तीन दोस्त। एक ‘निजी पार्टी’ में शराब के नशे में मारपीट करते हैं। तीसरे की मौत हो जाती है। इस खबर में ‘सत्तर साल से चली आ रही छुआछूत’ की मानसिकता की जगह कहाँ बचती है? लेकिन भारतीय मीडिया, खासकर वामपंथी प्रोपेगेंडा संस्थानों को यह करने में महारत हासिल है और इसे ‘दलित बनाम ऊँची जाति’ का जामा पहनाकर जमकर बेचती है। यही मध्य प्रदेश के मामले में फिर से देखा गया है जब मीडिया गिरोह ने देवराज अनुरागी की हत्या का कारण मृतक की जाति ठहरा दी।
क्या है मामला
स्क्रॉल, एनडीटीवी, वायर आदि वामपंथी प्रोपेगेंडा समाचार वेबसाइट के साथ ही लगभग सभी समाचार पत्रों द्वारा प्रकाशित एक खबर में दावा किया जा रहा है कि मध्य प्रदेश स्थित छतरपुर जिले के गौरिहार थाना क्षेत्र के अंतर्गत किशनपुरा गाँव में गत 7 दिसंबर को में एक मानसिक रूप से अस्थिर ‘दलित युवक’ को उसके ‘ऊँची जाति वाले’ दो दोस्तों ने कथित तौर पर उनके भोजन को छूने के लिए पीट-पीटकर मार डाला।
25 वर्षीय दलित युवक देवराज अनुरागी अपने घर में भोजन कर रहे थे, जब उनके दोस्त संतोष पाल और रोहित सोनी, दोनों ओबीसी श्रेणी के थे, उन्हें उनके खेत में आपस में ‘पार्टी’ करने के लिए ले गए। कुछ घंटों बाद देवराज को घायल अवस्था में दोनों ने घर छोड़ दिया और कुछ ही समय बाद उनकी मृत्यु हो गई।
इस मामले में भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत हत्या सहित अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है।
क्या ये एक ऊँची जाति वालों द्वारा एक ‘दलित की हत्या’ का मामला है?
समाचार पत्र ‘इन्डियन एक्सप्रेस’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, छतरपुर के पुलिस अधीक्षक सचिन शर्मा ने कहा, “तीनों एक-दूसरे के मित्र थे और जिस समय ये घटना घटी वे नशे में थे। इस दौरान खाने को लेकर झगड़ा हुआ और दोनों ने देवराग अनुरागी पर हमला किया।”
ख़ास बात यह है कि ‘दी वायर’ ने ही अपनी रिपोर्ट में भी पुलिस के इस बयान का जिक्र किया है। लेकिन ‘दी वायर’ का ही शीर्षक इसे ऊँची जाति वालों द्वारा एक कथित दलित की हत्या का मामला बताते हुए देखा जा सकता है।
मुख्यधारा की मीडिया की कारस्तानी से परिचित एक उभरते हुए समाचार पोर्टल ने इस घटना की तहकीकात का फैसला किया। इस वेबसाइट के रिपोर्टर ने अपनी रिपोर्ट में मृतक के परिवार से बातचीत का ऑडियो भी शेयर किया है। मृतक अनुरागी के भाई हरिश्चंद्र ने बताया कि उनका भाई, यानी मृतक अनुरागी दिन भर घर में ही रहता था।
हरिश्चंद्र के मुताबिक उनका पच्चीस वर्षीय भाई देवराज अनुरागी मानसिक रूप से अस्थिर था। घटना 7 दिसंबर की है। देवराज घर में खाना खा रहा था। तभी गाँव के ही संतोष पाल व दोस्त भूरा सोनी, पुत्र छोटेलाल सोनी उसके घर पहुँचे और देवराज को मारते-मारते उसे थोड़ी दूर स्थित एक नाले के पास ले गए।
इस ऑडियो में मृतक के भाई हरिश्चंद्र ने बताया है कि मृतक की दोनों ने पिटाई की, जिसके बाद उन्होंने इसकी सूचना हरिश्चंद्र को फ़ोन करके दी। फ़ोन पर सूचना देने के बाद दोनों उसे वापस उसके घर गए जहाँ दो घंटे बाद ही मृतक देवराज ने दम तोड़ दिया।
देवराज अनुरागी के परिजनों ने इसकी शिकायत गौरिहार पुलिस से की और FIR दर्ज कराई। जिसमें उन्होंने कहीं भी शादी का खाना छूने या खाने के कारण मारने की बाते नहीं कही है। ऑडियो में मृतक के घरवाले यह कहते सुने जा सकते हैं कि उन्हें मारपीट का कारण नहीं मालूम।
यही नहीं, जिस शादी में मृतक देवराज को खाना छूने के कारण मारने की बात कही गई है, देवराज के ही घरवालों ने यह कहा है कि वो उस शादी में भी नहीं गया था, और जैसा कि मुख्यधारा की मीडिया द्वारा दावा किया गया है, देवराज सफाई करने भी किसी के घर नहीं गया था।
मध्य प्रदेश पुलिस ने इस हत्या के आरोप में बृहस्पतिवार (दिसंबर 10, 2020) को दो व्यक्तियों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए आरोपितों में 25 वर्षीय संतोष पाल और 30 वर्षीय लवकुश सोनी उर्फ भूरा शामिल है, जो भोपाल से 344 किलोमीटर दूर छतरपुर जिले के किसुनपुर गाँव के ही निवासी हैं।
‘ऊँची जाति द्वारा दलित की हत्या’ करवाने का शौक़ीन रहा है मीडिया
यह पहली बार नहीं है जब मुख्यधारा की मीडिया ने किसी सामाजिक अपराध की खबर को जातिगत भेदभाव की शक्ल देने की कोशिश की हो। वर्ष 2019 में ही उत्तराखंड के एक टिहरी जिले के एक गाँव में हुई हत्या को मीडिया ने प्रमुखता से ये कहते हुए प्रकाशित किया कि सवर्णों ने एक दलित को सोफे पर बैठने के कारण मार डाला। जबकि उत्तराखंड के टिहरी जिले के जिस इलाके में जितेन्द्र की मौत हुई थी, वह एक जनजातीय क्षेत्र है, जहाँ पर जातिगत भेदभाव कभी रहे ही नहीं।
मृतक की जाति और सामाजिक अपराध को जातिगत अपराध साबित करने की हड़बड़ी में इसी मीडिया ने पिछले कुछ महीनों उत्तर प्रदेश के हाथरस में भयानक खेल खेला। बाद में यह मामला राजनीतिक दलों और मीडिया गिरोह के षड्यंत्र से अधिक कुछ साबित नहीं हो सका।
अब ठीक इसी तर्ज पर मध्य प्रदेश की इस घटना, जिसमें तीन दोस्तों की मारपीट में एक की मौत होने को भी दलित बनाम सवर्ण कर के उछाला जा रहा है। मीडिया, खासकर वामपंथी मीडिया अक्सर मीडिया की जिम्मेदारी का प्रलाप करती है, लेकिन जब यही मीडिया दोस्तों की हाथापाई को ‘ऊँची जाति वालों द्वारा दलित की पिटाई’ बता कर बेचती है, तब उसे यह जिम्मेदारी ध्यान नहीं आती।