Tuesday, November 19, 2024
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‘अखिलेश यादव मुस्लिमों को लोकसभा चुनाव में ज्यादा टिकट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि…’

बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बयान दिया है कि अखिलेश यादव मुस्लिमों को ज्यादा टिकट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि उनका कहना था इससे ध्रुवीकरण होगा, लेकिन मायावती ने उनकी बात नहीं मानी। मायावती ने बताया कि प्रचार के दौरान आरक्षण का विरोध करने की वजह से दलितों और पिछड़ों ने सपा को वोट नहीं किया है।

प्रदेश मुख्यालय पर पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में मायावती ने यूपी में हुए गठबंधन और नतीजे के बाद की गतिविधियों पर जानकारी साझा की और बताया कि गठबंधन से उनकी पार्टी को अब तक किसी चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ है और यही हाल इस चुनाव में भी रहा। अपनी पूरी बातचीत से मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी नजर में अखिलेश यादव की कोई अहमियत नहीं रह गई है।

मायावती ने इस दौरान अखिलेश से नाराज़गी जताते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने उन्हें फोन तक नहीं किया। सतीश मिश्रा ने उनसे कहा भी, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मायावती ने बताया कि इस दौरान उन्होंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिंग के दिन 23 तारीख को अखिलेश के पास फोन करके उनके परिवार की हार पर अफसोस जताया।

मायावती ने इस बातचीत में सपा नेता राम गोविंद चौधरी पर आरोप लगाया कि सलेमपुर से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को उन्होंने हरवाया है। उन्होंने सपा के वोट भाजपा को ट्रांसफर करवा दिए लेकिन फिर भी सपा नेता ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की।

मायावती के मुताबिक 3 जून को जब उन्होंने गठबंधन तोड़ने की बात की, तब भी अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन उनसे बात नहीं की। मायावती की मानें तो अखिलेश सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्हें वोट नहीं मिला।

इसके अलावा पुरानी दुशमनी को भुलाकर चुनाव के दौरान हुए सपा-बसपा के गठबंधन से लग रहा था कि पिछले मनमुटाव खत्म हो चुके हैं लेकिन इस बातचीत में मायावती ने उस घटना का दोबारा जिक्र किया। जिससे साफ़ हो गया कि उनके जख्म अभी भी ताजा हैं। उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर मामले में उनके खिलाफ बीजेपी की साजिश में सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। उन्होंने 2006 के समय को याद किया जब बसपा संस्थापक कांशीराम की मृत्यु हुई थी और केंद्र की कॉन्ग्रेस सरकार की तरह मुलायम सरकार ने भी न तो एक भी दिन का शोक घोषित किया और न ही दो फूल ही चढ़ाने पहुँचे थे।

बता दें कि इन दिनों मायावती आगामी चुनावों को अकेले लड़ने की योजना बना रही हैं। इसके मद्देनजर उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया है।

‘शायद मार दिया जाऊँ… फिर भी भारत लौट कर नेताओं के नाम का खुलासा करना चाहता हूँ’

बेंगलुरू के चर्चित आईएमए ज्वेल्स केस में रविवार (जून 23, 2019) को कंपनी के संस्थापक मंसूर खान का एक वीडियो क्लिप सामने आया है। इस वीडियो में मंसूर खान अपने आत्मसमर्पण की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि वह भारत लौटना चाहते हैं। साथ ही उन राजनेताओं के नाम का खुलासा भी करना चाहते हैं, जिनकी वजह से उनका बिजनेस डूबा लेकिन उन्हें डर है कि उन्हें मार दिया जाएगा। अपने 18 मिनट के वीडियो को मंसूर ने यूट्यूब पर अपलोड किया है और कहा है कि भारत आकर वह निवेशकों का पैसा लौटाना चाहते हैं।

उन्होंने कहा है कि जो नेता उनके करीबी थे वही नेता अब उनके लिए और उनके परिवार के लिए खतरा बने हुए हैं। वह भारत वापस आना चाहते हैं और सारी जानकारी देना चाहते हैं। मंसूर के मुताबिक वह जाँच अधिकारियों की जाँच में सहयोग करना चाहते हैं। उन्होंने बताया कि वह 14 जून को भारत लौटना चाहते थे लेकिन पासपोर्ट रद्द हो जाने के कारण उन्हें विमान से उतार दिया गया। इस दौरान उन्हें इमिग्रेशन डिपार्टमेंट से कॉन्टेक्ट करने के लिए कहा गया था लेकिन जुमा होने के कारण उनका किसी विभाग में संपर्क नहीं हो पाया।

नवभारत टाइम्स में प्रकाशित खबर के मुताबिक खान ने मामले में सीबीआई जाँच की माँग की है। उन्होंने कई राजनेताओं और बिल्डर्स के नाम लिए हैं और आईएमए के डूबने के पीछे एक आईएएस अधिकारी को जिम्मेदार बताया है। अपने वीडियो में वह बेंगलुरु के सिटी कमिश्नर आलोक कुमार से मदद माँग रहे हैं ताकि वह वापस आ सकें। इस वीडियो को जारी करने के पीछे का उद्देश्य मंसूर खान ने बताया कि वह ‘अफवाहों’ को झूठा करार देना चाहते हैं ।

गौरतलब है कि 8 जून को मंसूर देश छोड़कर दुबई चले गए थे। जाने से पहले उन्होंने ऑडियो के जरिए संदेश जारी किया था, जिसमें उन्होंने खुदकुशी की धमकी दी थी। इस दौरान उनके ख़िलाफ़ निवेशकों ने 25 हजार से ज्यादा शिकायतें की थीं और दावा किया था कि मंसूर ने उन्हें ठगा है। निवेश के बदले उन्हें हाई रिटर्न का वादा किया गया था लेकिन अब उनका पैसा डूब गया है। बता दें कि निवेशकों को हाई रिटर्न का लोभ दिखाकर मंसूर ने 1500 करोड़ रुपए इकट्ठे कर लिए थे, जिसके मद्देनजर बेंगलुरु सिटी पुलिस ने उनके खिलाफ लुकआउट नोटिस भी जारी किया था। साथ ही पुलिस ने मंसूर की तीसरी पत्नी के घर छापा भी मारा था जिसमें करोड़ों रुपए की ज्वैलरी और दस्तावेज जब्त किए गए थे।

अजीत डोवाल ने जब बिना किसी ताम-झाम के डेढ़ लाख रुपए मंदिर को दान दिए

कभी किसी नेता को अपने गाँव-क्षेत्र का दौरा करते देखे हैं? याद कीजिए तो आँखों के सामने गाड़ियों का काफिला और बंदूकों से लैस बॉडीगार्ड्स दिखेंगे। लेकिन कुछ लोग कैबिनेट रैंक के नेता बनने के बाद भी नहीं बदलते। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शायद ऐसे ही लोगों में से हैं। शनिवार 22 जून को वह परिवार के साथ उत्तराखंड में अपने पैतृक गांव घीड़ी पहुंचे।

अजीत डोभाल की इस यात्रा को पूरी तरह निजी रखा गया – कोई ताम-झाम नहीं। अपनी इस यात्रा के दौरान उन्होंने उत्तराखंड सरकार से किसी भी तरह का कोई सरकारी प्रोटोकॉल लेने से इनकार कर दिया। और ऐसा उन्होंने तब किया जबकि वे केंद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री की रैंक पर होने के साथ-साथ ज़ेड प्लस सुरक्षा कैटेगरी में आते हैं। इसके बाद गाँव वालों से भी उतनी ही आत्मीयता से मिले, जैसे कोई आम जन छुट्टियों पर घर आया हो।

अपनी पत्नी, बेटा विवेक और पोती के साथ उन्होंने अपनी कुल देवी बाल कुंवारी मंदिर में पूजा अर्चना की। इसके बाद सरकारी प्रोटोकॉल से दूर एक साधारण व्यक्ति की तरह उन्होंने अपने गाँव में समय बिताया। उन्होंने गाँव में मौजूद नाते रिश्तेदारों का हाल-चाल भी जाना। ऊपर के वीडियो में आप देख सकते हैं कि किस कदर वो गाँव के बुजुर्ग लोगों से उनका स्वास्थ्य पूछ रहे हैं, जो कि गढ़वालियों में बहुत कॉमन होता है – फिर चाहे आप किसी अजनबी से ही क्यों न मिल रहे हों, यह पूछना तो बनता ही है कि “और आपका स्वास्थ्य-पानी सब ठीक है?”

इसके बाद उन्होंने मंदिर के नाम डेढ़ लाख रुपए दान किए। जो लिफाफा वो बगल खड़े आदमी को थमा रहे हैं, उसमें शायद चेक होगा, जिसे देते वक्त वो कह रहे हैं – मंदिर के रख-रखाव के काम आएगा ये। इस बीच आप उस बुजुर्ग महिला (शायद) को भी कहते सुन सकते हैं कि उनकी लड़की की शादी है, उसमें पहुंच जाना। इस पर अजीत डोभाल हाथ जोड़ते हुए शुभकामनाएँ दे रहे हैं।

आपको बता दें कि अजीत डोभाल का जन्म 1945 में घीड़ी गांव में हुआ था। यहाँ की प्राथमिक शिक्षा के बाद उन्होंने अजमेर के सैनिक स्कूल में प्रवेश लिया। फिर आगरा विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद वे आईपीएस अधिकारी बने।

6 साल की बच्ची का बलात्कार और हत्या: आरोपित नाज़िल को IPS अजय पाल ने मारी गोली, हो रही तारीफ

6 साल की बच्ची के बलात्कार के आरोपित शख़्स को यूपी पुलिस ने गोली मारी है। पुलिस की गोली से घायल आरोपित अभी अस्पताल में भर्ती है। उसे एक मुठभेड़ के बाद गिरफ़्तार किया गया। जिला अस्पताल में भर्ती कराने के बाद ज्यादा घायल होने के कारण उसे मेरठ मेडिकल कॉलेज रेफेर कर दिया गया, जहाँ उसका इलाज चल रहा है। आरोपित ने कुछ दिनों पहले अपने ही मोहल्ले की एक बच्ची का बलात्कार किया था। आरोप है कि उसने सबसे पहले बच्ची को फुसलाया और फिर उसे एक अर्धनिर्मित मकान में सुनसान में ले जाकर बलात्कार किया। पहचान की डर से बाद में उसने बच्ची की वहीं पर गला दबा कर हत्या भी कर दी थी।

सोशल मीडिया पर लोगों ने इस काम के लिए यूपी पुलिस की तारीफ़ की। लोगों ने कहा कि जिस तरह से मुठभेड़ के दौरान पुलिस ने गोली चलाई और आरोपित को धर दबोचा, वह काबिले तारीफ़ है। आरोपित ने बच्ची की पहचान भी छिपाने की पूरी कोशिश की थी। उसने बच्ची को मार कर उसके चेहरे पर तेज़ाब डाल दिया था, ताकि उसका चेहरा बुरी तरह झुलस जाए और कोई भी उसे पहचान नहीं पाए। सिविल लाइंस कोतवाली में बच्ची के लापता होने की एक रिपोर्ट दर्ज कराइ गई थी लेकिन पुलिस व परिजनों को इस बारे में कुछ भी नहीं पता चल रहा था।

मामला शनिवार (जून 22, 2019) को खुला, जब कुछ बच्चे खेलते-खेलते उसी मकान में पहुँच गए, जहाँ यह जघन्य अपराध किया गया था। वहाँ उन बच्चों को पीड़िता का कंकाल नज़र आया, जिसके बाद इलाक़े में हड़कंप मच गया। स्थानीय लोगों की भीड़ जमा होने के बाद पुलिस भी वहाँ पहुँची। चूँकि बच्ची का चेहरा बुरी तरह झुलसा हुआ था, तब भी परिजनों ने उसके कपड़े व चप्पल देख कर पहचान की। एसपी अजय पाल शर्मा ने त्वरित कार्रवाई करते हुए अपराधी की गिरफ़्तारी का निर्देश जारी किया। आरोपित का नाम नाज़िल है, जो हाईवे स्थित आश्रम पद्धति स्कूल के पास मजार के पास खड़ा था, तभी पुलिस को उसके वहाँ होने की सूचना मिली।

इसके बाद क्राइम ब्रांच व पुलिस थाना के अधिकारी पूरी फ़ोर्स लेकर वहाँ पर पहुँचे। पुलिस को देखते ही नाज़िल ने गोली चलानी शुरू कर दी, जिससे किसी तरह बचते हुए पुलिस ने भी पलटवार किया। पुलिस ने जवाबी गोलीबारी की, जिसके कारण गोलियाँ आरोपित के पैरों में लगी और वह घायल हो गया। खुद IPS अजय पाल शर्मा ने 3 राउंड गोली आरोपित पर चलाई, उसके ज़मीन पर गिरते ही पुलिस ने बिना देर किए उसे वहीं दबोच लिया। उसके पास से मिले तमंचे को ज़ब्त कर लिया गया है। एसपी ने अस्पताल पहुँच कर आरोपित से पूछताछ की।

जिस लड़की का बलात्कार हुआ था, उसके पिता कारीगर का काम करते हैं। उन्होंने पुलिस में शिकायत की थी कि उनकी बेटी खेलते-खेलते अचानक से गायब हो गई है, जसिके बाद पुलिस ने मामला दर्ज कर जाँच शुरू की थी। जब मामला खुला तो सभी हतप्रभ रह गए।

बंगाल में ‘कट मनी’ पर बवाल: किसानों से लेकर व्यापारियों तक ले रहे पैसा लेने वाले TMC नेताओं के नाम

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) के नेताओं और जनप्रतिनिधियों को हर स्तर पर ‘कट मनी’ यानी काम के एवज़ में लिया गया पैसा जिसे कमीशन भी कहा जाता है, वो वापस करने के लिए कहा है। भूमिहीन किसानों से लेकर व्यापारियों तक सैकड़ों लोग TMC के उन नेताओं का नाम सार्वजनिक तौर पर ले रहे हैं, जिन्होंने उनसे पैसा लिया था।

विपक्षी नेताओं और राजनीतिक पर्यवेक्षकों को लगता है कि ममता बनर्जी का यह पैंतरा उन्हें 2020 में निकाय चुनावों और 2021 में विधानसभा चुनावों में कुछ बढ़त दिला सकता है। ख़बर के अनुसार, 18 जून को, कोलकाता के निकाय नेताओं को संबोधित करते हुए, ममता बनर्जी ने कहा था कि जो नेता आम लोगों से ‘कट मनी’ लेते हैं या कमीशन लेते हैं, उन्हें इसे वापस करना होगा। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि कुछ TMC नेता मृतकों को भी नहीं छोड़ते हैं और राज्य सरकार की 2,000 रुपए की राशि जारी करने में 200 रुपए वसूलते हैं।

19 जून को, मालदा ज़िले के रतुरा में एक प्रदर्शन के बाद, पुलिस को निर्मल बांग्ला परियोजना निधि से एक करोड़ रुपए के गबन के आरोप में पूर्व ग्राम पंचायत प्रधान सुकेश यादव को गिरफ़्तार करना पड़ा। इसी मामले में एक सरकारी कर्मचारी, प्रमोद कुमार सरकार को शनिवार को गिरफ़्तार किया गया था।

बंगाल की स्थिति ऐसी है कि हर दिन विभिन्न ज़िलों में प्रदर्शन हो रहे हैं। निर्मल बांग्ला परियोजना संबंधित गबन के आरोपितों में आम पंचायत सदस्य और निकाय नेता से लेकर राज्यसभा सांसद तक शामिल हैं। शनिवार (22 जून) को TMC ने भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद कोलकाता के दक्षिणी इलाकों में राजपुर-सोनारपुर नगरपालिका के उपाध्यक्ष शांता सरकार को हटा दिया। चेयरमैन पल्लब कुमार दास ने कहा, “मैंने केवल पार्टी के आदेशों का पालन किया। मुझे नहीं पता कि ऐसा क्यों किया गया था, लेकिन वाइस चेयरमैन का पद ख़त्म कर दिया गया है।”

बीरभूम ज़िले में, सैंथिया में ग्रामीणों ने पंचायत सदस्य दलिम बागड़ी के घर के बाहर प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने प्रधानमंत्री आवास योजना और निर्मल बांग्ला परियोजना से धन का गबन किया है। ज़िले के परुई गाँव के लोगों ने राष्ट्रीय ग्रामीण रोज़गार गारंटी अधिनियम (नरेगा) परियोजना के तहत अपना बकाया चुकाने के लिए पंचायत प्रधान सिराजुल शाह की गिरफ़्तारी की माँग की।

यहाँ तक कि स्थानीय TMC नेताओं ने दावा किया कि बीजेपी ने आंदोलन किया। बर्दवान ज़िले के मंगलकोट के निवासियों ने रविवार सुबह एक कंगारू अदालत स्थापित की और एक TMC नेता और उनके सहयोगी को वादा किया कि वह उनके द्वारा लिए गए सभी पैसे वापस कर देगा।

मंगलकोट में TMC पंचायत के नेता कलिमोय गंगोपाध्याय ने कहा, “मैंने TMC के क्षेत्रीय अध्यक्ष रमज़ान शेख़ के निर्देश पर पैसा लिया। उन्होंने हमें बताया कि पार्टी स्थानीय संगठन को चलाने के लिए कोई पैसा नहीं देगी और हमें ग्रामीणों से शुल्क लेकर अपने स्वयं के धन की व्यवस्था करनी होगी।”

इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषक और स्तंभकार सुवाशीस मैत्रन ने कहा, “घटनाओं की चेन ने नरेंद्र मोदी को स्पष्ट रूप से प्रभावित किया है। उन्होंने TMC नेताओं द्वारा बार-बार सिंडिकेट राज और ‘तोलाबाजी’ (जबरन वसूली) के बारे में बात की। मुख्यमंत्री ने केवल विपक्ष के काम को आसान बनाया है।”

शनिवार को इस मुद्दे पर एक नया मोड़ तब आया जब लोकप्रिय बंगाली गायक नचिकेता चक्रवर्ती, जो कि ममता बनर्जी के क़रीबी माने जाते हैं, ने यूट्यूब पर कमीशन या ‘कट मनी’ पर एक नया गाना अपलोड किया। इस गीत में ‘दीदीमोनी’ शब्द शामिल है (बड़ी बहन) जिसे आमतौर पर बनर्जी के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

यह गीत रविवार (23 जून) की सुबह तक वायरल हो गया, लेकिन चक्रवर्ती ने ज़ोर देकर कहा कि वह ममता बनर्जी के हमेशा हितैषी रहेंगे। चक्रवर्ती ने कहा, “गीत पूरे भारत में भ्रष्टाचार को संदर्भित करता है। मैं मुख्यमंत्री का अंधभक्त हूँ और हमेशा ऐसा ही रहूँगा।”

मोदी को ‘World’s Most Powerful Person’ बताने वाले ब्रिटिश हेराल्ड के पीछे पड़ा Scroll खुद हो गया नंगा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को British Herald द्वारा ‘World’s Most Powerful Person’ घोषित करने से जिनके (दिलों में आग) सुलगनी थी, वह सुलगी। और वे ज़हर उगले बिना रह नहीं पाए। Scroll ने Alt News का छापा हुआ लेख छापा, जिसके शीर्षक को इस ‘सनसनीखेज़’ तरीके से लिखा गया, मानो अभी इसमें यह खुलासा होगा कि British Herald के मालिक अमित शाह और अजित डोवाल के बेटे हैं।

और यह ‘सनसनीखेज़’ शीर्षक केवल वह क्लिकबेट जर्नलिज्म नहीं है, जिसे खबरिया पोर्टल अपने निम्न स्तर की पत्रकारिता को ‘मार्केट की मजबूरियाँ’ को आड़ देने के लिए इस्तेमाल करते हैं, बल्कि इसका इरादा ही मोदी को सकारात्मक रूप में दिखाने का ‘बदला’ लेने के लिए British Herald को नीचे गिराना था।

आगे इस लेख में पोर्टल ही नहीं, इसके मालिक अंसिफ अशरफ़ तक की ‘चीर-फाड़’ ऐसे की गई है मानो अंसिफ अशरफ़ मोदी की तारीफ़ कर देने वाले किसी पोर्टल के मालिक नहीं, अरबों डकार के विदेश में बैठे माल्या या डॉन दाऊद इब्राहिम हों। टोन किसी समाचार पोर्टल के मालिक के विषय में बात करने का नहीं, ऐसा है मानो कोई एंकर लेट नाईट क्राइम शो में दर्शकों को बाँधे रखने के लिए ‘चैन से सोना है तो जाग जाइए, और गौर से देखिए इस दुष्ट को – बताने के लिए बड़बड़ाता है। और फिर इसी टोन को गुर्राहट में बदलते हुए कहता है – इस मालिक का पोर्टल मोदी को दुनिया का सबसे ताकतवर नेता कहता है।

विकिपीडिया के भरोसे होगी खोजी पत्रकारिता!

अभी तक स्कूलों और इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रोजेक्ट्स करने वाले ही रेफरेंस सेक्शन में “credits: Wikipedia” लिख कर कर्तव्य की इतिश्री अहसान जताते हुए करते थे, लेकिन अब लगता है पत्रकारिता का भी स्तर वहाँ आ गया है कि विकिपीडिया ‘भरोसेमंद सूत्रों’ में गिना जाएगा- बावजूद इसके कि इसे कोई भी edit करके किसी के भी विकिपीडिया पेज पर कुछ भी लिख सकता है।

अंसिफ अशरफ़ की तहकीकात भी इस लेख में उनके विकिपीडिया पेज के आधार पर ही की गई है- जब कि उनकी खुद की वेबसाइट है, जिस पर उनके अख़बारों British Herald और Cochin Herald के ज़रिए उनसे सम्पर्क करने के लिए एक-एक ईमेल एड्रेस और फ़ोन नंबर भी दिए गए हैं।

हालाँकि न मोदी या भाजपा से उन्हें जोड़ने वाला कुछ मिलना था, न मिला- पत्रकारिता के इस समुदाय विशेष की किस्मत इतनी खराब निकली कि अंसिफ अशरफ़ का घर तक गुजरात में नहीं है, जहाँ उन्हें राज्य सरकार का पिट्ठू या ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ बताया जा सके; वह तो ‘गॉड्स ओन कंट्री’, कम्युनिस्टों के गढ़ और दहशतगर्द संगठन आइएस को भारत से सबसे ज्यादा ‘सप्लाई’ देने वाले केरला के निवासी निकले।

ये मोदी को स्टार-पावर देने का नहीं, उनसे स्टार-पावर ‘लेने’ का प्रयास था**

अंसिफ अशरफ़ के इन दोनों अख़बारों में से कोचीन हेराल्ड तो 1992 से ही चला आ रहा है। इससे वह शक भी साफ हो जाता है जिसका बीज यह लेख बिना बोले अपने पाठकों के मन में डालने की कोशिश करता है- कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मोदी की इमेज चमकाने के लिए पुराने ब्रिटिश अख़बार द डेली हेराल्ड या ऑस्ट्रेलिया के सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की ‘सस्ती कॉपी’ बनाने का राजनीतिक प्रयास हो। लेकिन ऐसा भी नहीं है। साफ पता चल रहा है कि British Herald नाम रखना एक ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी का हिस्सा था, जिसके अंतर्गत 1992 से ही चले आ रहे अख़बार, और उसकी मालिक कंपनी की ब्रांडिंग चमकाने के लिए ब्रिटिश हेराल्ड अख़बार का सृजन किया गया।

और एक बात, मोदी ब्रिटिश हेराल्ड के कवर पर आने वाले इकलौते या पहले नेता नहीं हैं। उनसे पहले यह अख़बार/पोर्टल न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जसिन्डा अडर्न और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी अपने कवर पर ला चुका है। यानी यह मोदी को कोई ‘चमक’ दे नहीं रहा था, बल्कि उनके ज़रिए खुद की इमेज बनाने की कोशिश कर रहा था।

कायदे से जब अंसिफ अशरफ़ के खिलाफ कुछ नहीं साबित हो पाया तो या तो इस लेख का कोई मतलब ही नहीं बनता था (क्योंकि इसमें कोई ‘खुलासा’ हो ही नहीं सकता), और या तो अगर कोई जानकारी देने वाला लेख लिखना ही था, तो उसे उसी रूप में लिखा जाना चाहिए था, न कि उसे ‘हमें-पता-है-ये-बड़ी-conspiracy-है लेकिन-क्या-करें-बोल-नहीं-सकते-क्योंकि-सबूत-नहीं-है-इशारे-में-बात-समझ-जाओ’ के subtext वाले वाहियात लेख के रूप में ‘मार्केट’ में ‘फेंक’ देना चाहिए था।

स्क्रॉल की बात

अब एक बात और। दूसरे समाचार पोर्टलों के ‘अबाउट अस’ में कँस्पिरेसी थ्योरी का कच्चा माल ढूँढ़ने वाले स्क्रॉल का खुद का ना तो ‘अबाउट अस’ का हिस्सा है (वेबसाइट ही नहीं, फेसबुक पेज पर भी कौन मालिक है, कौन पैसा देता है की बजाय गोलमोल बातें ही भरी हैं) और न ही वह यूज़र्स के कमेंट तक लेखों के नीचे ‘बर्दाश्त’ करती है। सार्वजनिक जीवन और राजनीति में लोकतंत्र-लोकतंत्र खेलने के पहले अगर ये लोग खुद का लोकतान्त्रिक स्वभाव बना लें, बहुत अच्छा होगा।

**यह लेख लिखते समय मुझे भी ब्रिटिश हेराल्ड अख़बार के 150+ वर्ष पुराने होने का गुमान नहीं था, अतः मुझे लगा कि कोचीन हेराल्ड का “British Herald नाम रखना एक ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी का हिस्सा” और मार्केटिंग गिमिक लगा। लेकिन अंसिफ अशरफ के जवाब से यह साफ हो जाता है कि यह ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी तो थी, लेकिन मार्केटिंग गिमिक नहीं, और न ही मोदी को कवर पर जगह देना किसी ‘नए अख़बार’ का अपना ‘ब्रांड रिकग्निशन’ बढ़ाने का प्रयास; और यह अख़बार भी नया नहीं, 150+ वर्ष पुराना है।

कौन था SP मुखर्जी की मृत्यु के बाद उनके भाई को अब्दुल्ला की तरफ़ से कॉल करने वाला अनजान शख़्स?

डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी को नेहरू कैबिनेट में उद्योग मंत्री की अहम ज़िम्मेदारी दी गई थी – यह तो हम सभी जानते हैं। लेकिन, कॉन्ग्रेस पार्टी से मतभेदों के कारण ‘एक राष्ट्र, एक विधान’ के लिए अभियान चलाने वाले डॉक्टर मुखर्जी ने पार्टी छोड़ दी। फिर जनसंघ के संस्थापक अध्यक्ष रहे मुखर्जी की मृत्यु जम्मू कश्मीर में हुई। उसी जम्मू कश्मीर में- जिसे भारत का बिना शर्त अभिन्न अंग बनाने के लिए वह प्रयासरत थे। वे जम्मू कश्मीर गए, वहाँ उन्हें हिरासत में ले लिया गया। हिरासत में ही उनकी तबियत ख़राब हुई और उनकी मृत्यु हो गई। लेकिन, उनकी मृत्यु की सूचना को उनके भाई तक पहुँचाने वाला एक ऐसा शख़्स था, जिसकी पहचान अनजान होकर रह गई।

जब डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु हुई, तब उनके बड़े भाई के पास एक कॉल आया। उनके भाई एक जज थे। वैसे डॉक्टर मुखर्जी के पिता भी कलकत्ता हाइकोर्ट में जज थे। ख़ुद डॉक्टर मुखर्जी कलकत्ता विश्वविद्यालय के कुलपति रह चुके थे और उन्हें दक्ष शिक्षाविद माना जाता था। डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु के बाद उनके भाई जस्टिस मुखर्जी के पास एक फोन कॉल आया था। फोन कॉल पर कौन था, किसी को नहीं पता। अनजान शख़्स ने जस्टिस मुखर्जी को बताया कि वह जम्मू कश्मीर के प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला की तरफ़ से बोल रहा है। उसी अनजान शख़्स ने जस्टिस मुखर्जी को उनके भाई डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु की सूचना दी।

लेकिन, इसके बाद उसने जस्टिस मुखर्जी से ऐसा सवाल पूछा, जिससे वो अचानक से चौंक गए। उसने पूछा कि डॉक्टर मुखर्जी के पार्थिव शरीर के साथ क्या करना है? उसने अपनी पहचान बताने से साफ़ इनकार कर दिया। आज रविवार (जून 23, 2019) को जब देश डॉक्टर मुखर्जी की पुण्यतिथि मना रहा है, यह सवाल फिर से उठता है कि जम्मू कश्मीर के तत्कालीन प्रधानमंत्री शेख अब्दुल्ला की तरफ़ से डॉक्टर मुखर्जी के परिवार को कॉल करने वाला व्यक्ति कौन था और उसका श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु से क्या वास्ता था? बाद में डॉक्टर मुखर्जी के भाई जस्टिस मुखर्जी को उनकी मृत्यु की आधिकारिक सूचना पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री विधान चंद्र रॉय से मिली।

डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु के 1 दिन बाद इंडियन एक्सप्रेस में छपी ख़बर (तारीख: जून 24, 1953)

विधान चंद्र रॉय, जिन्होंने देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू को पत्र लिख कर डॉक्टर मुखर्जी की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत की जाँच कराने की माँग की थी। लेकिन, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने आज बयान देते हुए कहा कि जनता की माँगों के बावजूद नेहरू ने डॉक्टर मुखर्जी की मृत्यु की जाँच नहीं कराई। क्या आपको पता है कि जब डॉक्टर मुखर्जी का पार्थिव शरीर कश्मीर से कोलकाता लाया जा रहा था, उससे पहले शेख अब्दुल्ला ने उनके पार्थिव शरीर पर कश्मीरी शॉल डाला था? शेख अब्दुल्ला सहित उनकी कैबिनेट के अनेक मंत्रियों ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया था। अब्दुल्ला ने एक माला बेगम अब्दुल्ला की तरफ़ से भी पेश किया था।

बताया जाता है कि डॉक्टर मुखर्जी लगभग 10 से भी अधिक दिनों से बीमार चल रहे थे। उनके पार्थिव शरीर को कोलकाता तक लाने के लिए भारत सरकार ने वायुसेना के स्पेशल प्लेन की व्यवस्था की थी। एक सक्रिय सांसद के रूप में पहचाने जाने वाले श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मृत्यु के बाद उनके राजनीतिक प्रतिद्वंदियों ने भी उनकी प्रशंसा की। एक और बात ध्यान देने लायक है कि उनकी मृत्यु से पहले उनके भाई जस्टिस मुखर्जी के पास उनके नाम से एक टेलीग्राम आया था, जिसमें लिखा था कि वे ठीक हैं और बुखार एवं दर्द इत्यादि भी कम हो गया है। बताया गया कि ये टेलीग्राम उनकी तरफ़ से जेल से ही आया था।

तेलंगाना में नगरपालिका की क्रूरता: 100 कुत्तों को ज़हर देकर मार डाला, ज़मीन में दफनाया

तेलंगाना से एक अमानवीय घटना सामने आई है। सिद्दिपेट के नगरपालिका कर्मचारियों को मरे हुए कुत्तों को असंवेदनशील तरीके से ज़मीन में गाड़ते हुए देखा गया। ट्विटर पर डाले गए एक वीडियो में देखा जा सकता है कि कर्मचारी ट्रक में से मरे हुए कुत्तों को उठा कर नीचे पटक रहे हैं। वीडियो बनाती हुई लड़की इस दृश्य को देख कर सिसक रही है। कर्मचारियों ने उसे बताया कि उन्हें नगरपालिका के अधिकारियों द्वारा कुत्तों को मार डालने को कहा गया है। कर्मचारियों ने कहा कि नगरपालिका द्वारा इलाक़े से कुत्तों का कथित आतंक ख़त्म करने के लिए उन्हें मार डालने का आदेश दिया गया। कुल 100 कुत्तों को ज़मीन में गाड़ दिया गया।

इससे पहले तेलंगाना के विकाराबाद में 30 अन्य कुत्तों को मार कर गाड़ देने का मामला सामने आया था। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अब तक कुल 100 कुत्तों को ऐसे ही निर्मम तरीके से मारा जा चुका है। इस मामले में एक स्थानीय ने कहा, “मैं इस बात को देख कर हैरान थी कि मेरे सारे कुत्ते गायब हैं। उनमें से कोई भी आक्रामक नहीं था और किसी ने भी कभी कोई हिंसक परिस्थिति नहीं पैदा की। अगर लोगों ने शिकायत की ही थी तो नगरपालिका वालों को ‘एनिमल बर्थ कण्ट्रोल’अपनानी चाहिए थी।” बता दें कि उन सभी कुत्तों को ज़हर देकर मारा गया था।

इस घटना की जानकारी मिलते ही हैदराबाद से जानवरों के हितों के लिए काम करने वाले सामाजिक कार्यकर्ताओं की एक टोली घटनास्थल के लिए निकल गई और उन्होंने सबूत इकट्ठा करने के साथ-साथ ‘Cruelty against animal Act and section 428 and 429’ के तहत पुलिस थाने में केस भी दर्ज कराया। सामाजिक कार्यकर्ताओं ने अपनी जाँच के दौरान भी 30 कुत्तों को ज़मीन में गाड़े जाने की घटना को प्रत्यक्ष रूप से देखा। कई लोगों का कहना है कि यह कार्य कर रहे लोगों में से एक भी नगरपालिका का कर्मचारी नहीं था। किसी ने भी ऐसे यूनिफॉर्म नहीं पहन रखे थे।

पूछने पर उन्होंने बताया कि वे देहाड़ी पर काम करने वाले मजदूर हैं और उन्हें पहले से ही मरे कुत्ते दिए गए थे। एक प्रेस नोट के मुताबिक़, स्थानीय नगरपालिका के अधिकारी इन कुत्तों को ज़हर देकर मारने में शामिल हैं।

भाई उपाध्यक्ष, भतीजा कोऑर्डिनेटर: BSP में बदलाव के नाम पर मायवती का परिवारवाद

बसपा सुप्रीमो मायावती की अहम बैठक में उनके भाई आनंद कुमार को पार्टी ने राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाने का निर्णय लिया। वहीं उनके भतीजे आकाश को नेशनल कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी दी गई। बसपा नेता राम जी गौतम को को भी नेशनल कोऑर्डिनेटर चुना गया। दानिश अली को लोकसभा में बसपा संसदीय दल का नेता बनाया गया। लालजी वर्मा को विधानसभा में पार्टी का नेता चुना गया और सतीश चंद्र मिश्रा को राज्यसभा में नेता बनाया गया। गिरीश चंद जाटव मुख्य सचेतक बनाए गए। साथ ही ‘बुआ-बबुआ’ पर लगाम लगाते हुए आगामी उपचुनाव में पार्टी नेताओं को सपा से अलग चुनाव लड़ने की तैयारी करने को कहा गया।

कहा जा रहा है कि मायावती द्वारा अखिलेश यादव को फोन करने के बाद उनके रवैये से वो नाराज़ हैं और इसीलिए वह सपा से अलग चुनाव लड़ने में पूरी ताक़त झोंकना चाहती हैं। मायावती द्वारा अपने भाई व भतीजे को पार्टी में अहम पद देना बसपा के परिवारवाद की तरफ़ ही इशारा करता है।

बसपा की बैठक में लिए गए अहम निर्णय

लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद मायावती निराश बताई जा रही हैं और अपनी पार्टी के कई नेताओं से भी वो नाराज़ हैं। यही कारण है कि उन्होंने एक-एक कर संगठन में बदलाव करने शुरू कर दिए हैं। उन्होंने हाल ही में तीन राज्यों के प्रदेश अध्यक्षों को पद से बेदखल कर दिया था। मायावती ने प्रदेश स्तर पर निष्क्रिय नेताओं को चिह्नित करने पर ज़ोर दिया है और उन सभी पर कार्रवाई की जा रही है।

70 साल की कमरजहाँ को शौहर ने दिया तलाक़: 5 बेटों ने छोड़ा साथ, टॉफी बिस्कुट बेच कर रहीं गुजारा

एक तरफ जहाँ मोदी सरकार तीन तलाक बिल पास कराने में जुटी है, वहीं शनिवार (जून 22, 2019) को गोंडा जिले में एक अजीबोगरीब मामला सामने आया है। जहाँ एक शौहर ने अपनी 70 वर्षीय बीवी को तीन तलाक दे दिया। मामला कोतवाली नगर के हाफिज़ पुरवा से जुड़ा है। जहाँ की वृद्ध महिला कमरजहाँ का आरोप है कि उनके शौहर ने इस बुढ़ापे में उन्हें तलाक दे दिया।

महिला का आरोप है कि उनके शौहर का चाल-चलन ठीक नहीं है। इस वजह से वह रोजाना उसके साथ मारपीट किया करता था और उसी के चलते उसने एक साथ तीन तलाक बोल कर संबंध खत्म कर लिया। मामले की शिकायत लेकर महिला कई स्थानीय थाने पर गई लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जिसके बाद पीड़ित वृद्ध महिला ने परिवार न्यायालय में गुजारे के लिए अर्जी लगाई है।

वृद्ध महिला कमरजहाँ ने अपनी बात बताई। उसका कहना है कि इस उम्र में शौहर को खोने का मलाल तो है ही लेकिन उसके साथ बेटों का अलग होने का गम उसके कलेजे को छलनी करने जैसा है। महिला ने कहा कि पहले तो शौहर ने तलाक दे दिया। उसके बाद उनके 5 बेटों ने भी उनसे मुँह फेर लिया। ऐसे में उनके ऊपर गमों का पहाड़ टूट पड़ा। महिला का कहना है कि शौहर की मार से हाथ पैरों में इतना दर्द है कि वो ठीक से चल भी नहीं पा रही हैं। उन्होंने बताया कि जब उनके शौहर और बेटों ने उन्हें घर से निकाल दिया तो ऐसे में उनके सामने खाने-पीने की एक बड़ी समस्या खड़ी हो गई है। घर के खर्च से बचाए हुए ₹1,000 से टॉफी-बिस्किट लाकर, उसे बेचकर जीवनयापन कर रही हैं।

तीन तलाक के मुद्दों पर छिड़ी जंग के बीच शौहरों का तीन तलाक देने का मामला थमने का नाम नहीं ले रहा। इसी कड़ी में एक और ख़बर पीलीभीत से सामने आई है। जहाँ पर संभल जनपद के चंदौसी कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला गोलागंज निवासी नौशाद ने थाना कोतवाली क्षेत्र के मोहल्ला मोहम्मद फारूख निवासी रोशन को तीन तलाक दे दिया। पीड़िता ने आरोप लगाया कि उनके शौहर ने पहले तो उन्हें दहेज के लिए प्रताड़ित किया, उनके साथ मारपीट की और जब वो प्रताड़ना से तंग आकर मायके चली आई तो नौशाद ने वहाँ पहुँच कर उसे डराया धमकाया और उसे तीन तलाक दे दिया। साथ ही जान से मारने की धमकी भी दी।

जानकारी के अनुसार, नौशाद ₹2 लाख दहेज की माँग कर रहा था। रोशन ने पुलिस में इसकी शिकायत दर्ज करवाई और कहा कि नौशाद के साथ उनका निकाह 11 अप्रैल 2014 को हुआ था। पीड़िता की तहरीर पर शिकायत दर्ज कर ली गई है। वहीं, पुलिस का कहना है कि ये मामला पहले परिवार परामर्श केंद्र में जाएगा और अगर वहाँ पर समझौता नहीं हो पाया तो फिर आगे की कार्रवाई की जाएगी।