Saturday, April 27, 2024
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‘द प्रिंट’ का नया फ़र्ज़ीवाड़ा: ऐसी कोई ‘IB रिपोर्ट’ मौजूद नहीं है, जो संस्थानों के मोदी-विरोधी होने की बात करती हो

‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आर सुब्रह्मण्यम, जो मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव हैं, ने ट्वीट किया कि उनके विभाग को IB से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, और इस वजह से यह रिपोर्ट सही नहीं है।

‘द प्रिंट’ ने जनवरी 28, 2019 को एक ‘कहानी’ प्रकाशित की, जिसमें दावा किया गया कि मोदी सरकार के पास IB (इन्फ़ॉर्मेशन ब्यूरो) की एक ‘नोट’ आई जिसमें कई निजी विश्वविद्यालयों को ‘मोदी विरोधी’ लोगों द्वारा संचालित होने के कारण ‘उत्कृष्ट संस्थान’ यानि ‘इंस्टीट्यूट ऑफ़ एमिनेंस’ (IoE) का दर्जा देने से मना करने का प्रस्ताव है।

रिपोर्ट के अनुसार, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) ने कहा है कि विश्वविद्यालयों से जुड़े व्यक्ति नरेंद्र मोदी और भाजपा के आलोचक हैं। ‘द प्रिंट’ का कहना है कि IB ने पिछले महीने मानव संसाधन विकास मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट भेजी थी। रिपोर्ट में अशोक विश्वविद्यालय, KREA विश्वविद्यालय और अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय को IB द्वारा ‘रेड फ्लैग्ड’ संस्थानों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

लेकिन मानव संसाधन विकास मंत्रालय के शिक्षा सचिव के अनुसार, उन विश्वविद्यालयों की कोई भी IB रिपोर्ट मंत्रालय को प्राप्त नहीं हुई है। ‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए आर सुब्रह्मण्यम, जो मंत्रालय में उच्च शिक्षा सचिव हैं, ने ट्वीट किया कि उनके विभाग को IB से ऐसी कोई रिपोर्ट नहीं मिली है, और इस वजह से यह रिपोर्ट सही नहीं है। सुब्रह्मण्यम ने यह भी बताया कि यूजीसी अधिक विश्वविद्यालयों को आईओई (IoE) दर्जा देने से संबंधित मामला उठाएगा।

गौरतलब है कि IB द्वारा ‘रेड-फ्लैग्ड’ विश्वविद्यालयों को वास्तव में Empowered Expert Committee (EEC) की सिफारिशों में शामिल किया गया है, ताकि उन्हें यहाँ दर्जा प्रदान किया जा सके।

EEC का गठन मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा संस्थानों का चयन करने के लिए किया गया है। आज (जनवरी 29, 2019) समिति ने सुझाव दिया कि 20 के वर्तमान प्रस्ताव से बढ़ाकर IoE की संख्या 30 की जानी चाहिए।

इसके अलावा, समिति ने दिसंबर में IoE दर्जा देने के लिए 19 संस्थानों की एक सूची प्रस्तुत की थी और इस सूची में अशोक विश्वविद्यालय, KREA विश्वविद्यालय और अजीम प्रेमजी विश्वविद्यालय शामिल थे, जिनके ख़िलाफ़ ‘द प्रिंट’ के अनुसार ‘नकारात्मक’ IB रिपोर्ट हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय पहले ही यूजीसी के पास नाम प्रस्तुत कर चुका है, और यह मामला यूजीसी के पास लंबित है। इस पर विरोधाभास यह है कि यदि सरकार इन संस्थानों को दर्जा देने में हिचकिचा रही होती, तो वे यूजीसी द्वारा जारी सूची में नाम शामिल ही नहीं करते।

इससे पहले, EEC ने IoE दर्जे के लिए 11 नामों की सिफ़ारिश की थी, जिनमें से 6 को आख़िरकार IoE दर्जा दिया गया था। अब समिति का सुझाव है कि पहले की सूची से बचे हुए 5 एवं, इनके अतिरिक्त 19 अन्य संस्थानों को दर्जा दिया जाना चाहिए। इस हिसाब से ऐसे संस्थानों की कुल संख्या 30 हो जाएगी।

यह साबित करता है कि ‘द प्रिंट’ की रिपोर्ट गलत है और मंत्रालय में मानव संसाधन विकास मंत्रालय के पास ऐसी कोई IB रिपोर्ट नहीं है। ‘द प्रिंट’ एक आदतन प्रोपेगंडा-परस्त और फ़र्ज़ी ख़बर फैलाने वाला पोर्टल मात्र है, जो नियमित रूप से काल्पनिक कहानियाँ प्रकाशित करता रहता है।

सम्बंधित अधिकारी द्वारा उनकी कहानियों को पूरी तरह से ख़ारिज़ कर दिए जाने के बाद भी ‘द प्रिंट’ कहानी को वापस लेने के बजाए स्पष्टीकरण के साथ कहानी को अपडेट करते हैं। इस गिरोह के द्वारा गढ़ी कहानियों के अक्सर ऐसे स्रोत होते हैं जिनका कोई वास्तविक प्रमाण नहीं होता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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