Friday, October 4, 2024
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मदरसों में धाँधली: इतिहास पढ़ा व्यक्ति दे रहा गणित की शिक्षा, उर्दू वाला पढ़ा रहा अंग्रेजी

मदरसे इस्लामी शिक्षा के प्रमुख केंद्र लेकिन वहाँ की गतिविधियों और शिक्षा के स्तर, और फर्ज़ीवाड़े पर बहुत कम बात होती है। हालाँकि, मदरसों के फर्जीवाड़े पर कई बार जाँच हुई। लेकिन जाँच रिपोर्ट पर आज तक कार्रवाई शून्य है।

अमर उजाला की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तर प्रदेश के मेरठ में एक बार फिर, चार माह पहले जिलाधिकारी के आदेश पर कई मदरसों की जाँच हुई, जिसमें कुछ मदरसों में पता चला कि उनके यहाँ जिस विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक नियुक्त हैं, उसकी शैक्षणिक योग्यता उस विषय की न होकर दूसरे विषय की है। इन अयोग्य शिक्षकों के नाम पर मदरसा संचालक सरकार से मानदेय भी वसूल रहे हैं। लेकिन विभाग ने जाँच रिपोर्ट आने के बाद भी आज तक कार्रवाई नहीं की है।

मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत स्नातक योग्यता वाले शिक्षक को 8 हजार रुपए और स्नातकोत्तर योग्यता वाले शिक्षक को 15 हजार रुपए प्रति माह मानदेय मिलता है। ये सभी मदरसा संचालक विषय से विपरीत योग्यता के शिक्षक नियुक्त कर सरकार से मानदेय ले रहे हैं। यह सभी जाँच रिपोर्ट अल्पसंख्यक कल्याण विभाग में जा चुकी है। लेकिन आज तक भी इन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

जिलाधिकारी अनिल ढींगरा ने डायट प्राचार्य छोटा मवाना मेरठ को छह मदरसों की जाँच सौंपी थी। पाँच मदरसों की जाँच में जिला प्रोबेशन अधिकारी को शिक्षक नियुक्ति में बड़ा खेल नज़र आया। 

मदरसा इरफानउल उलूम अमरौली में दो शिक्षकों की नियुक्ति दर्शायी है। एक शिक्षक बीए अर्थशास्त्र, राजनीति शास्त्र और हिंदी विषय में है, लेकिन उन्हें गणित विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त किया है। एक शिक्षिका बीए समाजशास्त्र, राजनीति शास्त्र और उर्दू के साथ एमए उर्दू है, लेकिन उन्हें अंग्रेजी विषय पढ़ाने के लिए नियुक्त किया है।

इसी तरह मदरसा फैज-ए-आम नंगला हरेरू में विज्ञान विषय के लिए नियुक्त शिक्षक की योग्यता बीए हिंदी, अंग्रेजी और राजनीति शास्त्र है। गणित के शिक्षक की योग्यता बीए अंग्रेजी, समाजशास्त्र और शिक्षा है। मदरसा फैजुल इस्लाम मवाना खुर्द में हिंदी के शिक्षक की योग्यता एमए इतिहास है।

अंग्रेजी विषय के शिक्षक की योग्यता बीए समाजशास्त्र, उर्दू व राजनीति शास्त्र है। मदरसा हुसैनिया नंगला ऐजदी में शिक्षक एमए राजनीति शास्त्र में है और हिंदी विषय के लिए नियुक्त है। सामाजिक अध्ययन की शिक्षिका की योग्यता एमए उर्दू है तो अंग्रेजी विषय की शिक्षिका की योग्यता एमए हिंदी है।

मदरसा हमीदियाँ महलका में विज्ञान के शिक्षक की योग्यता एमए बीएड है। मदरसा मेहमूदियाँ में गणित के शिक्षक की योग्यता एमए बीएड है। मदरसा हुसैनिया इस्लामिया अरबिया कैली में भी गणित के शिक्षक एमए है तो मदरसा हाफिज सदररुद्दीन रूहासा गणित के शिक्षक ही हिंदी पढ़ा रहे हैं। मदरसा अरबिया रसीदुल कुरआन सरधना में अँग्रेजी के शिक्षकों की योग्यता एमकॉम है।

डियर रवीश कुमार, क्यों?

रवीश कुमार ने पिछले दिनों ‘द वायर’ के एक प्रोग्राम में काफी बातें की। उस एक घंटे में उन्होंने 38 बातें बोलीं, जिस पर बात करना ज़रूरी है।

तीसरी पीढ़ी की AK राइफलें बनेंगी अमेठी में, PM करेंगे 3 मार्च को प्लांट का उद्घाटन

हाल ही में भारत ने रूस के साथ मिलकर लगभग 7,47,000 क्लाशनिकोव राइफ़लों के निर्माण का समझौता किया था। इन राइफ़लों के निर्माण के लिए प्लांट उत्तर प्रदेश के अमेठी में लगाया जाना तय हुआ था। जिसका उद्घाटन अब कल (मार्च 3, 2019) को प्रधानमंत्री द्वारा होने वाला है। रक्षा उत्पादन क्षेत्र में केंद्र द्वारा उठाया गया यह फैसला बेहद अहम और जरूरी बताया जा रहा है।

भारत-रूस के बीच हुए करार के अनुसार अमेठी के इस प्लांट में क्लाशनिकोव कंसर्न और भारत की ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड जॉइंट वेंचर के तहत AK-47 की तीसरी पीढ़ी की राइफ़लें AK-103/203 तैयार करेंगे।

सुरक्षा के लिहाज़ से उठाया गया यह कदम दर्शाता है कि 2014 में शुरू की गई मेक इन इंडिया योजना आज बुलंदियों पर हैं क्योंकि राइफल्स बनाने का पूरा प्रोग्राम इसी योजना के तहत भारत में पूरा होगा।

इन राइफल्स के लिए पहली प्राथमिकता सेना को दी जाएगी, उसके बाद भारत के अन्य सुरक्षा बलों के लिए इसे उपलब्ध कराया जाएगाा और उसके बाद निर्यात पर गौर किया जाएगा।

इसके अलावा रक्षा मंत्रालयय के अधिकारियों के अनुसार फास्ट ट्रैक प्रोक्योरमेंट (एफटीपी) के तहत एसआईजी जॉर असॉल्ट राइफ़लों के लिए US के साथ कॉन्ट्रैक्ट साइन किए हैं। अमेरिकी कंपनी एसआईजी जॉर से 72,400, 7.62 एमएम राइफलें साल के अंदर मिलने की उम्मीद है। फ़िलहाल भारतीय सुरक्षाबल 5.56×45 एमएम इनसास राइफ़लों से लैस है।

लोकसभा चुनाव के 48 घंटे पहले सोशल मीडिया पर लग सकती है पाबंदी : चुनाव आयोग

लोकसभा चुनाव से पहले जहाँ राजनीतिक दलों के बीच हलचल बढ़ गई है, वहीं चुनाव आयोग ने भी कमर कस ली है। चुनाव में आचार संहिता को लेकर चुनाव आयोग बड़ा फैसला ले सकता है और इसका राजनीतिक दलों पर खासा असर पड़ने की उम्मीद है।

दरअसल लोकसभा चुनाव के दौरान सोशल मीडिया पर 48 घंटे पहले पाबंदी लग सकती है। इस पर  फैसला चुनाव की तारीख सामने आने से पहले लिया जाएगा। अगर यह फैसला लागू होता है तो फिर कोई भी चुनाव होने के 48 घंटे पहले इससे संबंधित किसी भी तरह की कोई जानकारी साझा नहीं कर पाएगा।

बता दें कि चुनाव आयोग ने इस बारे में एक कमेटी बनाई थी। इस कमेटी को जनप्रतिनिधित्व कानून 1951 की धारा 126 के तहत सुझाव दिया है कि फेसबुक, व्हाट्सऐप और ट्विटर को किसी भी लोकसभा चुनाव क्षेत्र में इससे संबंधित किसी भी तरह की जानकारी को देने से 48 घंटे पहले रोक लगा दी जाए। इसके साथ ही ये रोक मतदान समाप्त होने तक लागू रखा जाए।

इस कमेटी का कहना है कि चुनाव आयोग के अलावा सभी दलों और विधि आयोग में इस बारे मेंं एक राय है। ऐसा इसलिए क्योंकि सोशल मीडिया मतदान से पहले मतदाता के मन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। किसी भी उम्मीदवार अथवा पार्टी के बारे में झूठी पोस्ट या फिर फर्जी वीडियो वोटरों पर आखिरी वक्त में गलत प्रभाव डाल सकता है। इसलिए इस पर रोक लगाने की बात चल रही है।

गौरतलब है कि सेक्शन 126 के तहत अब तक सिर्फ जनसभा, रैली या चुनाव प्रचार पर ही रोक है। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया या सिनेमेटॉग्राफी के जरिए भी प्रचार पर पाबंदी है। हालाँकि आयोग ने हाल ही में प्रिंट मीडिया और सोशल मीडिया को इसमें शामिल करने का सुझाव दिया है। आयोग ने अपने सुझाव में तर्क देते हुए कहा है कि राजनीतिक पार्टियाँ प्रिंट में पाबंदी ना होने की वजह से साइलेंट पीरियड और मतदान के दिन भी विज्ञापन दे देते हैं।

मसूद अजहर के भाई के ऑडियो क्लिप से JeM के आतंकी ठिकानों पर भारतीय हमलों की हुई पुष्टि

मौलाना मसूद अजहर के छोटे भाई मौलाना अम्मार एक ऑडियो क्लिप में पाकिस्तान के अंदर जैश-ए-मुहम्मद के आतंकी ठिकानों पर भारतीय वायु सेना के हमले की पुष्टि कर रहा है। 28 फरवरी को पेशावर के एक मदरसे में अम्मार बोल रहा था। खबरों के मुताबिक अम्मार को अफ़ग़ानिस्तान और कश्मीर में जैश-ए-मुहम्मद के संचालन की कमान सौंपी गई है।

क्लिप में अम्मार को अपने आतंकी साथियों से भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने का आग्रह करते हुए साफ सुना जा सकता है। वह कह रहा है, “दुश्मन ने पाकिस्तान में प्रवेश किया और हमारे इस्लामिक’ मार्काज़ (केंद्र) पर हमले शुरू किए। ऐसा करके, दुश्मन ने हमारे देश पर युद्ध की घोषणा कर दी है।”

अम्मार ने आगे कहा, “भारतीय विमानो ने किसी भी एजेंसी या उसके मुख्यालय के सुरक्षित घर पर या जहाँ एजेंसी के अधिकारियों ने अपनी बैठकें की वहाँ बमबारी नहीं की, उन्होंने (IAF) उस केंद्र पर बमबारी की, जहाँ छात्रों को जेहाद समझने के लिए प्रशिक्षित किया जाता था। जिहाद की अवधारणा और उत्पीड़ित कश्मीरियों की सहायता करना जहाँ सिखाया जाता था। यह अब किसी भी एजेंसी का जिहाद नहीं है। हमारे मार्काज़ पर हमला करके, भारत ने यह सुनिश्चित किया है कि हम इसके खिलाफ अपना जिहाद शुरू करें।”

अम्मार ने इस बात की पुष्टि की है कि भारतीय लड़ाकू जेट विमानों ने अपने लक्ष्य को निशाना बनाया। यह पाकिस्तान की सरकार द्वारा किए गए दावों के विपरीत है, जो भारत के हमले से इनकार करते रहे हैं। यह भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा दिए गए बयान की भी पुष्टि कर रहा है कि यह एक ‘non-military pre-emptive’ ऑपरेशन था क्योंकि भारतीय जेट विमानों ने केवल आतंकवादी शिविरों पर हमला किया था।

जिहादी आतंकियों की यह घोषणा, क्या भारत के लिए और मजबूती से आतंकवाद के ख़िलाफ़ कठोर कदम उठाने को प्रेरित करेगा? अपने एजेंडे में सफल होने से पहले आतंकी खतरों को खत्म करने के लिए और अधिक pre-emptive strikes करेगा? यह पाकिस्तान के लिए भी चिंता का विषय होना चाहिए, अगर पाकिस्तान वास्तव में शांति की अपनी इच्छा के बारे में गंभीर है, तो उसे अम्मार के खिलाफ कार्रवाई शुरू करके अपनी दृढ़ता का परिचय देना चाहिए।

धोखेबाज़ पाक की करतूत: ‘शांति की पहल’ के बाद ले ली 9 महीने के बच्चे समेत कई जानें

पाकिस्तान द्वारा संघर्ष विराम उल्लंघन के परिणामस्वरूप एक 9 महीने और एक 5 साल के बच्चे के साथ उनकी माँ की मौत हो गई। बता दें कि इस सीज़ फायर का उल्लंघन ऐसे समय में हुआ जब विंग कमांडर अभिनंदन को लौटाने की अपनी मजबूरी को इमरान ख़ान ने शांति की पहल के रूप में बताया था।

कश्मीर के पुंछ सेक्टर के एक नागरिक ने रिपब्लिक टीवी को बताया, “पाकिस्तान द्वारा शाम 6 बजे से फायरिंग शुरू हुई और रात 9-10 बजे तक जारी रही। पाकिस्तान की ओर से की गई गोलीबारी में एक घर के भीतर उस समय विस्फोट हुआ जब वो परिवार भोजन कर रहा था।”

एक अन्य ग्रामीण ने कहा, “माँ और उसके दो बच्चे मर चुके हैं। बच्चों के पिता गंभीर रूप से घायल हैं। आसपास के दो-तीन घर तबाह हो गए हैं। हमारा घर सीमा के क़रीब है और पाकिस्तान हमें तबाह कर रहा है। हम ग़रीब लोग हैं, हम ख़ुद को कैसे बचाएँ?”

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र आनंद ने कथित तौर पर कहा कि सालोट्री (Salotri) में कई लोग घायल हो गए हैं क्योंकि पाकिस्तान एलओसी के किनारे पुंछ, मनकोट, बालाकोट और नौशेरा में नागरिक आबादी को निशाना बना रहा है। भारतीय सेना ज़ोरदार और प्रभावी ढंग से जवाबी कार्रवाई कर रही है।

पुलिस ने बताया कि पाकिस्तानी सेना ने 7:30 बजे के क़रीब (शुक्रवार) को पुंछ सेक्टर के जालास के सालोट्री गाँव में भारी गोलीबारी की।

बड़े पैमाने पर युद्धविराम के उल्लंघन से संकेत मिलता है कि विंग कमांडर अभिनंदन को भारत वापस लाने का ‘शांति प्रयास’ एक भ्रम मात्र है। जबकि सच यह है कि भारतीय विंग कमांडर की वापसी प्रधानमंत्री मोदी के सख़्त रवैये और अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते हुई थी। शर्म की बात है कि एक तरफ तो पाकिस्तानी मंत्री इमरान ख़ान को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित कर रहे हैं और दूसरी तरफ पाकिस्तानी सेना बच्चों और शिशुओं को मारने में व्यस्त है।

बिहार में जैश से जुड़ा संदिग्ध युवक गिरफ्तार, बुजुर्ग महिला को कर रहा था आत्मघाती हमले के लिए तैयार!

14 फरवरी को सीआरपीएफ के जवानों पर हुए हमले के बाद से पूरे देश में सुरक्षा के लिहाज़ से कड़ी जाँच हो रही है। संदिग्धों को पकड़ा जा रहा है और उनसे आवश्यक पूछताछ लगातार चल रही है। देवबंद में जैश के दो आतंकी पकड़े जाने के बाद से खबरें आ रही हैं कि पुलवामा आत्मघाती हमले के तार बिहार के बांका जिले से जुड़े पाए गए हैं।

जाँच की कड़ी में बांका के बाघा शंभूगंज थाना क्षेत्र के बेलारी गाँव से रेहान नामक युवक को पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया है। बताया जा रहा है कि रेहान (संदिग्ध आतंकी) इससे पहले 2001 में हुए संसद पर आतंकी हमले में भी शामिल था और फिलहाल उसके घर में 500 किलो आरडीएक्स छुपाए जाने की जानकारी खुफिया विभाग को प्राप्त हुई है।

हिन्दुस्तान में छपी रिपोर्ट में बताया गया है कि खुफिया इनपुट के आधार पर रेहान जैश के सरगना मसूद अज़हर से जुड़ा हुआ है और उसके घर की एक बुजुर्ग महिला भी आत्मघाती हमलावार बन चुकी है, जो सही मौक़े का इंतज़ार कर रही है। अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसके निशाने पर कोई बड़ा नेता भी हो सकता है। सुरक्षा एजेंसी के अनुसार मोहम्मद रेहान अभी पटना में आयोजित पीएम नरेंद्र मोदी की किसी रैली में घटना को अंजाम देने का प्लान बना रहा था।

बता दें कि इस मामले की जानकारी किसी अज्ञात ने सुरक्षा एजेंसियों को दी, जिसके बाद से हड़कंप मच गया। रेहान के अलावा पुलिस को गाँव के दो और युवकों की तलाश है। इनमें से एक का नाम मोहम्मद नौशाद है जो कि फिलहाल फरार है। बांका के एसपी स्वप्ना जे मेश्राम ने इस मामले पर कहा कि बात कुछ भी हो, उसकी जाँच चल रही है। पुलिस ने उसे (रेहान) हिरासत में ले लिया है और उससे गहराई से पूछताछ कर रही है।

फिलहाल विशेष शाखा ने राज्य में अलर्ट जारी कर दिया है और साथ ही बताया है कि आईएसआई से जुड़े आतंकी भारत के इतिहास में अब तक के सबसे बड़े आतंकी घटना को अंजाम देने की ताक में हैं।

जैश-ए-मुहम्मद की वक़ालत करते शांति-यमदूत पाकिस्तान की कथनी और करनी पर शक क्यों न हो?

भारत ने जिस तरह एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान में चल रहे आतंकियों के ट्रेनिंग कैंपों को ध्वस्त किया, उसके बाद ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान हमेशा के लिए ना सही, मगर कुछ समय के लिए तो आतंकियों की तरफदारी करना और सुरक्षा देना बंद कर देगा। एक तरफ पाकिस्तान जिनेवा कन्वेशन और भारतीय कूटनीति के दबाव में अभिनन्दन की रिहाई से दुनिया को यह दिखाने की नापाक कोशिश कर रहा है कि हम अमन पसंद देश हैं। यहाँ तक की इमरान खान ने पाकिस्तान की नेशनल असेंबली में एक शानदार डायलाग मारा कि वो भारत से बात कर संवाद के माध्यम से मुद्दे सुलझाना चाहते हैं लेकिन उनकी हरकतें कुछ और ही कह रही हैं।  

सब कुछ गिनाया जाए तो लिस्ट कुछ ज़्यादा ही लम्बी हो जाएगी फ़िलहाल बात करते हैं ताज़ा मामले से, पाकिस्‍तान ने एक बार‍ फिर आतंकवाद का समर्थन किया है। हालाँकि यह पहली बार नहीं है। आतंकवाद और पाकिस्तान एक दूसरे के पर्याय ही बन चुके हैं। पाकिस्‍तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने विदेशी मीडिया से कहा कि 14 फरवरी को जम्‍मू-कश्‍मीर के पुलवामा में आत्मघाती आतंकी हमले के लिए जैश-ए-मोहम्‍मद जिम्‍मेदार नहीं है।

तो जनाब बता देते कि फिर जिम्मेदार कौन है? जब जैश ने खुद ज़िम्मेदारी ली और जैश का सरगना मसूद अज़हर कंधार विमान अपहरण के एवज में एक आतंकी के रूप में छोड़ा गया था तो अब क्या पाकिस्तान में जाकर वह मौलाना हो गया?

अब शांति का नया यमदूत पाकिस्तान खुद ही जैश की वक़ालत पर उतर आया है। तो उसकी कथनी और करनी पर शक क्यों न हो? आतंक के हमराही जनाब कुरैशी का कहना है, “इस हमले की जिम्‍मेदारी जैश ने नहीं ली है। इस मामले में कुछ कंफ्यूजन है।” बिलकुल आज तक पाकिस्तान कंफ्यूज ही है कि उसे बंदूकें बोनी है या फ़सल? आधुनिक शिक्षा और विज्ञान को बढ़ावा देना है या जेहादी दीनी तालीम? वास्तविक शांति चाहिए या मौत के बाद का सन्नाटा? मेरे ख़याल से पहले पाकिस्तान यह तय कर ले तो अच्छा होगा।

वैसे कुरैशी ने यह भी कहा है कि पाकिस्‍तान में मौजूद कुछ लोगों ने आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद के सरगनाओं से संपर्क किया लेकिन उन्‍होंने इस हमले की जिम्‍मेदारी लेने से इनकार कर दिया। लो भाई भला चोर कब से स्वीकार करने लगा कि उसने चोरी की है? ख़ैर, यह पाकिस्तान का राष्ट्रीय चरित्र है, जो पाकिस्तान अपने F-16 पायलट की शहादत को नकार रहा है। जहाँ की जनता भी इतनी जेहादी है कि अपने ही पायलट को पीट-पीट कर मार डाले उससे भला मानवता की उम्मीद भी क्या की जाए?

अब पाकिस्तान के पलटू कुरैशी का कंफ्यूजन कैसे दूर किया जाए कि जैश-ए-मोहम्‍मद ने पुलवामा हमले की जिम्‍मेदारी पहले ही ले ली थी। यहाँ तक की उसने इसके लिए बाकायदा प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। 

पर पाकिस्‍तान तो पाकिस्तान है, आतंक की खेती से ही जिसका घर चलता हो, जहाँ जन्नत जाने की जेहादी ट्रेनिंग को तालीम कहा जाए, जहाँ आत्मघाती हमले खेल जैसे हों और मासूमों, निर्दोषों का खून बहाना ज़ेहाद समझा जाए। उसे भला पुलवामा हमले को अंजाम देने वाले आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्‍मद का बहावलपुर स्थित मुख्‍यालय मदरसा जैसा क्यों न नज़र आए? पाकिस्तान ने तो उस टेरीरिस्तान को ख़ुद ही सर्टिफिकेट दे दिया है कि जैश के मुख्यालय का आतंकवाद से कोई भी नाता नहीं है।

पाकिस्‍तान के सूचना मंत्री फवाद चौधरी ने भी कहा, “बहावलपुर स्थित यह मस्जिद नुमा ट्रेनिंग कैंप, जैश-ए-मोहम्‍मद का मुख्‍यालय नहीं है, बल्कि मदरसा है। भारत अपने प्रोपेगैंडा के तहत इसे जैश का मुख्‍यालय बता रहा है।”

मियाँ पाकिस्तान अब तुम बताओगे प्रोपेगंडा कौन कर रहा है? वैसे आपकी आतंकियों को दी गई सलाहितों, जेहादी कारनामे से दुनिया पहले से ही वाकिफ़ है। मियाँ जो पाकिस्तान, कारगिल के युद्ध में मारे गए अपने सैनिकों को भी अपना मानने से इनकार कर दे। और आतंकियों को शहीद का दर्ज़ा दे, उसे यह करतूत ही उसके राष्ट्रीय चरित्र को उजागर करती है।

कुछ दिन पहले जो आतंक पर कार्रवाई के नाम पर आतंकी संगठनों पर नियंत्रण करने का दिखावा कर रहा था आज वही शांति यमदूत पाकिस्‍तान जैश-ए-मोहम्‍मद के मुख्‍यालय को नियंत्रण में लेने वाले अपने दावे से भी मुकर गया है। सोशल मीडिया में जारी एक वीडियो संदेश में फवाद चौधरी ने कहा है कि पंजाब सरकार ने बहावलपुर स्थित मदरासतुल साबिर और जामा-ए-मस्जिद सुभानअल्‍लाह को प्रशासनिक नियंत्रण में लिया है। यह हमारे नेशनल एक्‍शन प्‍लान का हिस्‍सा है। दरअसल, पाकिस्तान इस तरह से इन आतंकी संगठनों और यहाँ के आकाओं को सुरक्षा प्रदान करने का राष्ट्रीय कार्य कर रहा है।

खैर, जिस पाकिस्तान में मसूद अज़हर, मुंबई आतंकी हमले का मास्टर माइंड हाफ़िज़ सईद, और यहाँ तक की दाऊद इब्राहिम भी पाकिस्तान के संरक्षण में आराम फ़रमा रहा हो। शाह महमूद कुरैशी ने सीएनएन को दिए एक इंटरव्यू में मान रहे हैं कि जैश का सरगना मौलाना मसूद अजहर पाकिस्तान में ही मौजूद है। लेकिन अब कुरैशी ने नया राग अलापना शुरू कर दिया है, “मौलाना मसूद अजहर बेहद बीमार है। उसकी बीमारी का आलम ये है कि वो अपने घर से निकल नहीं सकता है।”

पिछले दिनों रेडियो पाकिस्तान ने जिस प्रकार से आतंकियों को शहीद बताया, उससे साफ जाहिर होता है कि पाकिस्तान न तो सुधरने वाला है और न ही आतंकवादियों को लेकर अपनी नीतियों में कोई बदलाव लाने वाला है। बता दें कि रेडियो पाकिस्तान में प्रसारित किए गए बुलेटिन में कश्मीर में मारे गए आतंकवादियों को शहीद बताया गया।

इतना ही नहीं, कल जब कुपवाड़ा में भारतीय सेना द्वारा दो आतंकियों को मारा गया तो पाकिस्तान ने उसे भी शहीद करार दिया। कुपवाड़ा में हुए मुठभेड़ के बाद पाकिस्तान की तरफ से जिसे शहीद बताया जा रहा है वह असल में आतंकी थे।

एक कहावत है कि लातों के भूत बातों से नहीं मानते। पाकिस्तान भी इतनी आसानी से मान जाए तो वह पाक न हो जाए! अब कल की ही बात लें पाकिस्तान सरकार ने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान का एक रिकॉर्डेड वीडियो रिहाई के जस्ट बाद रिलीज किया गया था। पाकिस्तान ने विंग कमांडर अभिनंदन की सुपुर्दगी में अपेक्षित समय से काफी ज्यादा देर की थी। यहाँ तक कि पाकिस्तानी संसद के संयुक्त सत्र में विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अभिनंदन की रिहाई का जो वक़्त बताया था, उसके 6 घंटे बाद उनकी वापसी हुई। इस देरी की वजह यह प्रोपेगंडा वीडियो की रिकॉर्डिंग थी, जिसमें अभिनंदन से जबरन पाकिस्तानी सेना की तारीफ़ और भारतीय मीडिया की बुराई करवाई गई थी।

लगभग डेढ़ मिनट के इस वीडियो में 18 कट्स थे। इस वीडियो को हर पाक चैनल ने कई बार चलाया क्योंकि इससे वो अपने पक्ष में सकारात्मक माहौल बनाना चाहते थे। साथ ही जैसे ही पाकिस्तान ने सोशल मीडिया के जरिए इस वीडियो को घर घर तक पहुँचाने की सोची, उसकी चौतरफा आलोचना होने लगी। अंतरराष्ट्रीय संधि जिनेवा कन्वेशन का खुला उल्लंघन था यह। पाक जब इतने हाई प्रोफाइल मामले में ऐसी टुच्ची हरक़त कर सकता है तो अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि वह अन्य भारतियों के साथ कैसी दरिंदगी होती होगी। सरबजीत और कुलभूषण यादव का मामला भी ज़्यादा पुराना नहीं है।

ख़ैर, अब पाकिस्तान का हर झूठ चीखने लगा है, विश्व बिरादरी में वह लगातार बेनक़ाब हो रहा है। जिस OIC ने 1969 भारतीय प्रतिनिधि को बुलाकर पाकिस्तान के विरोध के कारण बोलने का मौका नहीं दिया। इस बार उसी पाकिस्तान के विरोध को दरकिनार कर भारतीय विदेश मंत्री को OIC के मंच पर मुख्य अतिथि बनाया गया।

जैश-ए-मोहम्मद, तालिबान, अलक़ायदा, लश्कर-ए-तैयबा, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान, लश्कर-ए-झंग्वी, हिज़्ब-उल-मुज़ाहिदीन के अलावा और भी आतंकी संगठन है जो पाकिस्तान में जेहादी तंजीमों के सिपहसालार हैं पर पाकिस्तान की नज़र में यह सभी शांति के यमदूत हैं। पूरी दुनिया के मान और जान लेने के बाद भी वहाँ की सरकार सेना और ISI की कठपुतली होने का सबूत दे रही है, सिर्फ़ लफ्फबाजी से ख़ुद को शांति दूत का तमगा देना चाहती है, पर अब उसकी एक भी चाल क़ामयाब नहीं होने वाली, अब आने वाले समय में सबूतों और बतकही के खेल से भरोसा उठ चुका है।

देखना है आने वाले समय में पाकिस्तान का रवैया कैसा रहता है? क्या वह ख़ुद सुधरने की पहल करता है या उसे ज़बरदस्ती आत्मसुधार के रास्ते पर लाया जाता है।

पाकिस्तान ने जम्मू-कश्मीर में सुरक्षाबलों के राशन स्टॉक में ज़हर मिलाने की रची साज़िश, अलर्ट जारी

पुलवामा हमले के बाद भारत-पाकिस्तान के रिश्ते लगातार तनावग्रस्त हैं। इसी बीच आतंकी संगठनों की मदद के लिए पाकिस्तानी ख़ुफ़िया एजेंसी ISI (इंटर-सर्विसेस इंटेलिजेंस) की ख़तरनाक साज़िश का ख़ुलासा हुआ है। इस ख़तरनाक इरादे के अंतर्गत कश्मीर में तैनात भारतीय सैनिकों को उनके राशन में ज़हर देकर मारना शामिल है। पाकिस्तान के इस साज़िश का ख़ुलासा जम्मू-कश्मीर के आपराधिक जाँच विभाग द्वारा जारी एक नोट से हुआ।

इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कश्मीर में MI (मिलेट्री इंटेलीजेंस) और ISI एजेंट्स ऑपरेशन के तहत राशन के स्टॉक में ज़हर मिलाने की योजना बना रहे हैं।

जानकारी के अनुसार, जम्मू-कश्मीर सरकार ने सुरक्षाकर्मियों के राशन की देखभाल करने के लिए आवश्यक उपाय किए हैं। साथ ही, कश्मीर में तैनात सभी सुरक्षा बलों को अलर्ट जारी कर दिया गया है।

इसके अलावा ख़बर ये भी है कि भारत की ओर से की गई एयरस्ट्राइक, जिसमें आतंकियों के ठिकाने बर्बाद कर दिए गए थे, उसके बाद से पाकिस्तान सदमे से बाहर नहीं आ सका है। इसलिए ख़ुफ़िया एजेंसी ISI ने आतंकियों के लिए ‘करो या मरो’ का फ़रमान जारी कर दिया है। पाकिस्तान ने जैश-ए-मोहम्मद, लश्कर-ए-तैयबा और हिज़्बुल मुजाहिदीन जैसे आतंकवादी संगठनों को हमला करने का हुक्म दिया है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि भारत के अलग-अलग शहरों में आत्मघाती हमलों और बम धमाकों की योजना बनाई है।  

पाकिस्तानी विमानों ने आतंकी शिविरों के ख़िलाफ़ हवाई हमले के जवाब में भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमले का प्रयास किया था। नियंत्रण रेखा पर तनाव बढ़ गया है और साथ ही कई ऐसी ख़बरें भी उजागर हुई हैं जो सीमा के दोनों ओर से भारी गोलाबारी का संकेत देती हैं।

पूरी दुनिया में नाक कटवाने के बाद अब इमरान मियाँ शान्ति के नोबेल के लिए हैं बेक़रार

पुलवामा आतंकी हमले के बाद पूरी दुनिया में पाकिस्तान की आलोचना हो रही है जिसके कारण उसे अलग-थलग होने का डर सताने लगा है। ऐसी परिस्थिति में चारों ओर हो रही निंदा से बचने के लिए पाकिस्तान ने एक नई चाल चली है।

दरअसल, IAF विंग कमांडर अभिनंदन को छोड़ने का ऐलान करते हुए पाकिस्तानी पीएम ने इसको शांति की तरफ कदम बढ़ाने वाली पहल बताया था। जिसके बाद भारत-पाक के बीच तनाव को कम करने का हवाला देते हुए सूचना मंत्री फवाद चौधरी एक प्रस्ताव लेकर आए। इस प्रस्ताव में फवाद चौधरी ने प्रधानमंत्री इमरान खान को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित करने की बात कही है।

फवाद चौधरी ने कहा कि भारत-पाक के बीच जारी तनाव को कम करने के प्रयासों में उनके पीएम के द्वारा उल्लेखनीय पहल की गई है। फवाद की माने तो इमरान खान ने शांति प्रयासों के लिए जिस प्रकार की तत्परता दिखाई वह दुर्लभ है। फवाद चौधरी के द्वारा संसद में पेश किए गए प्रस्ताव के अलावा #NobelPeacePrizeForImranKhan भी ट्रेंड करता रहा।

लेकिन, इन सभी बातों के बीच में आपको बता दें कि जिस वक्त पाकिस्तानी संसद में इमरान को नोबेल पुरस्कार के लिए नामित किए जाने का प्रयास किया जा रहा था उस समय पाकिस्तान भारत पर सीमापार से गोलीबारी भी कर रहा था। इसके अलावा अभिनंदन को रिहा करने से पहले पाकिस्तान लगातार भारत से बात करने की कोशिशें करता रहा लेकिन भारत ने अपने स्टैंड को साफ़ रखा कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद का साथ देगा तब तक किसी भी प्रकार की बातचीत नहीं की जाएगी।