ऑनलाइन फेस्टिव सीजन शुरू हो चुका है। त्योहारों की शुरुआत के साथ ही ऑनलाइन रिटेलर्स के बीच आँकड़ों की लड़ाई भी शुरू हो गई। आँकड़े बताते हैं कि ब्रिकी पिछले साल से डबल है। आखिर कहॉं गई मंदी और 'लोग खर्च नहीं करना चाहते हैं' की दलीलें।
यह भी चंद दिनों का ख़ब्त है। अभी आप पूरे देश के बुद्धिजीवियों, कार्यकर्ताओं को केरल और चेन्नै के बहाने गाली दे रहे हैं, लेकिन यह भूल जा रहे हैं कि आज के युग में आर्थिक बल ही सब कुछ है। बिहार यहाँ नीचे से पहले पायदान पर है।
हुजूर! यही हैं हम। यही है हमारा देश… आज केवल मेरा शहर नहीं डूबा, मेरा पूरा राज्य डूब गया है। छपरा, सिवान, पटना सब डूबे हुए हैं। शहर यदि नदियों के बाढ़ से डूब जाएँ तो बात समझ में आती है, पर बरसात से डूबें तो बात समझ में नहीं आती।
पराशरण ने बताया कि मूर्ति अपने-आप में भगवान नहीं है, लेकिन स्थापना के बाद उसमें दिव्यता आ जाती है। उन्होंने बताया कि ऐसी मूर्ति में स्थापित ईश्वर लोगों की भावनाओं और आस्थाओं का प्रतीक होते हैं।
उन्हें समर्पित की गई चल व अचल संपत्ति के भी वह स्वामी होते हैं।
आज केजरीवाल को यूपी-बिहार, बंगाल और राजस्थान से आए लोगो से नफरत है। इसके उलट उन्हें बांग्लादेश और म्यांमार से आए घुसपैठियों से मोहब्बत है। देशद्रोही, नक्सली और टुकड़े-टुकड़े गैंग की राजनीति करने वाले केजरीवाल अपने वोट बैंक को एक साफ सन्देश दे रहे हैं- "दिल्ली में NRC लागू नहीं होने दूँगा और टुकड़े-टुकड़े गैंग को बचाऊँगा।"
वायरल वीडियो में एक बिहारी ने मीडिया से लेकर सेलेब्रिटीज तक पर आरोप लगाए हैं कि वे सभी बिहार के लिए पक्षपात कर रहे हैं क्योंकि बाकी राज्यों में बाढ़ आने पर उनकी आँखों में आँसू आते हैं लेकिन बिहार के लिए किसी के मन में कोई संवेदना नहीं।बिहार में प्रशासन निष्क्रिय हो चुका है।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा है कि यह प्रकृति का प्रकोप है, जिसके आगे मनुष्य अक्सर असहाय हो जाता है। उन्होंने कहा, "सबसे बड़ी समस्या तो यह है कि किसी को नहीं पता कि मूसलाधार बारिश कब तक जारी रहेगी? मौसम विभाग भी ऐसी स्थिति में असहाय है।"
NIA की इंटेरोगेशन रिपोर्ट में यह भी पता चला है कि सैयद अली शाह गिलानी, यासीन मलिक, उमर फारूक के रिकमेंडेशन लेटर के जरिए पाकिस्तान लीगल वीजा देकर कश्मीर के युवाओं को पाक में आतंक की ट्रेनिंग देता था। अब राष्ट्रीय आतंक विरोधी कानून (UAPA) के तहत इन नेताओं के खिलाफ NIA चार्जशीट दाखिल करेगी। इसके लिए NIA ने 214 पन्नों की रिपोर्ट तैयार की है।
'रवीश बुद्धि' पत्रकारिता के चोले में वही असर छोड़ते हैं, जैसा समाज में 'जड़ बुद्धि'। पत्रकारिता में गहराते 'रवीश बुद्धि' का नमूना ही है कि नवभारत टाइम्स के पत्रकार नरेंद्र नाथ मिश्रा को जिंदादिली की तस्वीर में कमीनापन, बेशर्मी और प्रचार की भूख, सब एक साथ दिखे।
कभी बाल ठाकरे ने ऐलान किया था वह व्यक्तिगत तौर पर जीवन में कभी भी किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने भी जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन इस बार यह टूट रहा है, मतलब दिलचस्प होगा यह चुनावी समर!