Tuesday, March 19, 2024
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झूठ एवं घृणा का सौदागर ‘इंकलाब इंडिया’: दावे- CM केजरीवाल की बेटी ने ₹45800 करोड़ का पैकेज ठुकराया, पैसे सीरिया में दान दिए

ऑपइंडिया ने इस पोस्ट को खंगालने की कोशिश शुरू की तो यह मिला ही नहीं। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त पोस्ट वास्तव में इंकलाब के अकाउंट से ही हुआ था या नहीं। लेकिन, जब हमने इस अकाउंट को और गहराई से जानने की कोशिश की तो हमें वहाँ पर बहुत सारी फर्जी खबरें और नफरत भरी पोस्ट मिलीं।

सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम (Instagram) पर एक अकाउंट ‘इंकलाब_इंडिया’ द्वारा 5 मई 2020 को एक ऐसा मनोरंजक पोस्ट किया गया जो वायरल हो रहा है। हालाँकि, अब इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया है। इस पोस्ट में कहा गया था कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Delhi CM Arvind Kejriwal) की बेटी ने $6 बिलियन (करीब 45,800 करोड़ रुपए) की माइक्रोसॉफ्ट की नौकरी को ठुकरा दिया है। इसकी बजाय वो इस पूरे पैकेज को सीरिया के भूखे बच्चों को दान करना चाहती हैं।

भले ही इस पोस्ट को डिलीट कर दिया गया हो, लेकिन इसका स्क्रीनशॉट तेजी से वायरल हो रहा है। इसी क्रम में ट्विटर यूजर शिव मिश्रा ने कहा, “$6 बिलियन का पैकेज? कौन हैं ये लोग? कहाँ से आते हैं ये लोग?”

कॉलमनिस्ट साकेत ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा, “माइक्रोसॉफ्ट ने उन्हें छह अरब डॉलर का पैकेज दिया था। उन्होंने उस प्रस्ताव को ठुकरा दिया। बावजूद इसके उन्हें पैकेज का अग्रिम भुगतान किया गया। उन्होंने ठुकराए हुई नौकरी के लिए मिले पैकेज को सीरिया के बच्चों को दिया, क्योंकि पहले से ही समृद्ध भारत के लिए उस पैसे का कोई उपयोग नहीं है।”

इसी क्रम में देबाशीष त्रिपाठी नाम के एक अन्य ट्विटर यूजर ने माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ को मिलने वाली सैलरी का खुलासा किया। यूजर ने कहा कि माइक्रोसॉफ्ट के सीईओ को सिर्फ 2.5 मिलियन डॉलर का वार्षिक मूल वेतन मिलता है। पिछले साल उनका कुल वेतन 50 मिलियन डॉलर से भी कम था और यह सारी जानकारी सार्वजनिक डोमेन में है। यूजर ने ये भी कहा कि पहले प्रोपेगेंडा तो ठीक से कर लो। इंकलाब बाद में लाना।

जब ऑपइंडिया ने इस पोस्ट को खंगालने की कोशिश शुरू की तो यह मिला ही नहीं। ऐसे में यह स्पष्ट नहीं है कि उक्त पोस्ट वास्तव में इंकलाब के अकाउंट से ही हुआ था या नहीं। लेकिन, जब हमने इस अकाउंट को और गहराई से जानने की कोशिश की तो हमें वहाँ पर बहुत सारी फर्जी खबरें और नफरत भरी पोस्ट मिलीं।

रामनवमी और हनुमान जयंती हिंसा के लिए हिंदुओं ठहराया जिम्मेदार

इंकलाब इंडिया की छानबीन करते वक्त हमने पाया कि 23 अप्रैल को हैंडल ने एक पोस्ट प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक था ‘ये रमजान भारतीय मुस्लिमों के लिए सबसे बुरी यादें लेकर आया’। इसके साथ ही ‘टूटा हुआ दिल’ की इमोजी भी लगाई गई है। इसमें कुछ ऐसे मुस्लिमों की तस्वीरें थी, जिनके घरों को अतिक्रमण विरोधी कार्रवाई के दौरान ध्वस्त कर दिया गया था। तस्वीरें अलग-अलग राज्यों की थीं।

फोटो साभार: इंस्टाग्राम

खास बात ये है कि इस पोस्ट में हिंदू पीड़ितों का तो जिक्र तक नहीं किया गया। इसमें उस शिवम तक का जिक्र नहीं किया गया, जिस पर खरगोन में हिंसा के दौरान मुस्लिमों की भीड़ ने हमला किया था। जहाँगीरपुरी हिंसा के दौरान मुस्लिमों के दंगे को भी दरकिनार कर दिया गया। इसमें उस घटना का भी जिक्र नहीं किया गया, जिसमें रामनवमी औऱ हनुमान जयंती पर हिंदुओं की शोभा यात्रा पर मुस्लिमों ने मांस के टुकड़े फेंके और पत्थरबाजी की थी।

वसीम शेख का अजीबोगरीब मामला

इसी तरह से 20 अप्रैल को इंकलाब इंडिया ने ‘नया भारत’ कैप्शन के साथ एक पोस्ट शेयर किया। इसमें बाईं तरफ एक व्यक्ति को मस्जिद पर भगवा झंडा लगाते दिखाया गया, जबकि दाईं ओर खरगोन के एक शारीरिक दिव्यांग व्यक्ति वसीम शेख की तस्वीर लगाई गई। यह वही वशीम शेख है, जिस पर खरगोन दंगों के दौरान पत्थरबाजी के आरोप में उसकी दुकान को कथित रूप से ध्वस्त कर दिया गया था।

फोटो साभार: इंस्टाग्राम

हालाँकि, इंकलाब इंडिया इन कहानियों की पीछे की सच्चाई का जिक्र नहीं किया। बाईं ओर की तस्वीर बिहार की एक पुरानी तस्वीर है और सरकार इस मामले में पहले ही कार्रवाई कर चुकी है। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया। दाईं ओर वसीम शेख की कहानी किसी हाईवोल्टेज ड्रामा से कम नहीं है। शेख ने एक बयान में कहा था कि पथराव करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के दौरान उनकी दुकान को गिरा दिया गया। चूँकि वह एक शारीरिक रूप से अक्षम व्यक्ति है, इसलिए पथराव में शामिल होने का कोई रास्ता नहीं था। उनके बयान को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खूब शेयर किया गया।

बाद में उसने अपने आरोप से यू-टर्न लेते हुए कहा था कि उसके घर या दुकान को प्रशासन ने नहीं तोड़ा है। इसके अगले दिन फिर से उसने अपने बयान बदल दिए और बिना नाम लिए प्रशासन पर आरोप लगाया। यह स्पष्ट नहीं है कि वास्तव में क्या हुआ था। यह स्पष्ट नहीं है कि उसकी दुकान वैध थी या वह अतिक्रमण थी। हालाँकि, लेफ्ट-लिबरल मीडिया और इंकलाब_इंडिया सोशल मीडिया अकाउंट्स ने हिंदुओं और भाजपा के नेतृत्व वाली एमपी सरकार को निशाना बनाया।

यूपीएससी अध्यक्ष पर भी साधा निशाना

अपनी अगली इंस्टा पोस्ट में अकाउंट ने यूपीएससी के चेयरपर्सन मनोज सोनी की नियुक्ति पर सवाल उठाया। उसने कैप्शन में लिखा, ”यूपीएससी बन गया यूनियन प्रचारक संघ कमीशन” और इसके बयान के लिए कॉन्ग्रेस नेता राहुल गाँधी को संदर्भित किया गया है।

फोटो साभार: इंस्टाग्राम

वहीं, सोशल हैंडल ने इस बात को सिरे से दरकिनार कर दिया कि डॉ मनोज सोनी एक हाई क्वालिफाईड शिक्षाविद हैं और 2017 से ही यूपीएससी से जुड़े हुए हैं। वो दो विश्वविद्यालयों के कुलपति थे और उन्होंने तीन कार्यकालों तक सेवा की। उनकी कई किताबें छप चुकी हैं और इस क्षेत्र के सम्मानित व्यक्ति हैं।

द कश्मीर फाइल्स पर बीबीसी का प्रोपेगेंडा

फिल्म द कश्मीर फाइल्स बनाने के बाद से फिल्म निर्माता विवेक अग्निहोत्री मीडिया और लेफ्ट-लिबरल वर्ग के टार्गेट पर हैं। कई मीडिया हाउस ने इस फिल्म को दुष्प्रचार करार देते हुए इसे झूठा बताया है। विकिपीडिया ने तो कश्मीरी पंडितों के पलायन को साजिश करार दिया।

फोटो साभार: इंस्टाग्राम

इंकलाब इंडिया ने भी मौके पर चौका मारते हुए फिल्म के बारे में कई फर्जी खबरें साझा कीं। उसने बीबीसी के उस प्रोपेगेंडा वीडियो को शेयर किया, जिसमें उसने कॉन्ग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं का इंटरव्यू लिया था। इसको लेकर ऑपइंडिया ने खुलासा किया था कि किस तरह से बीबीसी ने सेलेक्टिव इंटरव्यू लेकर प्रोपेगेंडा फैलाया था।

क्रिप्टो करेंसी पर फैलाई फेक न्यूज

इसी तरह 12 फरवरी 2022 को किए एक अन्य पोस्ट में इंकलाब_इंडिया ने क्रिप्टो करेंसी पर झूठ फैलाया कि भारत सरकार या आरबीआई ने क्रिप्टो करेंसी को मुद्रा के तौर पर मान्यता नहीं दी है, लेकिन वो उस पर टैक्स जरूर लगाएगी। अकाउंट ने कैप्शन में लिखा, “मुद्रा को वैध किए बिना उस पर टैक्स लगाना।”

फोटो साभार: इंस्टाग्राम

ये पोस्ट गलत जानकारियों से पटी पड़ी थी। सबसे पहले भारत सरकार ये स्पष्ट कर चुकी है कि भारत में क्रिप्टोकरेंसी कभी भी कानूनी टेंडर नहीं बनेगी। इसे एक परिसंपत्ति माना जाएगा, वह भी आरबीआई द्वारा नियम बनाए जाने के बाद। लेकिन क्रिप्टोकरेंसी और एनएफटी समेत किसी भी क्रिप्टो संपत्ति से होने वाले लाभ पर 30% का टैक्स लगेगा।

सोना (Gold) भारत में लीगल टेंडर नहीं है, लेकिन इसे संपत्ति माना जाता है। सोना से कुछ भी नहीं खरीदा जा सकता है। सबसे पहले इसे भुनाना होगा। सोना के लेनदेन से होने वाली किसी भी आय पर कर लगता है। इसी तरह रियल स्टेट एक संपत्ति है। ऐसे ही कीमती धातुएँ और अन्य वस्तुएँ हैं। इन संपत्तियों से होने वाली इनकम पर नियम के अनुसार टैक्स लगता है। जैसे कि भारत में जुआ गैर-कानूनी है, लेकिन इससे होने वाली आय पर टैक्स लगता है।

हाल ही में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अन्य मुद्दे पर बात की थी। वह बात ये थी कि क्रिप्टो करेंसी का टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग के लिए संभावित इस्तेमाल। सरकार ने क्रिप्टो से होने वाली आय पर 30% कर में से स्रोत पर 1% कर लगाया है। इसको लेकर वित्त मंत्री ने कहा था कि इससे इस पर नजर बनाए रखने पर मदद मिलेगी कि कहीं इसका इस्तेमाल भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों के लिए फंडिंग के लिए नहीं किया जा रहा है।

सीएए दंगाई को टिकट देने पर कॉन्ग्रेस को सराहा

14 जनवरी 2022 को इंकलाब इंडिया ने सीएए विरोधी दंगों की आरोपित सदफ जफर को टिकट देने के लिए कॉन्ग्रेस पार्टी को बधाई दी थी।

साभार फोटो: इंस्टाग्राम

सीएए विरोधी दंगों में शामिल होने के आरोपी जफर को हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के आधार पर बने नए कानून के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक रिकवरी नोटिस जारी किया था। सदफ जफर चुनाव हार गई थीं।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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