Friday, March 29, 2024

राजनैतिक मुद्दे

कृषि कानूनों पर शरद पवार का नया बयान ‘किसान’ संगठनों पर चोट: राजनीति या भविष्य देख लिए?

कृषि कानूनों पर पवार के नए बयान को लेकर अनुमान चाहे जो लगें पर महत्वपूर्ण बात यह है कि किसानों के समर्थक राजनीतिक दलों में...

एक और जुलाई आई, राहुल गाँधी की ‘मेधा’ आई? जमीं जुम्बद, फलक ज़ुम्बद-न ज़ुम्बद, गुल मोहम्मद!

राहुल गाँधी और कॉन्ग्रेस को यह अहसास कब होगा कि लोकतंत्र के लिए विपक्ष आवश्यक है। न कि हर बात पर विरोध और 'कुछ भी कह दो' का राजनीतिक दर्शन।

चुनाव से पहले ही केजरीवाल ने शुरू कर दिया पलटी मारना: पंजाब में फ्री बिजली की बातें, दिल्ली से किए वादे याद नहीं

केजरीवाल को ये पता ही नहीं है कि पंजाब में पहले से ही एससी, बीसी और बीपीएल परिवारों को 200 यूनिट फ्री है। साथ ही दिल्ली के लिए किए गए वादों क्या क्या?

आज हिंसा में बंगाल को जलाने वाले जब होंगे ‘भस्मासुर’ तब क्या करेंगी दीदी: अब नजरें NHRC की रिपोर्ट पर

NHRC की टीम ने कलकत्ता हाईकोर्ट को रिपोर्ट सौंप दी है। देखना दिलचस्प होगा कि इसका टीएमसी और उसके नेतृत्व पर कितना असर पड़ता है।

पाकिस्तानी सेना और इस्लामी कट्टरवाद का आतंकी धंधा पड़ा मंदा: बुझती आग को हवा देने की कोशिश थी जम्मू के ड्रोन हमले

पाकिस्तानी सेना, इस्लामी कट्टरवाद और आतंक की दूकान चलने वालों का धंधा अब मंदा पड़ने लगा है। आतंक की इसी बुझती हुई आग को हवा देने की कोशिश थे जम्मू के ये ड्रोन हमले।

डंडा क्यों नहीं करती मोदी सरकार? सोशल मीडिया के तानों से अलग हकीकत, अब डूबे या उबरे ट्विटर के हाथ

ट्विटर और सरकार के विवाद के बीच सोशल मीडिया पर यह सवाल अक्सर पूछा जाता है कि मोदी सरकार कार्रवाई क्यों नहीं कर रही। जानिए, हकीकत।

आरक्षण किसे और कब तक: समान नागरिक संहिता पर बात क्यों नहीं? – कुछ फैसले जो अभी बाकी हैं

भारत की धर्म निरपेक्षता के खोखलेपन का ही सबूत है कि हिंदुओं के पास आज अपनी एक 'होम लैंड' नहीं है जबकि कथित अल्पसंख्यक...

केजरीवाल की सरकार, महामारी में भी नहीं आई बाज: ऑक्सीजन ऑडिट रिपोर्ट से वेंटिलेटर पर AAP 

मुख्यधारा की मीडिया केजरीवाल सरकार से सवाल नहीं पूछती। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि अब अदालत क्या रूख अख्तियार करती है।

मोदी ने भगा दिया वाला प्रोपेगेंडा और माल्या-चोकसी-नीरव पर कसता शिकंजा: भारत में आर्थिक पारदर्शिता का भविष्य

हमारा राजनीतिक विमर्श शोर प्रधान है। लिहाजा कई महत्वपूर्ण प्रश्न दब गए। जब इन आर्थिक भगोड़ों पर कड़ाई का नतीजा दिखने लगा है, इन पर बात होनी चाहिए।

कॉन्ग्रेस के इस मर्ज की दवा नहीं: ‘श्वेत पत्र’ में तलाश रही ऑक्सीजन, टूलकिट वाली वैक्सीन से खोज रही उपचार

कॉन्ग्रेस और उसके इकोसिस्टम को स्वीकार लेना चाहिए कि प्रोपेगेंडा और टूलकिट से उसकी सेहत दुरुस्त नहीं हो सकती।

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