भारतीय चुनाव आयोग (ECI) ने कर्नाटक विधानसभा चुनाव (Karnataka Assembly Election 2023) के तारीखों की घोषणा कर दी है। राज्य के विधानसभा की कुल 224 सीटों पर एक ही चरण में मतदान होगा। मतदान की तारीख 10 मई 2023 घोषित की गई है। वहीं, चुनाव नतीजों की घोषणा 13 मई को की जाएगी। चुनाव का नोटिफिकेशन 13 अप्रैल को जारी किया जाएगा।
चुनावों में हिस्सा लेने वाले उम्मीदवारों के नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख 20 अप्रैल 2023 है। वहीं, नामांकन पत्रों की जाँच 21 अप्रैल तक पूरे कर लिए जाएँगे। इसके बाद 24 अप्रैल 2023 तक उम्मीदवार अपना नाम वापस ले सकेंगे। वहीं, कुल 224 सीटों में से 36 आदिवासी और 15 सीटें दलित समुदाय के लिए आरक्षित हैं।
राज्य में पारदर्शी और साफ-सुथरा चुनाव कराने के लिए कुल 58,282 मतदान केंद्र बनाए जाएँगे। इस तरह एक मतदान केंद्र पर औसतन 883 मतदाता होंगे। इनमें से आधे मतदान केंद्रों में वेबकास्टिंग की सुविधा है। वहीं, 1320 मतदान केंद्रों का प्रबंधन महिला अधिकारी को दिया गया है।
चुनाव आयोगकी तैयारियों की बारे में बात करते हुए चुनाव आयोग ने कहा कि कर्नाटक के सभी 19 जिलों में 171 अंतरराज्यीय चेकपोस्ट बनाए जाएँगे। इसके जरिए चुनाव में धनबल और बाहुबल के इस्तेमाल पर नकेल पर नकेल कसी जाएगी। इसके लिए चुनाव आयोग टीमों को मजबूत कर रहा है।
मुख्य चुनाव आयुक्त ने कहा कि राज्य के चुनावों के दौरान धनबल पर लगाम कसने के लिए 2400 स्टेटिक सर्विलांस टीमें निगरानी रखेंगी। सभी जिलों से लगने वाली अंतरराज्यीय चेकपोस्ट पर दूसरे राज्यों की सीमा से लगने वाली वाली पुलिस से तालमेल और समन्वय स्थापित कर कार्रवाई की जाएगी।
राज्य में कुल 5 करोड़ 21 लाख मतदाता हैं। इनमें 16,976 मतदाता ऐसे हैं, जो 100 साल से ऊपर के हैं, 80 साल से ज्यादा उम्र के 12.15 लाख वोटर्स हैं। इसके अलावा, 5.55 लाख मतदाता विकलांग और 4,699 मतदाता तीसरे लिंग के हैं। इस बार राज्य के विधानसभा चुनावों में 9.17 लाख मतदाता पहली बार मतदान करेंगे।
बता दें कि साल 2018 के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में भाजपा को 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी। वहीं, 80 सीटें जीतकर कॉन्ग्रेस दूसरे स्थान पर थी। जनता दल सेक्युलर (JDS) को 37 सीटें मिली थीं। भाजपा को इस चुनाव में 36.3 प्रतिशत वोट मिले थे, जबकि कॉन्ग्रेस को 38.1 और जेडीएस को 18.3 प्रतिशत वोट मिले थे।
उस दौरान येदियुरप्पा ने सरकार बनाई, लेकिन बहुमत साबित नहीं कर पाए। इसके बाद उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। बाद में कॉन्ग्रेस और जेडीएस ने गठबंधन की सरकार बनाई और JDS के एचडी कुमारस्वामी मुख्यमंत्री बने। हालाँकि, 14 महीने बाद ही सरकार गिर गई। इसके बाद बोम्मई के नेतृत्व में फिर भाजपा की सरकार बनी।