द्रौपदी मुर्मू की उम्मीदवारी ने न केवल यशवंत सिन्हा का समर्थन करने वाले दलों को व्याकुल कर दिया है, बल्कि हिंदुओं के धर्मांतरण में लिप्त ईसाई मिशनरियों को भी इससे तगड़ा झटका लगा है।
सड़क पर नमाज जायज, 5 बार माइक से अजान सुकून देता है, लेकिन वेदों की धरती पर वैदिक रीति-रिवाज से लिबरल गिरोह को दिक्क्त। खुद सम्राट अशोक ने इसे 'धर्म स्तंभ' कहा था, ऐसे में धर्म के अनुसार कार्य न हों तो क्या अरब के हिसाब से हों?
कभी तिरंगे को सलामी नहीं दी तो कभी पहले 'योग दिवस' कार्यक्रम से नदारद रहे। आतंकियों से जुड़ी संस्था के मंच पर हामिद अंसारी ने भारत विरोधी ज़हर उगला था। अब ISI का 'जासूस' बता रहा कि उनके बुलाने पर वो भारत आया था। नंबी नारायणन के खिलाफ साजिश के तार उनसे जुड़े थे। रॉ नेटवर्क को उजागर करने के आरोप लगे।
हमने डेमोग्राफी चेन्ज को नहीं समझा। तभी पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान हाथ से चले गए। जहाँ 'अल्पसंख्यक मुस्लिम' 75% हैं, वहाँ वो कह रहे हैं कि शरिया चलाओ।