जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद-370 और 35-A को निष्क्रिय किए जाने के बाद से हिरासत में लिए गए बड़े नेताओं में से हुर्रियत कॉन्फ्रेन्स के नेता मीरवाइज़ उमर फारूक ने अपनी रिहाई के लिए बॉन्ड पर साइन कर दिया है। इस बॉन्ड के अनुसार अब मीरवाइज़ जम्मू-कश्मीर की किसी भी पॉलिटिकल एक्टिविटी में भाग नहीं ले पाएँगे।
ख़बर के अनुसार, मीरवाइज़ उमर फारूक के अलावा नेशनल कॉन्फ्रेन्स के दो अन्य नेताओं (दोनों पूर्व विधायकों), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी और पीपुल्स कॉन्फ्रेन्स के एक-एक नेता और दो अन्य ने बॉन्ड पर साइन कर दिए हैं। वे हिरासत में लिए गए उन 36 लोगों में शामिल हैं, जिन्हें हिरासत में लिए जाने के बाद सेंटूर होटल में रखा गया है।
दरअसल, जम्मू-कश्मीर सरकार ने सभी नेताओं को इस सरकारी बॉन्ड पर साइन करने के लिए कहा था, लेकिन कुछ नेताओं ने इस पेशकश को स्वीकार कर लिया तो कुछ ने इस पर साइन करने से साफ इनकार कर दिया। इनकार करने वाले नेताओं में पीपुल्स कॉन्फ्रेन्स के अध्यक्ष सज्जाद लोन, पीडीपी युवा विंग के नेता वाहीद पारा और नौकरशाह से नेता बने शाह फैसल शामिल हैं। हालॉंकि हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के उदारवादी गुट ने बयान जारी कर कहा है कि मीरवाइज ने रिहाई के लिए कोई बॉन्ड नहीं भरा है।
जानकारी के अनुसार, नेताओं, अलगाववादियों, कार्यकर्ताओं और वकीलों समेत एक हज़ार से अधिक लोगों को केंद्र सरकार ने पाँच अगस्त के फ़ैसले के बाद से हिरासत में रखा हुआ है। हिरासत में रखे गए लोगों में तीन पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती भी शामिल हैं। इसके अलावा क़रीब 100 लोगों को जम्मू-कश्मीर के बाहर जेलों में भेजा गया है।
नज़रबंद किए गए इन नेताओं में, अधिकारियों ने पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को जन सुरक्षा अधिनियम के तहत नज़रबंद किया, जो राज्य को बिना न्यायिक हस्तक्षेप के किसी भी व्यक्ति को दो वर्षों तक हिरासत में लेने का प्रावधान मुहैया कराता है। मौजूदा समय में अब्दुल्ला पर तीन महीनों तक सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (PSA) लगाया गया है।
जम्मू-कश्मीर प्रशासन के अधिकारी ने बताया कि बॉन्ड पर साइन करने के बाद रिहा हुए लोग अब ऐसी किसी भी गतिविधि का हिस्सा नहीं हो सकते जिन्हें बॉन्ड के दस्तावेज़ों में निषिद्ध बताया गया है। अगर प्रावधानों का उल्लंघन किया गया तो उस शख़्स को फिर से गिरफ़्तार कर लिया जाएगा।