Saturday, November 16, 2024
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‘द वायर’ ने फिर फैलाया फेक न्यूज़, लिखा- ‘कोरोना प्रकोप के बाद NCPCR के पास दर्ज शिकायतों में हुई 8 गुना वृद्धि’

पीआईबी फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे द कारवाँ, इंडियन एक्सप्रेस, स्क्रॉल और द वायर सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों की फेक न्यूज का सच सबके सामने लाया है। वामपंथी प्रोपेगेंडा पोर्टल द वायर ने एक बार फिर से इसी ट्रैक पर चलते हुए झूठ फैलाया कि कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के पास दर्ज शिकायतों में 8 गुना वृद्धि देखी गई।

कोरोना वायरस महामारी के बीच कई मीडिया संस्थान सरकार का विरोध करने के लिए लगातार फेक न्यूज प्रसारित कर रहे है। ऐसे ही कई फर्ज़ी खबरों को प्रेस सूचना ब्यूरो (PIB) की फैक्ट चेक टीम बेनकाब कर रही है। पीआईबी फैक्ट चेक ने सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे द कारवाँ, इंडियन एक्सप्रेस, स्क्रॉल और द वायर सहित कई अन्य मीडिया संस्थानों की फेक न्यूज का सच सबके सामने लाया है।

इन मीडिया संस्थानों ने अलग-अलग फेक न्यूज और वीडियों के माध्यम से सरकार की छवि खराब करने की लगातार कोशिश की है। रिपोर्टों का विश्वसनीयता से कोई सरोकार नहीं होता। वामपंथी वेबसाइट द वायर ने एक बार फिर से इसी ट्रैक पर चलते हुए झूठ फैलाया कि कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ने के बाद राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के पास दर्ज शिकायतों में 8 गुना वृद्धि देखी गई।

The article published by The Wire on June 10, 2020

द वायर की “COVID-19 Lockdown Lessons and the Need to Reconsider Draft New Education Policy” शीर्षक से छपी रिपोर्ट में दावा किया गया है कि COVID-19 के प्रकोप के बाद से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पास दर्ज शिकायतों में भारी वृद्धि हुई है। रिपोर्ट में कहा गया है, “पिछले साल NCPCR में लगभग 5,000 शिकायतें दर्ज की गई थी। कोरोना प्रकोप (मार्च 2020 की शुरुआत से) के बाद यह लगभग 8 गुना बढ़ गया है।”

The Wire’s article claiming thet NCPCR has seen a 8-fold surge in the number of complaints post lockdown

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि COVID-19 महामारी का बच्चों की शिक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव पड़ा है, विशेष रूप से सीमांत वर्गों के लोगों पर।

हालाँकि, प्रोपेगेंडा पोर्टल की रिपोर्ट में परोसे गए झूठ की पोल खुद पीआईबी ने फैक्टचेक कर खोली है। पीआईबी फैक्ट चेक की ट्वीट में कहा गया कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) ने शिकायत में 8 गुना वृद्धि को स्पष्ट रूप से नकार दिया है। इसमें कहा गया कि एनसीपीसीआर ने गलत सूचना प्रसारित करने को लेकर सावधान किया है और लोगों को गलत तथ्यों के हवाले से भ्रामक रिपोर्ट छापने के खिलाफ चेतावनी दी है।

पीआईबी के फैक्ट-चेक को नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन राइट्स ने भी समर्थन दिया है। नेशनल कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन राइट्स ने पीआईबी के ट्वीट को रीट्वीट भी किया है।

गौरतलब है कि यह पहला मामला नहीं द वायर के द्वारा झूठ फ़ैलाने का, इनका लम्बा इतिहास रहा है, जैसे इससे बहुत पहले वामपंथी पोर्टल वायर की पत्रकार आरफा खानम शेरवानी ने गोरखनाथ मंदिर को लेकर झूठ फैलाने की कोशिश की थी, जिसके बाद भारत के इतिहास के बारे में वामपंथी इतिहासकारों द्वारा फैलाए जा रहे भ्रम को दूर करने के लिए जाने जाने वाले ट्विटर हैंडल ट्रू इंडोलॉजी ने आरफ़ा खानम के ट्वीट पर एक के बाद एक ट्वीट कर फैक्ट-चेक कर दिया। 

इसी तरह अपनी एक रिपोर्ट में द वायर ने दावा किया कि पंजाब और हिमाचल की बॉर्डर रेखा के पास मुस्लिम समुदाय के कुछ बच्चे, औरतें, पुरुष नदी ताल पर बिना खाना-पीना के रहने को मजबूर हो गए हैं, क्योंकि उन्हें गाली देकर, मारकर उनके घरों से खदेड़ दिया गया है। बाद में होशियारपुर पुलिस को खुद इस पर संज्ञान लेना पड़ा और सबूत पेश करके साबित करना पड़ा कि द वायर झूठ फैलाने का काम कर रहा है और ऐसा कुछ भी नहीं हैं। द वायर ने गुजरात में वेंटिलेटर्स को लेकर भी झूठ परोसा था

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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