छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में भाजपा को मिली हार को लेकर काफी कुछ लिखा जा चुका है और इस पर भी काफी बहस चल रही है कि सभी राजनितिक दलों द्वारा नजरअंदाज किये जाने वाले मध्यम वर्ग को भाजपा ने भी निराश किया है। दशकों से मध्यम वर्ग के वोटरों साथ ऐसा व्यवहार होता रहा है जैसे किसी सौतेले बच्चे को अक्सर उसके परिवार में उसके हिस्से से वंचित कर दिया जाता है। हलांकि कांग्रेस ने हमेशा से इस वर्ग को नजरअंदाज किया है, भाजपा ने हमेशा से इनका ख्याल रखा है।
जब कांग्रेस को इस बात का अंदेशा हो गया कि राजनितिक रूप से काफी निर्णायक वोटरों का समूह मध्यम वर्ग चुनावों में भाजपा के लिए वोट कर रहा है, उसने धूर्ततापूर्वक ऐसी बनावटी धारणा को हवा देने की कोशिश की जिस से मध्यम वर्ग का भाजपा से जुड़ाव ख़त्म हो जाये। हलांकि ऐसी धारणाओं को लगातार बल देने की कोशिश की गई लेकिन इसके उलट कांग्रेस ने बंद कमरों में जीएसटी की दरों में कटौती का कड़ा विरोध किया, जिस से मध्यम वर्ग को भरी फायदा होने वाला है।
मध्यम वर्गीय वोटर लन्दन के मौसम की भविष्यवाणी की तरह होते हैं- एकदम सही और भावी-सूचक। हलाँकि इस दुष्प्रचार के कारण भाजपा के वोट शेयर में हुई क्षति को पूरी तरह से नजरअंदाज भी नहीं किया जा सकता, लेकिन इसके बावजूद भी मध्यम वर्ग व्यापक रूप से भाजपा के साथ ही बना रहा। अब जब 2019 के आम चुनावों के लिए ज्यादा समय नहीं बचा है, ये जरूरी हो जाता है कि हम निष्पक्ष रूप से इस बात की पड़ताल करें कि आखिर भाजपा ने अपने साढ़े चार सालों के कार्यकाल में मध्यम वर्ग के लिए क्या-क्या किया है और इसकी तुलना इस से की जाये कि कांग्रेस ने अपने 10 सालों के कार्यकाल में इस महत्वपूर्ण वर्ग के लिए क्या किया था।
मतदाताओं का व्यवहार को चार तरीकों से पढ़ा जा सकता है:
- मत प्रतिशत का पैटर्न (गणितीय विश्लेषण)
- मूलभूत विश्लेषण (प्रमुख घटनाएँ)
- चुने गए नमूने को फायदा पहुंचाती असल उपलब्धि (जैसे- मध्यम वर्ग को)
- अनुभूति विश्लेषण
यहाँ हम तीसरे बिंदु कि पड़ताल करेंगे यानी कि हमारे द्वारा चुने गए नमूने माध्यम वर्ग के लिए किये गए कार्य।
यहाँ हमने एक प्रक्रिया अपनाया है जिसमे हम 11 श्रेणियों में बाँटे गए 30 मापदंडों का अध्ययन करेंगे जिस से कांग्रेस और भाजपा सरकारों के द्वारा मध्यम वर्ग के लिए किये गए कार्यों की आपस में तुलना की जा सके।
वित्त, निवेश और कर-प्रणाली
सबसे पहले हम जिन मापदंडों का अध्ययन करेंगे वह है वित्त, निवेश और कर-व्यवस्था। यहाँ हम जिन चीजों को देखेन्हे वो है- इनकम टैक्स छोट, वाटू एवं सेवा कर (जीएसटी), शयेर बाजार का व्यवहार, विदेशी मुद्रा भण्डार, 80C और 80D कटौतियां।
टैक्स वाला भाग किसी भी माध्यम वर्गीय कर्मचारियों के वेतन प्रारूप का सबसे महत्वपूर्ण अंग होता है। एक अच्छी कर-प्रणाली किसी भी कर्मचारी की बचत को बेहतर बनाने में मदद करती है और अंततः उसकी जीवन-प्रणाली को सुधारती है। सेक्शन 80C करदाताओं को इस बात की अनुमति देता है कि वो अपने निवेश की जानकारी दे कर कर योग्य आय में कटौती कर सकें। जबकि सेक्शन 80D मेडिकल बीमा के रूप में चुकाए गए प्रीमियम के लिए कटौती की अनुमति देता है। निवेश के ये अलग-अलग मॉड्यूल बजट में वापस योगदान करते हैं और देश की समग्र अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाने में मदद करते हैं। यहाँ हमें ये पाता चलता हैं कि सभी मापदंडों में वर्तमान भाजपा सरकार पिछली कांग्रेस सरकार की उपलब्धियों को पार करती है।
बीमा
अगर हम 2016 के वैश्विक बीमा उद्योग की तुलना करें तो हम पाएंगे कि चीन 2016 में 466 बिलियन डॉलर के बाजार राजस्व के साथ शीर्ष 5 उभरते देशों का नेतृत्व करता है, जो कि भारत की तुलना में लगभग 6 गुना अधिक है। अगर हम संयुक्त राज्य अमेरिका और यूनाइटेड किंगडम जैसे पूर्ण विकसित देशों के साथ तुलना करें तो पता चलता है कि भारत जैसे देशों के विकास के लिए बीमा बाजार एक खुला स्थान है।
अब हमारा अगला मापदंड आता है जो है बीमा। यहाँ हम लिखित बीमा प्रीमियम और बीमा प्रीमियम के नवीनीकरण में वृद्धि की आपस में तुलना करेंगे।
अगर देश में एक मजबूत बीमा प्रणाली हो तो उस से अर्थव्यवस्था में काफी हद तक बचत होगी।
स्वास्थ सुविधाएँ
भारत वर्तमान में स्वास्थ्य पर अपने सकल घरेलू उत्पाद का कुल 4.2 प्रतिशत खर्च करता है। 2013 में पब्लिक सेक्टर का स्वास्थ सुविधाओं में योगदान सिर्फ 1% था जो कि विश्व में सबसे कमतर में से एक था। समय रहते अर्कार ने इस जरूरत को पहचाना और स्वास्थ क्षेत्र में भारी निवेश किया। इसकी वजह से अब स्वास्थ क्षेत्र बाजार 16% के सीएजीआर की दर से बढ़ रहा है और अगर स्वास्थ सुविधाओं में निवेश और खर्च में वृद्धि जारी रही तो 2020 तक इसके 280 डॉलर तक पहुँचने की उम्मीद है।
मोदी सरकार ने राष्ट्र में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए महत्वपूर्ण प्रयास किए हैं। प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना ने अस्पताल में भर्ती कवरेज, गैर-संचारी रोगों के लिए स्वास्थ्य सेवा और करोड़ों भारतीय नागरिकों को चाइल्डकैअर सुविधाएं प्रदान की हैं।
जब हम स्वास्थ्य सुविधाओं की बात करते हैं तो शिशु मृत्यु दर (प्रति हजार जन्मों में मृत्यु की संख्या) और मातृत्व लाभ की तुलना करना जरूरी हो जाता है। भाजपा शासन के दौरान आईएमआर की गिरावट 13.97% है जबकि कांग्रेस शासन के दौरान यह आंकड़ा 13.68% रहा था।
रेलवे विद्युतीकरण
अगले मापदंडों में हम रेलवे विद्युतीकरण, कुल ब्रॉड गेज रेलवे ट्रैक और नए रेलवे ट्रैक बिछाने की दर की तुलना करते हैं। सुरेश प्रभु के कार्यकाल के दौरान रेलवे के आधुनिकीकरण और पीयूष गोयल के नेतृत्व में परियोजनाओं के त्वरित कार्यान्वयन ने रेलवे की महत्वपूर्ण प्रगति में काफी मदद की है। मेट्रो ट्रांजिट सिस्टम, बुलेट ट्रेन, हाइपरलूप और अन्य हाई-स्पीड रेल परियोजनाएं भी कार्यान्वयन की पाइपलाइन में हैं।
अगर इसी दर से सबकुछ चलता रहा तो भारतीय रेलवे बाजार विश्व का 10% और मेट्रो रेल का तीसरा सबसे बड़ा
इस दर पर भारतीय रेलवे बाजार वैश्विक रेलवे बाजार का 10% यानी कि तीसरा सबसे बड़ा बाजार होगा और मेट्रो रेल 70% के साथ भारत के कुल रेलवे बाजार का सबसे बड़ा हिस्सा होगा।
भाजपा सरकार ने इन संभावनाओं की पहचान करने में काफी सफलता प्राप्त की है और रेलवे में भारी निवेश किया है। यूपीए कार्यकाल में लालू प्रसाद यादव और ममता बनर्जी जैसे बड़े नेताओं के रेलवे मंत्री होने के बावजूद दोनों सरकारों के बीच अंतर बहुत बड़ा है।
परिवहन
शीर्ष अर्थशास्त्री जगदीश भगवती ने कहा था; “विकास में वृद्धि के लिए लिए, हमें यह वादा करना होगा कि भारत व्यापार और एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) के लिए और अधिक खुलेगा”। व्यापार में सुधार के लिए हमें देश में आधुनिक और स्थायी बुनियादी सुविधाओं की काफी आवश्यकता है। कुल मिलाकर देखा जाये तो भारत को 2022 तक 50 ट्रिलियन (777.73 बिलियन डॉलर) के निवेश की जरूरत है।
अभी परिवहन क्षेत्र में काफी कुछ किया जाना बांकी है क्योंकि राष्ट्रीय राजमार्ग कि सिर्फ 24% सड़कें ही चार-लेन की सड़कें हैं। केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि यदि सभी परियोजनाएं समय पर पूरी हो जाती हैं तो परिवहन क्षेत्र में 15 लाख नौकरियां के सृजन करने की क्षमता है और उनका मंत्रालय भारत की जीडीपी में 2 प्रतिशत का योगदान देगा। इसके अलावे परिवहन मंत्रालय ने परिवहन लागत को कम करने के लिए जलमार्ग को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है।
इस तालिका से यह साफ़ हो जाता है कि नितिन गडकरी के नेतृत्व में राजमार्गों के निर्माण के मामले में अभी की भाजपा सरकार पिछली कांग्रेस सरकार को मीलों पीछे छोड़ देती है। पूर्वोत्तर भारत में गंगा कायाकल्प परियोजना और सड़कों की पहुँच ने भी परिवहन क्षेत्र में काफी ऊंचाइयों को प्राप्त किया है।
महंगाई और पेट्रोलियम उत्पादों के मूल्य
आगे बढ़ते हुए अब हम हम मुद्रास्फीति, सकल राजस्व – सकल व्यय और पेट्रोलियम कीमतों की तुलना करते हैं।इसमें कोई दो राय नहीं है कि भाजपा को एक को घटती अर्थव्यवस्था विरासत में मिली है और इसे ठीक करने के लिए उसने अच्छा काम किया है। 2013 और 2014 में सीपीआई मुद्रास्फीति क्रमशः 10.21% और 9.49% थी। वर्तमान में 2018 के लिए यह औसतन 3.58% है जो कि 2015 के उच्च स्तर (5.97%) से नीचे आ रहा है। 2015 में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं ने सऊदी अरब जैसे देशों के साथ एक मजबूत संबंध बनाने में मदद की है। प्रधानमंत्री द्वारा उठाया गया यह कदम तेल के मामले में बहुत महत्वपूर्ण था क्योंकि गैस उद्योग भारत के चोटी के छह उद्योगों में से एक है। यह उद्योग भारत के सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 15% योगदान देता है। (आंकड़े में रिफाइनिंग, परिवहन और विपणन लागत शामिल हैं)।
इस तथ्य से ये बात स्पष्ट है कि सऊदी अरब के विदेश मंत्री ने भारत को दिए जाने वाले तेल की कीमतों में संशोधन पर विचार किया है। साथ ही, राष्ट्र की राजकोषीय घाटे को राष्ट्र की अर्थव्यवस्था में सुधार के लिए पर्याप्त नियंत्रण में रखा गया है।
अपराध और भ्रष्टाचार
अपराध और भ्रष्टाचार पैरामीटर को देखने पर पाता चलता है कि भ्रष्टाचार सूचकांक में गिरावट आई हैऔर हिंसक अपराधों में भी कमी आई है। महिलाओं के खिलाफ अपराधों के लिए दर्ज मामलों में भी कमी आई है। नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभालने के बाद से केंद्र सरकार में भ्रष्टाचार या असंगतता का एक भी मामला नहीं आया है। सभी खुफिया एजेंसियों और अजित डोभाल के रूप में एक मजबूत एनएसए के प्रभावी संचार के कारण देश भर में पिछले साढ़े चार सालों से कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ है।
परफॉरमेंस पैरामीटर
देश ने अपनी नीतियों में सुधार कर के ईज ऑफ डूइंग बिजनेस की सूची में सफलतापूर्वक 77 वां स्थान दर्ज किया है। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं ने कई देशों के साथ कई क्षेत्रों में हस्ताक्षरित एमओयू की सहायता से संबंध सुधारने में मदद की है। सरकार ने अकेले 2018 में 150 से अधिक एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं और इन एमओयू के निष्पादन को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।
तकनीक का अंगीकरण
मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट की एक रिपोर्ट का कहना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में 2025 तक जीडीपी में 1 ट्रिलियन डॉलर जोड़ने की क्षमता है।
मैकिन्से ग्लोबल इंस्टीट्यूट (एमजीआई) ने आगे बताया कि भारत का डिजिटल सूचकांक 2014-2017 के दौरान 18 से 29 हो गया यानि कि इसमें 56 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई। इसने भारत को 17 उभरती और परिपक्व डिजिटल अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि के मामले में दूसरे स्थान पर रखा है। यह केवल इसलिए संभव हो पाया है क्योंकि मोदी सरकार डिजिटल इंडिया जैसी योजनाओं को लागू कर रही है।
तेजी से बदल रही तकनीक के जमाने में प्रौद्योगिकी को अपनाना किसी भी नए युग की सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण फैक्टर है। अब हम प्रत्येक सरकार द्वारा प्रौद्योगिकी अपनाने की तुलना करेंगे। वर्तमान भाजपा की अगुवाई वाली सरकार ने देश भर में 66% टीवी निवेश और 83.5 करोड़ दर्शकों के साथ इस क्षेत्र में प्रगति की है।
शिक्षा
भारत में शिक्षा क्षेत्र 2019 तक 101.1 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। दुनिया की 5-24 साल की आयु वर्ग की सबसे बड़ी आबादी भारत में है और साथ ही यहाँ एक बड़ी अंग्रेजी बोलने वाली आबादी भी है (2017 में सूचकांक के अनुसार भारत अंग्रेजी दक्षता में 80 देशों में से 27 वें स्थान पर था। भारत में शिक्षा के क्षेत्र में मांग-आपूर्ति का एक बहुत बड़ा अंतर है।
सरकार ने शैक्षिक क्षेत्र में 100% एफडीआई, राष्ट्रीय प्रत्यायन नियामक प्राधिकरण बिल, विदेशी शिक्षा बिल और कई और सुधारों की एक श्रृंखला शुरू की है।
मोदी सरकार ने स्कूलों में डिजिटल प्लेटफार्मों को से जोड़ कर प्राथमिक शिक्षा प्रणाली में भी काफी सुधार किया है। केंद्र सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा को अधिक किफायती बनाया गया है जो नामांकन में वृद्धि का प्रमुख कारण है। इसके साथ ही, डिजिटल स्कूलों के आगमन से बच्चे अब भारी बैगों को ढ़ो कर ले जाने को मजबूर नहीं हैं। मोदी सरकार ने निजी स्कूली शिक्षा को भी अधिक किफायती बनाया है।
वस्तुएं
हमने 1200 से अधिक वस्तुओं में से सिर्फ 2 का उल्लेख किया है, जिन पर कांग्रेस सरकार के दौरान 31 प्रतिशत या अधिक कर लगाया गया था। जबकि सब जीएसटी के 28% वाले स्लैब में सिर्फ 27 चीजें है।
निष्कर्ष
जैसा कि आपने अभी तक देखा, हमने एक कार्यप्रणाली तैयार की, जहां हमने 30 अलग-अलग श्रेणियों को 11 अलग-अलग मापदंडों में विभाजित किया, ताकि दोनों सरकारों ने मध्यम वर्ग के लिए क्या किया है, इसकी तुलना की जा सके। हमारे विश्लेषणों से यह पता चलता है कि भाजपा सभी मापदंडों पर कांग्रेस से बेहतर थी; इसीलिए भाजपा के पक्ष में स्कोर 30-0 होता है।
हमारी कार्यप्रणाली प्रभावी है क्योंकि हमने केवल गणितीय डेटा (तकनीकी विश्लेषण) का उपयोग किया है और किसी भी प्रकार की राय या विचार (मौलिक विश्लेषण) पर निर्भर नहीं है।
यह केवल उन मापदंडों की तुलना है जो मध्यम वर्ग के लिए प्रासंगिकता रखते हैं। हमने कल्याणकारी योजनाओं और वस्तुओं की कीमतों को शामिल नहीं किया है क्योंकि वे दर्शकों के एक बड़े समूह से संबंधित हैं जो कि सिर्फ मध्यम वर्ग तक ही सीमित नहीं है।
मध्यम वर्ग एक ऐसा वर्ग है जो उन्ही चीजों पर विश्वास करता है जो वो देखता है। वस्तुओं के साथ-साथ अधिकतर बुनियादी सुविधाओं पर लगने वाले करों (जीएसटी और सेवा कर) में भी कमी आई है। टैक्स पर बचत के कारण बीमा क्षेत्र भी विकास कर सकता है। कर कटौती में 50% की वृद्धि की गई है।
भ्रष्टाचार कम है, हिंसक अपराधों में कमी हैं। महिलाओं के खिलाफ अपराध कम हुए हैं। लोग, विशेष रूप से महिलाएं, अब सुरक्षित महसूस कर सकते हैं। महिलाओं के खिलाफ प्रत्येक मामले को मीडिया द्वारा चुन-चुन कर प्रसारित किया जाता है लेकिन आंकड़ों की मानें तो महिलायों के खिलाफ हो रहे अपराधों में कमी दर्ज की गई है। मौजूदा सरकार के सत्ता संभालने के बाद से देश के शहरों में एक भी आतंकवादी हमला नहीं हुआ है। यह मोदी सरकार द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए उठाए गए कदमों का परिणाम है।
प्राथमिक शिक्षा अब सुलभ है और निजी स्कूली शिक्षा को और अधिक किफायती बनाया गया है।
वर्तमान सरकार की आलोचना के बावजूद, यह स्पष्ट है कि मध्यम वर्ग इस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का एक बड़ा लाभार्थी है। इन सबके बावजूद बॉलीवुड का कहना है कि हमारा देश रहने के लिए एक सुरक्षित जगह नहीं है।
ये लेख मूल रूप से ऑपइंडिया की अंग्रेजी वेबसाइट पर धैर्य रॉय द्वारा लिखे गए लेख का हिंदी अनुवाद है।