Monday, November 25, 2024
135 कुल लेख

मृणाल प्रेम स्वरूप श्रीवास्तव

हिन्दूफ़ोबिक द वायर, मंदिर में पूजा-पाठ और यज्ञ-हवन ही होते हैं

सेक्युलर प्रोजेक्ट के तहत सरकारें मंदिरों की मलाई काटने की तो हक़दार हैं पर उनसे उम्मीद यह की जाती है कि वे पूजा-पाठ में सीधा-सीधा विघ्न उत्पन्न करें।

शशि थरूर जी, कृपया देशहित दाँव पर लगा कर वोट मत जुगाड़िए

कॉन्ग्रेस का एक धड़ा राहुल गाँधी के बजाए आपको 'पीएम मैटीरियल' मानता है। सेंटर-राईट लोग भी आपको पसंद करते हैं। प्लीज शशि थरूर! हमारा दिल मत तोड़िए…

क्यों वामपंथियो, तुम्हारे कुकर्म इतने भारी हो गए कि अपने लिए वोट माँगने की हिम्मत नहीं बची?

लोगों से अपने नाम पर वोट माँगने लायक इनका मुँह ही नहीं बचा है- इनका दोहरापन दुनिया के सामने है। यह अब दूसरे को हराने की अपील तक सीमित हो गए हैं।

The Print वालों, सीधे-सीधे बोलो हिन्दू प्रतीकों से सुलग जाती है (सीने में आग)

समुदाय विशेष वाले तब तक ‘बेचैन’ रहेंगे जब तक धर्म और संस्कृति, हिन्दू पंथ और सम्प्रदाय की हर अभिव्यक्ति बंद नहीं हो जाती। केवल सरकारी ही नहीं, निजी भी। यही हिन्दूफोबिया है। The Print वालों ने इस लेख से प्रोपेगेंडा को नई ऊंचाई दी है।

फैक्ट-चेक: 60 सेकेंड से कम समय में प्रियंका गाँधी झूठी साबित, जनता को बना रही थीं मूर्ख

एक तरफ भाई राहुल गाँधी झूठ का कटोरा लिए राफ़ेल-राफ़ेल करते देश में घूम रहे हैं और अब प्रियंका का यह सड़क वाला झूठ… लगता है झूठ-झूठ खेलना कॉन्ग्रेस की आखिरी रणनीति का हिस्सा है - झूठ बोलो, जनता को मूर्ख बनाओ, कुर्सी पाओ!

पत्रकारिता के (अ)नैतिक प्रतिमान सिद्धार्थ वरदराजन से और उम्मीद भी क्या है

हर खबर में इन्हें ‘एंगल’ ही यह दिखता है कि कैसे मोदी को गरियाने मिल जाए। यही इनका पत्रकारिता का (अ)धर्म है, यही इनकी (अ)नैतिक जिम्मेदारी है।

कमाल ‘अतातुर्क’ का ख़ूनी जुनून था जिन्ना के सर पर: अभिजित चावड़ा

अतातुर्क से प्रभावित जिन्ना हिंदुस्तान लौटे और देश का बँटवारा करा कर ही दम लिया; उनके हिंसक पैंतरे अतातुर्क द्वारा यूनानियों के कत्लेआम की नक़ल थी।

चुनाव आयोग आख़िर चाहता क्या है?

चुनाव आयोग को कुछ असहज करते प्रश्नों का जवाब देने की जरूरत है। नहीं तो वह जनता का भरोसा खो देगा। यह लोकतंत्र के लिए कतई शुभ नहीं होगा।