OpIndia is hiring! click to know more
Monday, April 14, 2025
Homeविविध विषयअन्यमुगलों को हराने वाले असम के लाचित बोरफुकान पर आधारित फिल्म को मिला पुरस्कार:...

मुगलों को हराने वाले असम के लाचित बोरफुकान पर आधारित फिल्म को मिला पुरस्कार: इंडो-फ्रेंच फिल्म फेस्टिवल में ‘लाचित द वॉरियर’ बेस्ट एनिमेटेड लघु फिल्म

असम के महाराजा चक्रध्वज सिंह के सेनापति लाचित बोरफुकान की वीरता पर आधारित 'लाचित द वॉरियर' नाम की लघु फिल्म को सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड लघु फिल्म के लिए पुरस्कृत किया गया है। यह पुरस्कार पांडिचेरी में इंडो-फ्रेंच फिल्म फेस्टिवल में दिया गया है।

असम के महाराजा चक्रध्वज सिंह के सेनापति लाचित बोरफुकन पर आधारित एनीमेटेड फिल्म ‘लाचित द वॉरियर’ को सर्वश्रेष्ठ एनिमेटेड लघु फिल्म का पुरस्कार दिया गया है। यह पुरस्कार पांडिचेरी में इंडो-फ्रेंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में मिला। इसमें मुगल सेना को हराने वाले अहोम साम्राज्य के सेनापति लाचित के जीवन चरित को दिखाया गया है।

बता दें कि इंडो-फ्रेंच इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल दुनिया भर के फिल्म निर्माताओं के लिए भारत सरकार और फ्रांस सरकार का एक संयुक्त फिल्म महोत्सव है। इस इस फिल्म फेस्टिवल का आयोजन भारत के पांडिचेरी में आयोजित किया जा रहा है। इस फिल्म फेस्टिवल में दुनिया भर से फिल्में शामिल होती हैं।

इस लघु फिल्म को पार्थसारथी महंत ने लिखा और निर्देशित किया है, जबकि मीना महंत और इंद्राणी बरुआ ने इसे प्रोड्यूस किया है। इस फिल्म को नैरेट किया है डॉक्टर अमरज्योति चौधरी ने, जबकि संगीत दिया है रूपम तालुकदार ने। क्रिएटिव डायरेक्टर के रूप में अनुपम महंत, स्टोरीबोर्डिंग और चित्रण का प्रबंधन हृषिकेश बोरा और वीएफएक्स रतुल दत्ता की देखरेख में हुआ है।

‘लाचित द वॉरियर’ को दिल्ली, कोलकाता, जयपुर और मुंबई नॉर्थ-ईस्ट फिल्म फेस्टिवल सहित आठ अंतर्राष्ट्रीय फिल्म समारोहों में दिखाया और सम्मानित किया गया है। इस फिल्म को गोवा में आगामी भारतीय अंतर्राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में भारतीय पैनोरमा के लिए भी चुना गया है।

कौन है लाचित बोरफुकन

24 नवंबर 1622 को पैदा हुए लाचित बरपुखान को उनके युद्ध लड़ने की अद्भुत क्षमता के लिए ‘पूर्वोत्तर का शिवाजी’ भी कहा जाता है। उन्होंने 1671 में हुए सराईघाट के युद्ध (Battle of Saraighat) में मुगलों की विशाल सेना को अपनी रणनीति और जलीय युद्ध लड़ने की क्षमता की वजह से घुटनों पर ला दिया।

मुगल जब पराजित हुए थे तब लाचित पूरी तरह से स्वस्थ भी नहीं थे, पर राष्ट्रभक्ति का जज्बा ऐसा था कि बीमार होते हुए भी मातृभूमि की रक्षा के प्रण से नहीं डिगे। मुस्लिम आक्रांताओं से लड़े और अपनी सेना को विजय दिलाई। 50,000 से भी अधिक संख्या में आई मुगल फौज को घेरने के लिए बरपुखान ने जलयुद्ध की रणनीति अपनाई।

ब्रह्मपुत्र नदी और आसपास के पहाड़ी क्षेत्र को अपनी मजबूती बना कर मुगलों को नाकों चने चबवा दिए। उन्हें पता था कि जमीन पर मुगलिया फौज चाहे कितनी भी मजबूत हो, लेकिन पानी में वे घुटने टेकने को मजबूर होंगे। इस युद्ध में जीत के एक साल बाद वीर योद्धा बरपुखान का निधन हो गया।

लाचित बरपुखान का पराक्रम ऐसा था कि राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (National Defence Academy) के सर्वश्रेष्ठ कैडेट को उन्हीं के नाम पर स्वर्ण पदक (The Lachit Borphukan Gold Medal) प्रदान किया जाता है। असम सरकार ने भी 2000 में लाचित बरपुखान अवॉर्ड की शुरुआत की थी।

OpIndia is hiring! click to know more
Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

पति-बेटा दोनों को इस्लामी भीड़ ने मार डाला, थम नहीं रहे बुजुर्ग महिला के आँसू: गोदी में बच्चा लेकर सड़क पर महिलाएँ, BSF को...

सुवेंदु अधिकारी ने कहा कि ममता की तुष्टिकरण नीतियों की वजह से हिंदू सुरक्षित नहीं हैं। इसे लोकतंत्र पर हमला बताते हुए NIA जाँच की माँग की।

NIA मुख्यालय में ही पाँच वक़्त की नमाज़ पढ़ता है तहव्वुर राणा, क़ुरान की डिमांड भी की गई पूरी: अधिकारी बोले – मजहबी व्यक्ति...

अदालत ने आदेश दिया था कि राणा को हर दूसरे दिन दिल्ली विधिक सेवा प्राधिकरण (DLSA) द्वारा नियुक्त वकील से मिलने की अनुमति दी जाएगी।
- विज्ञापन -