Monday, January 6, 2025
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इंग्लैंड में बनेगी दरगाह: वक्फ बोर्ड ने भेजा सबसे महँगी जमीन का दस्तावेज, ग्रूमिंग गैंग वालों के सपोर्ट में जमा होगी भीड़

ब्रिटिश म्यूजियम के आइटमों का फैक्ट चेक कर लंदन में अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले और हेडमास्टर के बेटे मोहम्मद जुबैर ने इस ग्रूमिंग गैंग वाले मुद्दे पर कहा, "पिछले 10 साल से मजे से हम ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बना रहे थे लेकिन इस गलीच एलन मस्क ने सब गड़बड़ कर दी है और हमारे बारे में सबको बता रहा है।"

इंग्लैंड में रहने वाले पाकिस्तानी, जो चोरी-चकारी और रेप करते समय दक्षिण एशियाई बन जाते हैं, अब इंग्लैंड में एक दरगाह बनाएँगे। ये दरगाह किसी सूफी संत की होगी और इसे बर्मिंघम में बनाया जाएगा। वक्फ बोर्ड ने इसके लिए वहाँ जमीन का दावा भी कर दिया है। यह जमीन वहाँ की सबसे महँगी और पॉश इलाके में है।

दरगाह बनाने की जरूरत इसलिए आन पड़ी क्यों है क्योंकि बीते कुछ दिनों में पाकिस्तानियों के ग्रूमिंग गैंग की खबरें भी तेजी से चलने लगी हैं। इंग्लैंड में छोटी बच्चियों से गैंगरेप करने वाले पाकिस्तानियों के ग्रूमिंग गैंग के बारे में अब दुनिया जान रही है, खासकर एक्स (पहले ट्विटर) पर इसको लेकर बवाल मचा पड़ा है।

ब्रिटिश म्यूजियम के आइटमों का फैक्ट चेक कर ग्रेटर लंदन में अपनी रोजी-रोटी कमाने वाले और हेडमास्टर के बेटे मोहम्मद जुबैर ने इस ग्रूमिंग गैंग वाले मुद्दे पर कहा, “पिछले 10 साल से मजे से हम ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बना रहे थे लेकिन इस गलीच एलन मस्क ने सब गड़बड़ कर दी है और हमारे बारे में सबको बता रहा है।” जुबैर असल में पाकिस्तान के कराची का रहने वाला है।

जुबैर ने इसके बाद खीझते हुए कहा,”हम मजे से कई सालों से ब्रिटिश लड़कियों को निशाना बनाते रहे थे और वामपंथी मीडिया लगातार हमें अमन का सौदागर बता रही थी। मीडिया सबको बताती रही कि कैसे ग्रूमिंग गैंग फेक न्यूज है लेकिन अब फिर से यह मामला उठ गया है। हमारी सारी मेहनत मिट्टी में मिल गई है।”

जुबैर ने इसके बाद दुखियारा सा मुंह बनाकर कहा कि उसने एक्स पर ग्रूमिंग गैंग की भयावहता दिखाने वाली पोस्ट पर कम्युनिटी नोट लगाने की भी कोशिश की लेकिन ट्विटर में अब डाइवर्सिटी ना होने के कारण वह फेल हो गया। उल्टे उसका अकाउंट भी ब्लॉक हो गया। जुबैर ने इसके बाद ग्रूमिंग गैंग से मुस्लिमों के बारे में दिखाई जा रही नकारात्मक खबरों से कैसा लड़ा जाए, यह तय करने के लिए बुर्जुर्गों की एक मीटिंग बुलाई थी। इस मीटिंग में 2-4 लोग ऐसे भी थे, जो तालिबान की प्रेस कॉन्फ्रेंस का हिस्सा रह चुके थे।

हिन्दुओं पर किए गए अत्याचार को छुपाने में माहिर और ब्रिटेन में एक दिन शरिया राज का सपना देखने वाले असद खान ने तुरंत आइडिया दिया कि हमें एक दरगाह बना लेनी चाहिए। असद खान इंग्लैंड में तीसरी पीढ़ी का नागरिक है और 1947 से पहले ही उसके दादा अविभाजित भारत से इंग्लैंड चले गए थे। हालाँकि, 1947 में जब से पाकिस्तान बन गया, असद खुद को पाकिस्तानी बताने लगा। वह बात अलग है कि उसके जो भाई-बंधु पाकिस्तान में रहते हैं, उन्हें मुहाजिर कहा जाता है।

असद खान ने कहा कि दरगाह बाकी अपराधों पर ‘चादर डालने’ (इसे व्यंग्य के तौर पर ही लें) का एक बढ़िया तरीका है। असद ने इसके बाद कहा कि दरगाहों की पीआर बड़ी जबरदस्त है और अगर कहीं यह कोई सूफी संत की हो तो शॉल ओढ़ने वाले बुद्धिजीवी इस पर लहालोट ही जाते हैं। असद ने कहा कि इस दरगाह को लेकर गाना बनवाने का ठेका वह एक बॉलीवुड एजेंसी को दे देगा जो इसमें माहिर हैं। यह एजेंसी केवल खुदा-मौला-अली वाले गाने बनाती है।

असद की बात पर दो तीन लोगों ने मुंह बनाया तो उसने बताना चालू किया, “ज़रा अजमेर की तरफ निगाह डालो मियाँ! ग्रूमिंग जैसा ही कुछ मसला वहाँ भी हुआ था। दरगाह से जुड़े कुछ लोग भी इसमें शामिल थे लेकिन फिर भी अभी हिन्दू वहाँ लोटते हुए जाते हैं। बड़े-बड़े फिल्म स्टार वहाँ चादर चढ़ाते हैं।” असल में असद खान 1990 के अजमेर सेक्स स्कैंडल के बारे में बता रहा था। इस तर्क के बाद बाकी सब लाजवाब हो गए। अब आप सोचेंगे कि ऑपइंडिया को ये सब कैसे पता, तो हमें ये बात एक सूत्र ने बताई, वो भी मीटिंग में मौजूद था।

असद खान के इस प्रस्ताव को लेकर कुछ लोग नाचने लगे, कुछ ने एक घेरा बनाया और गोल-गोल भी घूमे। उनका डांस कुछ-कुछ सूफियों की तरह ही नजर आया। अब बर्मिंघम के मुस्लिमों ने एक कमिटी बनाई है, ये कमिटी भारत आकर अजमेर मॉडल पर रिसर्च करेगी। दूसरी भी एक कमिटी बनी है, ये इतिहासकार रोमिला थापर के पास जाएगी। उनसे पूछेगी कि कौन सा मुस्लिम व्यक्तित्व इस दरगाह के लिए सबसे फिट रहेगा। (फिट होने में जगह का कोई मसला नहीं है, बात परसेप्शन की है।)

जुबैर ने कहा कि कि उनकी पहली पसंद औरंगजेब है। जब बात जगह को लेकर पर आई तो उन्होंने कहा कि इसका कोई मुद्दा नहीं क्योंकि यहाँ वक्फ बोर्ड है। उन्होंने कहा कि कहीं नहीं तो किसी सड़क या रेलवे स्टेशन पर ही वक्फ बोर्ड दावा ठोंक देगा और दरगाह के लिए जगह बना देगा। अगर ये भी नहीं हो सका तो कुछ जमीन उस पैसे से खरीद ली जाएगी, जो हल्द्वानी में दंगाइयों के घरों पर बाँटे गए थे, संभल वाले फंड का इस्तेमाल आगे किए जाने की योजना है। जुबैर और असद इसके बाद लेबर पार्टी के एक फंक्शन में शामिल होने चले गए।

(यह लेख एक व्यंग्य है, इसे वैसे ही पढ़ें और शेयर करें)

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अर्पित त्रिपाठी
अर्पित त्रिपाठीhttps://hindi.opindia.com/
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