फ़ैक्ट चेक
ऑपइंडिया की ख़बर का असर: ‘नवभारत टाइम्स’ को देना पड़ा ‘स्पष्टीकरण’
पाठकों की संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए ऑपइंडिया ने अपने फ़ैक्ट चेक के माध्यम से यह कोशिश की थी कि नवभारत टाइम्स जैसे नामी अख़बार अपने पाठकों को सही जानकारी से अवगत कराएँ।
बड़ी ख़बर
सरेंडर करो या गोली खाओ: कश्मीर के ‘भटके’ नौजवानों के लिए सेना की फाइनल वॉर्निंग
"सरेंडर करने वालों के लिए सेना कई तरह के अच्छे कार्यक्रम चला रही है। लेकिन आतंकवाद में शामिल होने वालों पर कोई रहमदिली नहीं दिखाई जाएगी।"
देश-समाज
48 घंटे के भीतर जिला छोड़ दें Pak नागरिक, होटलों में भी नहीं मिलेगी पनाह: DM
डीएम ने बीकानेर की सीमाक्षेत्र में बने सभी होटलों में पाकिस्तानी नागरिकों को जगह देने पर भी प्रतिबंध लगा दिया है। इस आदेश को पूरे जिले में 2 महीने के लिए लागू किया गया है।
अन्य
कुलभूषण जाधव केस: भारत ने ICJ में पाक की उधेड़ी बखिया; पाकिस्तानी जज को आया हार्ट अटैक
भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव दीपक मित्तल ने पाकिस्तानी अटॉर्नी जनरल से हाथ मिलाने से मना कर दिया। एक निर्दोष की जान को ख़तरे में बताते हुए भारत ने कुलभूषण जाधव प्रकरण को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया।
देश-समाज
पुलवामा जाँच: Pak का था हाथ, कोयले में छिपा कर लाया गया था RDX
इस हमले में हाई इंटेंसिटी वाले 'मिलिट्री ग्रेड एक्सप्लोसिव (RDX)' का प्रयोग किया गया था। इस विस्फोटक को पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकियों को सप्लाई किया जाता है।
मीडिया
पत्रकारिता है या दोमुँहापन? स्टॉकिंग का दावा और दूसरों के नंबर पब्लिक कर अपनी ट्रोल आर्मी से ट्रोल करवाना
क्या बरखा दत्त को कॉल कर देना ही उसकी गलती थी? क्या बरखा दत्त किसी मार्केटिंग कंपनी के कॉल आने पर भी उनके नंबर शेयर करती है? और सबसे बड़ी बात, किसी का पर्सनल नंबर क्यों ट्विटर पर शेयर किया? क्या एक की गलती, गलती है! अपराध है! आपकी नहीं?
राजनीति
बांग्ला फ़िल्म ‘भोबिश्योतिर भूत’ की स्क्रीनिंग रद्द, ममता के ख़िलाफ़ धरना प्रदर्शन
फ़िल्म निर्देशक अनिक दत्ता ने कहा कि सिनेमाघरों से फ़िल्म हटाने के संबंध में उन्हें किसी भी तरह की कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई, सभी (हॉल मालिकों) ने उनसे कहा कि निर्देश उच्च अधिकारियों के द्वारा दिए गए थे।
फ़ैक्ट चेक
Fact Check: पुलवामा अटैक पर मोदी के ठहाके! झूठ बोलती कविता कृष्णन को कौवे ने काटा
भले ही देश आज अपने जवानों को खो देने की पीड़ा से गुज़र रहा हो, लेकिन वो सही और ग़लत को समझने में पूरी तरह से सक्षम हैं। कविता कृष्णन की यह ओछी हरक़त उनकी भ्रष्ट बुद्धि और विचारधारा को स्पष्ट करता है।