बसपा सुप्रीमो मायावती ने लोकसभा चुनाव में मिली करारी हार के बाद बयान दिया है कि अखिलेश यादव मुस्लिमों को ज्यादा टिकट नहीं देना चाहते थे, क्योंकि उनका कहना था इससे ध्रुवीकरण होगा, लेकिन मायावती ने उनकी बात नहीं मानी। मायावती ने बताया कि प्रचार के दौरान आरक्षण का विरोध करने की वजह से दलितों और पिछड़ों ने सपा को वोट नहीं किया है।
प्रदेश मुख्यालय पर पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन में मायावती ने यूपी में हुए गठबंधन और नतीजे के बाद की गतिविधियों पर जानकारी साझा की और बताया कि गठबंधन से उनकी पार्टी को अब तक किसी चुनाव में कोई फायदा नहीं हुआ है और यही हाल इस चुनाव में भी रहा। अपनी पूरी बातचीत से मायावती ने स्पष्ट कर दिया कि उनकी नजर में अखिलेश यादव की कोई अहमियत नहीं रह गई है।
#BREAKING मायावती ने अखिलेश यादव पर बोला हमला, हार के बाद अखिलेश ने मुझे किया था फोन, मुसलमानों को टिकट नहीं देने को कह रहे थे अखिलेश : सूत्र pic.twitter.com/rDWD2ytGlI
— News18 Uttar Pradesh (@News18UP) June 23, 2019
मायावती ने इस दौरान अखिलेश से नाराज़गी जताते हुए कहा कि चुनाव हारने के बाद अखिलेश ने उन्हें फोन तक नहीं किया। सतीश मिश्रा ने उनसे कहा भी, लेकिन फिर भी उन्होंने फोन नहीं किया। मायावती ने बताया कि इस दौरान उन्होंने बड़े होने का फर्ज निभाया और काउंटिंग के दिन 23 तारीख को अखिलेश के पास फोन करके उनके परिवार की हार पर अफसोस जताया।
अखिलेश यादव पर भड़कीं मायावती, कहा- हार के बाद SP प्रमुख ने मुझे फोन तक नहीं किया#AkhileshYadav #Mayawati https://t.co/jIqo4PebaA pic.twitter.com/bIvEmkZeGu
— ABP न्यूज़ हिंदी (@abpnewshindi) June 24, 2019
मायावती ने इस बातचीत में सपा नेता राम गोविंद चौधरी पर आरोप लगाया कि सलेमपुर से बसपा के प्रदेश अध्यक्ष आरएस कुशवाहा को उन्होंने हरवाया है। उन्होंने सपा के वोट भाजपा को ट्रांसफर करवा दिए लेकिन फिर भी सपा नेता ने उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई नहीं की।
मायावती ने सपा को बताया धोखेबाज, कहा- हार के बाद अखिलेश ने फोन तक नहीं किया #Mayawati #mahagathbandhan #AkhileshYadav https://t.co/yc7bkEBk8q
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मायावती के मुताबिक 3 जून को जब उन्होंने गठबंधन तोड़ने की बात की, तब भी अखिलेश ने सतीश चंद्र मिश्रा को फोन किया, लेकिन उनसे बात नहीं की। मायावती की मानें तो अखिलेश सरकार में गैर यादव और पिछड़ों के साथ नाइंसाफी हुई, इसलिए उन्हें वोट नहीं मिला।
“अखिलेश ने मुझे ज्यादा मुसलमानों को टिकट देने से मना किया था” @Mayawati@samajwadiparty @yadavakhilesh https://t.co/GxPtkpHKo5
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इसके अलावा पुरानी दुशमनी को भुलाकर चुनाव के दौरान हुए सपा-बसपा के गठबंधन से लग रहा था कि पिछले मनमुटाव खत्म हो चुके हैं लेकिन इस बातचीत में मायावती ने उस घटना का दोबारा जिक्र किया। जिससे साफ़ हो गया कि उनके जख्म अभी भी ताजा हैं। उन्होंने कहा कि ताज कॉरिडोर मामले में उनके खिलाफ बीजेपी की साजिश में सपा के तत्कालीन अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव भी शामिल थे। उन्होंने 2006 के समय को याद किया जब बसपा संस्थापक कांशीराम की मृत्यु हुई थी और केंद्र की कॉन्ग्रेस सरकार की तरह मुलायम सरकार ने भी न तो एक भी दिन का शोक घोषित किया और न ही दो फूल ही चढ़ाने पहुँचे थे।
भाई-भतीजे को पार्टी में बड़ा पद देने के साथ ही मायावती ने अपना रेटायरमेंट प्लान करना शुरू कर दिया है। कभी कांशीराम के नेतृत्व में सार्वभौमिक न्याय और समानता को मुद्दा बनाकर बसपा का गठन हुआ था, पर दुःखद है कि पार्टी परिवारवाद और टिकटों की ख़रीद-फ़रोख़्त के दलदल में फँस कर रह गयी।
— Vedank Singh (@VedankSingh) June 23, 2019
बता दें कि इन दिनों मायावती आगामी चुनावों को अकेले लड़ने की योजना बना रही हैं। इसके मद्देनजर उन्होंने अपने भाई आनंद कुमार को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और भतीजे आकाश आनंद को नेशनल कोआर्डिनेटर बना दिया है।
मायावती द्वारा अखिलेश यादव को फोन करने के बाद उनके रवैये से वो नाराज़ हैं और इसीलिए वह सपा से अलग चुनाव लड़ने में पूरी ताक़त झोंकना चाहती हैं। मायावती द्वारा अपने भाई व भतीजे को…#BSP #mayawatihttps://t.co/f88KW2vZ4K
— ऑपइंडिया (@OpIndia_in) June 23, 2019