Thursday, May 2, 2024

राजनैतिक मुद्दे

हिंदुओं की बहनों से रेप, मंदिर में अटैक या नरसंहार – मुस्लिमों पर ‘सिस्टम’ सॉफ्ट… हिंदू ‘अपराधी’ पर चलता है हथौड़ा

आरोपित हिंदू हो तो पुलिस-प्रशासन-मीडिया सब उसके खिलाफ। मामला जब इस्लामी नाम वाले से जुड़ा हो तो कैंडल लाइट मार्च और रात में कोर्ट-कचहरी!

गीता फाड़ने से लेकर ‘Pak के लिए सब कुछ कुर्बान’ करने तक, AMU में हिन्दू घृणा पुरानी: अंग्रेजों के आशीर्वाद से स्थापना, जिन्ना की...

ब्रिटिश सरकार आश्वासन के बाद 1920 में अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) स्थापित हुआ और इसी के साथ मुस्लिमों के लिए एक अलग देश की माँग जोर पकड़ती चली गई।

‘कॉन्ग्रेस को 3 सीटें नहीं मिलेंगी’ कह कर तीसरा पुशअप नहीं किया, हुआ भी यही: कई चुनावों में ऐसे सही साबित हुए प्रदीप भंडारी...

दिल्ली विधानसभा चुनाव में सभी एजेंसियाँ कॉन्ग्रेस को 10% का वोट शेयर दिखाया, लेकिन 'जन की बात' ने कॉन्ग्रेस को 5% वोट बताया। ये सही साबित हुआ।

हनुमान जी ‘दंगाई’, स्वस्तिक को झाड़ू, छठ-दीवाली पर लिबरल राग: केजरीवाल की हिंदूफोबिया पुरानी, कश्मीरी पंडित नए शिकार

हनुमान जी 'दंगाई', स्वस्तिक को झाड़ू, छठ-दीवाली पर लिबरल एजेंडा, भगवद्गीता पर झूठ, राम मंदिर पर प्रपंच - केजरीवाल का हिन्दू विरोध नया नहीं।

जब घूम-घूम कर 700 पीड़ितों से मिल रहे थे विवेक अग्निहोत्री, तब कहाँ थे केजरीवाल? 15 फिल्मों का प्रचार किया, कश्मीरी पंडितों से दिक्कत...

'द कश्मीर फाइल्स' की कमाई से और भी फाइलों के खुलने का डर है? केजरीवाल जैसे लोग चाहते थे ये फिल्म फ्लॉप हो जाए। दिक्कत फिल्म नहीं, इसके कलेक्शंस से है।

यूपी के राजनीतिक मिथक तोड़ते-तोड़ते खुद नया मिथक बन गए हैं योगी आदित्यनाथ…

दूसरी बार शपथ लेने जा रहे संन्यासी ने अफवाहों, अंधविश्वासों, आकलनों को झुठलाते हुए उत्तर प्रदेश के कई राजनीतिक और अराजनीतिक मिथक तोड़ दिए हैं।

जब आदमी मुकेश सहनी जैसी गलतियाँ करता है तो उसका ‘उपेंद्र कुशवाहा’ हो जाता है: VIP सुप्रीमो ने ऐसे अपने ही पाँव मार ली...

मुकेश सहनी अब अपनी पार्टी में वो अकेले विधान पार्षद बचे हैं, कार्यकाल खत्म हो रहा है। इसके पीछे भी एक कहानी है, जो करीब एक साल पहले जाती है।

इस्लामी कट्टरपंथ पर पर्दा डालने का रिवाज पुराना, इसलिए ‘द कश्मीर फाइल्स’ से जले-भुने हैं लिबरल: जिंदा रहने के लिए ‘शठे-शाठ्यं समाचरेत’ की नीति...

‘हम भारत के लोग’ हर गलत को गलत और सही को सही कहना प्रारंभ करें, तब ही हमारा भविष्य निरापद और सुरक्षित हो सकता है। यही ‘द कश्मीर फाइल्स’ के सृजन और प्रदर्शन का प्रयोजन भी है और संदेश भी।

काश! पीयूष बबेले की शेरो-शायरी की तरह ही हल्की होती कश्मीरी हिंदुओं की व्यथा

बबेले जो काम कभी पत्रकारिता का चोला ओढ़ कर करते थे, वह अब खुलकर करने लगे हैं। कश्मीरी हिंदुओं को लेकर ट्विटर पर उन्होंने जो दस्त की है, वह इसका ही एक नमूना है।

‘रलिव गलिव चलिव’… जब भारतीय महिलाओं को गुलाम बना कर कश्मीर को Pak बनाना चाहते थे आतंकी, अब्दुल्ला-कॉन्ग्रेस की थी सरकार

या वो दौर था जब घाटी के मस्जिदों से हिन्दुओं के ख़िलाफ़ मौत का फ़रमान जारी होता था। 16-17 साल के कश्मीरी मुस्लिम बड़े शौक़ से हथियार उठा रहे थे।

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