Tuesday, November 19, 2024
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सच हुई गृहमंत्री अमित शाह को लेकर अरविन्द केजरीवाल की भविष्यवाणी

देश में चल कुछ भी रहा हो, लेकिन देश की राजनीति से लेकर मीडिया में कुछ ऐसे लोग आ गए हैं, जिनका जिक्र किए बिना लोगों का दिन गुजरता ही नहीं। आम आदमी पार्टी अध्यक्ष अरविन्द केजरीवाल भी उन्हीं कुछ चुनिंदा हस्तियों में से एक हैं।

मोदी सरकार और मंत्रिमंडल के शपथग्रहण और विभागों के आवंटन के बाद अरविन्द केजरीवाल एक बार फिर ट्विटर और सोशल मीडिया पर शेयर किए जाने लगे। दरअसल दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने चुनाव से पूर्व मतदाताओं के बीच अफवाह और डर का माहौल तैयार करने के लिए अपनी एक चिंता जाहिर कर दी थी। अरविन्द केजरीवाल का डर था कि अगर अमित शाह देश के गृह मंत्री बन गए तो फिर क्या होगा?

आज सुबह ही अमित शाह को गृह मंत्री बनाए जाने की सूचना मिलते ही सोशल मीडिया यूज़र्स ने अरविन्द केजरीवाल के 21 दिन पुराने उस ट्वीट को ढूँढ निकाला और अमित शाह की जगह एक बार फिर सारी अटेंशन अरविन्द केजरीवाल ले गए।

अरविन्द केजरीवाल ने इस ट्वीट में लिखा था, “देशवासियों, वोट देते वक़्त सोचना। अगर मोदी जी दोबारा आ गए तो अमित शाह गृह मंत्री होंगे। जिस देश का गृह मंत्री अमित शाह हो, उस देश का क्या होगा, ये सोच के वोट डालना।”

केजरीवाल के इस ट्वीट को पढ़कर तो यही लगता है कि जनता ने उनकी बात को दिल पर ले लिया था और इसी कारण भाजपा 300 का आँकड़ा पार करने में सफल रही। लेकिन घटनाक्रम कोई भी हो, अरविन्द केजरीवाल का अचानक से प्रासंगिक हो जाना एक कौतुहल का विषय रहता है। मानो राहुल गाँधी और अरविन्द केजरीवाल ने कसम खाई हो कि जनता को पूर्ण मनोरंजन देकर रहेंगे। यही जेसीबी की खुदाई जब सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगी तो अरविन्द केजरीवाल उस वक़्त भी प्रासंगिक हो पड़े थे।

‘जल शक्ति’ मंत्रालय बनाकर PM मोदी ने निभाया अपना वादा

केंद्रीय मंत्रियों को आवंटित किए गए पोर्टफोलियो में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी वादे के अनुरूप, लोगों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने के लिए एक नए मंत्रालय ‘जल शक्ति’ का गठन किया गया। जोधपुर से सांसद, गजेंद्र सिंह शेखावत, जिन्होंने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बेटे को हराया था, उन्हें जल शक्ति मंत्रालय की कमान सौंपी गई है।

यह मंत्रालय पूर्व में जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प मंत्रालय को पुनर्गठित करके बनाया गया है। इसके अलावा पेयजल और स्वच्छता मंत्रालय को भी इसमें जोड़ा गया है। पिछले महीने तमिलनाडु में एक चुनावी रैली के दौरान, पीएम मोदी ने आश्वासन दिया था कि अगर वो सत्ता में वापस आए, तो उनकी सरकार एक अलग जल शक्ति मंत्रालय की स्थापना करेगी।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा था:

“23 मई के बाद, जब मोदी सरकार एक बार फिर पद ग्रहण करेगी, तो जल शक्ति के लिए एक अलग मंत्रालय होगा। यह मंत्रालय पानी से संबंधित कई आवश्यकताओं को पूरा करेगा। NDA सरकार ने जल संसाधनों पर बहुत ध्यान दिया है। जल शक्ति के लिए एक अलग मंत्रालय होगा जो किसानों को स्वच्छ पानी और उच्च श्रेणी की सिंचाई सुविधाओं को सुनिश्चित करेगा।”

देश में पानी के संकट को समाप्त करने के लिए भाजपा के संकल्प पत्र में भी जल मंत्रालय स्थापित करने का वादा किया गया था। गजेंद्र सिंह शेखावत ने मंत्रालय में पदभार ग्रहण भी कर लिया।

हर साल अप्रैल से जुलाई तक देश के कम से कम आठ राज्यों में पानी की विकट स्थिति उत्पन्न होती है। हाल ही में केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र, गुजरात, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और तमिलनाडु को सूखे के संदर्भ में परामर्श जारी किया गया था। इसमें लोगों से अपील की गई थी कि वो कुछ हफ़्तों के लिए पानी को विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करें क्योंकि बाँधों में पानी का भंडारण एक महत्वपूर्ण स्तर से नीचे गिर गया था।

कृषि और घरेलू उद्देश्य के लिए लगभग पूरा ग्रामीण भारत मानसून की बारिश पर ही निर्भर करता है, इसलिए आज के समय में जल प्रबंधन की सख़्त ज़रूरत है।

ममता नारेबाजों की चमड़ी उधड़वाने में व्यस्त, बंगाल में एक और नाबलिग का रेप

ममता बनर्जी और उनका प्रसाशन शायद अपनी पूरी ऊर्जा जय श्री राम के नारे लगाने वालों पर ही झोंक चुका है। यही वजह है कि हर दूसरे दिन पश्चिम बंगाल में हिंसा और बलात्कार की घटनाएँ सामने आ रही हैं। देश में बच्चियों के साथ होती रेप की घटनाएँ थमने का नाम नहीं ले रही हैं। ताजा प्रकरण में पश्चिम बंगाल के पूर्व बर्दवान में कालना की कक्षा 10 की एक छात्रा से रेप की घटना सामने आयी है।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, खून से लथपथ छात्रा को बर्दवान मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया है। गत रात पीड़िता की माँ अपने रिश्तेदार के यहाँ से लौटी तो देखा कि उनकी बेटी बिस्तर पर पड़ी थी। उसके गले में दुपट्टा भी लपेटा हुआ था और सिर पर चोट भी लगी थी। फ़िलहाल पुलिस घटना की छानबीन कर रही है।

प्रगतिशील (सेक्युलर/लिबरल) बुद्धिजीवी बनने के 10 नुस्खे

ये आलेख समर्पित है उन सैकड़ों औसत पम्पलेट बुद्धिजीवियों को जो प्रचार के पर्चे पढ़कर खुद को “भारतीय प्रगतिशील बुद्धिजीवी” घोषित करना चाहते हैं, मगर अफ़सोस कि न तो वो प्रगतिशील हैं, न बुद्धिजीवी, और भारतीय तो हरगिज़ नहीं!

ये चुनाव अभियान ऐसे औसत बुद्धिपिशाचों के योगदान के बिना सफल नहीं हुआ होता। उनके जहर बुझे वचनों के बिना जनमानस को ये याद दिलाना मुश्किल होता कि एक आम नागरिक भारतीयता के पक्ष में खड़ा होता है।

आइये उन दस सरल (किन्तु महत्वपूर्ण) कदमों को देखें जिनके जरिये आप खुद को एक “प्रगतिशील बुद्धिजीवी” के तौर पर पेश कर सकते हैं:

1) जब भी आपको कोई ऐसी ‘पोस्ट’ या लेख दिखे जिसमें ‘हिन्दू’ या ‘हिंदुत्व’ शब्द का उल्लेख सकारात्मक रूप में हुआ हो, उसे फ़ौरन ‘जहरीला’ और ‘घृणित’ घोषित करें। लेख के सन्दर्भ से आपके उद्गार का कोई लेना देना नहीं। लगातार और पूरे मनोयोग से ‘हिंदुत्व’ के प्रति अपनी ‘घृणा’ को प्रकट करते रहें। इसके लिए आप छद्म तरीकों का इस्तेमाल कर सकते हैं, या खुलकर भी सामने आ सकते हैं। साथ ही ये कहना न भूलें कि आपके कई ‘हिन्दू’ मित्र भी हैं और आप हिन्दुओं का सम्मान करते हैं।

2) जब भी किसी चर्चा में मौका मिले ‘गुजरात 2002’ का उल्लेख अवश्य करें। भले ही वो चर्चा कांगो बेसिन के वानर प्रजातियों के प्रजनन के तरीकों पर हो! चर्चा के विशेष नियम को हमेशा याद रखें, सभी दंगे बराबर होते हैं लेकिन गुजरात दंगे दूसरे दंगो से ज्यादा बराबर हैं।

3) जिस भी माध्यम से संभव हो मोदी के बारे में अवश्य लिखें- “नरभक्षी”, “आदमखोर”, “हत्यारा”, “फासिस्ट”, “तानाशाह” जैसे शब्दों का खुलकर प्रयोग करें। मोदी विरोधी सभी बैठकों और व्याख्यानों में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित करें। पूरे जोशो खरोश से गुजरात के कुपोषित बच्चों की बात करते हुए प्लेट से भुने हुए काजू को ग्लास में मौजूद मुफ्त की व्हिस्की के साथ उदरस्थ करते जाएँ।

4) बीच-बीच में ‘सेक्युलर हिन्दुओं’ के विषय में अच्छी तरह तैयार की गयी अपनी पंक्तियों का छौंक लगाएँ और उनके अहंकार को सहलाते रहें। अपने आप को एक ‘प्रगतिशील मानवतावादी’ सिद्ध करने हेतु यह अत्यंत आवश्यक है। उदाहरण के लिए आप “भारत अपने सर्वसमावेशी हिन्दुओं के कारण ही धर्मनिरपेक्ष है” जैसे वाक्यों का प्रयोग कर सकते हैं।

5) चर्चा के विषय से इतर बीच-बीच में दार्शनिक ज्ञान अवश्य बघारें। जरूरत के हिसाब से नास्तिक की अलग-अलग श्रेणियों यथा ईश्वरद्रोही, ईश्वर को न मानने वाला या सिद्ध होने पर ईश्वर को मान लेने की श्रेणी में कूद-फांद करते रहें, लेकिन साथ ही ये बताएँ कि आप आध्यात्मिक रुझान के हैं किन्तु धार्मिक नहीं, चाहे इसका जो भी अर्थ लिया जाए। अगर आप हिन्दी जैसी भाषा में बात कर रहे हों तो ‘ईश्वर’ या ‘भगवान’ जैसे शब्दों के प्रयोग से बचें। उनके बदले हमेशा ‘ऊपरवाला’ या फिर ‘खुदा’ शब्द का इस्तेमाल करें।

6) जब भी मौका मिले तो चीख-चीख कर सबको बताएँ कि आप ज़ात-पात के बन्धनों से पूरी तरह मुक्त हैं, लेकिन लाभ की संभावना होने पर धीरे से अपनी ज़ात बताने से न चूकें। चतुराई भरे इस्तेमाल से, बहसों में, ये एक महत्वपूर्ण औजार सिद्ध हो सकता है। इससे हिन्दुओं के बीच खाई बनाने में कई बार सफलतापूर्वक परखा जा चुका है।

7) चुन-चुन कर कश्मीर में सेना द्वारा किये जा रहे अत्याचारों के पोस्ट लिखें और साझा करें। पीड़ित कश्मीरी युवाओं पर घड़ियाली आँसू बहाते समय आरोपों के सच्चे-झूठे होने की चिंता कतई न करें। ध्यान रहे इस पूरे प्रयास में कश्मीरी पंडितों का जिक्र गलती से भी न आ पाए।

8) जब कोई तर्क न चलता दिखे और सारे सफ़ेद झूठ पकड़े जाएँ तो “फासीवादी संघी” होने का आरोप अपने विरोधी के मुँह पर दे मारें। आरोप के झूठे होने या सिद्ध न हो सकने की कोई परवाह करने की आवश्यकता नहीं है। ये केजरीवाल सिद्धांत है जिसमें बार-बार एक ही आरोप मढ़ने से, कभी न कभी, उसके सच मान लिए जाने की संभावना रहती है। इसके भी न चलने पर आप विरोधी को टाटा, बिड़ला, अम्बानी, अडानी का एजेंट घोषित कर सकते हैं।

9) ढंग के कपड़ों में थोड़ा निवेश करें। अगर आप पुरुष हैं तो फैबइंडिया का एक मुड़ा-तुड़ा सा कुर्ता आपके पास होना ही चाहिए। अगर फ्रेंच कट दाढ़ी रख सकें तो अति उत्तम। अगर आपके दिमाग का आकार शुतुरमुर्ग जितना भी हो तो हुलिए से आपके बुद्धिजीवी दिखने की संभावना काफी बढ़ जाती है। बालों को रंगना भी छोड़ दें, उनमें थोड़ी सफेदी दिखने दें। अगर आप स्त्री हैं तो सूती हथकरघा की साड़ियों को बेरंगे-बेडौल ब्लाउज के साथ पहनें। आपकी बिंदी का आकार कम से कम थाली जितना होना चाहिए। आँखों में कम से कम किलो भर काजल-कोह्ल लगाना कभी न भूलें। ध्यान रहे कि आपको नेवले या उदबिलाव जैसा दिखना है। बालों में सफेदी भी दिखती रहे तो और अच्छा रहेगा।

10) जब आप तर्कपूर्ण बहस में असमर्थ हो जाएँ, जैसा कि हर बहस में होगा ही, तो अपने विरोधी से बात करने से ही इनकार कर दें। कहें कि आप चमचों/भक्तों/ट्रोल से बात करने में अपना समय नष्ट नहीं करना चाहते क्योंकि उनकी “सांप्रदायिक सोच” से आपकी “भावना बेन” आहत हो जाती है।

प्रस्तुत लेख शैफाली वैद्य की मूल फेसबुक पोस्ट से लिया गया है। अनुवाद आनंद कुमार ने किया है।

स्मृति ईरानी के करीबी सुरेंद्र सिंह की हत्या का मुख्य आरोपित वसीम गिरफ्तार

केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के करीबी और भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की हत्या मामले में पुलिस ने शुक्रवार (मई 31, 2019) को मुख्य आरोपित वसीम को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने वसीम को एक मुठभेड़ के बाद गिरफ्तार किया है। सुरेंद्र सिंह हत्याकांड में शामिल 4 आरोपितों की गिरफ्तारी पहले ही हो चुकी है।

जानकारी के मुताबिक, जामो थाना क्षेत्र में ही पुलिस और वसीम के बीच भिड़ंत हो गई जिसमें दोनों ओर से गोलियाँ चली। इस दौरान वसीम के पैर में गोली लगी। जिसके बाद वसीम को घायल अवस्था में पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। अपर पुलिस अधीक्षक दयाराम ने वसीम की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए कहा कि उसे इलाज के लिए जामो सीएचसी अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

वसीम की गिरफ्तारी के बाद अब हत्याकांड से जुड़े कई अहम खुलासे हो सकते हैं। सुरेंद्र सिंह हत्याकांड में पुलिस को कई अहम सुराग भी मिले हैं। पुलिस ने हत्या में शामिल एक आरोपित के पास से खून से सना तौलिया भी बरामद किया है। इसके अलावा एक देशी पिस्तौल भी बरामद की है। अमेठी के एसपी के मुताबिक हत्या के पीछे पुरानी रंजिश है।

गौरतलब है कि, अमेठी में शनिवार (मई 25, 2019) देर रात सुरेंद्र सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी। मृतक को स्मृति ईरानी ने खुद कंधा दिया था। रविवार (मई 26, 2019) की शाम सुरेंद्र सिंह के बड़े भाई नरेंद्र सिंह की तहरीर पर जामो पुलिस ने केस दर्ज किया था। जिसके तहत पुलिस ने वसीम, नसीम, गोलू सिंह, रामचंद्र बीडीसी, रामनाथ गुप्ता के खिलाफ नामजद केस दर्ज किया। स्मृति ईरानी के साथ-साथ यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने 12 घंटे के अंदर आरोपितों को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था और पुलिस ने एक-एक करके पाँचों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।

शपथग्रहण समारोह का मिला था न्योता लेकिन शामिल नहीं हुए शरद पवार

लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके मंत्रिमंडल ने गुरुवार (मई 30, 2019) को राष्ट्रपति भवन में पद और गोपनीयता की शपथ ली। इस शपथ ग्रहण समारोह में देश और दुनियाभर से तकरीबन 8000 मेहमानों ने हिस्सा लिया। इनमें यूपीए अध्यक्ष सोनिया गाँधी, कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी समेत विपक्षी दलों के तमाम वरिष्ठ नेता भी शामिल हुए। मगर इस समारोह में नेशनलिस्ट कॉन्ग्रेस पार्टी (एनसीपी) अध्यक्ष शरद पवार शामिल नहीं हुए। जानकारी के मुताबिक, प्रधानमंत्री के दफ्तर से शरद पवार को शपथ ग्रहण समारोह में शामिल होने के लिए न्यौता भी भेजा गया था, लेकिन वो इस समारोह में नहीं पहुँचे।

दरअसल, तय प्रोटोकॉल के अनुसार सीट न मिलने की वजह से शरद पवार प्रधानमंत्री के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। राष्ट्रवादी कॉन्ग्रेस पार्टी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि 78 वर्षीय पवार वरिष्ठ राष्ट्रीय नेता हैं और वह मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री के रूप में कार्य कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि पार्टी के कार्यालय कर्मियों को जानकारी मिली कि पवार को बैठने के लिए जो सीट दी गई है, वह प्रोटोकॉल के अनुरुप नहीं है। इसलिए वो कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। बताया जा रहा है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री पवार को पाँचवीं पंक्ति में सीट दी गई थी।

इससे पहले, गुरुवार (मई 30, 2019) को शरद पवार और कॉन्ग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी ने मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद राजनीतिक गलियारों में यह अटकलें शुरू हो गई हैं कि दोनों पार्टियों का विलय हो सकता है, हालाँकि शरद पवार ने इन अटकलों को खारिज करते हुए कहा कि मुलाकात में इस तरह की कोई बातचीत नहीं हुई। उन्होंने इस बारे में ट्वीट करते हुए लिखा कि राहुल उनके आवास पर उनसे मिलने आए। इस दौरान लोकसभा चुनाव के परिणाम और महाराष्ट्र में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा हुई। एनसीपी और कॉन्ग्रेस के विलय की खबर अफवाह है।

मोदी सरकार 2.0 में जानिए किसको मिला कौन-सा मंत्रालय

मोदी सरकार 2.0 में कैबिनेट विभागों की घोषणा की जा चुकी है। इस लेख में जानिए किन मंत्रियों को कौन-सा मंत्रालय दिया गया। भारत के राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की सलाह पर निम्नलिखित सदस्यों के बीच पोर्टफोलियो के आवंटन का निर्देश दिया।

केंद्रीय मंत्रिपरिषद: –

मंत्रियों का नाम                                                  किस मंत्रालय की दी गई ज़िम्मेदारी      
1. नरेंद्र मोदी (प्रधानमंत्री)प्रधानमंत्री के पद के साथ कार्मिक, जन शिकायत और पेंशन, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय। इसके अलाव वो सभी मंत्रालय जो किसी भी मंत्री को अलॉट न हुए हों।
2. राजनाथ सिंह (कैबिनेट मंत्री)रक्षा मंत्रालय
3. अमित शाह (कैबिनेट मंत्री)गृह मंत्रालय
4. नितिन गडकरी (कैबिनेट मंत्री)सड़क परिवहन एवं राजमार्ग और सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय
5. सदानंद गौड़ा (कैबिनेट मंत्री)रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय
6. निर्मला सीतारमण (कैबिनेट मंत्री)वित्त एवं कॉरपोरेट मामले का मंत्रालय
7. राम विलास पासवान (कैबिनेट मंत्री)उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय
8. नरेंद्र सिंह तोमर (कैबिनेट मंत्री)कृषि एवं किसान कल्याण, ग्रामीण विकास और पंचायती राज मंत्रालय
9. रविशंकर प्रसाद (कैबिनेट मंत्री)क़ानून एवं न्याय, संचार और इलेक्ट्रानिक एवं सूचना मंत्रालय
10. हरसिमरत कौर बादल (कैबिनेट मंत्री)खाद्य प्रसंस्करण उद्योग मंत्रालय
11. एस. जयशंकर (कैबिनेट मंत्री)विदेश मंत्रालय
12. रमेश पोखरियाल निशंक (कैबिनेट मंत्री)मानव संसाधन विकास मंत्रालय
13. थावर चंद गहलोत (कैबिनेट मंत्री)सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण मंत्रालय
14. अर्जुन मुंडा (कैबिनेट मंत्री)आदिवासी मामलों का मंत्रालय
15. स्मृति ईरानी (कैबिनेट मंत्री)महिला एवं बाल विकास और कपड़ा मंत्रालय
16. हर्षवर्धन (कैबिनेट मंत्री)स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण, विज्ञान और प्रोद्योगिकी, भूविज्ञान मंत्रालय
17. प्रकाश जावड़ेकर (कैबिनेट मंत्री)पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन और सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय
18. पीयूष गोयल (कैबिनेट मंत्री)रेलवे और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय
19. धर्मेंद्र प्रधान (कैबिनेट मंत्री)पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और इस्पात मंत्रालय
20. मुख्तार अब्बास नकवी (कैबिनेट मंत्री)अल्पसंख्यक मामलों का मंत्रालय
21. प्रह्लाद जोशी (कैबिनेट मंत्री)संसदीय मामले, कोयला और खान मंत्रालय
22. महेंद्र नाथ पांडेय (कैबिनेट मंत्री)कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय
23. अरविंद सावंत (कैबिनेट मंत्री)भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम मंत्रालय
24. गिरिराज सिंह (कैबिनेट मंत्री)पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन मंत्रालय
25. गजेंद्र सिंह शेखावत (कैबिनेट मंत्री)जल शक्ति मंत्रालय
26. संतोष गंगवार (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)श्रम एवं रोजगार मंत्रालय
27. राव इंद्रजीत सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)सांख्यिकी एवं कार्यक्रम क्रियान्वयन और नियोजन मंत्रालय
28. श्रीपद नाईक (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)आयुष मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), रक्षा मंत्रालय (राज्य मंत्री)
29. जितेंद्र सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)पूर्वोत्तर विकास (स्वतंत्र प्रभार), पीएमओ, कार्मिक, जनशिकायत और पेंशन, परमाणु उर्जा, अंतरिक्ष मंत्रालय (राज्य मंत्री)
30. किरण रिजिजू (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)युवा मामले एवं खेल (स्वतंत्र प्रभार), अल्पसंख्यक मामले (राज्य मंत्री)
31. प्रह्लाद सिंह पटेल (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)संस्कृति और पर्यटन (स्वतंत्र प्रभार)
32. आरके सिंह (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)बिजली, नवीन एवं नवीकरणीय उर्जा (स्वतंत्र प्रभार), कौशल विकास एवं उद्यमिता (राज्य मंत्री)
33. हरदीप सिंह पुरी (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)शहरी विकास और नागरिक उड्डयन मंत्रालय (स्वतंत्र प्रभार), वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय (राज्य मंत्री)
34. मनसुख मंडावतिया (राज्य मंत्री-स्वतंत्र प्रभार)जहाजरानी (स्वतंत्र प्रभार), रसायन एवं उर्वरक (राज्य मंत्री)
35. फग्गन सिंह कुलस्ते (राज्य मंत्री)इस्पात राज्य मंत्री
36. अश्विनी चौबे (राज्य मंत्री)स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री
37. जनरल (रिटायर) वीके सिंह (राज्य मंत्री)सड़क, परिवहन और राजमार्ग राज्य मंत्री
38. कृष्ण पाल गुज्जर (राज्य मंत्री)सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री
39. दानवे रावसाहेब दादाराव (राज्य मंत्री)उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण राज्य मंत्री
40. जी. किशन रेड्डी (राज्य मंत्री)गृह राज्य मंत्री
41. पुरुषोत्तम रुपाला (राज्य मंत्री)कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री
42. रामदास आठवले (राज्य मंत्री)सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री
43. साध्वी निरंजन ज्योति (राज्य मंत्री)ग्रामीण विकास राज्य मंत्री
44. बाबुल सुप्रियो (राज्य मंत्री)पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री
45. संजीव कुमार बलियान (राज्य मंत्री)पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन राज्य मंत्री
46. धोत्रे संजय शमराव (राज्य मंत्री)मानव संसाधन विकास, संचार और इलेक्ट्रानिक्स एवं सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री
47. अनुराग सिंह ठाकुर (राज्य मंत्री)वित्त और कॉरपोरेट मामले राज्य मंत्री
48. सुरेश अंगादि (राज्य मंत्री)रेल राज्य मंत्री
49. नित्यानंद राय (राज्य मंत्री)गृह राज्य मंत्री
50. वी मुरलीधरन (राज्य मंत्री)विदेश, संसदीय कार्य राज्य मंत्री
51. रेणुका सिंह (राज्य मंत्री)आदिवासी मामलों की राज्य मंत्री
52. सोम प्रकाश (राज्य मंत्री)वाणिज्य एवं उद्योग राज्य मंत्री
53. रामेश्वर तेली (राज्य मंत्री)खाद्य प्रसंस्करण उद्योग राज्य मंत्री
54. प्रताप चंद्र सारंगी (राज्य मंत्री)सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम और पशुपालन, डेयरी एवं मत्स्य पालन राज्य मंत्री
55. कैलाश चौधरी (राज्य मंत्री)कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री
56. देबाश्री चौधरी (राज्य मंत्री)महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री
57. अर्जुन राम मेघवाल (राज्य मंत्री)संसदीय कार्य, भारी उद्योग एवं सार्वजनिक उद्यम राज्य मंत्री
58. रतन लाल कटारिया (राज्य मंत्री)जलशक्ति और सामाजिक न्याय एवं सशक्तिकरण राज्य मंत्री

गुरुवार (30 मई) की शाम को 7 बजे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंत्रिमंडल के 57 सहयोगियों के साथ पद और गोपनीयता की शपथ ली थी। आज यानी शुक्रवार को शाम 5 बजे मोदी कैबिनेट की पहली बैठक भी है। इस दौरान मोदी सरकार कई अहम फ़ैसले ले सकती है।

एयरफ़ोर्स चीफ़ के घर के बाहर लगा राफ़ेल, कॉन्ग्रेस दफ़्तर है बगल में

ANI के हवाले से खबर है कि वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ के दिल्ली आवास के बाहर राफेल जेट का मॉडल स्थापित किया गया है। मजेदार बात यह है कि भारतीय राष्ट्रीय कॉन्ग्रेस का हेडक्वाटर उनके घर के बगल में ही स्थित है।

2019 लोकसभा चुनावों में राफेल का मुद्दा काफ़ी गर्म रहा था। कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बार-बार राफेल जैसे मुद्दे को जनता के बीच उछालकर प्रधानमंत्री की छवि बिगाड़ने की लगातार कोशिश करते रहे, लेकिन परिणाम स्वरूप उन्हें कुछ हासिल नहीं हुआ। इसके अलावा इस चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी के लिए ‘चौकीदार चोर हैं’ के नारे भी कॉन्ग्रेस की रैलियों में खूब सुनने को मिले, लेकिन इससे भी कॉन्ग्रेस को कोई फायदा नहीं मिला।

मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने रिकॉर्ड तोड़ जीत के साथ कॉन्ग्रेस समेत सभी पार्टियों को हार का मुँह दिखाया और एक बार फिर से देश की बागडोर नरेंद्र मोदी के हाथ में आई। बड़े-बड़े दावे और वादे करने वाली कॉन्ग्रेस पार्टी को 17वें लोकसभा चुनाव में सिर्फ़ 52 सीटों पर संतोष करना पड़ा। हास्यास्पद ये है कि जिस राफेल के नाम पर मोदी सरकार को लगातार कॉन्ग्रेस घेरती रही उसी का मॉडल उनके हेडक्वाटर के बगल में स्थापित हो चुका है।

वरिष्ठता को दरकिनार कर प्रतिभा के आधार पर एडमिरल करमबीर सिंह बने नए नौसेना प्रमुख

वाइस एडमिरल करमबीर सिंह ने शुक्रवार (31 मई) को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक औपचारिक सैन्य समारोह में वर्तमान नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लांबा से भारतीय नौसेना के 24वें प्रमुख के रूप में पदभार ग्रहण किया।

वाइस एडमिरल करमबीर सिंह ने कहा, “मेरे पूर्ववर्तियों ने यह सुनिश्चित किया कि नौसेना के पास एक ठोस आधार है और वो नई ऊँचाइयों पर पहुँच गया है। यह मेरा प्रयास रहेगा कि हम उनके प्रयासों को जारी रखें और राष्ट्र को एक मज़बूत, विश्वसनीय नौसेना प्रदान करें और समुद्री क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार हैं।”

इस महीने की शुरुआत में, रक्षा मंत्रालय ने सिंह की नियुक्ति को चुनौती देने वाली वाइस एडमिरल बिमल वर्मा की याचिका को ख़ारिज कर दिया था। 10 अप्रैल को दायर की गई अपनी याचिका में, वर्मा ने वरिष्ठता को नज़रअंदाज़ करने और अगले नौसेना प्रमुख के रूप में अपने कनिष्ठ को नियुक्त करने के सरकार के फ़ैसले पर सवाल उठाया था। रक्षा मंत्रालय ने एक आदेश में वाइस एडमिरल वर्मा की याचिका को ख़ारिज करते हुए उन्हें ‘योग्यता से रहित’ करार दिया था। मंत्रालय ने कहा था कि केंद्र चयन के मापदंडों से संतुष्ट था और एक आकलन के आधार पर वर्मा पर विचार किया गया था, लेकिन वो इस पद के लिए अनुपयुक्त पाए गए।

दरअसल, अंडमान निकोबार के फ्लैग ऑफिसर कमांडर इन चीफ वाइस एडमिरल बिमल वर्मा 5 महीने सीनियर हैं। ऐसे में केंद्र सरकार ने वरिष्ठता के मापदंड को नज़रअंदाज़ करके वाइस एडमिरल सिंह के हाथों में नौसेना प्रमुख की ज़िम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया, उसके पीछे वजह प्रतिभा है, जिसे अवसर देने का अधिकार सरकार के पास सैद्धांतिक तौर पर है। थल सेना प्रमुख जनरल रावत की नियुक्ति के समय भी सरकार ने यही मापदंड अपनाया था और तब विपक्ष ने इसको मुद्दा भी बनाया था।

वाइस एडमिरल सिंह की प्रतिभा की बात करें तो वे एक कुशल नौसेना अधिकारी हैं। उनके पास चेतक, कामोव-25 और कामोव-28 जैसे ऐंटी-सबमरीन युद्धक हेलीकॉप्टर उड़ाने का अनुभव प्राप्त है। अपने 39 साल के करियर में उन्होंने कई बड़ी ज़िम्मेदारियों को बख़ूबी निभाया और अपनी विलक्षण प्रतिभा का प्रदर्शन किया। उन्होंने विजयदुर्ग, INS राणा, INS दिल्ली की कमान संभालते हुए अपनी पूरी ईमानदारी से कर्तव्यों का पालन किया। इसके अलावा वे महाराष्ट्र और गुजरात में भी कमांडिंग ऑफिसर के तौर पर अपनी सेवाएँ दे चुके हैं। वाइस एडमिरल सिंह की नियुक्ति दो साल के लिए की गई है। इसके तहत वे नवंबर 2021 तक नौसेना प्रमुख रहेंगे।

वाइस एडमिरल सिंह की नियुक्ति से पहले भी केंद्र सरकार ने ऐसे ठोस क़दम उठाए हैं, जिनसे यह साफ झलकता है कि महत्वपूर्ण पदों पर सिर्फ वरिष्ठता को आधार न मानते हुए प्रतिभा को प्राथमिकता दिया जाना चाहिए। थल सेना प्रमुख की नियुक्ति के समय भी वरिष्ठता को एक तरफ रखते हुए जनरल प्रवीण बख्शी और पीएम हारिज की जगह सरकार ने जनरल बिपिन रावत को ज़िम्मेदारी सौंपी थी।

केंद्र सरकार ने सत्ता पर क़ाबिज़ होते ही इस तरह के फ़ैसलों को तरजीह दी थी, जिसमें वरिष्ठता के पुराने ढर्रे को त्यागकर प्रतिभा को प्राथमिकता देना शामिल था। सरकार अपने द्वारा उठाए गए इन क़दमों से देश में यह संदेश देना चाहती थी कि किसी भी पद पर क़ायम होने के लिए वरिष्ठता को आधार नहीं बनाना चाहिए बल्कि प्रतिभा की प्राथमिकता को महत्व देना चाहिए।

कॉन्ग्रेस समर्थक गौरव पांधी ने डिलीट किए ट्वीट्स, UP पुलिस ने कहा- ‘छोड़ेंगे नहीं’

अमेठी में भाजपा कार्यकर्ता सुरेंद्र सिंह की हत्या को लेकर बीते दिनों कुछ अफवाहें फैलाई गईं। इन अफवाहों को फैलाने में कॉन्ग्रेस समर्थक शमा मोहम्मद, गौरव पांधी और कॉन्ग्रेस सेवादल ने भी ट्वीट करके अपना योगदान दिया। इन्होंने यूपी पुलिस के महानिदेशक के बयान को गलत तरीके से पेश किया था।

हालाँकि उत्तर प्रदेश पुलिस की सख्ती देखते हुए गौरव पांधी ने अपना ट्वीट डिलीट कर दिया, लेकिन यूपी पुलिस ने ट्वीट करके स्पष्ट किया है कि ये हथकंडा आजमा कर वह बच नहीं सकते हैं। अमेठी पुलिस द्वारा एफआईआर दर्ज की जा चुकी है। इस मामले की आगे जाँच की जाएगी और कानूनी कार्रवाई भी होगी।

गौरतलब है कि अमेठी हत्याकांड मामले में कुछ लोगों द्वारा यह अफवाह फैलाई गई थी कि सुरेंद्र सिंह की हत्या भाजपा के ही किसी कार्यकर्ता ने करवाई है। कुछ लोग यहाँ तक कहने लगे कि उत्तर प्रदेश पुलिस के महानिदेशक ने बयान दिया है कि भाजपा कार्यकर्ताओं द्वारा ही सुरेंद्र सिंह की हत्या करवाई है।

इस अफवाह को आगे बढ़ाने का काम कॉन्ग्रेस के कुछ आधिकारिक ट्विटर हैंडल ने भी करना चालू कर दिया। दरअसल, इकनोमिक टाइम्स ने एक खबर छापी थी कि यूपी पुलिस के डीजी ने बयान दिया था कि सुरेंद्र सिंह की हत्या लोकल स्तर पर दुश्मनी के चलते हुई। इसी बयान को तोड़ मरोड़कर कॉन्ग्रेस सोशल मीडिया की नेशनल कन्वीनर रुचिरा चतुर्वेदी ने अपने ट्विटर हैंडल से ट्वीट किया कि सुरेंद्र सिंह की हत्या लोकल भाजपा के किसी कार्यकर्ता ने की है।

इसी प्रकार खबरदार डॉट कॉम नामक किसी वेबसाइट के लिंक को शेयर करते हुए कॉन्ग्रेस के समर्थक शमा मोहम्मद, गौरव पांधी और सेवादल ने भी ट्वीट किए। इसके बाद दी उत्तर प्रदेश पुलिस ने इन ट्वीट का संज्ञान लिया और कहा कि DGP के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया है और इस पर क़ानूनी कार्रवाई की होगी।