Friday, November 22, 2024
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कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या में जुलाई में पकड़ाया था मोहम्मद खालिद, सितंबर में मिल गई जमानत: कोर्ट ने कहा- दूसरों के मुकाबले इस पर लगे आरोप गंभीर नहीं

इसी साल जुलाई, 2023 में गिरफ्तार किया गया मोहम्मद खालिद हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक मोहम्मद अयाज का भाई है। अयाज़ को भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इसी साल 21 जून को गिरफ्तार किया था। 

2020 के हिंदू विरोधी दिल्ली दंगों के दौरान हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या में शामिल होने के आरोपित मोहम्मद खालिद को जमानत मिल गई। बुधवार (6 सितंबर, 2023) को, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलत्स्य प्रमाचला की अदालत ने आरोपित मोहम्मद खालिद को जमानत देते हुए 15 हजार रुपए का मुचलका भरने का निर्देश दिया। 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, एएसजे प्रमाचला ने कहा कि उन्हें आरोपित मोहम्मद खालिद की भूमिका अन्य सह आरोपितों से ज़्यादा गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा, “…समान प्रकार के आरोपों वाले सह-अभियुक्त व्यक्तियों को बिना किसी विशिष्ट भूमिका के उस भीड़ का हिस्सा होने के कारण इस मामले में पहले ही जमानत दे दी गई है।” 

अदालत ने यह भी कहा कि जिन लोगों पर सीसीटीवी कैमरों को नुकसान पहुँचाने का मामला था, उन्हें भी दिल्ली की उच्च न्यायालय ने जमानत दे दी।

आरोपित के वकील मोहम्मद हसन के मुताबिक, खालिद दिसंबर 2018 से देहरादून में रह रहा था। उन्होंने आगे कहा कि खालिद के बैंक लेनदेन से पता चलता है कि वह उक्त घटना की तारीख पर देहरादून में एक गैस स्टेशन पर मौजूद था।

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश प्रमाचला ने फैसला सुनाया, “अगर यहाँ अन्य आरोपित पर लगाए गए अपराध के आरोपों की तुलना करती हूँ, तो मुझे यह अन्य सह-अभियुक्तों पर लगाए गए आरोप से ज़्यादा गंभीर नहीं लगती, जिन्हें जमानत दी गई है।”

बता दें कि इसी साल जुलाई, 2023 में गिरफ्तार किया गया मोहम्मद खालिद हेड कांस्टेबल रतन लाल की हत्या के मुख्य साजिशकर्ताओं में से एक मोहम्मद अयाज का भाई है। अयाज़ को भी दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने इसी साल 21 जून को गिरफ्तार किया था। 

इससे पहले, यह बताया गया था कि पूछताछ के दौरान, आरोपित खालिद ने स्वीकार किया था कि उसने 2020 में अपने बड़े भाई मोहम्मद अयाज़ और कई दोस्तों के साथ चाँद बाग में सीएए/एनआरसी विरोधी रैली में भाग लिया था। 

अभियोजन पक्ष ने कहा है कि आरोपित मोहम्मद खालिद पुलिस पर हमले की साजिश का हिस्सा था। विशेष लोक अभियोजक ने इस आधार पर जमानत याचिका का विरोध किया कि खालिद ने पुलिस पर हमले की साजिश रचने के लिए मीटिंग के लिए अपनी प्रॉपर्टी उपलब्ध कराई थी। 

हालाँकि, अदालत ने कहा कि खालिद को उस बैठक के बाद के CCTV फुटेज में नहीं देखा गया था। अदालत ने कहा कि एक गवाह जिसने बैठक से बाहर आकर खालिद के घरेलू नौकर की पहचान की, उसने अपने बयान में खालिद का उल्लेख नहीं किया।

24 फरवरी 2020 को हुई थी कांस्टेबल रतन लाल की हत्या

बता दें कि दिल्ली दंगों के दौरान हेड कॉन्स्टेबल रतनलाल की हत्या 24 फ़रवरी को कर दी गई थी। पुलिस ने इस मामले में 1100 पन्नों की चार्जशीट दायर की थी।

पुलिस ने चार्जशीट में खुलासा किया था कि इससे 2 दिन पहले 22 फ़रवरी को ही 50 लोगों के एक समूह ने बैठक की थी, जहाँ हिंसा की पूरी साज़िश रची गई। दंगाइयों ने अपने घर के बच्चों व बुजुर्गों को पहले ही घर के भीतर रहने को बोल दिया था और ख़ुद हथियार लेकर निकले। इसी मीटिंग की चर्चा कोर्ट में सरकारी वकील द्वारा की गई थी।

बताया गया तब कि ये लोग 23 फरवरी को भी हंगामे के लिए निकले थे, लेकिन उस दिन ज्यादा कुछ नहीं किया गया और ये सभी वापस आ गए। 24 फरवरी को सारे उपद्रवी एक बार फिर से घर से बाहर निकले और हिंसा शुरू कर दी। इस हिंसा में शाहदरा के डीसीपी अमित शर्मा, एसपी अनुज शर्मा और हेड कांस्टेबल रतनलाल गंभीर रूप से घायल हो गए थे। बाद में इलाज के दौरान रतनलाल की मौत हो गई थी।

उनकी मौत के बाद पूरे देश में एक आक्रोश की लहर दौड़ गई थी और सभी ने एक सुर में इस घटना की निंदा की थी। इस मामले में 5 मास्टरमाइंड हैं, जिनमें सलीम खान, सलीम मुन्ना और शादाब का नाम शामिल है। ‘आज तक’ की ख़बर के अनुसार, इस मामले की जाँच के लिए गठित एसआईटी ने कुल 17 आरोपितों को गिरफ़्तार किया था।

गौरतलब है कि पुलिस द्वारा दाखिल चार्जशीट में पुख्ता सबूत पेश किए हैं। जानकारों का कहना है कि पुलिस का पक्ष इस मामले में काफी मजबूत है और सुनवाई के बाद आरोपितों के गुनाहों का साबित होना तय है। चार्जशीट में सीसीटीवी फुटेज, मोबाइल की वीडियो फुटेज और फोन कॉल डिटेल्स के साथ-साथ मौके पर उपस्थित गवाहों, पुलिसकर्मियों और अन्य चश्मदीदों के बयान भी जोड़े गए थे। बता दें कि इस मामले में क़रीब 60 लोग गवाह के रूप में अपना बयान दर्ज करा चुके हैं।

पुलिस ने चार्जशीट में ये भी कहा है कि रतनलाल की हत्या एक गहरी साजिश का हिस्सा थी। 24 फरवरी को मौजपुर क्रॉसिंग के पास हिन्दुओं और मुस्लिमों के बीच झड़प से दोपहर 12 बजे के क़रीब हिंसा भड़क उठी थी। एक वरिष्ठ अधिकारी ने ‘टाइम्स नाउ’ को बताया कि 5000 लोग वहाँ जुट गए थे और पत्थरबाजी भी हो रही थी। 1 बजे एक बड़ी भीड़ ने चाँदबाग में डीसीपी और अन्य पुलिस अधिकारियों पर हमला बोल दिया, जिसमें महिलाएँ और बच्चे भी शामिल थे। इसी भीड़ के डरा हमले में कांस्टेबल रतनलाल की मौत हो गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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