Friday, October 4, 2024
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कर्नाटक: मंत्री ने मंदिर में दर्शन के लिए तोड़ी कतार, लड़की ने लगाई क्लास, मंत्री को माँगनी पड़ी माफी

सार्वजनिक स्थल पर किसी वीआईपी या वीवीआईपी के आने पर उन्हें प्रशासन की तरफ से विशेष सुविधा मुहैया कराना तो आम बात है और ऐसा होते हुए तो आपने अक्सर ही देखा होगा। मगर जब कर्नाटक के गृहमंत्री एमबी पाटिल सोमवार को महाशिवरात्रि के अवसर पर शिव मंदिर में दर्शन करने गए और उन्हें मंदिर में दर्शन के लिए स्पेशल एक्सेस दिया गया तो वहाँ का माहौल ही बदल गया।

दरअसल हुआ ये कि जब एमबी पाटिल कर्नाटक के विजयपुर के अमरगंदीशरा शिव मंदिर में दर्शन करने पहुँचे तो वहाँ काफी भीड़ थी। जिसकी वजह से प्रशासन उन्हें कतार से निकालते हुए वीआईपी एक्सेस देकर अंदर दर्शन करवाने ले जाने लगा। इसी बीच वहाँ कतार में खड़ी एक लड़की ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा कि आपको तो लाइन में आना चाहिए।

उस लड़की ने कहा, “हमलोग यहाँ पर लगभग एक घंटे से खड़े हैं। आप भले ही मंत्री हैं, लेकिन आपको भी कतार में खड़े होना चाहिए। आपको इस तरह से मंदिर के स्पेशल ट्रीटमेंट की अपेक्षा नहीं करनी चाहिए।”

लड़की के द्वारा आपत्ति जाहिर करने के बाद गृह मंत्री ने खुद आगे आकर उससे माफी माँगी और सफाई देते हुए कहा कि उन्हें दो अहम बैठकों में हिस्सा लेने जाना है और इन दोनों बैठकों में जाना बेहद ज़रूरी है। लिहाजा वो कतार में नहीं लग सकते हैं, क्योंकि उन्हें फ्लाइट भी पकड़नी है। इसलिए उन्हें वीआईपी एक्सेस देकर दर्शन करवाया गया।

एमबी पाटिल की बातें सुनकर लड़की ने उनकी तारीफ की और फिर उनके साथ फोटो भी क्लिक करवाई।

पाकिस्तान अभी भी नहीं सुधरा तो उन्हें बता दिया गया है कि हम क्या करेंगे: MP में मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंगलवार (मार्च 05, 2019) को मध्य प्रदेश के धार में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कहा कि विपक्ष वायु सेना की कार्रवाई पर सवाल उठा कर उसका मनोबल कम कर रहा है। मोदी ने कहा, “एयरस्ट्राइक पाक में हुए लेकिन इसका सदमा भारत में बैठे कुछ लोगों को लगा। विपक्ष के नेता उस दिन से इस तरह से चेहरा लटकाए हुए हैं, जैसे न जाने कौन सा दुखों का पहाड़ टूट पड़ा हो।”

भाषण की प्रमुख बातें निम्न हैं

  • भारत ने अब आतंकियों और उनके सरपरस्तों को डंके की चोट पर कह दिया है कि अब उनके सामने सुधरने के अलावा कोई चारा नहीं है। अगर वो फिर भी नहीं सुधरेंगे, तो फिर क्या किया जाएगा ये भी उनको बता दिया गया है।
  • पिछले दिनों वायु सेना के पायलट अभिनंदन पाकिस्तान में फँस गये। हमारी सरकार के प्रयासों से 48 घंटे के अंदर ही पाकिस्तान ने अभिनंदन को देश को लौटा दिया।
  • पूरी दुनिया ने कह दिया है कि हिंदुस्तान ने जो किया, वो सही किया लेकिन हमारे देश का दुर्भाग्य है कि यहाँ कुछ ऐसे लोग है जिन्हें ऐसा नहीं लगता।
  • आज सुबह ही इन महाशय (दिग्विजय सिंह) ने पुलवामा में हुए आतंकी हमले को दुर्घटना करार दिया है, यानि एक्सीडेंट। यानि एक हादसा, जो बस हो गया। यही इनकी मानसिकता है।
  • नामदार परिवार के ये वही खास सिपहसालार हैं, जिन्हें आतंक को बढ़ावा देने वाले शांति दूत नजर आते हैं। ये वही महोदय हैं, जिनको दुनिया का सबसे बड़ा आतंकी ओसामा भी शांतिदूत लगता था।
  • मत भूलिए, दिल्ली के बाटला हाउस में जब आतंकियों का एनकाउंटर हुआ था तो ऐसे ही एक और राजदरबारी ने दुनिया को बताया था कि आतंकी की मौत पर तब रिमोट कंट्रोल से सरकार चलाने वालों के आँसू नहीं थम रहे थे।
  • क्या ऐसी कॉन्ग्रेस से हम उम्मीद कर सकते हैं कि वो आतंक के सरपरस्तों को खत्म करेगी? नहीं, आतंकवाद के खिलाफ नरमी के इसी कॉन्ग्रेसी रवैये की वजह से पहले आतंकियों को मुँहतोड़ जवाब नहीं मिल पाया।
  • एयर स्ट्राइक पाकिस्तान में हुए, लेकिन सदमा भारत में बैठे कुछ लोगों को लगा है।
  • भारत भर में महा-मिलावट करने वाले लोग अब अंतरराष्ट्रीय महा-मिलावट करने में लगे हैं। सिर्फ अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए पाकिस्तान के साथ मिलकर महा-मिलावट कर रहे हैं।
  • यहाँ ये लोग मोदी को गाली देते हैं, और वहाँ पाकिस्तान में इनके लिए तालियाँ बजती हैं। वहाँ के अखबारों की हेडलाइंस इनके बयानों से भरी पड़ी हैं, वहाँ के टीवी चैनलों पर इनके ही चेहरे दिखाई पड़ते हैं।
  • जब एयर-स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान की बोलती बंद हो गई, पूरे विश्व में अलग-थलग पड़ गया तो उसकी इज्जत बचाने के लिए यही महा-मिलावटी लोग सामने आए।
  • कोई सबूत माँगने लगा, तो कोई आतंकियों की लाशों की संख्या पूछने लगा और तो और ये लोग पाकिस्तान को ही शांति का दूत बताने लगे। आपने देखा होगा कि यह अंतरराष्ट्रीय महा-मिलावट एक सुर में राग अलाप रही है।
  • आज जब आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक लड़ाई में देश एक हो रहा है, तब ये लोग देश को भ्रमित कर इस लड़ाई को कमजोर करना चाहते हैं।

लोकसभा चुनाव के मद्देनजर मालवा भाजपा के लिए काफी महत्वपूर्ण है। धार लोकसभा में 8 विधानसभा सीटें हैं। इनमें से 7 कॉन्ग्रेस के पास हैं। जबकि 2013 के विधानसभा में यहाँ की 5 सीटों पर भाजपा ने जीत हासिल की थी। नवंबर-दिसंबर में हुए विधानसभा चुनावों में मालवा-निमाड़ क्षेत्र में भाजपा को सबसे कम सीटें धार जिले से ही मिली थीं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले यहाँ 16 फरवरी को सभा करने वाले थे, लेकिन पुलवामा हमले के बाद सभा को निरस्त कर दिया गया था।

घबराए पाकिस्तान ने LOC पर बढ़ाई हलचल, अतिरिक्त सेना व टैंकों की तैनाती

भारत द्वारा पाकिस्तान स्थित आतंकियों पर ‘एयर स्ट्राइक’ करने के बाद पाकिस्तान ने भारतीय सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया था। पाकिस्तान के हर एक वार का भारत की तरफ से मुँहतोड़ जवाब दिया गया। अब घबराए पाकिस्तान ने लाइन ऑफ कण्ट्रोल के पास सेना की तैनाती बढ़ा दी है। भारतीय वायु सेना से थर्राए पाक ने सीमा के पास सेना, बख़्तरबबंद वाहन और हाथियों की खेप पहुँचानी शुरू कर दी है। ‘टाइम्स नाउ’ ने गुप्त सूत्रों के हवाले से कहा है कि पाकिस्तान अपनी सीमा पर रक्षा कतार को मजबूत करने में लगा हुआ है। इतना ही नहीं, पाकिस्तानी फ़ौज का एक जत्था बहावलपुर पहुँच कर वहाँ डेरा जमाए हुए है।

सियालकोट सेक्टर में पाकिस्तान ने अतिरिक्त सेना बल की तैनाती की है। सियालकोट में नियमित ब्लैकआउट हो रहे हैं। सशस्त्र बलों ने लाहौर हवाई अड्डे को अपनी कड़ी निगरानी में ले रखा है। इसके अलावा मुल्तान से बहावलपुर भरी संख्या में सैनिक भेजे गए हैं। बता दें कि आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद सरगना मसूद अज़हर बहावलपुर का ही निवासी है। सेना के एक काफिले को कराची से खोकरपुर की तरफ जाते देखा गया है। सेना की एक टुकड़ी के हैदराबाद से मीरपुर जाने की भी ख़बर आई है।

पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय सीमा पर रडारों की सक्रियता में भी वृद्धि की है। फॉरवर्ड क्षेत्र के अस्पतालों को किसी भी आपात स्थिति ने निपटने हेतु तैयार रहने को कहा गया है। ज़रूरत पड़ने पर घायल सैनिकों को भर्ती कराने के लिए बेड्स आरक्षित रखने को कहा गया है। लड़ाकू विमान लगातार अभ्यास कर रहे हैं। इतना ही नहीं, स्थानीय प्रशासन ने सीमा पर रहने वाले नागरिकों को पीछे हटने को भी कहा है। सीमा को खाली कराने की कोशिशें जारी है। नरेंद्र मोदी के घर में घुस कर मारने के ताज़ा बयानों से भी पाकिस्तान सकते में है।

कुल मिला कर देखें तो ताज़ा एयर स्ट्राइक के बाद पाकिस्तान को भारत की शक्ति का एहसास हो गया है और वह किसी भी प्रकार का रिस्क नहीं लेना चाहता। पाकिस्तान के एफ-16 को मार गिरा कर भारत ने यह भी बता दिया घर में घुस कर सक्षम है और किसी भी प्रकार की जवाबी कार्रवाई को विफल कर अपनी रक्षा भी कर सकता है। पाकिस्तान के कई ड्रोन सीमा पर ही मार गिराए गए हैं। इन सभी कारणों से पाकिस्तान काफ़ी सतर्कता बारात रहा है। पहले से ही अंतरराष्ट्रीय दबाव झेल रहे पाक को ईरान ने भी सर्जिकल स्ट्राइक करने की धमकी दी है।

वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता ने समर्थकों से पीएम मोदी की हत्या का अह्वान किया

कर्नाटक के एक वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता चर्चा में हैं। नाम है – बेलुर गोपालकृष्णन। उन्होंने एक समारोह में अपने समर्थकों से पीएम नरेंद्र मोदी की हत्या का अह्वान किया है। कर्नाटक भाजपा के अधिकारिक ट्विटर हैंडल से कांग्रेस नेता का वीडियो ट्वीट किया गया है।

कर्नाटक भाजपा ने ट्वीट में कहा है कि देश के पीएम की हत्या के लिए उकसाना राष्ट्र के लिए खतरा है। उन्होंने गृहमंत्रालय और बेंगलुरु पुलिस से तुरंत कानूनी कार्रवाई करने का आग्रह भी किया है।

एक अन्य ट्वीट में कॉन्ग्रेस अध्यक्ष को भी निशाना बनाते हुए पूछा गया, “राहुल गांधी हम आपको याद कराना चाहते हैं कि आपने कभी कहा था कि आप नफरत की राजनीति का समर्थन नहीं करते हैं, लेकिन अब जब आपकी ही पार्टी के नेता ने खुले तौर पर लोकतांत्रिक तरीके से चुने गए इस राष्ट्र के पीएम की हत्या का आह्वान किया है तो क्या आप उन पर कार्रवाई करेंगे? यदि आप स्पष्ट रूप से कार्रवाई नहीं करते हैं तो इसका मतलब है कि आप अपने नेता के शब्दों का समर्थन करते हैं?

दिलचस्प बात यह है कि कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद बेलुर गोपालकृष्णन भाजपा छोड़कर कॉन्ग्रेस में शामिल हो गए थे। कॉन्ग्रेस में शामिल होने पर उन्होंने भाजपा पर आरोप लगाते हुए कहा था कि यह एक झूठी पार्टी है। पार्टी में ईमानदार लोगों की कोई कद्र नहीं।

CPI (M) नेता ने की मोदी की तारीफ, दोबारा PM बनने को दी शुभकामना – पार्टी ने किया निलंबित

माकपा नेता नरसैया एडम ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की तारीफ क्या कर दी, उन्हें पार्टी की केंद्रीय समिति से निलंबित कर दिया गया। केन्द्रीय समिति कम्युनिस्ट पार्टी की निर्णय लेने वाली एक प्रमुख समिति होती है।

दरअसल माकपा के पूर्व विधायक नरसैया एडम ने जनवरी में सोलापुर जिले में एक आवास परियोजना को मंजूरी देने के लिए मोदी और फडणवीस की सराहना की थी। इसके साथ ही उन्होंने दोबारा मोदी को प्रधानमंत्री बनने के लिए शुभकामना भी दी थी। एडम राज्य विधानसभा में इसी क्षेत्र से निर्वाचित हुए थे।

एडम को निलंबित किए जाने के मामले पर पार्टी के एक अधिकारी ने कहा कि ऐसी तारीफ पार्टी की नीति के खिलाफ है। ऐसे में उन्हें तीन महीने के लिए पार्टी की केन्द्रीय समिति से निलंबित करने का निर्णय लिया गया है। हालाँकि अभी तक इस पर एडम की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

आपको बता दें कि एडम का निलंबन 3 महीने के लिए किया गया है। उनका तीन महीने का निलंबन लोकसभा चुनावों के बाद ही समाप्त हो पाएगा। ‘इंडियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के मुताबिक एडम पार्टी के महासचिव सीताराम येचुरी के काफी करीबी हैं, लेकिन पार्टी का विरोधी धड़ा यह चाहता था कि एडम को प्रादेशिक सचिव के पद से हटाया जाए। उन्हें हटाया जाना बहुत बड़ा कदम माना जा रहा है। हालाँकि पार्टी ने इसे अनुशासनहीनता का नाम दिया है, लेकिन इस निलंबन का असर लोकसभा चुनावों तक देखा जा सकता है। पार्टी की बैठकों में अब उन्हें जून या जुलाई में ही हिस्सा लेने का मौका मिल पाएगा, तब तक लोकसभा चुनाव संपन्न हो चुके होंगे।

कैमिकल अटैक की पाकिस्तानी योजना का पर्दाफाश, औरंगाबाद से डॉक्टर गिरफ़्तार

महाराष्ट्र के औरंगाबाद स्थित खुल्ताबाद से एटीएस ने एक डॉक्टर को गिरफ़्तार किया है। उसे आतंकवादियों के संपर्क में होने के कारण गिरफ़्तार किया गया। आतंक निरोधक दस्ते को शक है कि उक्त डॉक्टर जम्मू कश्मीर के आतंकवादियों के संपर्क में था। उस से पिछले तीन दिनों पूछताछ जारी है। अधिकारियों ने आरोपित डॉक्टर की पहचान उजागर नहीं की है। उस पर आतंकवादियों को वित्तीय मदद देने में शामिल होने का संदेह है। उसके सुरक्षा बलों को धोखे से भोजन और पानी में ज़हर देने की साज़िश में शामिल होने का भी संदेह है। इसके अलावा, उसके मुंब्रा और औरंगाबाद से हाल ही में गिरफ्तार किए गए नौ संदिग्ध आतंकवादियों के संपर्क में होने का भी संदेह है।

ख़ुफ़िया एजेंसियों ने हाल ही में पाकिस्तानी आर्मी इंटेलिजेंस (MI) और इंटर-सर्विसेज इंटेलिजेंस (ISI) की ख़तरनाक योजना के बारे में चेतावनी जारी की थी, जिसमें भारतीय सशस्त्र बलों को दिए जाने वाले भोजन में ज़हर मिलाया जाने वाला था। महाराष्ट्र एटीएस ने जनवरी में आईएसआईएस आतंकी समूह से जुड़े 9 संदिग्धों को गिरफ़्तार किया था। एटीएस के अधिकारियों ने मुंब्रा के एक नाबालिग किशोर के साथ मज़हर शेख, जुम्मन खुटुपद, सलमान ख़ान, फरहाद अंसारी को गिरफ्तार किया था, जबकि मोहम्मद मोहसिन सिराजुल्लाह खान, मोहम्मद तौकीउल्लाह सिराज खान, काजी सरफराज और मशहूद इस्लाम उर्फ ​​तारेख को औरंगाबाद से गिरफ्तार किया गया था।

अधिकारियों ने विस्फोटकों के बजाय आरोपितों के पास से हाइड्रोजन पेरोक्साइड, ज़हरीला पाउडर और एसिड बरामद किया था। मीडिया में चल रही ख़बरों के अनुसार, राजनीतिक रैलियाँ, धार्मिक कार्यक्रम और प्रसिद्ध हस्तियों की शादियाँ उनकी लक्षित सूची में शामिल थीं। यानी ये आतंकी इन कार्यक्रमों को निशाना बना सकते थे। बता दें कि इस साल जनवरी में कई ताबड़तोड़ छापों के बाद महाराष्ट्र एटीएस ने मुंब्रा और ठाणे से 5 और औरंगाबाद से 4 व्यक्तियों को गिरफ़्तार किया था। सभी संदिग्ध आतंकी पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI), बेंगलुरु के लिए कार्य करते थे।

ये सभी आरोपित शिक्षित हैं और इस्लामिक स्टेट (ISIS) से भी इनके सम्बन्ध होने की बात सामने आई है। उसके पास से इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स, सिम कार्ड्स वगैरह सहित कई चीजें बरामद हुई थी। उसके बाद से ख़ुफ़िया विभाग लगातार ऐसी गतिविधियों पर नज़र बनाए हुए है।

पाक ने लगाया भारत की पनडुब्बी पर घुसपैठ का आरोप

पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़े तनाव के बाद पाकिस्तानी नौसेना ने मंगलवार (मार्च 05, 2019) को दावा किया कि उसने अपने देश के जलक्षेत्र में घुसने की एक भारतीय पनडुब्बी की कोशिश को नाकाम कर दिया है। पाकिस्तान की नौसेना ने मीडिया के साथ एक फुटेज भी शेयर किया, जिसे उसने असली बताया है। इस में दिख रहा है कि यह फुटेज 4 मार्च को रात 08.35 PM पर बनाई गई है। इस संबंध में पाकिस्तान का कहना है कि शांति की नीति के मद्दनेजर भारतीय पनडुब्बी को निशाना नहीं बनाया गया।

पाकिस्तान द्वारा जारी किया गया ‘भ्रामक’ वीडियो

हालाँकि, आतंकवाद जैसे विषयों पर हमेशा मासूम बने रहने वाले पाकिस्तान पर भारतीय नौसेना प्रमुख एडमिरल सुनील लाम्बा ने आज सुबह ही ट्विटर पर जानकारी देते हुए बताया कि पाकिस्तान के आतंकवादी लगातार समुद्र के जरिए भारत में आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने का प्रयास कर रहे हैं।

साथ ही शांति के ‘पुरस्कार’ की ओर बढ़ रहे पाकिस्तान ने कहा कि भारत को इस घटना से सीख लेनी चाहिए और ‘शांति की ओर आगे बढ़ना चाहिए’। इस कहानी पर पाकिस्तान की नौसेना ने कहा है कि वह अपने जलक्षेत्र की रक्षा करने के लिए सदैव तत्पर है और किसी भी प्रकार की आक्रामकता का पूरी ताकत के साथ जवाब देने में सक्षम है। 

जम्मू कश्मीर के पुलवामा में 14 फरवरी को हुए जैश-ए-मुहम्मद के आतंकवादी हमले में भारत के 40 जवान शहीद हो गए थे। इसके बाद भारतीय वायुसेना ने 26 फरवरी को पाकिस्तान के भीतर बालाकोट में जैश के शिविर को निशाना बनाया था जिसमें 300 से अधिक आतंकवादियों के मारे जाने का दावा किया गया है। इसके अगले दिन पाकिस्तान और भारत के बीच हुए हवाई संघर्ष में मिग 21 गिर गया था और उसके पायलट विंग कमांडर अभिनंदन वर्तमान को पाकिस्तान ने हिरासत में ले लिया था। उन्हें शुक्रवार को भारत को सौंपा गया था। इसके बाद से भारत के बीच लगातार गरमा-गर्मी का माहौल है।

‘The Print’ को पीयूष गोयल से दिक्कत है क्योंकि वो जनता के लिए अफसरों की नहीं सुनते

‘द प्रिंट’ को केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से दिक्कतें हैं। समाचार पोर्टल को गोयल से एक नहीं बल्कि कई दिक्कतें हैं। प्रिंट ने रूही तिवारी का लिखा एक लेख छापा है, जिसमे कहा गया है कि केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का उनके मातहत अधिकारियों के प्रति रवैया सही नहीं है। इसके लिए कोयला मंत्रालय के पूर्व केंद्रीय सचिव अनिल स्वरूप की पुस्तक ‘Not Just A Civil Servant’ का हवाला दिया गया है। बकौल प्रिंट, इस पुस्तक में कहा गया है कि पीयूष गोयल का मंत्रालय के अधिकारियों के प्रति रवैया बेस्वादु है, वे अपने मंत्रालय के अधिकारियों पर चिल्लाते हैं।

‘द प्रिंट’ का जबरदस्ती किया गया हिटजॉब

इस लेख का शीर्षक दिया गया है कि आईएएस अधिकारी पीयूष गोयल के फैन नहीं हैं। यह अजीब है, क्योंकि कोई नेता मंत्रालय में अधिकारियों को फैन बनाने नहीं जाता बल्कि जनता के लिए कार्य करने जाता है। वह ‘पीयूष गोयल’ हैं, ‘यो यो हनी सिंह’ नहीं, जो रैप कर के बाबुओं को अपना फैन बनाएँ। मजे की बात तो यह कि इस पुस्तक में पीयूष गोयल का कहीं भी नाम नहीं लिया गया है लेकिन चूँकि अक्टूबर 2014 से नवंबर 2016 तक स्वरूप कोयला मंत्रालय में कार्यरत थे और उसी दौरान पीयूष गोयल ही कोयला मंत्रालय संभाल रहे थे, इसीलिए प्रिंट ने गोयल को निशाने पर रखा। अन्य अधिकारियों ने भी प्रिंट की इस ‘खोज’ की ‘तस्दीक़’ की। बकौल प्रिंट, स्वरूप ने अपनी पुस्तक में लिखा है:

“जब मैं कोयला मंत्रालय में था तब एक मंत्री अधिकारियों पर चिल्लाया करते थे। मैंने उनसे कहा कि ‘आप लोगों के सामने इस तरह मेरे संयुक्त सचिव पर नहीं चिल्ला सकते। अगर आपको उनको डाँटना ही है तो आप उन्हें अपने कक्ष में बुला कर ऐसा कर सकते हैं। अगर आप ऐसे ही अधिकारियों पर चिल्लाते रहे तो मैं प्रधानमंत्री के पास जाकर अपने तबादले के लिए निवेदन करूँगा।’ इसके बाद उन्होंने मेरे सामने अधिकारियों को डाँटना बंद कर दिया लेकिन अन्य जगहों पर वे ऐसा करते रहे।”

एक अधिकारी ने ‘द प्रिंट’ को बताया कि तीन महीने तक कार्यवाहक वित्त मंत्री का प्रभार सँभालने के दौरान भी उनके अधिकारियों के साथ झगड़े होते थे। गोयल ने अधिकारियों की आपत्ति को दरकिनार करते हुए जीएसटी दर को कम करने का प्रस्ताव किया। अधिकारियों ने जीएसटी रेट कम नहीं करने की सलाह दी, लेकिन फिर भी उन्होंने ऐसा किया। इसीलिए प्रिंट ने गोयल को अधिकारियों के साथ अशिष्ट व्यवहार करने वाला बताया है।

कैसे मोदी के आते ही ख़त्म हुआ बाबू कल्चर

जैसा कि किसी से छिपा नहीं है, जब नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री बने थे तब मंत्रालयों की स्थिति ऐसी थी कि वहाँ अधिकारीगण का ही राज चलता था। एक ताक़तवर प्रधानमंत्री वक़्त की ज़रूरत था, न सिर्फ़ जनता के लिए बल्कि सरकारी बाबुओं को नियंत्रित करने के लिए। ब्यूरोक्रेसी की तो हालत यह रही है कि ख़ुद पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गाँधी ने कहा था कि अगर केंद्र सरकार किसी ग़रीब को 1 रुपया भेजती है तो उसके पास मात्र 15 पैसे ही पहुँच पाते हैं। डॉक्टर मनमोहन सिंह के कार्यकाल में उनके ही मंत्रियों पर उनका पूरा नियंत्रण नहीं रहता था, ऐसे में सरकारी बाबुओं व उच्चाधिकारियों का कहना ही क्या। मोदी के रूप में एक शक्तिशाली पीएम के आने के बाद यह कल्चर बदला।

मोदी के पीएम बनने के लगभग एक महीने बाद जून 2014 में हिंदुस्तान टाइम्स की एक रिपोर्ट में बताया गया था कि मंत्रालयों के अधिकारियों के वर्किंग कल्चर में प्रत्यक्ष बदलाव आया है। मोदी के आने के बाद उन पर काम करने का दबाव बढ़ा, पीएम की एनर्जी के आगे फीका पड़ने का डर बढ़ा और अधिकारी समय पर दफ्तर पहुँचने लगे। इस रिपोर्ट में पर्यावरण विभाग के एक अधिकारी ने बताया था कि वे अब सिर्फ़ समय पर ऑफिस ही नहीं आते बल्कि एक समय-सीमा के भीतर फाइलों का तुरंत निपटारा भी करते हैं। इसके लिए उन्हें देर तक बैठना पड़ता है।

मोदी के सत्ता सँभालने के बाद लम्बे और सुस्त लंच ब्रेक पर जाने वाले बाबू डेस्क पर ही जल्दी-जल्दी खाने लगे। नियमित बैठकों का दौर चल पड़ा और प्रत्येक योजनाओं पर अधिकारियों की राय ली जाने लगी। इसके बाद अधिकारियों के पास होम-वर्क कर के आने के सिवाय और कोई चारा ही नहीं बचा। अगर मुखिया सख़्त है तो सरकार भी सही से चलती है। ऐसे में मोदी के मंत्रियों ने भी ऐसे बाबुओं पर शिकंजा कसा और उन्हें जनहित के कार्य में लगाया, तो दिक्कत क्या है? उनके काम-काज के तरीके सही हुए हैं, इसमें भी बुराई खोजना कहाँ तक उचित है?

गोयल ने GST दर घटाने का प्रस्ताव अपने लिए लाया था क्या?

‘द प्रिंट’ ने कहा है कि पीयूष गोयल जीएसटी दर में कटौती के लिए अड़ गए और अधिकारियों की एक न सुनी। यह जनता के लिए खुश होने वाली बात है। जैसा कि उसी रिपोर्ट में बताया गया है, ऐसे किसी भी प्रस्ताव के लिए एक सप्ताह पहले सर्कुलर जारी करना होता है लेकिन गोयल ने बैठक में इसे तुरंत प्रस्तावित किया। यह सरकार, जनता व सिस्टम- तीनों के लिए ही अच्छे संकेत हैं। यह दिखता है कि मोदी कैबिनेट के मंत्री किस तरह से कार्य करते हैं। अगर जनहित से जुड़े मुद्दों पर सर्कुलर जारी करने, उस पर अमल करने और उसे ज़मीन पर उतारने में महीनों की बजाय कुछ मिनट्स ही लग रहे हैं, तो दिक्कत क्या है?

सरकार का सीधा सन्देश है कि अब बाबूगिरी नहीं चलेगी। अब फाइल इस मंत्रालय से उस मंत्रालय धूल नहीं फाकेंगे बल्कि उन पर तुरंत निर्णय होगा। वैसे भी, पीएम मोदी त्वरित कार्रवाई में विश्वास रखते हैं और अधिकारीगण भी अब समझ गए हैं कि जनता से जुड़े मुद्दों पर सरकार गंभीर है, सचेत है और त्वरित कार्रवाई में भरोसा रखती है। हमें ‘द प्रिंट’ को धन्यवाद करना चाहिए क्योंकि पीयूष गोयल को नकारात्मक दिखाने के चक्कर में उसने अनजाने में मोदी सरकार के एक अच्छे पहलू को उजागर कर दिया। सरकार ने अधिकारियों को अनुशासित करने के लिए एक बेंचमार्क सेट किया, उसके परिणाम अब दिख रहे हैं।

मोदी सरकार ने सत्ता में आते ही आईएएस अधिकारियों को उनकी संपत्ति सार्वजनिक करने को कहा। पीएम मोदी ने सबसे पहले अपनी संपत्ति का ब्यौरा दे कर पीएमओ के अन्य अधिकारियों को भी इसके लिए प्रेरित किया। भ्रष्टाचार और आलस से पीड़ित ब्यूरोक्रेसी में अमूल-चूल बदलाव यूँ ही संभव नहीं हुआ है, इसके लिए पीएम ने स्वयं उदाहरण साबित किया है। मोदी सरकार ने बाबुओं का परफॉरमेंस ट्रैक करने से लेकर ‘अंडर-अचीवर’ अधिकारियों पर कार्रवाई करने तक- हर तरफ से अफसरशाही पर वार किया। 2017 की शुरुआत में सरकार ने कई सुस्त अधिकारियों को समय-पूर्व सेवानिवृत्ति दे कर साफ़-साफ़ सन्देश दे दिया कि अगर पद पर बने रहना है तो ऊर्जावान बन कर कार्य करना पड़ेगा।

SC-ST, OBC आरक्षण लागू करने के नए तरीके पर अंतिम कैबिनेट मीटिंग में होगा फैसला

यूनिवर्सिटी की नौकरियों में SC-ST और ओबीसी के लिए आरक्षण लागू करने के नए तरीके ’13 पॉइंट रोस्टर’ को लेकर विरोध जारी है। मंगलवार (मार्च 05, 2019) को भी देश भर में इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और SC-ST संगठनों ने साथ मिलकर ‘भारत बंद’ बुलाया है। सुप्रीम कोर्ट ने पुराने ‘200 पॉइंट रोस्टर सिस्टम’ लागू करने को लेकर मानव संसाधन मंत्रालय (MHRD) और UGC द्वारा दायर स्पेशल लीव पिटीशन को 22 जनवरी को ही खारिज कर दिया था। बाद में सरकार ने पुनर्विचार याचिका भी दायर की थी, जिसे कोर्ट ने 28 फरवरी को खारिज कर दिया था।

क्या है 13 पॉइंट रोस्टर सिस्टम?

अगर आप किसी ऑफिस में काम करते हैं तो ‘रोस्टर’ शब्द आपके लिए नया नहीं होगा। आपको किस दिन, किस शिफ़्ट में जाना है और किस दिन घर पर आराम फ़रमाना है, ये इस रोस्टर से ही तय होता है। लेकिन बीते कुछ हफ़्तों से ये शब्द सड़कों पर भी सुनने को मिला और सदन की बैठकों में भी। 13 पॉइंट रोस्टर को लेकर SC, ST और OBC वर्ग सरकार से ख़ासा नाराज़ है। उनकी माँग है कि सरकार इसमें हस्तक्षेप करके इसमें बदलाव लाए।

दरअसल, 13 पॉइंट रोस्टर वो प्रणाली है, जिससे विश्वविद्यालयों में अध्यापकों की नियुक्तियाँ की जानी हैं। हालाँकि इसके विरोध में कई सप्ताह से अध्यापकों का एक बड़ा वर्ग प्रदर्शन कर रहा है, जिसके बाद मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा है सरकार पुनर्विचार याचिका दायर करेगी और अगर याचिका पर भी फ़ैसला हमारे पक्ष में नहीं आया तो वह अध्यादेश या क़ानून लेकर आएगी।

आचार संहिता लागू होने से पहले सरकार को लेना होगा बड़ा निर्णय

7 मार्च, बुधवार को मोदी सरकार की आखिरी कैबिनेट बैठक में इस मामले पर अध्यादेश ला सकती है, क्योंकि इसके बाद लोकसभा चुनाव की घोषणा होनी है। इससे पहले ही पीएम मोदी को इस मसले पर निर्णय लेना होगा कि सुप्रीम कोर्ट के 22 जनवरी, 2019 के आदेश को पलटते हुए अध्यादेश लाया जाए या नहीं। हालाँकि, मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर लगातार कह रहे हैं कि ज़रूरत पड़ी तो सरकार अध्यादेश लाकर 13 पॉइंट रोस्टर सिस्टम को रद्द कर देगी।

आरक्षण के विभिन्न वर्गों के बीच संतुलन बनाना चाहेगा मंत्रालय

इस बारे में सरकार एक अध्यादेश ला सकती है कि विश्वविद्यालयों में विभाग के आधार पर नहीं, बल्कि संस्थान की कुल सीटों के आधार पर आरक्षण लागू किया जाए। अंतिम कैबिनेट बैठक में सरकार कई महत्वपूर्ण फैसले ले सकती है। इस बैठक में ही सरकार उच्च शिक्षण संस्थाओं में सामान्य वर्ग के गरीबों को आरक्षण प्रदान करने के लिए 10% आरक्षण को लागू करने के लिए ₹4,000 करोड़ का अतिरिक्ति फंड आवंटित कर सकती है।

महबूबा मुफ्ती को क्यों हो रही ‘जय हिंद’ से दिक्कत

जम्मू-कश्मीर की पूर्व सीएम और पीडीपी नेता महबूबा मुफ्ती को भारतीय वायु सेना द्वारा किए गए एयर स्ट्राइक से तो समस्या थी ही, अब उन्हें ‘जय हिंद’ बोलने से भी दिक्कत होने लगी है।

पहले उन्होंने एयर स्ट्राइक को लेकर बयान दिया था कि एयर स्ट्राइक पर सवाल करने वाले को देशद्रोही बताना गलत और चौंकाने वाला है। अब महबूबा ने एयर इंडिया के जय हिंद बोलने वाले आदेश पर तंज कसा है।

दरअसल बात यह है कि एयर इंडिया की तरफ से एक सर्कुलर जारी करते हुए कहा गया है कि तत्काल प्रभाव से सभी क्रू मेंबर्स और कॉकपिट क्रू को हर उड़ान की घोषणा करने के बाद पूरे जोश के साथ ‘जय हिंद’ बोलना होगा। एयर इंडिया के इस निर्देश के बाद महबूबा ने ट्वीट के जरिए इसकी आलोचना की है। महबूबा ने अपने ट्वीट में लिखा है कि “आश्चर्य है कि ऐसे वक्त में जब आम चुनाव होने वाले हैं, देशभक्ति के जोश ने आसमान तक को नहीं छोड़ा है।”

एयर इंडिया के मौजूदा चेयरमैन और एमडी अश्विनी लोहनी ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान मई 2016 को भी सभी पायलटों के लिए यह एडवाइजरी जारी की थी। अधिकारियों के अनुसार मौजूदा एडवाइजरी देश के माहौल को ध्यान में रखते हुए स्टाफ के लिए एक रिमाइंडर है। लोहानी ने मई 2016 में अपने कर्मचारियों को एक चिट्ठी में लिखकर कहा था कि विमान के कैप्टन को पूरी यात्रा के दौरान अपने यात्रियों के साथ जुड़ना चाहिए और पहले एड्रेस के अंत में ‘जय हिंद’ शब्द का इस्तेमाल एक जबरदस्त प्रभाव डालेगा।