गुलाम नबी आजाद ने राहुल गाँधी के कारण काॅन्ग्रेस छोड़ी थी। उन्होंने यह बात बुधवार (5 अप्रैल 2023) को अपनी किताब ‘आजाद’ के विमोचन के मौके पर कही। उन्होंने यह भी कहा कि कई अन्य नेताओं ने भी काॅन्ग्रेस राहुल गाँधी के कारण ही छोड़ी है, क्योंकि वहाँ रहने के लिए रीढ़विहीन को होने की जरूरत होती है। काॅन्ग्रेस में कई वरिष्ठ पदों पर रहे गुलाम नबी आजाद ने पार्टी से रिश्ते तोड़ने के बाद डेमोक्रेटिक आजाद पार्टी (DAP) का गठन किया है।
आजाद ने बताया कि जब 2013 में राहुल गाँधी ने सार्वजानिक तौर पर अध्यादेश फाड़ दिया था तो तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नाराज हो गए थे। वे पीएम पद से इस्तीफा देना चाहते थे। आज यदि वह कानून होता तो राहुल गाँधी की सदस्यता भी बची रहती।
यह पूछे जाने पर कि क्या राहुल गाँधी के कारण ही उन्होंने कॉन्ग्रेस छोड़ी, आजाद ने कहा, “हाँ और मैं ही नहीं कई युवा और पुराने नेताओं ने भी उन्हीं की वजह से पार्टी छोड़ी है। आज के कॉन्ग्रेस में रहने के लिए ‘रीढ़विहीन’ होने की जरूरत है।” उन्होंने दावा किया कि कॉन्ग्रेस अब सोनिया गाँधी के नियंत्रण में नहीं है। उनसे पूछा गया था कि क्या सोनिया गाँधी के कहने पर वे दोबारा काॅन्ग्रेस में लौट सकते हैं। आजाद ने कहा, “यदि सोनिया गाँधी के हाथ में होता तो हम यहाँ आते ही नहीं। इन चीजों को सोनिया गाँधी तय नहीं कर सकतीं। सोनिया गाँधी और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे चाहकर भी पार्टी में उनकी वापसी नहीं करा सकते। यदि राहुल गाँधी उनसे अनुरोध करते हैं तो यह देरी से उठाया गया कदम होगा।”
I am thrilled to announce the launch of my book #Azaad today. Through this book, I offer a personal account of my political journey spanning five decades, tracing the remarkable evolution of India’s political landscape. With candid reflections on my life and career alongside 1/2 pic.twitter.com/cfZYDTWoGT
— Ghulam Nabi Azad (@ghulamnazad) April 5, 2023
आजाद ने कहा कि साल 2013 में यूपीए सरकार द्वारा लाए गए अध्यादेश को फाड़े जाने के बाद भी राहुल गाँधी पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। तात्कालिक केंद्रीय मंत्रिमंडल इतना कमजोर था कि अध्यादेश वापस ले लिया गया। राहुल राष्ट्रपति नहीं थे फिर भी उनके विरोध के कारण अध्यादेश वापस लिया गया। कैबिनेट को अपने फैसले पर कायम रहना चाहिए था। हमें पता था कि इस कानून का इस्तेमाल एक दिन हमारे खिलाफ हो सकता है।
जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री की इस किताब का विमोचन पूर्व कॉन्ग्रेस नेता डॉ. कर्ण सिंह ने किया। इस दौरान केंद्रीय उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और फारूक अब्दुल्ला, कनिमोझी समेत विपक्ष के कई नेता मौजूद थे। गुलाब नबी आजाद ने किताब में अपने 55 सालों के राजनीतिक अनुभवों को साझा किया है।
मुंह में राम बगल में छुरी! आपके ऐसे वक्तव्य साफ दर्शाते है कि कितनी मर्यादा व विचारधारा कांग्रेस में बची है । वैसे भी आप केवल स्वयं के प्रति समर्पित हैं; इसी से आपकी राजनीति जीवित है। मैं और मेरा परिवार हमेशा जनता के प्रति जवाबदेह रहें है। https://t.co/57bNHdMlag
— Jyotiraditya M. Scindia (@JM_Scindia) April 5, 2023
कॉन्ग्रेस की तरफ से भी गुलाम नबी आजाद पर पलटवार किया गया है। कॉन्ग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्विटर पर लिखा है कि गुलाम नबी आजाद और ज्योतिरादित्य सिंधिया दोनों ही कॉन्ग्रेस पार्टी और सिस्टम के बड़े लाभभोगी रहे हैं। हर गुजरते दिन के साथ वे प्रमाण देते हैं कि वे इस योग्य नहीं थे। वे अपना असली चरित्र दिखा रहे हैं। जिसे लंबे समय तक छुपा कर रखा गया था।