गुरुवार के दिन कुछ पाकिस्तान प्रायोजित इस्लामी आतंकवादियों ने अवंतिपुरा के पम्पोर में भारतीय सेना के काफ़िले पर हमला किया था जिसमें एक सैनिक और एक महिला घायल हो गई थी। पम्पोर के लाडो इलाके में हुए इस हमले के दौरान महिला को कुछ चोटें आई थीं जिसके बाद उसे एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया था। कुछ समय बाद उसे अस्पताल से छोड़ भी दिया गया था।
महिला को चोट उस वक्त आई जब सेना के जवानों और आतंकवादियों के बीच गोलीबारी हुई थी। यह घटना उस इलाके में स्थित एक मस्जिद के पास हुई थी। जैसे ही इस घटना से जुड़ी तमाम जानकारी सामने आई उसके कुछ ही देर बाद कश्मीर का झूठी और भ्रामक ख़बरें फैलाने वाला गिरोह सक्रिय हो गया। इस गिरोह ने तुरंत दावा ठोंक दिया कि महिला, भारतीय सेना द्वारा चलाई गई गोली से घायल हुई है।
इतना होने के बाद इंडिया टुडे के पत्रकार अशरफ वानी ने ट्विटर पर ट्वीट करते हुए यह कहा कि, कुछ युवा पत्थर चला रहे थे, जिसके बाद भारतीय सेना ने उन पर गोली चलाई। सेना द्वारा चलाई गई गोली में महिला की मौत हो गई।
इसके बाद पत्रकार आदित्य राज कौल ने इस घटना से जुड़ा हुआ एक ट्वीट करके मामले का असली पक्ष बताया। उन्होंने ट्वीट में लिखा घायल महिला अब पूरी तरह ठीक है और प्राथमिक उपचार मिलने के बाद अब अस्पताल से ठीक होकर अपने घर भी जा चुकी है। पम्पोर स्थित एक मस्जिद के पास आतंकवादियों द्वारा भारतीय सेना पर हुए हमले के दौरान हुई गोलीबारी में फँस गई थी। किसी बेवकूफ व्यक्ति द्वारा चलाई गई झूठी खबर पर भरोसा मत करिए ।
यह बात उल्लेखनीय है कि इंडिया टुडे के पत्रकार अशरफ वानी ने केवल ऐसी मौत का दावा ही नहीं किया जो असल में हुई नहीं है बल्कि भारतीय सेना के खिलाफ एक फेक नैरेटिव स्थापित करने का प्रयास भी किया है। उसने कहा कि सेना ने ऐसे युवाओं पर गोली चलाई जो पत्थर चला रहे थे, यानी किसी भी तरह सेना को कठघरे में खड़ा करने का प्रयास। अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि भी की है कि गोली पत्थर चलाने वाले युवाओं पर नहीं बल्कि सेना पर चली है।
यह पहला ऐसा मौक़ा नहीं है जब इंडिया टुडे के पत्रकार ने घाटी में आतंकवादी हमलों को लेकर सोशल मीडिया पर इस तरह का एजेंडा चलाने का प्रयास किया है। इसके पहले अशरफ वानी ने एक लड़के का वीडियो साझा किया था जिसके 64 वर्षीय पिता की सोपोर में हुए आतंकवादी हमले में मौत हो गई थी। वीडियो में ऐसा दावा किया गया था कि पिता को पहले केन्द्रीय सुरक्षा बल के जवान लेकर गए थे।
Son of 60 year old civilian Bashir Ahmed said his father was brought down from vehicle and killed by CRPF #Kashmir pic.twitter.com/0Dof2iQiKK
— Ashraf Wani اشرف وانی (@ashraf_wani) July 1, 2020
अशरफ उस वीडियो के सहारे यह नैरेटिव चलाना चाहता था कि सीआरपीएफ के जवान पिता को उठा कर ले गए थे जो बाद में आतंकवादियों के हमले में मारे गए थे। जबकि सीने पर बैठे उस लड़के को बाद में केन्द्रीय सुरक्षा बल के जवानों ने ही बचाया था। अशरफ वानी द्वारा साझा किया गया वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुआ था, ख़ासकर पड़ोसी मुल्क के प्रति संवेदना रखने वाले लोगों के बीच।