Saturday, July 27, 2024
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मिलिए गुजरात के एक स्कूल प्रिंसिपल से: 1100 बच्चों को मुफ्त में दे रहे भगवद्गीता का ज्ञान, गर्मियों की छुट्टी में ले रहे ऑनलाइन क्लास

मेहता ने बताया कि हर घर में भगवद्गीता की एक प्रति होने के बावजूद कोई इसे पढ़ता नहीं है। बहुत कम ही लोग होते हैं, जो इसे पढ़ने में रुचि रखते हैं। इस ऑनलाइन क्लास के पीछे भी यही मकसद है कि बच्चे अपने घरों में रखे भगवद्गीता को पढ़े।

गुजरात के सूरत स्थित एक म्युनिसिपल स्कूल के प्रिंसिपल नरेश मेहता फिर से चर्चा में हैं। वे गर्मी की छुट्टियों में छात्रों को भगवद्गीता का ज्ञान दे रहे हैं। इसके लिए ऑनलाइन क्लास लेते हैं। मिली जानकारी के अनुसार संत डोंगरेजी महाराज म्युनिसिपल प्राइमरी स्कूल के प्रधानाचार्य मेहता छुट्टियों के दौरान 1117 छात्रों को भगवद्गीता के श्लोक सिखाने में जुटे हैं।

देश गुजरात की एक रिपोर्ट के अनुसार, मेहता स्वेच्छा से स्कूली बच्चों को उनकी गर्मी की छुट्टी के दौरान भगवद्गीता सिखाते हैं। वह श्लोकों को संस्कृत से गुजराती में अनुवाद करते हैं, ताकि छात्र उन्हें बेहतर ढंग से समझ सकें और उनके नक्शेकदम पर चलने का प्रयास कर सकें। मेहता यह सेवा नि:शुल्क और बहुत ही सरल अंदाज में दे रहे हैं।

नरेश मेहता हर सुबह 10 बजे छात्रों को एक मीटिंग लिंक फॉरवर्ड करते हैं।  बच्चे इस लिंक को ज्वाइन करते हैं और श्लोक सीखने के लिए जुड़ते हैं। उनकी शिक्षण शैली छात्रों के बीच इतनी लोकप्रिय हो गई है कि सूरत के बाहर के भी कई छात्र भगवद्गीता की कक्षा में शामिल होने लगे हैं।

मेहता ने देश गुजरात को बताया कि हर घर में भगवद्गीता की एक प्रति होने के बावजूद कोई इसे पढ़ता नहीं है। बहुत कम ही लोग होते हैं, जो इसे पढ़ने में रुचि रखते हैं। इस ऑनलाइन क्लास के पीछे भी यही मकसद है कि बच्चे अपने घरों में रखे भगवद्गीता को पढ़े। अब उनकी कोशिश है कि इस ऑनलाइन क्लास में बच्चों के साथ-साथ माता-पिता भी हिस्सा लें। उनके इस पहल की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने भी मेहता के प्रयासों की सराहना की है।

उल्लेखनीय है कि प्रिंसिपल नरेश मेहता इससे पहले उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने राज्य की 193 से अधिक लड़कियों को बोर्ड परीक्षा में बैठने के लिए प्रोत्साहित किया। इनमें से कुछ लड़कियों ने पैसे की कमी की वजह से पढ़ाई छोड़ दी थी तो कुछ ने कोविड-19 महामारी की वजह से पिछले साल अपने माता-पिता को खो दिया था। स्कूल में छात्राओं की संख्या कम होते देख उन्होंने उनके घर का दौरा किया, जिसके बाद उन्हें इस परिस्थिति के बारे में पता चला। इसके बाद उन्होंने छात्राओं और उनके अभिभावकों को इसके लिए प्रोत्साहित और राजी किया। प्रिंसिपल मेहता गर्व से बताते हैं, “अब तक, मैंने 512 लड़कियों को प्रशिक्षित किया है और वे अब उच्च अध्ययन कर रही हैं। कुछ ने तो काम करना भी शुरू कर दिया है।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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