यह इकोसिस्टम कुतर्क में उस्ताद है। बंगाल की हर हिंसा में तृणमूल के साथ बराबर का भागीदार भाजपा को बना देता है। सांप्रदायिकता में भी यही रवैया अपनाता है।
सवाल ज्यों का त्यों है, क्या उनकी सरकार डॉक्टरों के काम करने हेतु सुरक्षित माहौल दे सकेगी? क्या बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की नृशंष हत्या का सिलसिला रुकेगा या राजनीतिक जंग के नाम पर बुरे से बुरे और बर्बर कृत्य को भी जायज ठहराने का सिलसिला यूँ ही जारी रहेगा? यह वक्त ही बताएगा।
ये भीड़ इतनी जल्दी कैसे आती है, कहाँ हमला करती है और किधर गायब हो जाती है? क्या पुलिस ने नहीं देखा इन्हें? क्या हॉस्पिटल में सुरक्षा के लिए पुलिस आदि नहीं होती या फिर इस पहचानहीन भीड़ का सामूहिक चेहरा ममता की पुलिस ने पहचान लिया और उन्हें वो करने दिया जो वो कर गए?
अब तो AltNews को कायदे से मेमे और अकबर-बीरबल के चुटकुलों के फैक्ट चेक करने के व्यवसाय में आ जाना चाहिए क्योंकि गंभीर और अतिसंवेदनशील मसले में अजेंडे के हिसाब से SSP स्तर के अफसरों के बयान को ट्विस्ट करके, फैक्ट चेक के नाम पर परोसना सर्वथा गलत है।
ईद के जश्न में नृत्य करने को बुलाई गई लड़कियों को 500 लोगों की भीड़ ने जबरन नग्न अवस्था में नृत्य करने को मजबूर किया। इस खबर को लगभग हर मीडिया संस्थान ने कवर किया - कुछ ने सच्चाई को जैसे का तैसा रख कर रिपोर्ट किया, कुछ ने खबर को छिपाते हुए। इंडिया टुडे एक कदम आगे बढ़ गया और...
इस समस्या के निदान के लिए कॉन्ग्रेस के सांसद अधीर रंजन चौधरी ने पीएम मोदी को पत्र लिखा है। अपने पत्र के माध्यम से उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को कोलकाता में मेडिकल कॉलेज और अस्पतालों के डॉक्टर्स की हड़ताल मामले में हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है।
पथराव शुरू हुआ, डॉक्टरों पर जानलेवा हमले हुए तो पुलिस ने क्यों नहीं रोका? क्यों डॉक्टरों की जान बचाने के लिए दंगाईयों पर नियंत्रण के लिए कड़ी कार्रवाई नहीं की गई? जवाब हम सब को पता है।
तरन्नुम का निकाह मदरसा के डायरेक्टर जीकरू रहमान से 5 साल पहले हुआ था। उसके तीन बच्चे हैं। शादी के बाद से ही रहमान उनके साथ बदसलूकी करता था। पिछले हफ्ते अपने ही मदरसे में पढ़ने वाली एक लड़की से निकाह करने के बाद रहमान ने तरन्नूम को तलाक दे दिया था और घर से निकाल दिया था।
राजनाथ सिंह सूर्य के देहांत पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि राजनाथ सिंह सूर्य ने हमेशा जन सरोकारों को प्राथमिकता दी। उन्होंने अपनी कलम के ज़रिए जनहित और समाज हित से जुड़े मुद्दों को निर्भिकता और निष्पक्षता के साथ व्यक्त किया।