Tuesday, November 19, 2024
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लगातार एक दर्जन फ्लॉप फ़िल्में, 8 साल से नहीं दे पा रहे एक अदद हिट: बिना बॉयकॉट के ही डिजास्टर की गारंटी हैं अर्जुन कपूर, दर्शकों को फिर से धमकाएँगे?

एक ऐसा अभिनेता, जिसने 11 वर्षों में सिर्फ दो हिट फ़िल्में दी हों, उसकी फ़िल्में आने भी आने वाली हैं। ऐसे में कोई नेपोटिज्म को लेकर कुछ बोल दे तो ये बॉलीवुड वाले बुरा मान जाते हैं।

वो भी क्या जमाना था! 60 के दशक के अंत और 70 के दशक के शुरुआती दौर में बॉलीवुड पर ‘काका’ का राज था। जिन्होंने उस दौर को देखा है, वो ‘काका’ के प्रति फैंस, खासकर लड़कियों के पागलपन का जिक्र करते थकते नहीं। ‘काका’ बोले तो राजेश खन्ना, जिन्होंने 17 फ़िल्में हिट हुई थीं। अब इसके 5 दशक बाद ‘नेपोटिज्म’ के एक प्रोडक्ट नया रिकॉर्ड बनाने निकले हैं। उनका नाम है – अर्जुन कपूर, जिन्होंने लगातार एक दर्जन फ्लॉप फ़िल्में दे दी हैं।

ये तो दर्शकों के साथ-साथ बॉलीवुड के सभी लोगों को भी पता है कि उसके हिन्दू विरोधी रवैये के खिलाफ लोग बॉयकॉट का अभियान चला रहे हैं। लोग ये नहीं देख रहे कि सामने आमिर खान की ‘लाल सिंह चड्ढा’ है या फिर रणबीर कपूर की ‘शमशेरा’, हिन्दू विरोध का खामियाजा सबको बराबर भुगतना पड़ रहा है। इसी बीच फिल्म इंडस्ट्री के कुछ खानदानी लोगों ने अकड़ दिखाई तो जनता ने उन्हें भरपूर जवाब दिया – उनकी फ़िल्में फ्लॉप करवा कर।

जैसे, करीना कपूर ने कह दिया था कि जिसे हमारी फ़िल्में नहीं देखनी है वो नहीं देखे, कोई जबरदस्ती थोड़े है। लोगों ने इसे समझा और ‘लाल सिंह चड्ढा’ नहीं देखी। इसके बाद अर्जुन कपूर ‘उड़ता तीर’ लेने आ गए। कह दिया कि बॉलीवुड ने बहुत बर्दाश्त किया, हमने चुप रह कर बॉयकॉट करने वालों का मन बढ़ा दिया। उन्होंने कहा, “अब ज्यादा होने लगा है।” जैसे कि अगर बॉलीवुड वाले चाह देंगे तो दर्शकों का ही बहिष्कार कर के उन्हें मज़ा चखा देंगे।

अर्जुन कपूर ने बनाया लगातार एक दर्जन फ़िल्में फ्लॉप होने का रिकॉर्ड

लेकिन, हुआ इसका उलटा। अर्जुन कपूर ने ‘बॉयकॉट बॉलीवुड’ की कृपा से नया रिकॉर्ड बना दिया – लगातार 12 फ्लॉप फ़िल्में देने का, 8 वर्षों में एक भी हिट फिल्म न देने का। लगातार आधा दर्जन ‘डिजास्टर’ फ़िल्में देने का। हम इसका आकलन करेंगे, लेकिन उससे पहले ये सवाल गूँजने चाहिए कि क्या किसी बाहर से आए न्यूकमर, जो नेपोटिज्म का प्रोडक्ट न हो, उसकी लगातार इसकी आधी संख्या में भी फ़िल्में फ्लॉप हो जाएँ तो उस पर कोई निर्माता-निर्देशक दाँव लगाएगा?

लेकिन नहीं, अर्जुन कपूर एक बड़े खानदान से आते हैं और उनके हाथ में ‘द लेडी किलर’ और ‘मेरी पत्नी का रीमेक’ नामक दो फ़िल्में हैं। आश्चर्य न हो जब हम उनको कुछ और फ़िल्में साइन करते हुए देखें। ‘नेपो किड’ हैं, जब तक चाहेंगे फ़िल्में करते रहेंगे। उनके पिता बोनी कपूर एक बड़े फिल्म निर्माता हैं, जो उत्तर से लेकर दक्षिण तक पिछले 3 वर्षों में ही लगभग 10 फ़िल्में प्रोड्यूस कर चुके हैं। आज से नहीं, वो पिछले 42 वर्षों से फिल्मों का निर्माण करते आ रहे हैं।

अर्जुन कपूर की 50 करोड़ रुपए बजट वाली हालिया फिल्म ‘कुत्ते‘ दो दिनों में मात्र 2 करोड़ रुपए की नेट कमाई कर सकी है और आप समझ सकते हैं कि उनकी ये फिल्म रिलीज के पहले ही दिन ‘डिजास्टर’ की श्रेणी में आ गई है। उनकी पिछली फिल्म थी ‘एक विलेन रिटर्न्स’ (2021), जो 72 करोड़ रुपए के बजट में बनी थी और इसका नेट कलेक्शन मात्र 41 करोड़ रुपए रहा। फिल्म में जॉन अब्राहम के अलावा एक अभिनेत्रियाँ भी थीं।

2021 में ही उनकी एक और फिल्म ‘भूत पुलिस’ भी आई। हालाँकि, हम थोड़ी सहानुभूति बरतते हुए इसे उनके कोटे में नहीं गिन रहे हैं क्योंकि इसे कैटरीना कैफ और दो अन्य युवा अभिनेता मुख्य किरदार में थे, और ये बॉक्स ऑफिस पर रिलीज न होकर ‘डिज्नी हॉटस्टार’ पर आई थी। ये एक बेकार फिल्म थी, जिसे समीक्षकों ने नकार दिया। अगर ये थिएटरों में आती तो अर्जन कपूर के खाते में एक और फ्लॉप का जुड़ना तय ही था।

तो चलिए, उनकी पिछली तीसरी फिल्म की बात करते हैं। 2021 में ही उनकी ‘सरदार का ग्रैंडसन’ और ‘संदीप और पिंकी फरार’ नामक दो फ़िल्में आईं। आपने भी शायद ही इनके नाम सुने होंगे, सुना भी होगा तो भूल गए होंगे। तो फिर फिल्म की कमाई के हश्र का अंदाज़ा लगा लीजिए। मात्र 4.2 की IMDb रेटिंग वाली इस फिल्म को फ्लॉप में तो गिना ही जाना चाहिए। समीक्षकों ने भी इसे नकार दिया था। ‘Rotten Tomatoes’ पर इसे मात्र 20% रेटिंग मिली।

अब रुख करते हैं उनकी पिछली पाँचवी फ्लॉप फिल्म का। 2020 में उनकी कोई फिल्म नहीं आई। वैसे भी ये साल कोरोना महामारी के कारण दुनिया भर में तबाही लेकर आया था। हालाँकि, अर्जुन कपूर की फ़िल्में भी किसी छोटी-मोटी महामारी से कम तो नहीं है। 2019 में ‘पानीपत’ जैसी फिल्म कर के उन्होंने मराठा इतिहास की कहानी को भी बर्बाद कर डाला। इस फिल्म में उनके प्रदर्शन की तुलना आलू से हुई। आलू की तरह हर परिस्थिति में उनका एक्सप्रेशन एक ही थे।

इसी साल उनकी ‘इंडियाज मोस्ट वॉन्टेड’ भी आई, जो 11 करोड़ रुपए कमाने को भी तरस गई अपने लाइफटाइम में। 2018 में उनकी ‘नमस्ते इंग्लैंड’ आई थी और फिल्म 8 करोड़ रुपए की नेट कमाई के आँकड़े को भी पार नहीं कर सकी। इस हिसाब से निर्माताओं को हुए घाटे का अंदाज़ा लगा लीजिए। 2017 में ‘मुबारकाँ’ ने ज़रूर 50 करोड़ रुपए की नेट कमाई का आँकड़ा पार किया, लेकिन ‘बॉक्स ऑफिस इंडिया’ ने इसे भी फ्लॉप की श्रेणी में गिना इसके बजट के कारण।

अब चलिए, नौवीं फ्लॉप का रुख करते हैं, जिसका नाम है – ‘हाफ गर्लफ्रेंड’। ये जानी-पहचानी फिल्म है, जो चेतन भगत के उपन्यास पर बनी थी। उनकी ही उपन्यास पर बनी अर्जुन कपूर-आलिया भट्ट की ही ‘2 स्टेट्स’ हिट हुई थी, सो उन्होंने ये भी कर डाला, लेकिन साबित हुई फ्लॉप। अप्रैल 2016 में आई ‘Ki & Ka’, किसी तरह अपने बजट तक तो पहुँच गई, लेकिन इसे भी हिट की श्रेणी में नहीं डाला गया है। फिल्म में अमिताभ बच्चन-जया बच्चन का स्पेशल अपीयरेंस था और करीना कपूर मुख्य अभिनेत्री थीं।

2015 में आई ‘तेवर’ और सितंबर 2014 में आई ‘फाइंडिंग फैनी’ भी बुरी फ्लॉप थी। इस तरह अर्जुन कपूर की पिछली लगातार 12 मूवीज फ्लॉप हो चुकी हैं। अप्रैल 2014 में ‘2 स्टेट्स’ भारी प्रमोशन और चेतन भगत की उस समय की लोकप्रियता के कारण सुपर हिट हो गई थी। लेकिन, हिट ‘इशकजादे’ से डेब्यू करने वाले अर्जुन कपूर की दूसरी ही फिल्म ‘औरंगजेब’ फ्लॉप थी। उनकी तीसरी फिल्म ‘गुंडे’ में रणबीर कपूर और प्रियंका चोपड़ा के अलावा इरफ़ान खान भी थे, लेकिन ये भी हिट न होकर ‘सेमी हिट’ रही।

बॉलीवुड अब भी अपना घमंड छोड़ने को तैयार नहीं

हालाँकि, इतना सब कुछ हो जाने के बावजूद अर्जुन कपूर बॉलीवुड में टिके हुए हैं। सिर्फ टिके ही नहीं हुए हैं बल्कि लगातार फ़िल्में भी कर रहे हैं। एक ऐसा अभिनेता, जिसने 11 वर्षों में सिर्फ दो हिट फ़िल्में दी हों, उसकी फ़िल्में आने भी आने वाली हैं। ऐसे में कोई नेपोटिज्म को लेकर कुछ बोल दे तो ये बॉलीवुड वाले बुरा मान जाते हैं। वैसे अब सबको अर्जुन कपूर के अगले बयान का इंतजार है, ‘बर्दाश्त से बाहर’ हो जाने के बाद वो दर्शकों के खिलाफ कौन सा कदम उठाते हैं।

वैसे भी, अर्जुन कपूर अपनी फिल्मों के कारण कम और और खुद से 10 साल बड़ी मलाइका अरोड़ा के साथ रिश्ते के कारण ज्यादा सुर्ख़ियों में रहते हैं, जो सलमान खान के छोटे भाई अरबाज खान की बेगम रही हैं। पार्टियों में दोनों हाथ में हाथ धरे पहुँचते हैं, जो उनका निजी मामला है। लेकिन, मीडिया की सुर्ख़ियों में वो सिर्फ इसी कारण आते रहे हैं। दर्शकों पर एहसान करते हुए अब अर्जुन कपूर फ़िल्में करना बंद कर देते हैं या फिर आगे कोई नई धमकी देते हैं, ये देखने लायक है।

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अनुपम कुमार सिंह
अनुपम कुमार सिंहhttp://anupamkrsin.wordpress.com
भारत की सनातन परंपरा के पुनर्जागरण के अभियान में 'गिलहरी योगदान' दे रहा एक छोटा सा सिपाही, जिसे भारतीय इतिहास, संस्कृति, राजनीति और सिनेमा की समझ है। पढ़ाई कम्प्यूटर साइंस से हुई, लेकिन यात्रा मीडिया की चल रही है। अपने लेखों के जरिए समसामयिक विषयों के विश्लेषण के साथ-साथ वो चीजें आपके समक्ष लाने का प्रयास करता हूँ, जिन पर मुख्यधारा की मीडिया का एक बड़ा वर्ग पर्दा डालने की कोशिश में लगा रहता है।

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