Monday, November 18, 2024
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ED को मिले नए सुराग, रॉबर्ट वाड्रा की मनी लॉन्ड्रिंग जाँच में आया साइप्रस एंगल

कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी के बहनोई और विवादास्पद जमीन कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा की मनी लॉन्ड्रिंग मामले में जाँच कर रहे प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) को अब साइप्रस के रास्ते हुए उनके कुछ और गोपनीय लेन-देन के सबूत मिले हैं। इससे पहले निदेशालय ने दावा किया था कि दुबई में पंजीकृत शेल कंपनियों में पड़े नकदी के जखीरे की जानकारी उसके पास है। यह धन रक्षा दलाल संजय भंडारी को हस्तांतरित किया गया था, जिससे उसने ब्रिटेन में सम्पत्ति खरीदी। यह वही संजय भंडारी हैं, जिनके बारे में मार्च में ऑपइंडिया ने खुलासा किया था कि राहुल गाँधी राफेल घोटाले का विरोध इसलिए कर रहे हैं ताकि राफेल सौदा रद्द होकर कॉन्ट्रैक्ट यूरोफाइटर को मिल जाए, जिसमें भंडारी का आर्थिक हित जुड़ा है। वाड्रा से मनी लॉन्ड्रिंग रोधी कानून के अंतर्गत पहले ही दिल्ली और जोधपुर में 13 बार पूछताछ हो चुकी है, और उन पर मामले भी दर्ज हैं।

थम्पी को ईडी का फिर से बुलावा

इन सबूतों की रोशनी में ईडी ने वाड्रा के दुबई निवासी एनआरआई सहयोगी सीसी थम्पी को एक बार फिर अपने दिल्ली कार्यालय में जाँच के लिए बुलावा भेजा है। थम्पी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी एफज़ेडई नामक कम्पनी दुबई में चलाते हैं जिसका नाम वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी प्राइवेट लिमिटेड से संदेहास्पद रूप से मिलता-जुलता है। वाड्रा की स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी पर बीकानेर और गुरुग्राम (तत्कालीन गुड़गाँव) में जमीनों पर अवैध कब्जा करने के मामले में जाँच चल रही है।

थम्पी ने बीमारी का हवाला दे समय माँगा, वाड्रा से बेनामी सम्पत्तियों को लेकर हुई पूछताछ

थम्पी ने बीमारी का हवाला देकर ईडी से पेश होने के लिए और समय की माँग की है। इससे पहले अपनी पिछली पेशी में थम्पी ने बताया था कि उनको वाड्रा से मिलवाने वाले और कोई नहीं, सोनिया गाँधी के निजी सहायक पीपी माधवन थे। ईडी का आरोप है कि थम्पी की स्काइलाइट हॉस्पिटैलिटी एफज़ेडई के असली मालिक वाड्रा हैं, जिन्होंने दुबई में एक ₹14 करोड़ का विला और लंदन में ₹26 करोड़ का एक फ़्लैट इस कम्पनी के ज़रिए खरीदा।

थम्पी ने जाँच के दौरान यह भी कबूल किया था कि वाड्रा अपने लंदन प्रवास के दौरान 12 ब्रैंस्टन स्क्वायर स्थित इस फ्लैट में ठहरे भी थे, जिससे वाड्रा ने इंकार किया है। इसके अलावा भी कुछ अन्य सम्पत्तियाँ रॉबर्ट वाड्रा द्वारा खरीदे जाने का प्रवर्तन निदेशालय को शक है। इनमें से कुछ मामलों में गत मंगलवार (4 जून) को वाड्रा से पूछताछ भी की गई थी

‘गुंडे’ काँवड़िए को पकड़ने को खँगाले 100 CCTV, पत्थरबाज नमाज़ियों पर अभी तक FIR भी नहीं

ईद के मौके पर पूर्वी दिल्ली के खुरैझी इलाके में तेज रफ़्तार कार द्वारा 17 नमाजियों को टक्कर मारने की झूठी खबर अंग्रेजी मीडिया ने फैलाई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस की DCP मेघा यादव ने नमाजियों को टक्कर मारने जैसे किसी भी दावे से इनकार किया था। ऑपइंडिया ने मेघा यादव से इस सम्बन्ध में बात की थी तो उन्होंने किसी भी न्यूज़ एजेंसी को ऐसी कोई भी सूचना देने की बात से भी इनकार किया था।

डीसीपी यादव के अनुसार कार चुराकर तेज़ रफ्तार से चलाने वाले व्यक्ति का नाम नहीं पता चल पाया है। हालाँकि अन्य स्रोतों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार कार चालक का नाम शाहरुख़ बताया जा रहा है। ऑपइंडिया ने मेघा यादव से आज सुबह 11:20 पर फिर बात की जिससे पता चला कि अभी तक कार चलाने वाले व्यक्ति के ऊपर एफआईआर तक दर्ज नहीं की गई है। हमें यह बताया गया था कि पुलिस मुख्य रूप से कार चालक की खोज कर रही थी।

लेकिन आश्चर्य इस बात का है कि जिस व्यक्ति के कारण इतना हंगामा हुआ और समुदाय विशेष के लोगों द्वारा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुँचाया गया उसके खिलाफ प्राथमिकी भी दर्ज नहीं की गई है। गौरतलब है कि डीसीपी यादव ने ऑपइंडिया से हुई बातचीत में कहा था कि जहाँ पर यह घटना घटी अक्सर वहाँ पर भीड़ रहती है लेकिन जिस समय कार वहाँ से गुज़री, उस समय वहाँ कोई नमाज़ अदा नहीं हो रही थी।

बल्कि नमाज़ बहुत पहले ही ख़त्म हो चुकी थी और लोग वहाँ से जा चुके थे। फिर भी समुदाय विशेष के लोगों ने सार्वजनिक वाहन पर तोड़फोड़ की और हंगामा किया। कमाल की बात यह है कि जहाँ ज़्यादातर इंग्लिश मीडिया ने 17 नमाजियों के घायल होने की झूठी ख़बर चलाई वहीं ऑपइंडिया समेत कुछ हिंदी मीडिया ने ऐसा लिखा कि वहाँ कोई घायल नहीं हुआ और इस खबर की सच्चाई बताने की कोशिश की।

इस घटना से लगभग एक साल पीछे जाने पर एक और घटना याद आती है जब अगस्त 2018 में दिल्ली के ही मोतीनगर इलाके में एक कांवड़िये द्वारा किए गए उत्पात पर उसे तीन दिनों के भीतर ही गिरफ्तार कर लिया गया था। पश्चिमी दिल्ली के मोती नगर इलाके में कांवड़ियों की भीड़ द्वारा एक गाड़ी की तोड़फोड़ करने के मामले में दिल्ली पुलिस ने दो आरोपितों को पकड़ा था। मुख्य आरोपित कांवड़िए का नाम राहुल उर्फ़ बिल्ला था जिसे उत्तम नगर से गिरफ्तार किया था।

दूसरे आरोपित का नाम योगेश बताया गया था जिसे जेजे कॉलोनी से पुलिस ने पकड़ा था। गौरतलब है कि इस मामले में पुलिस ने इतनी तेज़ी से काम किया था कि एक-दो नहीं बल्कि 100 सीसीटीवी फुटेज खंगालकर देखे गए थे। लेकिन पूर्वी दिल्ली के खुरैझी इलाके में ईद के दिन सार्वजनिक संपत्ति की हुई क्षति के मामले में पुलिस अभी तक न तो सीसीटीवी फुटेज खोज पाई है, न तेज़ी से कार चलाने वाले व्यक्ति पर एफआईआर ही दर्ज कर सकी है और न उन लोगों के खिलाफ कोई एक्शन लिया गया है जिन्होंने डीटीसी बस समेत चार वाहनों को क्षतिग्रस्त किया। दिल्ली पुलिस का यह शर्मनाक कारनामा है कि जिसे पकड़ लिया गया है उसके खिलाफ भी एफआईआर तक दर्ज नहीं हुई है।

‘यदि ख़ून बहता है, तो हम भी इसका जवाब देंगे’ बदला लेने पर उतारू ममता के मंत्री

पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के बाद से ही कार्यकर्ताओं की हत्याओं का दौर जारी है। कूचबिहार और उत्तरी दमदम में दो TMC कार्यकर्ताओं की हत्या की ख़बर सामने आई है। इसके चलते पूरे इलाक़े में तनाव का माहौल बना हुआ है। बीजेपी और TMC के बीच आपसी झड़पे होने की भी ख़बर है। दरअसल, मंगलवार (4 जून) की रात को उत्तरी दमदम नगरपालिका के वार्ड-6 के अध्यक्ष और तृणमूल कॉन्ग्रेस के नेता निर्मल कुंडू की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। घटना के बाद फौरी तौर पर कुंडू को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया, जहाँ डाक्टर्स ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। इस बीच बंगाल के खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिया मल्लिक ने TMC नेता की हत्या पर बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा खोला है।

ख़बर के अनुसार, ज्योतिप्रिया मल्लिक ने कहा, “मेरे पास कहने के लिए कुछ भी नहीं है। सुपारी किलर के साथ आरोपी देखा गया है। आरोपी ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव प्रचार किया है। उसने सुपारी किलर को मदद की है। तब सुपारी किलर ने TMC कार्यकर्ता की हत्या कर दी। हम जानना चाहते हैं कि मास्टरमाइंड कौन है? बैरक या बीजापुर से है? जिसने हमारे नेता को मारने का आदेश दिया। हम मास्टरमाइंड को भी नहीं छोड़ेंगे। पुलिस ने जाँच शुरू कर दी है।”

इसके अलावा मल्लिक ने कहा कि निर्मल कुंडू लोकप्रिय नेता थे, उन्होंने चुनाव में शानदार प्रदर्शन किया था जिसकी बदौलत उनके बूथ से TMC को 600 वोटों की बढ़त मिली थी। मल्लिक ने कहा कि उन्होंने राजनीतिक लड़ाई शुरू कर दी है, अगर लड़ाई होगी तो वो इसे स्वीकार करने के लिए तैयार हैं। यदि ख़ून बहता है, तो वो भी इसका जवाब देंगे। बीजेपी को खुली चुनौती देते हुए उन्होंने यह भी कहा कि बीजेपी ने जिस गंदे खेल की शुरूआत की है उसका अंत अगले 10 दिनों में सभी देखेंगे।

हत्या की घटना के बाद पुलिस ने सुमन कुंडू और सुजय दास को कथित तौर पर गोली मारने के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। दोनों को बैरकपुर उप-मंडल अदालत में बुधवार (5 जून) को पेश किया गया। दोनों के पास से कुछ हथियार और कारतूस भी बरामद किए गए। पुलिस ने इस बात का खुलासा भी किया कि दोनों बीजेपी कार्यकर्ता हैं। बुधवार को कूचबिहार के दिनहाटा में तृणमूल कार्यकर्ता अजीजुर रहमान की लोगों ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। हत्या का आरोप बीजेपी पर लगा था।

एयर ट्रैफिक कंट्रोल पर थीं संध्या और उनके पायलट पति उड़ा रहे थे AN-32: गायब विमान की मार्मिक कहानी

भारतीय वायु सेना के लापता विमान AN-32 में सवार जवानों की कोई जानकारी न मिल पाने की वजह से उनके परिजनों के बीच तनाव का माहौल था। इन्हीं में एक नाम फ़्लाइट लेफ़्टिनेंट आशीष तंवर का था, जिनकी पत्नी संध्या तंवर उस वक़्त असम के जोरहाट में IAF एयर ट्रैफिक कंट्रोल में ड्यूटी पर तैनात थीं। बता दें कि चीन से लगी सीमा के पास मेंचुका एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड के लिए इस विमान ने सोमवार (3 जून) को 12.25 बजे उड़ान भरी थी और 33 मिनट बाद ही विमान से सम्पर्क टूट गया था। यह सब पायलट की पत्नी संध्या की आँखों के सामने था, जो चाहकर भी कुछ करने की स्थिति में नहीं थीं। एक पत्नी के लिए यह मंज़र कितना पीड़ादायक रहा होगा, इसका तो केवल अंदाज़ा भर ही लगाया जा सकता है।

उत्तर प्रदेश के मथुरा की रहने वाली संध्या ने पिछले साल ही जोरहाट में ड्यूटी ज्वॉइन की थी जहाँ आशीष भी अपनी ट्रेनिंग पूरी करने बाद पहुँचे थे। पारिवारिक सहमति से दोनों की शादी फरवरी 2018 में हुई, 2 साल भी नहीं हुए थे और संध्या को अपने जीवन में उस अँधकार का सामना करना पड़ा, जिसकी उन्होंने कभी कल्पना भी नहीं की थी। ऐसे हालात से गुज़रना और फिर उससे उबरना कितना साहसिक काम होगा उसका जीता-जागता प्रमाण हैं फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष की पत्नी। आँखों के सामने पति को खो देने के एहसास ने दिल और दिमाग पर जो गहरा असर छोड़ा होगा वो संध्या के लिए किसी सदमे के कम तो बिल्कुल नहीं होगा।

फ्लाइट लेफ्टिनेंट आशीष के चाचा उदयवीर सिंह ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उनकी पत्नी संध्या ने परिवार को इस बात की जानकारी दोपहर 1 बजे दी कि AN-32 विमान से सम्पर्क नहीं हो पा रहा है।

आशीष के चाचा ने बताया कि पहले तो उन्हें यह लग रहा था कि विमान चीनी सीमा पार चला गया हो और आपातकालीन लेंडिंग करने में क़ामयाब रहा हो, लेकिन जैसे-जैसे सर्च अभियान में कुछ हाथ नहीं लगा, उससे उनकी चिंता और बढ़ती गई। वहीं, आशीष के पिता का रो-रोकर बुरा हाल था, बावजूद इसके वो अपने बेटे का हाल जानने के लिए वो असम भी गए, जहाँ उन्होंने अधिकारियों से बात करके इस संबंध में अधिक जानकारी जुटाने की कोशिश की। आशीष की माँ की निगाहें बेटे की घर वापसी की आस लगाए बैठी थीं, जो अब कुछ बोलने की स्थिति में नहीं। एक माँ का इस क़दर चुप हो जाना उनके अपार दु:ख को प्रकट करने के लिए काफ़ी है।

आशीष के परिवार के अधिकांश सदस्य सेना में कार्यरत रहते हुए देश सेवा कर रहे हैं। आशीष हमेशा से देश सेवा में जाने का सपना देखते थे। उनकी पत्नी संध्या वायुसेना में रडार ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं। आशीष की बहन अंजुला तंवर भी वायुसेना में स्क्वाड्रन लीडर हैं। उनके पिता राधेलाल तथा ताऊ उदयवीर सेना से सूबेदार मेजर के पद से सेवानिवृत हैं। चाचा जयनारायण व कृपाल सिंह भी भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं। उनके ताऊ ने बताया कि आशीष के लापता होने के बाद से पूरा परिवार चिंता में है।

आशीष के परिजनों को हमेशा उन पर गर्व रहा, आज वो उनकी बातों को याद करते नहीं थकते। होश संभालते ही आशीष के मन में ‘राष्ट्र की सेवा का भाव’ जागृत हो गया था, इसके लिए उन्होंने भारतीय वायु सेना का रुख़ किया।

आशीष को याद करते हुए उनके चाचा शिव नारायण ने बताया कि एक बार आशीष से पूछा गया कि वो बड़ा होकर क्या बनेगा तो उसने जवाब दिया था कि, ‘फ़ौजी का बेटा फ़ौजी बनता है’। आशीष के इस जवाब में उनका वो सपना साफ़ नज़र आता था जिसे उन्होंने अपनी युवा अवस्था में पूरा कर दिखाया।

OBC के लिए रिजर्वेशन… लेकिन भर्ती होगी जनरल कैटेगरी की: खट्टर सरकार का ऐतिहासिक फैसला

हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार ने बड़ा निर्णय लेते हुए सभी रिक्त आरक्षित पदों को सामान्य वर्ग से भरने का निर्णय लिया है। हरियाणा सरकार आजकल भर्तियों के मूड में है और सरकार रिक्त पदों को भरने पर जोर दे रही है। बता दें कि हाईकोर्ट ने जाट व अन्य पिछड़ी जातियों को दिए गए आरक्षण पर फिलहाल रोक लगा रखी है। हरियाणा में बम्पर भर्तियों की तैयारी में लगी राज्य सरकार ने विभागों से रिक्त पदों का ब्यौरा भी माँगा है। अतः सरकार ने निर्णय लिया है कि अब जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुस्लिम जाटों के लिए आरक्षित पदों को सामान्य जातियों के उम्मीदवारों से भरेगी।

विशेष पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्त सीटों पर भी सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों की भर्तियाँ की जाएँगी। सरकार ने निर्णय लिया है कि EBPG (सामान्य जातियों में आर्थिक आधार पर पिछड़े लोग) कैटेगरी में शामिल ब्राह्मण, बनिया, राजपूत व पंजाबी के लिए आरक्षित पदों को दूसरी जातियों के आर्थिक रूप से कमजोर उम्मीदवारों से भरा जाएगा। बहुत सारे पद ऐसे थे, जो कानूनी अड़चनों के कारण कई दिनों से रिक्त थे। हरियाणा में आरक्षण को लेकर तरह-तरह के मामले अदालतों में लंबित हैं। रिक्त पदों में कई सारे विभिन्न सरकारी विभागों, बोर्ड-निगमों व सरकारी कंपनियों, विश्वविद्यालयों और हाई कोर्ट में हैं।

ये सारे आरक्षित श्रेणी के रिक्त पद हैं। इनकी संख्या हजारों में हैं जो अदालती फैसलों की बाट जोहते खाली पड़े हुए थे। इन पदों को भरने के लिए सम्बद्ध विभागों व अधिकारियों को आदेश जारी कर दिया गया है। राज्य सरकार ने सभी विभागों, बोर्ड और निगमों से ‘सी’ श्रेणी के तहत पिछड़ा वर्ग के लिए चिह्नित रिक्त पदों की जानकारी माँगी है। आदेश में कहा गया है कि इन सभी रिक्त पदों को सामान्य वर्ग के अभ्यर्थियों के जरिए भरा जाएगा।

कॉन्ग्रेस सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की सरकार ने जाट, जट सिख, रोड़, बिश्नोई, त्यागी और मुल्ला जाट-मुस्लिम जाटों के लिए ग्रुप ए और बी में 6% और ग्रुप सी व डी की नौकरियों में 10% आरक्षण की व्यवस्था की थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस पर रोक लगा दी थी।

अरुण जेटली ने लौटाया सरकारी बंगला और गाड़ी, सुरक्षा में भी की कटौती

पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली फिलहाल सार्वजनकि मंचों पर नहीं दिखते। स्वास्थ्य कारणों से दोबारा बनी मोदी सरकार में उन्होंने कोई भी ज़िम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। अब ख़बर आई है कि जेटली अपना सरकारी बंगला छोड़ने वाले हैं। नेताओं का मानना है कि 4 दशकों से राजनीति में सक्रिय जेटली अभी बस नेपथ्य में हैं लेकिन वे वापसी ज़रूर करेंगे। ‘रेडिफ’ के अनुसार, अपने प्राइवेट बंगले में शिफ्ट होने जा रहे अरुण जेटली ने अपने कर्मचारियों की संख्या में भी कटौती की है। उन्होंने अपनी सुरक्षा व्यवस्था कम कर दी है। पूर्व केंद्रीय मंत्री ने अपनी सरकारी गाड़ियाँ भी वापस कर दी हैं।

‘रेडिफ’ ने आगे बताया है कि अरुण जेटली ने अपने कर्मचारियों को पहले से लंबित बिजली बिल, पानी बिल और टेलीफोन बिल- सभी समय रहते क्लियर करने को कहा है। अरुण जेटली के यहाँ रोजाना 25 अख़बार आया करते थे, जिन्हें बंद करा दिया गया है। अरुण जेटली अब अपनी साउथ दिल्ली स्थित निवास में रहेंगे। उनके स्वास्थ्य को देखते हुए उनकी परिवार की भी यही इच्छा थी कि वो सरकारी बंगला छोड़ दें। रिपोर्ट में आगे लिखा है कि जब जेटली ठीक हो जाएँगे तो वह किसी छोटे सरकारी बंगले के लिए सरकार को निवेदन करेंगे।

मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि जेटली आगे आने वाले समय में स्वस्थ होने के बाद सरकार में कोई अहम ज़िम्मेदारी भी संभाल सकते हैं। टाइम्स नाउ की एक ख़बर के अनुसार, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जब अरुण जेटली के घर उनसे मिलने गए थे, तब उन्होंने उनसे सरकार में कोई पद ग्रहण करने को कहा था लेकिन जेटली ने इनकार कर दिया। उन्हें तत्काल में बिना किसी विभाग के मंत्रीपद लेने का ऑफर दिया गया लेकिन जेटली ने कहा कि वह सिर्फ़ बंगला और गाड़ी के लिए मंत्रीपद ग्रहण करने वालों में से नहीं है।

ईद की नमाज के लिए विवादित जमीन पर घुसे लोग, आदिवासियों ने तीर-धनुष से हमला कर भगाया

बिहार में ईद के मौके पर विवादित आदिवासी जमीन पर बने ईदगाह में नमाज के लिए गए लोगों को आदिवासियों ने अपनी जमीन पर कब्ज़ा करने की कोशिश समझकर उन पर हमला कर दिया। समुदाय विशेष और आदिवासियों के बीच हुए संघर्ष में मजहब विशेष के कई लोग घायल हो गए हैं। सीने में तीर लगने से घायल लोगों को आनन-फानन में अस्पताल पहुँचाया गया, जहाँ उसकी हालत गंभीर बताई जा रही है। मामला ईद की नमाज पढ़ने को लेकर हुए विवाद का है।

ठाकुरगंज के चाय-बागान की घटना

बिहार के ठाकुरगंज की सखुआडाली पंचायत के धुलावाड़ी गाँव के चाय बागान में बने ईदगाह पर जब मोहम्मद फजीर, मोहम्मद कलाम, मोहम्मद शरीफ़ आदि ग्रामीण ईद की नमाज पढ़ने पहुँचे तो आदिवासियों ने उन पर अपने पारम्परिक हथियारों तीर-धनुष से हमला कर दिया। हमले में पाँच लोग तीर लगने से घायल हो गए। मो. फजीर और मो. शमशाद को सीने में तीर लगे। पाँचों को पहले तो सदर अस्पताल ले जाया गया लेकिन बाद में उन्हें एमजीएम मेडिकल कॉलेज खुद सिविल सर्जन ले गए।

मेडिकल कॉलेज के मुताबिक घायलों की हालत गंभीर है पर उनकी जान खतरे से बाहर है। सर्जरी विभाग के अलग-अलग चिकित्सकों की टीमों ने सबका इलाज किया। जिला प्रशासन की ओर से पाँच बोतल खून भी निःशुल्क उपलब्ध कराया गया है। सभी घायल ठीक होने के बाद आराम से चल-फिर सकेंगे

पुराना है क्षेत्र में संघर्ष का इतिहास

सखुआडाली में आदिवासियों का अन्य समुदायों के साथ संघर्ष का इतिहास पुराना है। कभी मवेशी चराने को लेकर विवाद खड़ा हो जाता है, तो कभी शराब पीकर लौट रहे आदिवासी की गिरफ़्तारी के बाद हिरासत में मौत की फैली अफवाहों से भड़का समुदाय पुलिस थाने को आग के हवाले कर देता है। वहीं दूसरी ओर आदिवासियों का कहना है कि उन्हें भूमिहीन होने के बावजूद सरकारी योजनाओं से वंचित रहना पड़ रहा है। उनका आरोप यह भी है कि जमीन देने के नाम पर कभी नदी किनारे तो कभी बंजर, तो कभी माँग से कम जमीन थमा दी जाती है। ऐसे में उन्हें यह सब कदम मजबूरी में उठाने पड़ते हैं

गाय काटने वाली आसिया अंद्राबी का खुलासा: ISI से मिले पैसे पत्थरबाजों, हुर्रियत, राष्ट्रविरोधियों में बाँटे

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) ने इस बात का खुलासा किया है कि अलगाववादी समूह दुख्तरान-ए-मिल्लत की प्रमुख आसिया अंद्राबी पाकिस्तान फौज के संपर्क में थीं और उन्हें पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI से पैसे भी मिलते थे। जानकारी के बता दूँ कि आसिया वही हैं जिन्होंने 2015 में गाय काटी थी, वीडियो वायरल होने के बाद उन्हें गिरफ्तार भी किया गया था। एजेंसी ने बताया है कि आसिया, पाक फौज में काम करने वाले एक अधिकारी के जरिए जमात-उद-दावा और लश्कर-ए-तैयबा के प्रमुख हाफिज़ सईद के संपर्क में भी थीं।

जनसत्ता में प्रकाशित खबर के मुताबिक एनआईए सूत्रों ने एक समाचार एजेंसी को बताया कि पाकिस्तानी फौज में कैप्टन रैंक का अधिकारी आसिया का भतीजा है। इसके अलावा पता चला है कि आसिया का एक और नजदीकी रिश्तेदार पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान की फौज और उनकी खुफिया एजेंसी इंटर सर्विस इंटेलिजेंस (ISI) के साथ संपर्क में है।

एनआईए ने इससे पहले मंगलवार (4 जून) को हाफिज सईद के साथ आतंकी फंडिंग के मसले पर मसरत आलम, आसिया अंद्राबी और शबीर शाह को गिरफ्तार किया था। इन्हें 10 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा गया था। जिसके बाद से ये तीनों अब तक तिहाड़ जेल में बंद हैं।

गौरतलब है, अलगाववादी समूह की संस्थापक आसिया भारत से कश्मीर के अलगाव के लिए काम कर रही हैं। आसिया को राष्ट्र के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ने के मामले में पिछले वर्ष जुलाई में गिरफ्तार भी किया जा चुका है।

इसके अलावा बता दें जाँच और पूछताछ में मालूम चला है कि आसिया के कुछ रिश्तेदार दुबई और सउदी अरब में भी रहते हैं। इन लोगों ने भी आसिया को भारत में राष्ट्र विरोधी गतिविधियों के लिए पैसे पहुँचाए हैं। यह धन पत्थरबाजों और हुर्रियत के समर्थकों में बाँटे गए थे जिन्होंने श्रीनगर और घाटी के अन्य हिस्सों में सरकार के खिलाफ व्यापक प्रदर्शन किए।

स्वच्छ भारत अभियान के कारण मिट्टी-पानी में प्रदूषण हुआ कम, UNICEF ने की प्रशंसा

बुधवार (5 जून, 2019) को संयुक्त राष्ट्र की संस्था यूनिसेफ ने प्रधानमंत्री की बहुप्रतीक्षित योजना स्वच्छ भारत अभियान का अध्ययन कर एक रिपोर्ट प्रकाशित की है। हिंदुस्तान टाइम्स में प्रकाशित खबर के अनुसार कई गाँवों का अध्ययन करने के बाद प्रकाशित हुई रिपोर्ट के अनुसार स्वच्छ भारत अभियान के कारण भूजल (ground water) में प्रदूषण की मात्रा घटी है। यूनिसेफ की रिपोर्ट तीन राज्यों- बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल- में किए गए अध्ययन पर आधारित है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि जो गाँव खुले में शौच से पूरी तरह मुक्त नहीं हुए हैं उनका भूजल उन गाँवों से अधिक गंदा है जहाँ अब लोग खुले में शौच करने नहीं जाते। जो गाँव खुले में शौच से मुक्त हो चुके हैं उन्हें ‘ओपन डेफिकेशन फ्री’ (ODF) घोषित किया गया है। जो गाँव ODF नहीं हैं उनका भूजल ODF गाँवों की तुलना में 11.25 गुना अधिक गंदा है। इसी प्रकार जो गाँव खुले में शौच से मुक्त नहीं हुए हैं उन गाँवों की मृदा (मिट्टी) भी ODF गाँवों से 1.13 गुना अधिक प्रदूषित है।

जब मिट्टी और भूजल प्रदूषित होता है तो उसमें उगने वाली फसल भी प्रदूषित होती है। ओपन डेफिकेशन फ्री घोषित हो चुके गाँवों में उगने वाला अनाज उन गाँवों में उगने वाले अनाज से 1.48 गुना कम प्रदूषित है जहाँ आज भी लोग बाहर शौच करने जाते हैं। यूनिसेफ रिपोर्ट के अनुसार भूजल और मृदा ही नहीं घरेलू पेयजल भी ओडीएफ गाँवों में 2.68 गुना अधिक स्वच्छ है।

बुधवार को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर यूनिसेफ ही नहीं, बिल एंड मेलिंडा गेट्स फॉउंडेशन की रिपोर्ट भी प्रकाशित हुई। इन दोनों रिपोर्ट में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की स्वच्छ भारत अभियान की प्रशंसा की गई। भारत में यूनिसेफ के प्रतिनिधि यास्मीन अली हक़ ने कहा कि बच्चे विशेष रूप से इस परिवर्तन के संवाहक बन रहे हैं; अब 96.5% टॉयलेट प्रतिदिन प्रयोग में लाए जा रहे हैं, इसमें विशेष रूप से बच्चों का उत्साह और योगदान देखने लायक है; स्वच्छ भारत मिशन निरंतर प्रगति कर रहा है।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि तीनों राज्यों में से बिहार के वह गाँव जो ओडीएफ नहीं हैं, उनकी मिट्टी और पानी सर्वाधिक प्रदूषित है। बिहार में नॉन ओडीएफ गाँवों में से 66.7% के खाद्य स्रोत प्रदूषित हैं, यह आँकड़ा ओडिशा और बंगाल से अधिक है।

अधिकारियों का जत्था, पुलिस दल, एम्बुलेंस: CM कमलनाथ के रिश्तेदारों को सरकारी VVIP सुविधाएँ

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ के रिश्तेदारों को विशेष सरकारी सुविधाएँ देने का मामला सामने आया है। रिपब्लिक टीवी की एक ख़बर के अनुसार, कमलनाथ के रिश्तेदारों को पुलिस दल की सुविधाएँ दी गईं, उनके साथ सरकारी अधिकारियों को भी रखा गया और सरकारी एम्बुलेंस भी साथ में था। यह घटना तब की है जब मुख्यमंत्री के रिश्तेदार उज्जैन मंदिर में दर्शन करने आए थे। रतुल पुरी सीएम के भतीजे हैं और उद्योगपति भी हैं। जब वह अपनी पत्नी के साथ मंगलवार (जून 4, 2019) को उज्जैन पहुँचे, तब उन्हें सरकारी अधिकारीगण, पुलिस दल, एम्बुलेंस सहित कई ऐसी सरकारी सुविधाएँ दी गईं, जो मुख्यमंत्री द्वारा पद के दुरूपयोग और वीवीआईपी रेसिज्म को सामने लाती हैं, ऐसा ‘रिपब्लिक वर्ल्ड’ की ख़बर में कहा गया है।

भाजपा ने आरोप लगाया है कि व्यक्तिगत दौरे पर गए कमलनाथ के रिश्तेदारों को सरकारी सुविधाएँ क्यों मुहैया कराई गईं? भाजपा का पूछ्ना है कि जब उनके रिश्तेदार किसी ऐसे सरकारी पद पर नहीं हैं, जिनमें ये सब सुविधाएँ दी जाती हों (यह कोई सरकारी दौरा नहीं बल्कि व्यक्तिगत यात्रा थी), तब ऐसा कैसे किया गया? भाजपा ने मुख्यमंत्री कमलनाथ पर पद के दुरूपयोग का सीधा आरोप लगाया है। उज्जैन के सांसद अनिल फिरोज़िया ने इस बारे में टिप्पणी करते हुए कहा:

“उन्हें (कमलनाथ के रिश्तेदार) आकर मंदिर में दर्शन करना चाहिए, यह अच्छी बात है। लेकिन, जिला प्रशासन ने उनके लिए प्रोटोकॉल जारी किया, क्यों? मैं जिलाधिकारी से पूछना चाहता हूँ कि ऐसा क्यों किया गया और किसके कहने पर किया गया? क्या इन रिश्तेदारों को कैबिनेट रैंक दिया गया है या किसी विभागीय पद पर बैठाया गया है? या फिर, केवल मुख्यमंत्री को ख़ुश करने के लिए ऐसा किया गया? यह सार्वजनकि संपत्ति के दुरूपयोग का मामला है।”

‘रिपब्लिक वर्ल्ड’ के अनुसार, जिलाधिकारी और पुलिस अधिकारियों से संपर्क करने पर बताया गया कि उन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें कमलनाथ के रिश्तेदारों को ‘VVIP Escorts’ देने को निर्देशित किया गया था। बता दें कि सत्ता संभालने के बाद से ही कमलनाथ लगातार विवादों में हैं। कभी राज्य में बिजली गायब होने को लेकर वो सुर्ख़ियों में रहते हैं, तो कभी किसानों की कर्ज़माफ़ी में गड़बड़ियों के कारण वे ख़बरों में रहते हैं। मध्य प्रदेश में कॉन्ग्रेस की सरकार होने के बावजूद हालिया लोकसभा चुनावों में पार्टी की बुरी हार हुई है।