उत्तर प्रदेश के कई जिले रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों के पनाहगाह बन गए हैं। कानपुर के बाद उन्नाव एवं रायबरेली में रोहिंग्या मुस्लिमों को बसाने वाले तंत्र के खुलासे के बाद शासन-प्रशासन और खुफिया एजेंसियों के कान खड़े हो गए हैं। करीब 20,000 फर्जी जन्म प्रमाणपत्र बनाने के मामले में गिरफ्तार जीशान और ग्राम विकास अधिकारी विकास यादव ने चौंकाने वाले खुलासे किए हैं।
यूपी ATS की जाँच में अभी तक पता चला है कि पकड़ा गया सीएससी संचालक जीशान बस मोहरा है। इस पूरे खेल का असली सूत्रधार कोई और है। सूत्रधार के इशारे पर ही ये सारा खेल हुआ है। भाजपा के स्थानीय विधायक अशोक कुमार ने इसे आतंकी साजिश बताया है। वहीं, हिंदू संगठन भी इन मामलों में आतंकियों के शामिल होने का आरोप लगाकर अपना रोष बताया है।
यूपी के अलग-अलग जिलों में फैला है नेटवर्क
दरअसल, 18 जुलाई को यूपी एटीएस ने जनसेवा केंद्र संचालक जीशान खान, सुहैल, रियाज खान और VDO विजय यादव से अलग-अलग पूछताछ की थी। इस दौरान ATS को एक बड़े नेटवर्क की जानकारी मिली। यह नेटवर्क बांग्लादेशियों और रोहिंग्या मुस्लिमों को जगह-जगह बसाने में लगा हुआ है। कानपुर, उन्नाव, प्रयागराज, लखनऊ में भी इस तरह का खेल चल रहा है।
एटीएस इस मामले में बिहार, असम, कर्नाटक, केरल, मुंबई तक के तार जोड़ने में लगी हुई है। पुलिस को पता चला है कि इन लोगों को 20 हजार से अधिक बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों का फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाकर अलग-अलग जगहों पर बसाया है। रायबरेली का सलोन इलाका शुरू से ही संवेदनशील रहा है और यहाँ एक से बढ़कर एक आतंकी हुए हैं।
उधर, सलोन के प्रखंड विकास अधिकारी ने कहा है कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाने वाले ग्राम विकास अधिकारी विजय यादव के खिलाफ FIR दर्ज कराई गई है। इसके अलावा, यादव को निलंबित करके उनके खिलाफ विभागीय जाँच शुरू की गई है। कानूनी कार्रवाई भी की जा रही है। विजय यादव की आईडी से दो साल में 20 हजार से अधिक जन्म प्रमाण पत्र जारी किए गए हैं।
BIG BREAKING 🚨
— BALA (@erbmjha) July 28, 2024
Thousands of Rohingyas and Bangladeshis Settled in Rae Bareli.
In Rae Bareli’s Salon town, ATS investigation uncovered a conspiracy to grant Indian citizenship to infiltrators using about 20,000 fake residence certificates. Jan Seva Kendra operators Zeeshan… pic.twitter.com/sEWDLEM9Pk
कस्बे की जनसंख्या 20 हजार, 19 हजार से अधिक फर्जी प्रमाण पत्र बनाए
रायबरेली के पलाही गाँव की कुल जनसंख्या 4500 है और यहाँ सिर्फ एक मुस्लिम परिवार है, लेकिन इस गाँव के पते पर 819 मुस्लिमों के जन्म प्रमाण पत्र बना दिए गए। इसी तरह एक अन्य गाँव नूरुद्दीनपुर की जनसंख्या 8,000 है लेकिन यहाँ के पते पर 12,000 से अधिक मुस्लिमों के जन्म प्रमाण पत्र जारी कर दिए गए हैं। ये लोग कुछ लोगों के हिंदू नाम से प्रमाण पत्र देते थे, ताकि शंका ना हो।
वहीं, 20 हजार की आबादी वाले सलोन कस्बे में 19,184 जन्म प्रमाण पत्र बना दिए गए।स्थानीय जन्म प्रमाण पत्र के लिए 3 से 5 हजार और बिहार, बंगाल एवं झारखंड आदि जगहों के लिए 5 से 10 हजार रुपए तक लिए जाते थे। बांग्लादेशी-रोहिंग्या मुस्लिमों से मिले इन पैसों का बँटवारा रोज शाम को विजय यादव, जीशान, रियाज और सुहैल के बीच होता था।
स्थानीय लोगों रायबरेली ये बानगी हैं। इनका नेटवर्क प्रयागराज, कानपुर, उन्नाव, बाराबंकी, अमेठी, लखनऊ सहित तमाम जिलों में फैला हुआ है। माना जा रहा है कि दूसरे राज्यों में भी इनका नेटवर्क होगा। दरअसल, रोहिंग्याओं और बांग्लादेशियों को बसाने के लिए एक गैंग रोहिंग्या और बांग्लादेशी मुस्लिमों के नामों की सूची देता था और जीशान उनका जन्म प्रमाण पत्र बनाकर देता था।
अभी दो दिन पहले लखनऊ से नजमा नाम की बांग्लादेशी महिला को दो अन्य महिलाओं के साथ गिरफ्तार किया था। उसके घर से आधार कार्ड मिला है, जिसमें उसे मध्य प्रदेश की इंदौर का पता है। वहीं, उसके साथ की एक महिला आखी ने अपना नाम मधु सिंह रखा था। उसका भी पता इंदौर का है। रिपोर्ट के मुताबिक, असम में भी बांग्लादेशियों का प्रमाण पत्र बनाया जाता है।
PFI आतंकी का भी जीशान ने बनाया था प्रमाण पत्र
जीशान ने प्रतिबंधित इस्लामी आतंकी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के एक सदस्य का भी प्रमाण पत्र बनाया था। PFI के एक आतंकी को सुरक्षा एजेंसियों ने गिरफ्तार किया था। उसके पास से दस्तावेज बरामद किए गए थे। उसके सभी दस्तावेज रायबरेली के पलाही गाँव के पते पर ही बने थे। इन प्रमाण पत्रों को जीशान ने अपने जन सुविधा केंद्र से जारी किए गए थे।
गिरफ्तार PFI के आतंकी ने सुरक्षा एजेंसियों के सामने यह बात कबूल की थी कि सिर्फ केरल ही नहीं, बल्कि महाराष्ट्र और गुजरात के उसके कई साथियों के जन्म प्रमाण पत्र भी यहीं से बनवाए गए थे। अगर यहाँ की विस्तृत जाँच की जाए तो और भी चौंकाने वाले खुलासे हो सकते हैं। वैसे भी सलोन आतंकियों से संबंधित रहा है।
आतंकियों और दाऊद के गैंग से कनेक्शन
रायबरेली 90 के दशक में लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिद्दीन और दाऊद इब्राहिम के गैंग के लिए सुरक्षित पनाहगाह रहा है। साल 1992 में आतंकी अब्दुल करीम टुंडा रायबरेली आया था। इसी तरह हिजबुल मुजाहिद्दीन का एरिया कमांडर बिलाल अहमद भी रायबरेली के खिन्नी तल्ला में शरण लिया था।
इसी तरह सलोन में लश्कर-ए-तैयबा का कमांडर इमरान अंसारी सक्रिय रहा। साल 2006 में ATS ने उसे पकड़ा था। बछरावाँ दाऊद गैंग का सेंटर रहा है। इसके अलावा भी समय-समय पर अन्य देश विरोधी एवं समाज विरोधी तत्व यहाँ से सक्रिय रहा। यहाँ आतंकियों से लेकर इन माफियाओं तक को किसने पनाह दिया, इसका खुलासा आज तक नहीं हो पाया है।
भाजपा विधायक ने बताया ISI का हाथ
सलोन के भाजपा विधायक अशोक कुमार ने कहा कि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र पर बांग्लादेशी और रोहिंग्या मुस्लिमों को बसाने के पीछे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशियों और रोहिंग्याओं को भारत में बसाने और उन्हें नागरिकता दिलाने के लि फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनाए जा रहे थे।
उन्होंने कहा कि इन सबके पीछे विदेशी ताकतों का हाथ और उनकी फंडिंग है। उन्होंने कहा कि फर्जी बर्थ सर्टिफिकेट के जरिए वोटर आईडी समेत अन्य दस्तावेज तैयार कराए गए और इसके जरिए फर्जी लोगों ने रायबरेली-अमेठी जिले के लोकसभा चुनाव में वोटिंग भी की है। उन्होंने इस पर गंभीर चिंता व्यक्त की है।