Wednesday, November 20, 2024
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कर्नाटक के हावेरी में वक्फ के कब्जे पर हिंसा, माँ दुर्गा और हनुमान मंदिर की जमीन को लेकर बवाल: बेघर होने के खौफ में हिन्दू

कर्नाटक के हावेरी जिले के एक गाँव में हिन्दुओं को अपने मंदिर और जमीन वक्फ द्वारा हथियाए जाने का डर सता रहा है। हिन्दुओं का आरोप है कि उनके गाँव के मुस्लिमों के जमीनों को वक्फ को देने के लिए याचिका भी लगाई है। खौफ में आए हिन्दुओं से मुस्लिमों का विवाद भी हुआ और पत्थर भी चले।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हावेरी जिले के कडाकोल गाँव में बुधवार (30 अक्टूबर, 2024) की देर रात तनाव फ़ैल गया। स्थानीय हिन्दुओं ने आरोप लगाया कि यहाँ के मुस्लिमों ने हनुमान मंदिर और दुर्गा मंदिर के परिसर और उसके आस-पास की जमीन को वक्फ जमीन घोषित करने के लिए याचिका दी है।

इसके बाद जब गाँव के हिन्दुओं के मुस्लिमों से इस संबंध में प्रश्न किए तो विवाद खड़ा हो गया। गाँव में मुस्लिमों के अगवा मोहम्मद रफ़ी से इस संबंध में विवाद हुआ। इसके बाद गाँव में पथराव चालू हो गया। जमीनों पर वक्फ के कब्जे से डरे लोगों ने मोहम्मद रफ़ी के घर पर पथराव किया।

कडाकोल गाँव में एक मोटरसाइकिल भी जलाई गई। पथराव में 5 लोग घायल हुए हैं। इनमें से गंभीर रूप से घायल लोगों को इलाज के लिए हुबली भेजा गया है। प्रशासन ने मौके पर भारी पुलिस बल तैनात किया है। गाँव में रिजर्व पुलिस की भी बटालियन लगा दी गई हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि लड़ाई झगड़े के बाद पुलिस ने लगभग 32 लोगों को पकड़ा है। इनमें से अधिकांश हिन्दू बताए जा रहे हैं। इनसे पूछताछ की जाएगी। अभी गाँव में शांति बनाई हुई है लेकिन वक्फ का डर अभी खत्म नहीं हुआ है।

गाँव के हिन्दुओं ने जमीनों के रिकॉर्ड बदले जाने का भी आरोप लगाया है। उनका कहना है कि राज्य वक्फ मामलों के मंत्री ज़मीर अहमद के आदेश के बाद जमीन के रिकॉर्ड बदले जा रहे थे। इसके लिए आदेश भी जारी किए गए थे। गाँव के हिन्दुओं को डर है कि उनका घर तक वक्फ हथिया सकता है।

वहीं प्रशासन ने बताया है कि उसने वक्फ बोर्ड द्वारा दी गई लिस्ट को केवल वेरीफाई करके रिपोर्ट भेजने की कार्यवाही चालू की है और इससे कोई सम्पत्ति वक्फ की नहीं हो जाती। वहीं वक्फ मंत्री ज़मीर अहमद खुद भी इस मामले के बाद बैकफुट पर हैं।

जमीर अहमद का कहना है कि कडाकोल गाँव में हुआ विवाद दुखद है और वक्फ किसानों की जमीन नहीं लेगा। इस बीच भाजपा ने कॉन्ग्रेस पर मुस्लिम तुष्टिकरण के लिए वक्फ के कब्जे को बढ़ावा देने का आरोप लगाया है। हावेरी सांसद और पूर्व मुख्यमंत्री बसावराज बोम्मई ने कहा है कि वक्फ को लेकर जारी किए गए नोटिस तुरंत वापस लिए जाएँ।

केन्द्रीय मंत्री प्रल्हाद जोशी ने वक्फ पर लोगों को बेघर करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा, “हावेरी के जिला पंचायत सीईओ ने हनुमान मंदिर और दुर्गव्वा मंदिर को अपने नियंत्रण में लेने का आदेश पारित किया है। कल वक्फ बोर्ड के सदस्य वहाँ कब्जा लेने गए थे और लोगों ने इसका विरोध किया। मौके पर पहुँची पुलिस ने इसके स्थानीय हिंदुओं के खिलाफ FIR दर्ज की है जो 60-70 सालों से वहाँ रह रहे हैं।”

प्रल्हाद जोशी ने कहा, “वे (वक्फ) हनुमान मंदिर पर कब्जा करना चाहते हैं। वे स्थानीय लोगों को बेघर करने की कोशिश कर रहे हैं। यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिला पंचायत के CEO ने यह आदेश दिया है। मैं सरकार और खास तौर पर पंचायत की कार्रवाई की कड़ी निंदा करता हूँ। ज़मीर अहमद अधिकारियों को निर्दोष हिंदुओं पर कार्रवाई करने के लिए मजबूर कर रहे हैं।

कर्नाटक में वक्फ के कब्जे पर विवाद का यह पहला मामला नहीं है। हाल ही में विजयपुरा जिले के टिकोटा तालुक स्थित होनवाड़ा गाँव के 1200 किसानों को वक्फ का नोटिस पहुँचा था। वक्फ बोर्ड ने इन सभी किसानों की जमीन पर अपना हक बताया था। यह विवाद भी लगातार बढ़ रहा है। हावेरी जिले में ही वक्फ ने जिले के कोर्ट की जमीन पर ही दावा ठोंक दिया है।

आदि ईश्वर बनकर सद्दाम ने हिंदू महिला से शादी की, बच्चा हुआ तो उसकी कुर्बानी देने का बनाने लगा दबाव: कहता था- इससे घर में बरकत होगी

कर्नाटक की राजधानी बेंगलुरु में एक हिंदू महिला ने अपने शौहर पर काला जादू करने और बेटे की कुर्बानी देने की साजिश का आरोप लगाकर गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है। महिला का कहना है कि उसका शौहर सद्दाम घर में अमन-चैन के लिए उसके बेटे की कुर्बानी देना था। इस घटना को वह अंजाम देता, इससे पहले ही उसे भनक लग गई। सद्दाम ने महिला से लव मैरिज की है।

केआरपुरम की रहने वाली महिला ने स्थानीय थाने में इसकी शिकायत दी। जब थाने में उसकी शिकायत नहीं सुनी गई तो उसने बेंगलुरु पुलिस कमिश्नर को एक पत्र लिखा। इसके बाद पुलिस कमिश्नर के हस्तक्षेप के बाद मामला दर्ज किया गया। अपने शिकायती पत्र में महिला ने सद्दाम की जालसाजी और अपने साथ हुए छल के बारे में बताया है। उसने सद्दाम पर कड़ी कार्रवाई की माँग की है।

थाने में दी गई अपनी शिकायती पत्र मे महिला ने लिखा है कि सद्दाम से उसकी मुलाकात एक कूरियर सर्विस कंपनी में काम करने के दौरान हुई थी। महिला ने बताया कि उस समय सद्दाम ने अपना परिचय एक हिन्दू के रूप में दिया था और अपना नाम आदि ईश्वर बताया था। वह हिंदू होने का दिखावा करता था। धीरे-धीरे दोनों में दोस्ती हो गई। बाद में हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार सद्दाम में उससे शादी कर ली।

शादी के बाद सद्दाम का असली चेहरा सामने आ गया। हालाँकि, तब तक महिला उसके जाल में फँस चुकी थी। उसने बताया कि बाद में सद्दाम ने उस पर इस्लाम अपनाने और इस्लामी रीति-रिवाजों से शादी करने के लिए मजबूर किया था। उसने मुस्लिम मैरिज सर्टिफिकेट पर उससे जबरन साइन करवाया और उसका नाम बदल दिया। वह कहता था कि मुस्लिम नाम रखने से घर में बरकत होगी।

महिला ने आगे आरोप लगाया कि सद्दाम का व्यवहार उसके प्रति बेहद हिंसक था। वह उसकी गर्भवती होने के दौरान भी मारपीट करता था, बल्कि उसका शारीरिक शोषण भी करता था। इसी बीच महिला को एक बेटा हुआ। महिला ने बताया कि उसके बेटे के जन्म के बाद सद्दाम उसे पहुँचाने की कोशिश करने लगा। वह घर में अमन-चैन और समृद्धि के लिए ‘कुट्टी पूजा’ नाम का काला जादू करता था।

सद्दाम देर रात तक कुछ-कुछ बुदबुदाते रहता था और टोटकों में लगा रहता था। महिला ने बताया कि इस पूजा करने के दौरान सद्दाम उस पर बेटे की कुर्बानी देने का दबाव बनाने लगा। इससे महिला डर गई और अपने बेटे को लेकर घर छोड़कर अपने मायके तुमकुर चली गई। वहाँ भी सद्दाम ने पीछा नहीं छोड़ा। वह महिला की माँ को धमकाता था। आखिरकार उसकी धमकी से डरकर उसने पुलिस में शिकायत की।

रूस के कोर्ट ने लगाया गूगल पर 36 जीरो वाले आँकड़े का जुर्माना, दुनिया की जीडीपी से भी बड़ी है ये धनराशि: न्यूज रोकने पर हुई कार्रवाई

रूस की एक अदालत ने कई मीडिया आउटलेट्स को ब्लॉक करने के चलते अमेरिकी कम्पनी गूगल को एक बड़ी रकम अदा करने का आदेश दिया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, सोमवार (28 अक्टूबर, 2024) को रूस की एक अदालत ने गूगल पर 2.5 अंडसिलियन रूबल या लगभग 25 डेसिलियन अमरीकी डॉलर का जुर्माना लगाया।

1 अंडसिलियन में 1 के बाद 36 जीरो होते हैं, जबकि 1 डेसिलियन में 1 के बाद 33 जीरो होते हैं। इसका मतलब है कि गूगल को अब 20,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000,000 अमरीकी डॉलर का भुगतान करने के लिए कहा गया है।

यह धनराशि ना केवल केवल गूगल के स्वामित्व वाली कम्पनी अल्फाबेट की मार्केट कैप से बड़ी है, बल्कि यह पूरी दुनिया की कुल जीडीपी से भी ज्यादा है। पूरी दुनिया के सभी देशों की कुल जीडीपी मिलाकर अभी 100 ट्रिलियन डॉलर होने का अनुमान है।

यह फैसला गूगल के खिलाफ 4 साल चली अदालती लड़ाई के बाद आया है। गूगल ने कई रूसी मीडिया संस्थानों पर प्रतिबंध लगा दिया था। गूगल ने जिन रूसी चैनलों को बैन किया था, उनमें राष्ट्रवादी चैनल ज़ारग्रेड भी था। इसे यूट्यूब पर से हटा दिया गया था। इसके मुखिया पर भी अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिए थे।

मामले में शामिल TASS के वकील इवान मोरोज़ोव ने कहा, “रूसी अदालत ने यूट्यूब से चैनल हटाने के लिए गूगल को जवाब देने को कहा था। अदालत ने गूगल को इन चैनलों को बहाल करने का आदेश दिया था।” इसके बाद अब जुर्माने की बात सामने आई है।

अदालत के इसी आदेश में कहा गया है कि यदि 9 महीने के भीतर गूगल यह जुर्माना नहीं भर्ती है तो उसके बाद हर दिन के साथ दोगुना होता जाएगा। इस जुर्माने की कोई ऊपरी सीमा नहीं है। जब गूगल यह जुरमाना भर देगी, तभी उसे वापस रूस के बाजार में घुसने की अनुमति दी जाएगी।

अदालत ने यह धनराशि 2020 के बाद हुए नुकसान को लेकर तय की है। 2020 में गूगल की कार्रवाई के खिलाफ कई रूसी मीडिया संस्थान रूस की अदालत में पहुँच गए थे और कार्रवाई की माँग की थी। हालाँकि, अब इस बात की कम ही संभावना है कि गूगल यह जुर्माना भरे।

गूगल वर्तमान में रूस किसी प्रकार का व्यापार नहीं करती। गूगल ने 2022 में यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष चालू होने के साथ ही अपना धंधा रूस में बंद कर दिया था। जो कम्पनी रूस के भीतर गूगल की सहायता करती थी, वह अदालती कार्रवाई के कारण दिवालिया हो गई थी।

इस आँकड़े के बीच यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि गूगल शब्द की उत्पत्ति एक और बड़ी संख्या, ‘Googol’ से हुई है। 1 गूगल में 1 के बाद 100 शून्य होते हैं। इसके संस्थापक लैरी पेज और सर्गेई ब्रिन कंपनी का नाम गूगल रखना चाहते थे, लेकिन टाइपिंग की गलती के कारण उन्होंने इसे गूगल के रूप में रजिस्टर कर दिया था।

‘धर्म की हो पुनर्स्थापना’ : पाकिस्तानी बच्चे का गीत सुन भावुक हुए पवन कल्याण, पड़ोसी मुल्क में रह रहे हिंदुओं को दी दीवाली की शुभकामनाएँ

आंध्र प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने दीवाली के मौके पर एक पाकिस्तानी हिंदू बच्चे की वीडियो शेयर करते हुए पड़ोसी मुल्कों में रह रहे हिंदुओं को त्योहार की शुमकामनाएँ दी हैं। इस वीडियो में एक पाकिस्तानी बच्चा ‘अलबेलो इंडिया’ गाना गा रहा है।

बच्चे का गीत और भावनाएँ समझते हुए पवन कल्याण लिखते हैं, “पाकिस्तान के एक हिंदू बच्चे का यह गीत विभाजन के गहरे दर्द के साथ उनके भारत से फिर से जुड़ने की लालसा को दिखाता है।”

उन्होंने कहा, “पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले हिंदुओं को मेरी तरफ से दिवाली की हार्दिक शुभकामनाएँ। विशेषकर बांग्लादेश में रहने वाले हिंदुओं को इस त्योहार की बधाई। भगवान श्री राम आपको इस स्थिति में शक्ति और साहस दें। हम सभी भारत में आपकी सुरक्षा और स्थिरता की आशा करते हैं और आप हमारी प्रार्थनाओं में शामिल हैं।”

आगे उन्होंने कहा, “मुझे उम्मीद है कि विश्व समुदाय और वैश्विक नेता पाकिस्तान और बांग्लादेश में सताए जा रहे हिंदुओं की सुरक्षा और उनके मौलिक अधिकारों को बचाने हेतु उनसे संपर्क करेंगे। आज दिवाली के दिन, आइए हम सभी बांग्लादेश और पाकिस्तान दोनों में सताए जा रहे हिंदुओं की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करें। उनकी भूमि पर धर्म की पुनर्स्थापना हो।”

बता दें कि पवन कल्याण ने जिनका पोस्ट शेयर किया है उन्होंने पोस्ट में बताया कि पोस्‍ट में लिखा, “पाकिस्तान में यह हिंदू बच्चा जो सिंधी गीत गा रहा है, वह है ‘अलबेलो इंडिया’, जो इस प्रकार है – ‘मेरा हिंदू पड़ोसी अलबेलो भारत के लिए रवाना हो रहा है। वह इस शुक्रवार को ट्रेन में सवार होगा और कभी पाकिस्तान नहीं लौटेगा।”

भगवान राम को किया विराजमान, जलाया दीया… BJP नेता को खुदा का खौफ दिखा डराने लगे इस्लामी कट्टरपंथी: दीवाली की शुभकामनाओं से लिबरल-सेकुलर गैंग की भी जली

दीपावली के मौके पर भारतीय जनता पार्टी के नेता शहजाद जय हिंद का एक वीडियो सामने आया। वीडियो में वह भगवान राम के लिए स्थान सजाकर उन्हें वहाँ विराजमान कराते दिखे। उन्होंने इस वीडियो के साथ सभी को दीवाली की शुभकामनाएँ दी।

अब दीवाली पर ऐसी तस्वीरें डालना किसी भारतीय के लिए सामान्य है लेकिन चूँकि शहजाद पूनावाला एक मुसलमान हैं तो उन्हें भगवान राम की पूजा करता देख इस्लामी कट्टरपंथी और लिबरल भड़क गए और उनके पोस्ट के नीचे उन्हें अनाप-शनाप बोला जाने लगा।

जैसे इस्लामी पत्रकार जाकिर अली ने शहजाद जयहिंद को भगवान पूजा करते देख कहा, “जरूर शहजाद की कोई सीडी या पेनड्राइव सरकार रे हाथ लग गई है जिसके कारण शहजाद खुद को बचाने के लिए लगातार संघर्ष कर रहा है।”

आरिफ उमर ने कहा, “बताओ ये ढोंगी है कि नहीं, ये खुद को मुसलमान कहता है। इसे नमाज पढ़ते हुए या इस्लाम धर्म की बात करते हुए किसी ने नहीं सुना होगा। ये दूसरे धर्म का गुणगान में लगा रहता है। ऐसे लोग न दुनिया के है और ना ही अखिरत के।”

मुसादिक काजमी ने लिखा, “तू न इधर का है न उधर का है। घर वापसी कर ले। ये दिखावा नौटंकी बंद कर। किसी एक धर्म को अपनाकर यकजाई बन जा। हरजाई बनना ठीक नहीं है।”

इस्लामवादियों के अलावा शहजाद पूनावाला के पोस्ट पर सेकुलर गैंग भी उन्हें ज्ञान देने में लगी है। एनएसयूआई के मेहूल शहजाद की आस्था को धार्मिक एजेंडा बताकर रहे हैं और गाली देकर कहते हैं कि जो खुद अपने मजहब का नहीं हो सका वो हिंदू क्या बनेगा।

इसके अलावा ये भी आरोप लगाए जा रहे हैं कि शहजाद ऐसा इसलिए कर रहे हैं ताकि उन्हें राज्यसभा की टिकट मिल जाए। हालाँकि मालूम हो कि शहजाद लंबे समय से हिंदू धर्म के लिए मुखर होकर बोलते रहे हैं।

दिल्ली दंगा ‘पीड़ितों’ के नाम पर फंड, वक्फ बोर्ड के नाम पर ‘बैंक अकाउंट’, दूसरी बीवी की जानकारी छिपाई… AAP विधायक अमानतुल्लाह खान की हेराफेरी ED ने बताई: आरोप पत्र की पूरी डिटेल

प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बुधवार (30 अक्टूबर 2024) को ओखला से आम आदमी पार्टी के विधायक एवं दिल्ली सरकार के पूर्व मंत्री अमानतुल्लाह खान और उनकी पत्नी मरियम के खिलाफ पूरक आरोपपत्र दाखिल किया। यह मामला दिल्ली वक्फ बोर्ड का अध्यक्ष रहते हुए हेरफेर करने संबंधित है। अमानतुल्ला खान ने दिल्ली दंगा ‘पीड़ितों’ के लिए धन जुटाने के लिए एक ‘अनधिकृत’ बैंक खाता खोला था।

इसमें आए धन में से कुछ राशि निकालकर अमानतुल्लाह खान दी गई थी। इसके अलावा, 50 वर्षीय AAP विधायक अमानतुल्लाह खान पर दिल्ली वक्फ बोर्ड (डीडब्ल्यूबी) में ग्रुप सी और ग्रुप डी के कर्मचारियों की अवैध नियुक्ति, डीडब्ल्यूबी की संपत्तियों के किरायेदारी के आवंटन में पद का दुरुपयोग, आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति रखने सहित कई आरोप हैं।

ED ने मंगलवार (29 अक्टूबर 2024) को दिल्ली में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA Act) की एक विशेष अदालत के समक्ष अमानतुल्लाह खान और उनकी दूसरी पत्नी मरियम सिद्दीकी के खिलाफ पूरक अभियोजन शिकायत दायर की। मनी लॉन्ड्रिंग का यह मामला 2016-21 के बीच दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अमानतुल्लाह के कार्यकाल के दौरान की अनियमितताओं से संबंधित है।

एजेंसी ने कहा, “दिल्ली दंगा पीड़ितों के नाम पर धन जुटाने के लिए खान ने दिल्ली वक्फ बोर्ड राहत समिति के नाम से एक अनधिकृत बैंक खाता खोला और जनता से प्राप्त कुछ धन को खान के निर्देशों के तहत नकद में निकाल लिया गया और उसे सौंप दिया गया।” उन्होंने दिल्ली वक्फ बोर्ड से मंजूरी लिए बिना ही ‘दिल्ली वक्फ बोर्ड राहत समिति’ का गठन किया।

प्रवर्तन निदेशालय ने यह भी कहा कि एजेंसी ने अमानतुल्लाह पर अपने चुनावी हलफनामे में आश्रितों के बारे में पूरी जानकारी नहीं दी थी। एजेंसी के अनुसार, “मरियम सिद्दीकी की शादी अमानतुल्लाह खान से हुई थी और वह अमानतुल्लाह खान की पूरी तरह से आश्रित हैं। यह बताना चाहिए था कि उनके पास आय का कोई ज्ञात स्रोत नहीं है और उन्होंने कोई आयकर रिटर्न दाखिल नहीं किया है।”

जाँच में यह भी पाया गया है कि अमानतुल्लाह खान ने साल 2020 में अपनी दूसरी बीवी मरियम सिद्दीकी के नाम पर 19 लाख रुपए की अचल संपत्ति खरीदी थी। उन्होंने इस संपत्ति का भुगतान आंशिक रूप से नकद और आंशिक रूप से अपने करीबी सहयोगी जीशान हैदर से ली गई राशि से किया गया था। जिस संपत्ति को उन्होंने खरीदा वह यह संपत्ति जावेद इमाम सिद्दीकी की थी।

एजेंसी का दावा है कि दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में विधायक के रूप में गलत तरीके से कमाए गए अमानतुल्लाह के पैसों का सारा प्रबंधन हैदर और दाऊद नासिर कर रहे थे। इसका इस्तेमाल उन्होंने कौसर इमाम सिद्दीकी के माध्यम से ओखला क्षेत्र में 275-276, टीटीआई तिकोना पार्क में एक संपत्ति खरीदने के लिए नकद भुगतान करने के लिए किया।

ED ने दावा किया है कि कौसर इमाम सिद्दीकी द्वारा हस्तलिखित सफेद डायरी को जब्त करने के बाद उससे पता चला है कि तिकोना पार्क में इस संपत्ति की खरीद के लिए अमानतुल्लाह के करीबी सहयोगियों द्वारा 27 करोड़ रुपए का नकद भुगतान किया गया था। ईडी ने कहा कि विक्रेता जावेद इमाम सिद्दीकी और उनकी बीवी के बैंक खातों में बड़ी मात्रा में संदिग्ध नकदी जमा मिली है।

इस मामले में अमानतुल्लाह खान, हैदर, दाउद नासिर, कौसर इमाम सिद्दीकी और जावेद इमाम सिद्दीकी को ईडी ने गिरफ्तार किया था। ये सभी फिलहाल न्यायिक हिरासत में जेल में हैं। इस मामले में अमानतुल्लाह खान को छोड़कर सभी आरोपितों के खिलाफ पहली चार्जशीट ED ने इस साल जनवरी में ही दाखिल कर दी थी।

अमानतुल्लाह खान के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के दो मामले है दर्ज हैं। एक वक्फ बोर्ड में कथित अनियमितताओं के संबंध में केंद्रीय जाँच ब्यूरो (CBI) का मामला और दूसरी दिल्ली पुलिस की भ्रष्टाचार निरोधक इकाई द्वारा दर्ज कथित आय से अधिक संपत्ति का मामला है। इनमें मनी लॉन्ड्रिंग की जाँच ED कर रही है।

बता दें कि दिल्ली का हिंदू विरोधी दंगा फरवरी 2020 में हुआ था। हालाँकि, इसकी तैयारी महीनों पहले से की जा रही थी। इसमें हिंदुओं को निशाना बनाया था। हालाँकि, दिल्ली की सरकार ने मुस्लिमों के लिए कई तरह राहत कार्य उपलब्ध कराए थे। दिल्ली वक्फ बोर्ड ने मुस्लिमों के लिए 800 महिलाओं और 700 पुरुषों वाला बिस्तर एक शिविर स्थापित किया था।

दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में अमानतुल्लाह खान ने जिन मुस्लिमों के घर एवं दुकान बर्बाद हुए थे, उन्हें बनवाने एवं उनकी मरम्मत के लिए 50 लाख रुपए आवंटित किए थे। मार्च 2020 में अमानतुल्लाह खान ने कहा था कि जिन मुस्लिमों के घरों-दुकानों को नुकसान पहुँचा है, उनकी मरम्मत कराने में दिल्ली वक्फ बोर्ड मदद करेगा। इसके लिए कंस्ट्रक्शन समिति का भी गठन किया था।

इसी दौरान वक्फ बोर्ड ने कथित तौर पर क्षतिग्रस्त हुई 19 मस्जिदों की मरम्मत का काम भी शुरू किया था। अमानतुल्लाह खान ने कहा था, “मरम्मत का काम अशोक नगर की जामा मस्जिद से शुरू हुआ है। इसके लिए वक्फ बोर्ड ने 5 लाख रुपये की अग्रिम राशि जारी कर दी है।” बोर्ड ने बोर्ड ने मुस्तफाबाद में भी मुस्लिमों के लिए एक राहत शिविर भी स्थापित किया था।

कनाडा ने बिना सबूत दोष मढ़ा, अमित शाह के खिलाफ खबर प्लांट करवाई, अब ईरान-उत्तर कोरिया वाली लिस्ट में भारत को डाला: खालिस्तान प्रेम में ‘फिदायीन’ हुए जस्टिन ट्रूडो

भारत को लेकर कनाडा की जस्टिन ट्रूडो सरकार नीचता पर उतर आई है। कनाडा के भीतर खालिस्तानियों की हत्या करवाने के फर्जी आरोपों के बाद कनाडा ने नया शिगूफा छोड़ा है। कनाडा ने भारत को अब साइबर खतरा बताया है। उसने भारत को चीन, रूस और उत्तर कोरिया वाली श्रेणी में रखा है।

कनाडा के राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा संस्थान (CCCS) द्वारा बुधवार (30 अक्टूबर, 2024) को जारी की गई सालाना रिपोर्ट में भारत का पहली बार जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत सरकार के हैकर कनाडा में साइबर हमले कर सकते हैं और कनाडा के कामकाज को बाधित कर सकते हैं।

CCCS की सालाना रिपोर्ट में लिखा गया है, “हमारा आकलन है कि भारत सरकार द्वारा प्रायोजित साइबर खतरा पैदा करने वाले लोग जासूसी के उद्देश्य से कनाडा सरकार के नेटवर्क के खिलाफ काम कर सकते हैं। हमारा मानना ​​है कि कनाडा और भारत के बीच के रिश्ते ही भारत के साइबर ख़तरे को नियंत्रित करेंगे।”

कनाडा का कहना है कि भारत ऐसे प्रोग्राम बना रहा है, जिनसे उसकी सरकार को साइबर खतरा है। इस रिपोर्ट में कनाडा ने कहा, “वैश्विक व्यवस्था में नई शक्ति बनने की आकांक्षा रखने वाले देश, जैसेकि भारत, साइबर प्रोग्राम बना रहे हैं जो कनाडा के लिए अलग-अलग स्तरों पर खतरा पैदा करते हैं।”

साइबर खतरा घोषित करने के साथ ही कनाडा ने भारत को अपना आधिकारिक दुश्मन भी घोषित किया है। इसी रिपोर्ट में भारत को उत्तरी कोरिया, रूस, ईरान और चीन के साथ रखा गया है और कनाडा का दुश्मन बताया गया है। भारत को पहली बार कनाडा ने इस सूची में रखा है।

ट्रूडो सरकार की यह नई पैंतरेबाजी ऐसे समय में सामने आई है जब उसकी NSA और उप विदेश मंत्री ने भारत के खिलाफ अखबार से चुगली करने की बात कैमरे पर स्वीकार की है। दोनों ने इसे ‘मीडिया रणनीति’ का नाम देकर अपना चेहरा बचाने का प्रयास किया है।

भारत पर खालिस्तानी निज्जर की हत्या के फर्जी आरोप लगाने के बाद भी जब ट्रूडो को घरेलू फ्रंट पर कोई राहत नहीं मिली है तो वह अब नीचता पर उतर आए हैं। इसका सबसे पहला कदम भारतीय राजनयिकों पर उल्टे-सीधे आरोप लगाना था। इसके बाद अपना प्रलाप सही सिद्ध करने के लिए ट्रूडो ने अपने वर्दीधारी भी लगाए लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ।

जब इन सबसे बात नहीं बनी और भारत ने कनाडा के राजनयिक निकाल कर उसकी औकात दिखा दी तब ट्रूडो के चेले-चपाटों ने भारत के गृह मंत्री अमित शाह का नाम उछालना चालू कर दिया है। विदेशी रिश्तों के फ्रंट पर नौसिखिए की तरह व्यवहार करने वाले ट्रूडो का यह पैंतरा भी नहीं चलने वाला।

अब अपने तरकश से यह नया साइबर सुरक्षा वाला तीर निकाला है। हास्यास्पद बात यह है कि भारत को उस लिस्ट में रखा गया है जहाँ चीन और उत्तर कोरिया हैं, जबकि भारत ने आज तक किसी देश पर आधिकारिक रूप से साइबर हमले नहीं किए। यहाँ तक कि पाकिस्तान पर भी भारत ने साइबर हमले नहीं किए हैं।

प्रधानमंत्री के तौर अपने आखिरी दिन गिन रहे ट्रूडो किसी भी तरह भारत को विलेन घोषित करके कनाडा के भीतर राष्ट्रवाद का फर्जी ज्वर पैदा करना चाहते हैं। उनका लक्ष्य है कि इससे उन्हें सिख वोट भी मिलेगा और उनकी छवि मजबूत नेता की बनेगी, जिससे उनकी संकटग्रस्त पार्टी बच सकेगी।

विदेशी रिश्तों में जोकर की तरह व्यवहार करने वाले ट्रूडो लेकिन इस बीच खुद ही मूर्ख सिद्ध हो जाते हैं। हाल ही में उन्होंने खुद ही स्वीकारा था कि उनके पास भारत के खिलाफ निज्जर मामले में कोई पक्के सबूत नहीं हैं। इसके बाद भी वह अपना प्रलाप जारी रख रहे हैं। उनमें अब भी उम्मीद बाकी है कि भारत के खिलाफ बदजुबानी से कोई फायदा होगा।

भारत पहले दिन से कहता आया है कि निज्जर समेत किसी मामले में उसकी कोई संलिप्तता नहीं है। उसने कनाडा से सबूत माँगे हैं। कनाडा आरोप लगाने के एक साल के बाद भी कोई सबूत नहीं रख पाया है। भारत ने भी यह साफ़ कर दिया है कि ट्रूडो की यह चाल दोनों देशों के रिश्ते खराब करने के अलावा और कुछ नहीं करने वाली।

इक आँसू नहीं टपका… पर सिसकता रहा स्वरा भास्कर का शौहर: फहाद अहमद की नौटंकी देख लोग बोले- राजनीति छोड़ एक्टिंग में जाओ, शरद पवार ने दिया है टिकट

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अणुशक्ति नगर से महा विकास अघाड़ी की ओर से मैदान में उतरे स्वरा भास्कर के शौहर और शरद पवार वाली एनसीपी के नेता फहाद अहमद की वीडियो सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल है। इस वीडियो में फहाद आजतक के पत्रकार से बात करते दिख रहे हैं और दो बार नामांकन दाखिल होने की खबर को रोते-बिलखते अफवाह बता रहे हैं।

वीडियो में देख सकते हैं कि आजतक के पत्रकार ने फहाद से पूछा कि उनका दिन कैसा गया और नामांकन के दौरान क्या-क्या हुआ। इसी सवाल के बाद उनकी बिना एक आँसू गिराए सिसकती आवाज में वीडियो सामने आई। अब ये वीडियो हर जगह वायरल है।

वीडियो में वो कहते दिखाई दे रहे हैं कि उन्हें नहीं पता मीडिया में खबर कैसे फैली। शायद कुछ लोगों ने जानबूझकर फैलाई होगी। आगे वो कहते हैं कि जैसे ही उनसे जुड़ी खबर समाचार में आई हर किसी ने उनके लिए प्रार्थना करनी शुरू कर दी और सबकी दुआ कबूल हो गई।

वह कहते हैं उन्होंने अपनी पूरी जिंदगी अपने क्षेत्र को दे दी है। वो अपनी जिंदगी भर उन लोगों के लिए काम करेंगे जिन्होंने अल्लाह से उनके लिए दुआ माँगी। वो हमेशा सबके कर्जदार रहेंगे।

फहाद कहते हैं- ये उन्हीं की दुआ है कि मेरा फॉर्म आज एक्सेप्ट हुआ। वो झूठी खबर थी कि मेरा फॉर्म रिजेक्ट किया गया। कानून कहता है कि एक प्रत्याशी कितने भी बार हलफनामा दायर कर सकता है जो हलफनामा सटीक होगा उसे स्वीकार कर लिया जाएगा।

फहाद ने कहा, “बाबा साहेब ने आज अपनी ताकत दिखाई जो संविधान में वो लिखकर चले गए वो हुआ। इसलिए मैं प्रशासन का धन्यवाद देता हूँ।”

पत्रकार ने उनसे पूछा कि वो आखिर भावुक क्यों हुए? इस पर फहाद ने कहा कि वो आउख इसलिए हुए क्योंकि उन्होंने कभी किसी को पैसा नहीं दिया, लेकिन जब मैं बाहर आया तो सब रो रहे थे, तो मैं खुद को रोक नहीं पाया।

फहाद की यह वीडियो देखने के बाद लोग अलग-अलग प्रतिक्रिया दे रहे हैं। कहा जा रहा है कि फहाद इतना रो रहे हैं फिर आँसू क्यों नहीं दिख रहा। कोई कह रहा है कि एक्टिंग में स्वरा भास्कर को नहीं बल्कि फहाद को होना चाहिए था।

कोई उस वीडियो को याद कर रहा है जिसमें एक समाजवादी पार्टी के नेता महात्मा गाँधी की मूर्ति को देख रो रहे थे।

बता दें कि फहाद अहमद ने हाल में ही समाजवादी पार्टी को छोड़ एनसीपी ज्वाइन की थी। इसके बाद उन्हें प्रत्याशी बनाया गया। अणुशक्ति नगर में उनके सामने एनसीपी (अजीत पवार) की प्रत्याशी सना मलिक होंगी। हाल में सना ने फहाद के लिए कहा था कि किसी एक्ट्रेस के शौहर होने से अच्छा है नवाब मलिक की बेटी होना।

‘पार्टी में आओ वरना फेल कर दूँगा’: कोलकाता के जिस अस्पताल में महिला डॉक्टर की रेप-हत्या, वहाँ छात्र-छात्राओं को पूर्व प्रिंसिपल का करीबी धमकाता था; अब हुआ सस्पेंड

कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ हुए रेप और हत्या मामले के बाद मेडिकल छात्र-छात्राओं को धमकाए जाने और सबूतों से छेड़छाड़ का मामला पिछले महीने प्रकाश में आया था। पता चला था कि मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल संदीप घोष का करीबी डॉक्टर अविक डे इस मामले का आरोपित है। इसके बाद राज्य स्वास्थ्य विभाग ने उन्हें 5 सितंबर को निलंबित कर दिया था। और एक जाँच टीम बनाकर कहा था कि सारे आरोपों की जाँच हो।

अब उसी जाँच टीम की रिपोर्ट सामने आई है जिससे पता चलता है कि बर्दवान मेडिकल कॉलेज के रेडियोडायग्नोसिस विभाग के पूर्व आरएमओ अवीक डे पर लगे सारे आरोप वाकई सच थे।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी जाँच में टीम ने बताया डॉ अविक डे के खिलाफ धमकी देने, अनुचितता, अनैतिक व्यवहार करने के आरोप दुर्भाग्यपू्र्ण हैं। वह पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के सदस्य रहे, नैतिक और दंड समिति में शामिल रहे और साथ ही पश्चिम बंगाल फार्मेसी काउंसिल में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में नामित किए गए। हालाँकि उन्हें स्थानीय अधिकारियों द्वारा की गई पड़ताल के नतीजे देखते हुए उनके पद से निलंबित कर दिया गया है और सिफारिश की जाती है कि अन्य पद से भी उन्हें हटाया जाए।

जाँच समिति ने यह भी बताया कि 9 अगस्त को जब महिला डॉक्टर के साथ घटना घटी तब डॉक्टर अविक डे की मौजूदगी के आरोपों पर पाया गया है कि डॉ अविक ने इससे इनकार नहीं किया कि वो वहाँ थे। उन्होंने कहा कि वे पश्चिम बंगाल मेडिकल काउंसिल के अन्य सदस्यों के साथ वहाँ गए थे, लेकिन उन्होंने यह नहीं बताया कि उन्हें किसने बुलाया था या किसने आने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि उन्होंने अपराध स्थल पर किसी भी तरह की छेड़छाड़ नहीं की और केवल उतनी ही दूर गए जितनी पुलिस ने उन्हें अनुमति दी थी।

धमकी के आरोपों पर पता चलता है कि डॉ अविक डे छात्र-छात्रों को धमकाते था। अपने कक्ष में खड़े रहने के लिए बोलते थे और परीक्षा में हेरफेर करके अंकों का घोटाला भी करते थे। इसके अलावा वह अस्पताल की छात्राओं को देर रात चलने वाली पार्टियों में बुलाते थे और न जाने पर उन्हें फेल करने की धमकी देता था।

इसी तरह कुछ अवार्ड्स देने में छेड़छाड़ करने में भी डॉ अविक का हाथ होता था। एक छात्र ने लिखित रूप में स्वीकार किया कि वह एक सम्मान के अयोग्या था लेकिन वह उसे सिर्फ डॉ अविक के कारण मिला। इसी तरह मानव तस्करी के आरोपों पर भी डॉ अविक ने कोई टिप्पणी नहीं की और बताया कि उनका मॉर्च्युरी और एनाटॉमी विभाग से लेना-देना था ही नहीं।

बता दें कि जाँच समिति ने राज्य स्वास्थ्य विभाग को अपनी रिपोर्ट 4 अक्तूबर को सौंपी थी। जाँच करने वाले अधिकारियों में एनआरएस मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के प्रिंसिपल पीतबरन चक्रवर्ती, डायमंड हार्बर गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल उत्पल दान, प्रफुल्ल चंद्र सेन गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज, आरामबाग के प्रिंसिपल रामप्रसाद रॉय और आईपीजीएमईएंडआर के छात्र मामलों के डीन अविजित हाजरा शामिल थे।

सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, कैराना… छोटे मदरसों पर बड़ा एक्शन: फंडिंग की ATS ने शुरू की पड़ताल, जाँच के दायर में हैं UP के 473 मकतब

उत्तर प्रदेश के आतंकवाद निरोधक दस्ते (ATS) ने पश्चिम उत्तर प्रदेश के सहारनपुर, शामली, मुजफ्फरनगर और कैराना में मकतबों (छोटे मदरसे) की जाँच की। ATS मकतबों की कुल संपत्ति और उनकी फंडिंग समेत कुल आठ बिंदुओं पर पूछताछ कर रही है। बता दें कि UP ATS ने प्रदेश के 473 मकतबों की जाँच शुरू की है। इनमें से कई बिना मान्यता के संचालित हो रहे हैं।

कुछ दिन पहले ही मुख्यालय ने सहारनपुर मंडल के 473 मकतबों की जाँच के आदेश दिए थे। इसके साथ ही अब शामली और मुजफ्फरनगर के मकतब भी जाँच के दायरे में हैं। इसकी जिम्मेदारी एटीएस देवबंद को दी गई है। जो मकतब जाँच के घेरे में हैं उनमें शामली के 190, मुजफ्फरनगर के 165 और सहारनपुर के 118 मकतब शामिल हैं। जाँच के लिए जिला अल्पसंख्यक अधिकारियों से रिकॉर्ड माँगे गए हैं।

ATS देवबंद की टीम बुधवार (30 अक्टूबर 2024) को सहारनपुर शहर के कई मकतबों पर पहुँचकर की थी। वहीं, ATS यूनिट की एक टीम शामली के कैराना भी गई और वहाँ के मकतबों में पूछताछ की।पानीपत मार्ग पर स्थित मदरसा फलाहुल मुबीन और मदरसा फैज मसीहुल उम्मत में जाकर उसके संचालकों से जानकारी हासिल की।

टीम ने मदरसा संचालकों से इन मदरसों में पंजीकृत छात्र एवं छात्राओं की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, उनकी आय के स्रोत आदि के बारे में जानकारी हासिल की और जरूरी रिकॉर्ड खंगाले। इसके अलावा, ATS की टीम ने कस्बे के अलग-अलग मोहल्लों में स्थित करीब आधा दर्जन मकतब (छोटे मदरसों) की लगभग 6 घंटे तक गहन जाँच-पड़ताल की। इससे वहाँ हड़कंप मच गया।

शुरुआती जाँच में कई मकतबों में खामियाँ पाई गई हैं, साथ ही उनके वित्तीय लेन-देन में भी संदेहजनक गतिविधियाँ देखी गई हैं। ATS ने इस संबंध में अपनी रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज दी है। इससे पहले, उत्तर प्रदेश सरकार ने पूरे राज्य में मदरसों का व्यापक सर्वेक्षण कराया था, जिसके तहत कई गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों को बंद कर दिया गया था।

सहारनपुर मंडल के अलावा पूर्वी उत्तर प्रदेश में आने वाले गोंडा जिले में भी कई मकतब चलते पाए गए हैं। यहाँ के अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने अपने जिले में चल रहे 20 मकतबों को बंद करने की सिफारिश शासन को भेजी है। यहाँ कुल 286 मकतब चलते पाए गए हैं जिसमें 19 गैर-मान्यता प्राप्त हैं। ATS मुख्यालय से प्रदेश के हर जिले में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारियों से मकतबों की जाँच में सहयोग करने के लिए कहा गया है।

बता दें कि 18 सितंबर 2022 को शासन के निर्देश पर शामली में स्थानीय प्रशासन ने गैर-मान्यता प्राप्त मदरसों का भौतिक सत्यापन कराया था। टीम में अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी और एसडीएम कैराना शामिल थे। इस दौरान मदरसों में शिक्षा प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या, इंफ्रास्ट्रक्चर, आय के साधनों समेत कुल 11 बिंदुओं पर सर्वे किया गया था, जिसकी रिपोर्ट लखनऊ भेजी गई थी।

क्या होता है मकतब

ऑपइंडिया ने मकतब के बारे में गाजियाबाद के मौलवी अब्दुल सलाम से जानकारी ली। उनके अनुसार, मकतब एक अरबी शब्द है जिसका अर्थ है ‘पढ़ाई-लिखाई का स्थान’। उन्होंने बताया कि मकतब और मदरसे में अंतर है। मदरसे में पढ़ाई के बाद एक औपचारिक डिग्री प्राप्त होती है, जबकि मकतब में ऐसी कोई डिग्री नहीं दी जाती।

अब्दुल सलाम ने मकतब को एक तरह का ‘कोचिंग सेंटर’ बताया, जहाँ आस-पास के मुस्लिम बच्चों को दीनी तालीम दी जाती है। उन्होंने कहा कि देश की लगभग 95% मस्जिदों में मकतब चलते हैं। अब्दुल सलाम ने आगे बताया कि मकतब खासतौर से मुस्लिम बच्चों के लिए होते हैं, जहाँ कुरान और हदीस की तालीम दी जाती है।

मकतब संचालित करने वाले मौलवी, मौलाना या हाफिज आमतौर पर कोई शुल्क नहीं लेते, लेकिन कहीं-कहीं मेहनताना के लिए धन इकट्ठा किया जाता है। मौलवी के अनुसार, मकतब में पढ़ने वालों की उम्र सीमा नहीं होती, लेकिन सामान्यतः नाबालिग बच्चे ही इनमें पढ़ते हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि कई मकतब इस्लामी जानकारों के घरों में भी संचालित होते हैं।