Saturday, April 5, 2025
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जब स्नान करने निकलते हैं भगवान पद्मनाभ, थम जाते हैं हवाई जहाज भी… जानिए क्या है केरल का अरट्टू महोत्सव

लोग बताते हैं इस उत्सव की तिरुवनंतपुरम में इतनी मान्यता है कि चाहे प्लेन हों, चाहे सड़क पर चलती गाड़ियाँ हों… हर कोई अरट्टू जुलूस के लिए रास्ता छोड़ता है और जुलूस बिन किसी बाधा के अपने तय रास्ते से होते हुए गुजरता है।

केरल में प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर का ‘अल्पासी अरट्टू जुलूस’ तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से होकर बिन किसी बाधा के गुजरा। इस दौरान तिरुवनंतपुरम अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा ने पूरे 5 घंटों के लिए अपनी फ्लाइटें सस्पेंड किए रखीं। शाम 4 बजे से रात के रात 9 बजे तक इस एयरपोर्ट के रनवे को हवाई जहाजों के लिए बंद रखा गया ताकि सालों से चली आ रही परंपरा बरकरार रहे।

बता दें कि केरल में अरट्टू महोत्सव कोई सामान्य त्योहार जैसा नहीं है। ये दस दिनों तक चलने वाला अनुष्ठान है। इसे हर वर्ष दो बार मनाया जाता है। अप्रैल या मार्च में जो मनाया जाता है वो वसंत उत्सव होता है। इसी तरह शारदीय उत्सव अक्टूबर या नवंबर में मनाया जाता है। इस दौरान भगवान पद्मनाभ की मूर्ति को पवित्र स्नान कराया जाता है।

ये 10 दिन का महोत्सव केरल के तिरुवनंतपुरम में मनाया जाता है। यहाँ के अधिकांश मंदिर इस उत्सव को मनाने आगे आते हैं। इस दौरान भव्य जुलूस निकलता है जिसकी सुंदरता देखते बनती है।

जानकारी के मुताबिक इस जुलूस की प्रथा सदियों पहले शुरू की गई थी, जिसमें भगवान की मूर्तियों को लेकर पवित्र स्नान के लिए शांगमुघम समुद्र तट पहुँचाया जाता था। बाद में 1932 में यहाँ हवाई अड्डे की स्थापना हुई, लेकिन आस्था के लिए कोई छेड़छाड़ नहीं हुआ, जुलूस हमेशा चलता रहा।

इस जुलूस में मंदिर से देवताओं को अनुष्ठानिक स्नान के लिए सजाई गई पालकी से समुद्र या नदी में ले जाया जाता है। जुलूस में शामिल सभी श्रद्धालु पारंपरिक कपड़ों में दिखते हैं। जुलूस में पारंपरिक संगीत, नृत्य और सांस्कृतिक प्रदर्शन होते रहते हैं।

लोग बताते हैं इस उत्सव की तिरुवनंतपुरम में इतनी मान्यता है कि चाहे प्लेन हों, चाहे सड़क पर चलती गाड़ियाँ हों… हर कोई अरट्टू जुलूस के लिए रास्ता छोड़ता है और जुलूस बिन किसी बाधा के अपने तय रास्ते से होते हुए गुजरता है। इस बार भी ऐसा ही हुआ। तिरुवननंतपुरम इंटरनेशनल हवाई अड्डे ने पहले ही इस जुलूस के लिए रनवे जहाजों के लिए बंद रखने का ऐलान कर दिया।

इतिहासकारों के अनुसार, जब हवाई अड्डे का निर्माण विशेष स्थान पर किया गया था, तब त्रावणकोर के राजा श्री चिथिरा थिरुनाल ने कहा था कि आम जनता के लिए यह सुविधा साल में 363 दिन और शाही परिवार के देवता भगवान पद्मनाभ के लिए दो दिनों के लिए खुली रहेगी। इसके बाद ये परंपरा जारी रही। कुछ समय पहले अडानी समूह द्वारा हवाई अड्डे का प्रबंधन अपने हाथ में लिया गया तो भी पारंपरिक रस्म जार रही। हवाई अड्डा अक्टूबर-नवंबर में पड़ने वाले द्वि-वार्षिक अल्पासी उत्सव और मार्च-अप्रैल में पंगुनी उत्सव के दौरान रनवे बंद होने से पहले हर साल दो बार एक NOTAM (नोटिस टू एयरमेन) जारी करता है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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