Saturday, April 27, 2024
Homeविचारराजनैतिक मुद्देपत्रकारिता के (अ)नैतिक प्रतिमान सिद्धार्थ वरदराजन से और उम्मीद भी क्या है

पत्रकारिता के (अ)नैतिक प्रतिमान सिद्धार्थ वरदराजन से और उम्मीद भी क्या है

मुआवजा तो गोधरा में ट्रेन में जलाए गए लोगों को भी दिया गया- उसी सरकारी कोष से जिससे बिलकिस बानो को दिया जाना है। तो क्या मोदी ही गोधरा काण्ड के लिए भी जिम्मेदार थे और 2002 के दंगों के लिए भी?

सिद्धार्थ वरदराजन इतने ‘बड़े’ पत्रकार हैं कि मैं यह नहीं मान सकता उन्हें ‘क्लीन चिट’, नैतिक जिम्मेदारी और आपराधिक जिम्मेदारी में अंतर पता न हो। ऐसे में जब वह बिलकिस बानो को मुआवजा देने के आदेश को मोदी से क्लीन चिट छिन जाना बताते हैं तो यह किसी नौसिखिये बीट-पत्रकार की ग़लतफ़हमी नहीं, वरिष्ठ प्रोपागैंडिस्ट की लोगों को भ्रमित करने की कुत्सित कोशिश होती है।

सरकार, जिम्मेदारी, आपराधिक कृत्य- सबकी महामिलावट

किसी भी समाज, देश, राज्य में कानून व्यवस्था बनाए रखना और लोगों की जान की हिफाजत करना राज्य प्रशासन की जिम्मेदारी होती ही है- इतनी ज्यादा कि कोई व्यक्ति खुद भी अपनी जान लेने की कोशिश करे तो उसे आत्म-हत्या कहा जाता है। ऐसे में अगर किसी महिला का बलात्कार हो जाता है, उसके परिवार वालों की हत्या हो जाती है, वह भी भीड़ के द्वारा, एक दंगे में, तो जाहिर सी बात है कि सरकारी मशीनरी का उसे मुआवजा देय होता ही है। यह मुआवजा राज्य (स्टेट) द्वारा लोगों की रक्षा में असफल रहने के एवज में, या फिर मानवीय-सामाजिक आधार पर उन्हें जिंदगी एक नए सिरे से शुरू करने के लिए, दिया जाता है।

पर इससे सिद्धार्थ वरदराजन ने यह कैसे जान लिया कि एक बलात्कार पीड़िता को मुआवजा देने का आदेश मोदी को व्यक्तिगत तौर पर गुजरात दंगों के लिए जिम्मेदार ठहराता है? मुआवजा तो गोधरा में ट्रेन में जलाए गए लोगों को भी दिया गया– उसी सरकारी कोष से जिससे बिलकिस बानो को दिया जाना है। तो क्या मोदी ही गोधरा काण्ड के लिए भी जिम्मेदार थे और 2002 के दंगों के लिए भी? अगर ऐसा है तो इससे ‘सेक्युलर’ भला क्या हो सकता है?

सिद्धार्थ वरदराजन जी, आप प्रोपागैंडिस्ट हैं

आज के समय में माना ‘निष्पक्ष’ पत्रकारिता मुश्किल है, पर सिद्धार्थ वरदराजन जैसे वरिष्ठ पत्रकार से यह तो उम्मीद की ही जा सकता है कि कम-से-कम तथ्य और अपनी राय को अलग-अलग तो रखें। अपनी राय को कम-से-कम तर्क पर आधारित करें, कुतर्क पर नहीं! लेकिन फिर ध्यान यह आता है कि ऐसी उम्मीदें सिद्धार्थ वरदराजन जैसे आग्रह को दुराग्रह बना चुके, अंधविरोध में लिप्त व्यक्ति से करना बेमानी है।

‘सेक्युलरिज्म’, मुस्लिम तुष्टिकरण और मोदी-विरोध के विचार को यह विचारधारा से होकर विचारधारा की जकड़न (ideological possession) तक ले जा चुके हैं, और हर खबर में इन्हें ‘एंगल’ ही यह दिखता है कि कैसे, कहाँ मोदी को गरियाने का बहाना मिल जाए। यही इनका पत्रकारिता का (अ)धर्म है, यही इनकी (अ)नैतिक जिम्मेदारी है। और यही पत्रकार से प्रोपागैंडिस्ट बनने की कुल दास्तान है।

नफ़रत, घृणा में नहाए और सत्ता के टुकड़ों से दूर ऐसे पत्रकार और कुछ कर भी नहीं सकते। सोचने की क्षमता तब क्षीण हो जाती है जब विचारधारा के लटकते गाजर की पत्तियाँ आँख ढक देती हैं।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

‘देश शरिया से नहीं चलेगा, सरकार बनते ही पूरे देश में लागू होगा समान नागरिक संहिता’: गृहमंत्री अमित शाह बोले- धारा 370 को कॉन्ग्रेस...

अमित शाह ने कहा कि देश तीसरी बार नरेंद्र मोदी की सरकार बनते ही पूरे देश में समान नागरिक संहिता लागू होगी, ये 'मोदी की गारंटी' है।

‘केजरीवाल के लिए राष्ट्रहित से ऊपर व्यक्तिगत हित’: भड़का हाई कोर्ट, जेल से सरकार चलाने के कारण दिल्ली के 2 लाख+ स्टूडेंट को न...

दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा कि अरविंद केजरीवाल मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा ना देकर राष्ट्रहित से ऊपर अपना व्यक्तिगत हित रख रहे हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe