राजनीति
थप्पड़ से ही डर लगता है साहेब, प्यार तो राशन कार्ड से भी मिल जाता है!
आधिकारिक सूत्रों के हवाले से मैं ये कह सकता हूँ कि जब-जब केजरीवाल जी ने पार्टी की खातिर अपने चेहरे को आगे किया है, पार्टी के खाते में पैसे बढ़े हैं। आप एक थप्पड़ मारिए, लोग 85 लाख रुपया दान कर देते हैं।
धर्म और संस्कृति
बरखा जी, पीरियड्स को पाप और अपवित्रता से आप जोड़ रही हैं, सबरीमाला के अयप्पा नहीं!
चूँकि आप गोमांस खा सकती हैं, तो क्या कल आप संविधान के मौलिक अधिकारों का हवाला देकर किसी मंदिर के गर्भगृह में बैठकर गोमांस खाएँगी? क्योंकि आपके तर्क के अनुसार यह भी लिखा जा सकता है कि इक्कीसवीं सदी के भारत में मंदिरों में मन का भोजन खाने पर पाबंदी हैं।
बड़ी ख़बर
सामाजिक न्याय को तरसते ‘दलित’ सिर्फ़ SC/ST में ही सीमित नहीं
अगर जातिगत आरक्षण से आपको समस्या नहीं है, तो फिर आर्थिक आरक्षण से तो बिलकुल ही नहीं होनी चाहिए क्योंकि जातिगत आरक्षण की जड़ में यही अवधारणा है कि इन जातियों के लोग ग़रीब और वंचित हैं।
बड़ी ख़बर
बॉलीवुड के रामभक्त मिले मोदी से, सेकुलर मोदी ने सर पर ‘जय श्री राम’ बाँधने से किया इनकार
वहीं मीडिया के दूसरे हिस्से ने इस तस्वीर को देखकर माननीय मोदी जी को एक ‘कम्प्लीट स्टेट्समैन’ कहते हुए कहा कि मोदी ने लगातार दिल लूटते हुए पीएमओ के ‘हार्ट बैंक’ में कई लाख दिल और जमा करा लिए हैं, जिसका ट्रान्सप्लांट हेतु इस्तेमाल किया जाएगा
बड़ी ख़बर
हर तीसरे दिन उठते जातीय बवंडरों का हासिल क्या है?
उन्हें तलाशिए जो हत्या के बाद ही तय कर देते हैं कि गुनहगार कौन है, और फ़ैसला आने या उसके बीच की प्रक्रिया में उलटा परिणाम आने पर शायरी लिखने लगते हैं।
देश-समाज
डियर थरूर जी, मोदी के कपड़े खींचते हुए आप मोर बन जाते हैं
ऐसी बातें फ़्रस्ट्रेशन हैं, छटपटाहट है, अभिजात्यता की ऐंठ से जनित सोच है। ये अगर बाहर नहीं आएगा तो ये लोग सड़कों पर कुत्तों की तरह आते-जाते भाजपाइयों या उनके समर्थकों को दाँत काटने लगेंगे। दाँत काटने से बेहतर है कि अंग्रेज़ी में ऐसे बयान दो कि आदमी को समझने में दो मिनट लगे कि क्या बोल गया।
विचार
ब्राह्मण, ब्राह्मणवाद और अब ब्राह्मणवादी पितृसत्ता
जिस समाज को आप नहीं समझते, वहाँ बस अपनी विचारधारा से मिलते लोगों को साथ मिल लेने से आप ज्ञानी नहीं हो जाएँगे, न ही इन्क्लूसिव और प्लूरलिस्ट। आप वहाँ अपनी अज्ञानता के कारण जैक से जैकऐस बन जाएँगे।
बड़ी ख़बर
सुनो पप्पू बाबू, संसद तुम्हारे बाप, दादी या परनाना की नहीं
घोटालों को नॉर्मलाइज़ करनेवाली पार्टी आजकल विथड्रावल सिम्पटम से जूझ रही है क्योंकि 'जो घोटाले करते नहीं थे, उनसे घोटाले 'हो जाते' थे,' उनका घोटालों से दूर होना कष्टदायक तो है ही।