Sunday, April 28, 2024
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‘द प्रिंट’ ने डाला वामपंथी सरकार की नाकामी पर पर्दा: यूपी-बिहार की तुलना में केरल-महाराष्ट्र को साबित किया कोविड प्रबंधन का ‘सुपर हीरो’

तथाकथित 'स्वास्थ्य अर्थशास्त्री' रिजो जॉन (Rijo John) के अनुसार, बिहार ने 134 में से केवल 1 मामलों का पता लगाया, यूपी ने 100 में से 1 का पता लगाया, लेकिन केरल ने 6 कोविड-19 मामलों में से 1 का पता लगाया।

इस समय देश भर में कोरोना संक्रमण के सबसे अधिक मामले केरल से सामने आ रहे हैं। देश के अन्य राज्यों की तुलना में यहाँ हर रोज कोरोना के रिकॉर्ड मामले सामने आने के बाद भी अधिकांश लेफ्ट-लिबरल चुप्पी साधे हुए हैं। हालाँकि, उनमें से कुछ तथा​कथित बुद्धिजीवी कम्युनिस्ट शासित राज्य का बचाव करने के लिए आगे आए हैं। ‘द प्रिंट’ उन्हीं में से एक है, जो गलत तरीके से सीरो सर्वेक्षण के आँकड़ों का उपयोग करता है यह दावा करने के लिए कि अन्य राज्यों में कोविड-19 के मामले कम बताए जा रहे हैं। ‘द प्रिंट’ ने 30 जुलाई को तथ्यों से परे ऐसे ही विश्लेषण का इस्तेमाल करते हुए एक लेख प्रकाशित किया, जिसमें उन्होंने दावा किया कि अन्य राज्य कोरोना के नए मामलों को छिपा रहे हैं।

प्रिंट की पत्रकार अबंतिका घोष ने एक तथाकथित ‘स्वास्थ्य अर्थशास्त्री’ रिजो जॉन (Rijo John) के ट्वीट को आधार बनाते हुए अपना लेख लिखा और इसमें उन्होंने दावा किया कि आईसीएमआर द्वारा किए गए ताजा सीरो सर्वे के परिणाम इस बात को साबित भी करते हैं। जॉन के अनुसार, बिहार ने 134 में से केवल 1 मामलों का पता लगाया, यूपी ने 100 में से 1 का पता लगाया, लेकिन केरल ने 6 कोविड-19 मामलों में से 1 का पता लगाया। कोरोना से बुरी तरह प्रभावित एक और राज्य महाराष्ट्र, प्रिंट के लेख के अनुसार 12 मामलों में से 1 की रिपोर्ट कर रहा है। इस तरह पूरे भारत में यह आँकड़ा 33 में से 1 का है।

इस प्रकार, लेख में दावा किया गया है कि पूरे देश में मामलों की कम रिपोर्टिंग की जा रही है, लेकिन बिहार और यूपी जैसे राज्यों में यह कुछ अधिक ही है, जहाँ प्रति दिन आने वाले मामले 100 से भी कम हो गए हैं। प्रिंट ने दावा किया है कि केरल में मामले अधिक हैं, क्योंकि वहाँ नए मामलों को छिपाया नहीं जा रहा है। लेख में ‘वास्तविक संख्या’ की गणना करने के लिए कथित छिपाए गए कारकों को राज्य-वार कोविड-19 संक्रमणों की आधिकारिक संख्या के साथ गुणा किया गया है।

इस गणना के अनुसार, मई 2021 तक देश में वास्तविक कोरोना संक्रमितों की संख्या 92.65 करोड़ थी, ना कि उस समय के आधिकारिक संख्या के अनुसार 2.82 करोड़ थी। इस गणना के तहत राज्यों का आँकड़ा बेहद अधिक था। जैसे यूपी में 16.89 करोड़, बिहार में 9.47 करोड़, मध्य प्रदेश में 6.74 करोड़, राजस्थान में 6.17 करोड़, गुजरात में 4.81 करोड़, पश्चिम बंगाल में 6.07 करोड़ आदि। इस गणना के तहत केरल और महाराष्ट्र में मामले क्रमशः 1.59 करोड़ और 7.14 करोड़ हैं। जॉन का दावा है कि इन दोनों राज्यों यानी केरल और महाराष्ट्र पर इसलिए सवाल उठाए जाते हैं, क्योंकि वे कोविड-19 मामलों का बेहतर तरीके से पता लगा रहे हैं।

गौरतलब है कि सीरो सर्वे संख्या वास्तव में आईसीएमआर द्वारा National Sero-Prevalence Survey के चौथे सर्वेक्षण पर आधारित है। दरअसल, इस तरह से संक्रमण की ‘वास्तविक’ संख्या की गणना करना बेहद मुश्किल है। sero prevalence survey एक नमूना सर्वेक्षण है, जो कोविड-19 एंटीबॉडी वाले लोगों के अनुमानित प्रतिशत को मापता है, जबकि रिपोर्ट की गई कोविड-19 संख्या लोगों की जाँच की कुल संख्या पर आधारित होती है। सर्वेक्षणों से अनुमानित संख्याओं का वास्तविक परिणाम हमेशा त्रुटिपूर्ण होता है, क्योंकि ये सटीक नहीं होते हैं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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