कोरोना, लॉकडाउन, प्रवासी, PM CARES फंड और ऐसे ही तमाम मुद्दों पर पिछले कुछ माह ‘जनता के मुद्दों’ के नाम पर कॉन्ग्रेस ने बर्बाद कर दिए। आखिरकार इंदिरा गाँधी की पोती ने कमान संभाली और कॉन्ग्रेस पार्टी को वापस पारंपरिक विषय पर डालने का ऐतिहासिक काम किया।
पिरंका ने मुद्दों की कमी से जर्जर होती जा रही कॉन्ग्रेस में नई जान फूँकने के लिए बयान जारी किया और कॉन्ग्रेस की कमान किसी गैर गाँधी शख्स को सौंपे जाने की वकालत की। यानी, किसी ऐसी हस्ती को ही पार्टी की कमान सौंपी जाए, जिसके नाम में ‘गाँधी’ न हो।
लेकिन इससे पहले कि भाजपा समर्थक इस फैसले को कॉन्ग्रेस पार्टी लाइन के खिलाफ बताकर पिरंका के विरोध में शाहीनबाग़ खड़ा करते, गाँधी परिवार ने एक और बयान जारी करते हुए बताया कि राहुल गाँधी का नाम आज से राओल विंची ही माना जाएगा।
राहुल गाँधी के राजनैतिक गुरु दिग्विजय सिंह ने भी फौरन पेपर में इश्तिहार दे दिया कि राहुल गाँधी अब राओल विंची कहलाएँगे। इसके पीछे बड़ी वजह यह मानी जा रही है कि विदेशी किस्म के नामों में कॉन्ग्रेस परिवार और समर्थकों की नेहरू जी के जमाने से ही विशेष आस्था रही है। हालाँकि, अभी भी भूमिभक्षी रॉबर्ट वाड्रा और रेहान वाड्रा को कॉन्ग्रेस का नेतृत्व सौंपे जाने की उम्मीदें कायम हैं।
पिरंका के मुँह से किसी गैर-गाँधी के पास कॉन्ग्रेस की सत्ता जाने की बात सुनकर सावन माह के शिवभक्त और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी तो एक बार को बगावती हो गए थे और उन्होंने फौरन उन्हें देशद्रोही तक घोषित कर दिया था। उन्होंने कहा कि कॉन्ग्रेस पार्टी लाइन के खिलाफ बात करने वाला सज्जन कोई भी हो, एंटी नेशनल कहलाएगा।
लेकिन जब उन्हें अगले दिन के अखबार में दिग्विजय सिंह जी द्वारा भेजा गया राहुल गाँधी का नाम राओल विंची किए जाने का इश्तिहार मिला तब जाकर वो अपने क्रोध पर नियंत्रण कर पाए।
हालाँकि, इस बीच कमलनाथ जी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को भी फोन कर के ‘वही कलाकारी’ दोबारा दिखाने की भी सिफारिश कर डाली जिसे करने से मध्य प्रदेश में कमलनाथ चूक गए थे।
हमने दिग्विजय सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि वो पिरंका जी का सम्मान करते हैं और उनके एक तिहाई भाग में गाँधी होने के कारण कोई भी कॉन्ग्रेसी उनकी किसी बात को काट नहीं सकता। साथ ही राहुल गाँधी जैसे दूरदर्शी व्यक्तित्व के नेतृत्व से पार्टी को अलग रखना निहायत ही गलत सोच होगी। अतः अपने मास्टरस्ट्रोक का प्रयोग करते हुए उन्होंने कहा कि ‘साला! नामे बदल दिहिस!’
दिग्विजय की इस बात का भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने स्वागत किया है। संबित पात्रा ने कहा, “देखिए, हम नहीं चाहते कि कॉन्ग्रेस की आंतरिक कलह का प्रभाव भाजपा पर पड़े। इसलिए राहुल गाँधी चाहे राओल विंची बन कर नेतृत्व दें, या आउल विनोद बन जाएँ, हमें किसी भी शर्त पर कॉन्ग्रेस में इस व्यक्ति को शीर्ष में बने रहना देखना है।”
मौलाना-रोधी भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने कहा कि अगर कॉन्ग्रेस इससे थोड़ा भी दाहिने-बाएँ जाती है, तो हम सुप्रीम कोर्ट को छोड़िए इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस का भी दरवाजा खटखटाएँगे।
गुप्त सूत्रों से यह खबर भी आ रही है कि पिरंका जी अब अपनी बात से मुकर रही हैं क्योंकि रात में उन्हें माताजी का एक वीडियो कॉल आया और उन्होंने कहा, “अे कीया कार डीया बेटी! असा नेही केना ठा।”
हमारे सूत्र बताते हैं कि कल पिरंका जी ये भी कह सकती हैं कि उन्होंने तो यूएस कॉन्ग्रेस के बारे में ऐसा कहा था जिसे मीडिया ने अपने हिसाब से प्रस्तुत किया है। पिरंका के इस बयान से मची उथल-पुथल पर कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ इंग्लिशाचार्य शशि थरूर ने नाराजगी प्रकट करते हुआ कड़े शब्दों में कहा – “एपड़ी बैका”
लेकिन कुछ देर बाद जब शशि थरूर को होश आया तो उन्होंने माफी माँगते हुए कहा कि किसी गैर गाँधी को कॉन्ग्रेस की कमान देने की बात सुनकर वो अपने होशोहवास में नहीं थे, जिसके चलते उन्होंने इंग्लिश के बजाए पहाड़ी/गढ़वाली शब्द का प्रयोग कर दिया।
उन्होंने कहा कि इसी बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि सदियों से एक परिवार विशेष के लिए समर्पित रहने वाली जमात-ए-कॉन्ग्रेस कितनी व्यथित और उनकी क्या हालत रही होगी जब पिरंका ने किसी बिना गाँधी नाम वाले व्यक्ति को उनका लीडर होने की बात कही।
जब उनसे पूछा गया कि क्या ‘एपड़ी बैका’ किसी प्रकार की गाली होती है? इस पर शशि थरूर ने जवाब देते हुए सवाल किया कि क्या किसी बिना गाँधी नाम वाले के हाथ में कॉन्ग्रेस की कमान सौंपने के बारे में विचार करना गाली नहीं है?
राहुल को राओल विंची बना देने के बावजूद भी अभी कुछ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ता अपने मन को बहला पाने में असमर्थ हैं और पिरंका द्वारा दीए गए इस बयान में साजिश की बू तलाश रहे हैं। दरअसल, राहुल गाँधी के इन समर्थकों ने हमारे गुप्त सूत्रों को बताया है कि पिरंका का यह बयान ऐसे समय में आया है जब राहुल गाँधी को उनके ही नेताओं द्वारा नशेड़ी कहे जाने की चर्चा एकबार फिर बाजार में गर्म है।
‘तहलका’ के संपादक और सेक्स स्कैंडल में फँसे तरुण तेजपाल ने राहुल गाँधी के 2005 के इस इंटरव्यू को दबा दिया था। उस समय कई लोग कॉन्ग्रेस में इस चिंता में पड़ गए थे कि उनकी ‘नौकरी’ चली जाएगी और वो कहने लगे थे कि ये किस व्यक्ति से बात कर लिया, ये तो नशेड़ी है।
वहीं, भाजपा ने भी पिरंका के बयान को पहली बार गम्भीरता से लेते हुए फौरन एक उच्चस्तरीय आपात बैठक बुलाई और इस बात पर चर्चा की कि अगर वाकई में राहुल गाँधी कॉन्ग्रेस के लीडर नहीं रहे तो ऐसी परिस्थिति में भाजपा के लिए परिस्थितियाँ एकदम उलट हो जाएँगी।
पिरंका द्वारा कॉन्ग्रेस पार्टी के नेतृत्व पर विचार रखने पर मशहूर शायर और रं** के भाव विशेषज्ञ मुनव्वर राना ने भी अपनी एक नज्म याद करते हुए कहा – “कई बातें मुहब्बत सबको बुनियादी बताती है, जो परदादी बताती थी वही दादी बताती है।”