Sunday, April 28, 2024
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15 अगस्त 1947 को नहीं उतारा गया था यूनियन जैक: मनमोहन सिंह के सलाहकार रहे पचौरी का दावा भ्रामक, अंग्रेजों को दुःखी नहीं करना चाहते थे नेहरू

ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक 'सेंगोल' नहीं, बल्कि ब्रिटिश झंडा यूनियन जैक का उतारा जाना था। जबकि, ऐसा नहीं है।

देश में नए संसद भवन के उद्घाटन और उसमें रखे जाने वाले ‘सेंगोल’ पर विवाद जारी है। इस बीच पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार रहे तथाकथित पत्रकार पंकज पचौरी झूठ फैलाते पकड़े गए हैं। उन्होंने सोशल मीडिया पर सन 1947 में ‘वास्तविक ट्रांसफर ऑफ पॉवर’ का जिक्र करते हुए दावा किया कि ‘कीर्तन मंडली’ (भाजपा और उसके समर्थक) तिरंगे और आजादी का सम्मान नहीं करते।

पंकज पचौरी ने ट्विटर पर 2 तस्वीरों को शेयर करते हुए लिखा, “वास्तविक “सत्ता का हस्ताँतरण” तब हुआ जब यूनियन जैक को उतारा गया और हमारे तिरंगे झंडे को निवर्तमान औपनिवेशिक प्रमुख (Outgoing colonial head) के सामने शांतिपूर्वक फहराया गया।” उन्होंने आगे भाजपा और उसके समर्थकों को कीर्तन मंडली कहकर मजाक उड़ाने की कोशिश की। पचौरी ने लिखा कि कीर्तन मंडली ने कभी भी तिरंगे या स्वतंत्रता का सम्मान नहीं किया इसलिए यह सब तमाशा कर रहे हैं।

जब भारत में अंग्रेजों का राज था, तब कई सरकारी इमारतों पर यूनियन जैक लगे रहे होंगे। इनमें से कई को तिरंगा लगाए जाने से पहले उतारा गया होगा। लेकिन, कई रिकॉर्ड्स की मानें तो पहली बार तिरंगा फहराए जाने के वक्त दिल्ली में यूनियन जैक को नहीं उतारा गया था। ये दिखाने की कोशिश की जा रही है कि सत्ता हस्तांतरण का प्रतीक ‘सेंगोल’ नहीं, बल्कि ब्रिटिश झंडा यूनियन जैक का उतारा जाना था। जबकि, ऐसा नहीं है।

असल में पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर पहली बार तिरंगा 16 अगस्त, 1947 को फहराया था, आज़ादी के एक दिन बाद। PIB की एक प्रेस रिलीज में भी इसका उल्लेख है। जबकि, 15 अगस्त को वायसराय हाउस (अब राष्ट्रपति भवन) के दरबार हॉल में हुए कार्यक्रम में, जिसमें लॉर्ड माउंटबेटन भी उपस्थित थे, उसमें यूनियन जैक को नहीं उतारा गया था। अंग्रेजों को दुःख न पहुँचे, इसीलिए ऐसा किया गया था। सत्ता हस्तांतरण के दौरान ऐसा कुछ नहीं हुआ था।

हो सकता है कि भारत में कई जगहों और सरकारी इमारतों पर हुए कार्यक्रमों में यूनियन जैक को उतारा गया हो, लेकिन दिल्ली के लाल किला पर ऐसा नहीं हुआ था। आज़ादी के दिन जो शपथग्रहण कार्यक्रम आयोजित हुआ था, वो वायसराय हाउस के दरबार हॉल (अब राष्ट्रपति भवन) में हुआ था और इंडिया गेट पर परेड का आयोजन किया गया था।

सोशल मीडिया पर भी पंकज पचौरी को मिला जवाब, दोनों ने दिखाया आईना

उनका यह झूठ सोशल मीडिया पर फैल सकता इसके पहले ही नेटिजन्स ने तथ्यों से इसे काटना शुरू कर दिया। ‘द स्कीन डॉक्टर (@theskindoctor13)’ नाम के यूजर ने पचौरी के ट्वीट पर कमेंट करते हुए 2 मीडिया घरानों के आर्टिकल शेयर किए और लिखा, “इसे (यूनियन जैक) को नीचे नहीं किया गया था। इस पर बहस हुई लेकिन अंतिम समय में पीएम नेहरू ने इसकी मंजूरी नहीं दी। आपने जो स्क्रीनशॉट शेयर किया है वह फिल्म डिवीजन द्वारा बनाई गई किसी टेली मूवी की है। मीडिया घरानों से दो लेख साझा कर रहा हूँ जिन पर आप शायद भरोसा करेंगे।”

फैक्ट चेक करने के लिए ऑपइंडिया की टीम ने भी इंटरनेट पर इस संबंध में पड़ताल की। हमारी पड़ताल में पता चला कि ‘द प्रिंट’ का यह CSDS के एसोसिएट प्रोफेसर लेख हिलाल अहमद ने 14 अगस्त, 2019 को लिखा था। लेख में उस वीडियो की सच्चाई बताई गई है जिसमें यूनियन जैक (अंग्रेजों के झण्डा) को उतरते और भारतीय तिरंगे को उपर उठकर फहराते दिखाया जाता है।

आर्टिकल के अनुसार, दोनों घटनाएँ एक साथ घटित नहीं हुईं। इसे सांकेतिक रूप से अंग्रेजी शासन के अंत और भारतीय स्वाधीनता को दर्शाने के लिए बनाया गया था। लेख के अनुसार, 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर स्वतंत्रता दिवस समारोह नहीं मनाया गया था।

दूसरा लेख ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ के लिए सत्येन मोहपात्रा ने 14 अगस्त 2009 को ही लिखा था। लेख के पहले ही पैराग्राफ में लिखा गया, “भारत को स्वतंत्रता प्राप्त होती है। यूनियन जैक को नीचे किए जाने और तिरंगे को ऊपर उठाए जाने का वीडियो हर किसी ने देखा है। लेकिन वास्तव में स्वतंत्रता दिवस, 15 अगस्त, 1947 के दिन यूनियन जैक को उतारा ही नहीं गया।

हिंदुस्तान टाइम्स के आर्टिकल का स्क्रीन शॉट

14-15 अगस्त 1947 की रात तिरंगा काउंसिल हाउस (आज के संसद भवन) पर फहराया गया था। लाल किले पर 16 अगस्त 1947 को सुबह 8.30 बजे तिरंगा फहराया गया था। अंग्रेजों की भावनाओं को ठेस न पहुँचे, इसीलिए 15 अगस्त 1947 को यूनियन जैक उतारने की योजना को कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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