ठीके हैं नीतीश कुमार

राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा है कि नीतीश के एनडीए छोड़ने पर राजद ने साथ नहीं दिया तो वह बीजेपी के एजेंट की तरह दिखेगी। बकौल तिवारी राजद 2015 की शर्तों पर ही इस बार भी विधानसभा चुनाव में उतरने को तैयार है।

बिहार में चल रहे पोस्टर वार के बीच जदयू और राजद का नया स्लोगन आया है। ‘क्यूॅं करे विचार, ठीके तो है नीतीश कुमार’ को आगे बढ़ाते हुए जदयू ने ‘क्यूॅं करे विचार, जब है ही नीतीश कुमार’ के नारे से नया पोस्टर जारी किया है। मुख्य विपक्षी दल राजद ने भी जवाब में ‘क्यों न करें विचार, बिहार जो है बीमार’ को विस्तार देते हुए ‘क्यूॅं न करे विचार’ के नाम से आरोपों की झड़ी लगा दी है।

लेकिन, इस बीच राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी के एक बयान से जाहिर होता है कि अपने इस कैंपेन से कमाल होने की उम्मीद राजद को भी नहीं है। तिवारी का कहना है कि यदि बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार एनडीए छोड़ देते हैं तो उन्हें नेता के रूप में स्वीकार करने में महागठबंधन को कोई समस्या नहीं होगी।

उन्होंने कहा, “अगर नीतीश कुमार साम्प्रदायिकता के खिलाफ कोई भी कदम उठाते हैं और यदि हम उसका समर्थन नहीं करते हैं तो हम खत्म हो जाएँगे।” तिवारी ने कहा कि नीतीश के एनडीए छोड़ने पर राजद ने साथ नहीं दिया तो वह बीजेपी के एजेंट की तरह दिखेगी। नीतीश को साथ लाने को राजद कितनी उत्सुक है इसका पता इस बात से भी चलता है कि बकौल तिवारी राजद 2015 की शर्तों पर ही इस बार भी विधानसभा चुनाव में उतरने को तैयार है।

उल्लेखनीय है कि 2015 का विधानसभा चुनाव जदयू और राजद ने मिलकर लड़ा था और जीत हासिल की थी। यह बात दूसरी है कि नतीजों के बाद राजद नेता यह दावा करने से नहीं चूके कि ऐसा लालू के करिश्मे का कारण हो पाया। बाद में राजद की शर्तों के सामने घुटने टेकने से इनकार करते हुए नीतीश एनडीए में लौट आए थे।

अब राजद अपने कैंपेन में जो आरोप नीतीश पर लगा रही है वह पुराने ही हैं। पिछले चुनावों में ये बेअसर साबित हुए हैं। यही कारण है कि कल तक लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव के कसीदे पढ़ने में नहीं अघाने वाले नेता भी अब जमीनी हकीकत भॉंप ऐसे चेहरे की तलाश कर रहे हैं जो चुनावी नैया पार लगा सके। विपक्षी गठबंधन के हिस्सा हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के नेता पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी तो हाल में कई बार तेजस्वी के नेतृत्व पर सवाल उठा चुके हैं। मांझी के बयान का राजद के अलावा गठबंधन के अन्य दल ने अब तक विरोध भी नहीं किया। यह बताता है कि तेजस्वी की क्षमता को लेकर महागठबंधन के दल कितने असमंजस में हैं। ऐसे में तिवारी के बयान ने जाहिर कर दिया है कि यह बेचैनी राजद के भीतर भी है।

यही कारण है कि तिवारी के प्रस्ताव को जदयू भाव नहीं दे रही। पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता केसी त्यागी का कहना है कि उनकी पार्टी एनडीए में बहुत सहज है। उन्होंने कहा कि राजद नेता इसलिए इस तरह की बातें कर रहे हैं, क्योंकि लोकसभा चुनाव में लोगों ने जाति और गोत्र की उनकी राजनीति को ठुकरा दिया था।


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