रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया ने केंद्र सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए (24 बिलियन डॉलर) हस्तांतरित करने का निर्णय लिया है। आरबीआई यह रक़म अपने सरप्लस और मुनाफे में से सरकार को देगी। इसमें से 1.23 लाख करोड़ रुपए डिविडेंड अर्थात लाभांश के रूप में और बाकी के 52,640 करोड़ रुपए अपने सरप्लस कैपिटल में से दिया जाएगा। डिविडेंड पेमेंट के अंतर्गत 28,000 करोड़ रुपए सरकार को इसी वर्ष फरवरी में हस्तांतरित किए जा चुके हैं।
आरबीआई ने अपने इकोनॉमिक कैपिटल फ्रेमवर्क के अध्ययन के लिए एक पैनल का गठन किया था, जिसकी रिपोर्ट आने के बाद यह निर्णय लिया गया। डिविडेंड और सरप्लस कैपिटल का यह डोज सरकार के लिए राहत का कार्य करेगा क्योंकि वित्त मंत्रालय अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाए रखने के लिए पहले ही कई क़दम उठाने की घोषणा कर चुका है। सरकार के सामने अपने राजकोषीय घाटे को नियंत्रण में रखना भी एक बड़ी चुनौती है।
पूर्व आरबीआई गवर्नर विमल जालान की अध्यक्षता वाली समिति की अनुशंसा पर रिज़र्व बैंक ने यह निर्णय लिया कि आरबीआई को रिज़र्व में कितना फंड रखना चाहिए और कितना सरकार को ट्रांसफर कर देना चाहिए। सरकार और रिज़र्व बैंक के बीच कई दिनों से इस पर विवाद चल रहा था। केंद्र सरकार ने कई अन्य देशों का उदाहरण दिया था, जहाँ के केंद्रीय बैंक अपने कुल एसेट का 14% ही रिज़र्व में रखते हैं जबकि आरबीआई के मामले में यह आँकड़ा 28% का हो जाता है।
#TopStory Headlines At 9 pm | #RBI to pay a record high #dividend of Rs 1.2 lakh cr to Govt this financial year. RBI board also accepts the #JalanPanel‘s report on its capital reserves & decides to do a one-time transfer just over Rs 52,000 cr from its contingency reserves pic.twitter.com/cMk6EuWtTh
— CNBC-TV18 (@CNBCTV18Live) August 26, 2019
सरकार वित्तीय घाटे को जीडीपी का 3.3% रखने का लक्ष्य लेकर चल रही है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस रेकॉर्ड ट्रांसफर से सरकारी बैंकों में कैपिटल डाले जाने की उम्मीद है। इससे इंफ्रास्ट्रक्चर और शेयर बाजार को भी बूस्ट मिलने की संभावना है।