प्रस्तुत है पत्रकारिता के इतिहास में पहली बार गाँधी परिवार के कुछ ऐसे कारनामों के खुलासे, जो उन्होंने देश पर अहसान न लादने के लिए नहीं बताए। लेकिन हम आपको बताएँगे ताकि हम और हम सबकी पीढ़ियाँ इस महान परिवार की चरण-वंदना करते रहें... अनंत काल तक।
रॉबर्ट वाड्रा के साले राहुल गाँधी की चुनावी तैयारियों को देखकर तो अब तक यही लग रहा है कि वो अगले स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर के बजाए वो टिकटॉक की प्राचीर से राष्ट्र के नाम सम्बोधन देते हुए हुँकार भरते हुए देखे जाएँगे।
ट्विटर पर कुछ लोगों ने राहुल गाँधी को आज के दिन शुक्रिया भी कहा। इन लोगों का मानना है कि राहुल गाँधी ने उन्हें इस दिन मुस्कुराने और हँसने की वजह दी है।
राग दरबारी और कैम्ब्रिज एनालिटिका आपस में संघर्षरत हैं और श्रीलाल जी के शिवपालगंज में चुनाव आयोग की लाठी की खटखटाहट सुन कर वैद्यजी पूछते हैं - यह कैसा कुकुरहाव है, और लाठी को तेल चढ़ाते तृणमूल कॉन्ग्रेस के बदरी पहलवान उत्तर देते हैं, देश में चुनाव है।
जब हमने इस लाल डायरी की सत्यता प्रमाणित करने के लिए ‘सॉल्ट न्यूज़’ से सम्पर्क किया, तो उन्होंने डायरी से उठने वाली सौंधी-सौंधी महक से ही पहचान कर इसके ‘वायरल’ होने की आशंका के चलते इस का फैक्ट चेक किया।
जैसे शेयरिंग सवारियाँ ढोने वाला ऑटो ड्राईवर, आवश्यकतानुसार ट्रैफिक पुलिस वाले की मुट्ठी गर्म कर देता है, और प्रभु का तीसरा नेत्र भी इस दुर्लभ संयोग को देखने से वंचित रह जाता है। वैसे ही मोदी ने बंद मुट्ठी करके ₹15 हजार करोड़ के दो स्पेशल नोट जूनियर अम्बानी की जेब में डाल दिया होगा।
जब वाजपेयी सरकार गई तो उस वक्त अटल जी का घुटनों का ऑपरेशन हो चुका था, वे ठीक से चल भी नहीं पाते थे। लेकिन अभी का जो नेता है उसका दिल, दिमाग और घुटना एकदम ठीक और ठिकाने पर हैं, इसीलिए वह हवाई जहाज की खड़ी सीढ़ियों को भी दौड़ते हुए चढ़ जाता है।
"भेन मायावती तो सुषमा स्वराज के बाद देश की दूसरी सबसे ग़जब की वक्ता हैं हीं, इसलिए उनकी बातेंऊँ सारी सही हैं, लेकिन एक सही बात आज हमहूँ कहि दे रहे हैं, चाहें तो लिख कें ले लेओ कि दुनिया इतें की वितें हे जाय, आवेगो तो मोदीअई"
मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए कॉन्ग्रेस अकेले मैदान में नहीं रही बल्कि उसने अपने गोदी मीडिया, सस्ते कॉमेडियन्स, न्यूट्रल पत्रकारों के गिरोह और अवार्ड वापसी गैंग जैसी घातक टुकड़ियों को भी इस प्रक्रिया में एड़ी-छोटी का जोर लगाने पर मजबूर किया।