अनगिनत असफल प्रयासों के बाद एक बार फिर ऐसा लगता है जैसे राहुल गाँधी को लॉन्च करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। इसके लिए मीडिया संस्थान इंडिया टुडे की ‘डेटा इंटेलीजेंस यूनिट’ भी कॉन्ग्रेस का पूरा साथ दे रही है। दरअसल इंडिया टुडे ने कॉन्ग्रेस को कोट करते हुए हाल में एक रिपोर्ट की है।
इस रिपोर्ट में ये दावा किया गया है कि कॉन्ग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी ने कुछ दिन पहले यानी 17 जुलाई और 20 जुलाई को जो LAC मामले पर वीडियोज डाली थी उसे करीब 15 करोड़ लोगों ने देखा।
इंडिया टुडे की मानें तो दोनों वीडियो को करीब 4 करोड़ लोगों ने ट्विटर पर देखा। 6 करोड़ लोगों ने इन्हें फेसबुक पर देखा। 2 करोड़ ने यूट्यूब पर देखा और 2 करोड़ लोगों ने ही उसे व्हॉट्सएप पर शेयर करके देखा।
अब हालाँकि सच्चाई क्या है? इसका मालूम वास्तविक वीडियोज को देखकर पता लगाया जा सकता है। जैसे इंडिया टुडे ने कहा कि राहुल गाँधी की वीडियो को ट्विटर पर 4 करोड़ लोगों ने देखा। लेकिन वीडियोज के नीचे अगर व्यूज को देखा जाए तो आँकड़े एकदम भिन्न हैं।
राहुल गाँधी के ट्विटर अकाउंट्स से 17 जुलाई को रिलीज की गई वीडियो पर 2.7 मिलियन व्यूज हैं यानी 27 लाख। जबकि 20 जुलाई को डाली गई दूसरी वीडियो पर 1.8 मिलियन हैं, यानी 18 लाख। कुल मिलाकर दोनों का जोड़ 45 लाख होता है, जो 4 करोड़ के आसपास भी नहीं है। अब हम यहाँ अपने विवेक पर यह समझ सकते हैं कि मुमकिन हो कि इंडिया टुडे ने 4.5 मिलियन को 4.5 करोड़ समझ लिया हो इसलिए उन्होंने इतनी बड़ी गलती की।
अब बात फेकबुक की। इंडिया टुडे बताता है कि राहुल गाँधी की दोनों वीडियो 6 करोड़ लोगों ने देखी। लेकिन फेसबुक बताता है कि पहली वीडियो को 358,000 लोगों ने देखा है, जबकि दूसरी वीडियो 2,37,000 द्वारा देखी गई। यानी दोनों को मिलाकर कुल व्यूज हुए करीब 5,95,000 जो 6 लाख होने में भी 5 हजार कम हैं। मगर, इंडिया टुडे ने अपने गणित में इस गिनती को 6 करोड़ बताया है।
इसके बाद राहुल गाँधी की तारीफों के पुलिंदे पूरी रिपोर्ट में नजर आए और यह भी कहा गया कि राहुल गाँधी की लोकप्रियता इतनी बढ़ रही है कि लोग चीन के साथ बढ़ते सीमा संकट के बीच मौजूदा विवाद के ख़िलाफ़ कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष के साथ मिल कर वर्तमान स्थिति की आलोचना कर रहे हैं।
यूट्यूब व्यूज की बात करते हुए रिपोर्ट में कॉन्ग्रेस आईटी सेल का हवाला दिया गया और उस प्लेटफॉर्म पर भी राहुल की लोकप्रियता समझाने के लिए ये दावा किया गया कि यूट्यूब को 2 करोड़ लोगों ने दोनों वीडियो को देखा। हकीकत में राहुल गाँधी की पहली वीडियो को यूट्यूब पर 81000 व्यूज मिले हैं और दूसरी को अभी तक केवल 41,000। दोनों का जोड़ हुआ 1,22,000। अब किस आधार पर इंडिया टुडे इस पर 2 करोड़ व्यूज के दावे कर रहा है, ये नहीं पता चल पाया है।
इसके बाद सबसे हैरान करने वाली बात कि राहुल गाँधी की छवि निर्माण में कॉन्ग्रेस और इंडिया टुडे ने व्हॉट्सएप पर देखे गए व्यूज का भी अंदाजा लगा लिया। जबकि सब जानते हैं कि फेसबुक, ट्विटर और यूट्यूब पर व्यूज का पता लगाना एक सरल काम है। लेकिन व्हॉट्सएप को लेकर ऐसे दावे करना फर्जीवाड़े के सिवा कुछ नहीं है।
साथ ही इस बात का भी ध्यान रहे कि व्हॉट्सएप डेटा को तीसरा पक्ष एक्सेस नहीं कर सकता। फिर अकेले एक राजनीतिक पार्टी के नेता की वीडियो को कितने शेयर मिले, इसकी जानकारी उन्हें कैसे मिली, ये एक बड़ा सवाल है। आखिर जब यूट्यूब, फेकबुक, ट्विटर पर दर्शकों की संख्या सामान्य है तो व्हॉट्सएप भी तो ऐसा ही प्लेटफॉर्म है, वहाँ इतनी तादाद में लोग इसे कैसे देखेंगें।
इंडिया टुडे ने अपनी आर्टिकल में राहुल गाँधी की वाह-वाही के लिए कॉन्ग्रेस सोशल मीडिया सेल के रोहन गुप्ता का बयान कोट किया है। इसमें रोहन गुप्ता ने कहा है, “राहुल जी की वीडियो को लोग इसलिए इतना देख रहे हैं क्योंकि जब कोई सच बोलता है तो वो जनता को अपने साथ जोड़ता है।”
हालाँकि, यहाँ सच्चाई ये है कि इंडिया टुडे और कॉन्ग्रेस आईटी सेल की बहुत कोशिशों के बाद भी अपने उद्देश्यों में सफल नहीं हो पाए। लेकिन इस कोशिश ने यह साबित कर दिया कि जो लोग 4.5 मिलियन को 4 करोड़ बोलते हैं। 6 लाख को 6 करोड़ कहते हैं और 1,22,000 को 2 करोड़ कहते हैं, उनकी कोशिशें उनकी मैथ्स की कम समझ के कारण फेल होती हैं।