Thursday, April 25, 2024
Homeविविध विषयअन्यनेहरू के समलैंगिक संबंध, बायसेक्सुअल मानसिकता और यौन संक्रामक बीमारी के कारण निधन: विदेशी...

नेहरू के समलैंगिक संबंध, बायसेक्सुअल मानसिकता और यौन संक्रामक बीमारी के कारण निधन: विदेशी मीडिया की रिपोर्ट और सच्चाई

"वह यूनिफॉर्म वाले लड़कों की ओर आकर्षित होते थे, स्कूली लड़के उन्हें सुंदर लगते थे। वह ऐसे वेश्यालय का इस्तेमाल करते थे, जहाँ समलैंगिक संबंध बनाए जाते थे।" - नेहरू और लुईस के समलैंगिक संबंधों की चर्चा में यह कहानी भी!

देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू का विलासिता पूर्ण जीवन अक्सर सुर्खियों में छाया रहता है। कभी सोशल मीडिया के माध्यम से तो कभी पत्र-पत्रिकाओं के जरिए। आप जब कभी नेहरू को पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि उनके न शौक कम थे और न ही उनसे जुड़े विवाद। 

नेहरू के जीवन मरण से जुड़ी कई ऐसी बातें अब भी आमजन में इतनी अस्पष्ट हैं कि कॉन्ग्रेस पार्टी कभी तो कुछ बातों पर सफाई दे देती है, लेकिन कुछ जरूरी बातों पर, बिलकुल मौन धारण कर लेती है।

ऐसी ही बात उनकी मृत्यु को लेकर भी उठती रहती है। आज उनकी 57 वीं पुण्यतिथि है। ऐसे में ये जानना प्रासंगिक तो है ही कि आखिर देश के पहले प्रधानमंत्री का निधन किन कारणों से और किस स्थिति में हुआ। 

इसके अलावा ये बात भी बहुत दिलचस्प है कि कैसे उनके जीवन से जुड़ी बातों ने मृत्यु के बाद भी लोगों को ये सोचने पर मजबूर किया कि शायद मौत का कारण कुछ और था।

पंडित नेहरू का निधन और सिफलिस होने के दावे

मीडिया रिपोर्ट्स को पढ़ेंगे तो मालूम होगा कि आजादी के 17 वर्ष बाद 27 मई 1964 की सुबह नेहरू का निधन हार्ट अटैक के कारण हुआ और इसी के बाद दोपहर 2 बजे संसद में ऐलान किया गया कि 74 वर्षीय नेहरू अब नहीं रहे। 

द न्यूयॉर्क में प्रकाशित नेहरू के निधन की खबर

द न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित मेडिकल वाली भाषा में कहें तो नेहरू का निधन कोरोमरी थ्रोम्बिसिस  के कारण हुआ था। इसका मतलब होता है कि हृदय की धमनी में थक्के जमना और समय से हृदय को रक्त की आपूर्ति न हो पाना।

द गार्जियन की रिपोर्ट में नेहरू के किसी परिजन के हवाले से कहा गया कि उनकी मौत का कारण इंटरनल हैमरेज, पैरालाइटिक स्ट्रोक और एक हार्ट अटैक था।

अखबारों में नेहरू की मौत की वजह स्पष्ट थी। हर जगह कहा जा चुका था कि नेहरू का निधन हार्टअटैक के कारण हुआ। बावजूद इन तथ्यों के एक बात जगह-जगह फैल गई कि आधुनिक भारत के निर्माता और देश के पहले पीएम की मृत्यु सिफलिस से हुई… इस बात में कितनी सच्चाई है, इसके प्रमाण नहीं मिलते। लेकिन लोगों ने इसे भी एक वजह की तरह देखा, इसका कारण यही है कि नेहरू के लोगों ने (कॉन्ग्रेसियों) कभी इन अटकलों पर विराम नहीं लगाया और उनकी बीमारी पर खुल कर कोई बात नहीं रखी। 

बस कह दिया गया कि चीन से युद्ध हारने के बाद उनकी तबीयत 1962 से गिरने लगी थी। इसके बाद 1963 में नेहरू ने अपना समय कश्मीर में बिताया। फिर कुछ दिन देहरादून में रहे और 1964 में देहरादून से लौटने के कुछ समय बाद उनका देहांत हो गया। 

कहते हैं 26 मई 1964 की रात नेहरू जब सोए, तो उनकी तबीयत बिलकुल ठीक थी। अगली सुबह 6 बजकर 30 मिनट पर नेहरू ने बाथरूम से लौट कर पीठ में दर्द की शिकायत की। डॉक्टर बुलाए गए। उन्होंने नेहरू से बात भी की। लेकिन तभी नेहरू बेहोश हो गए और बेहोशी की हालत में ही उन्होंने प्राण त्याग दिए।

नेहरू की मृत्यु को लेकर उड़ी बातों पर कुछ नेहरू समर्थक लेख लेकर आए, जिन्होंने संक्रमण की फैलती अफवाह को काटने का प्रयास किया। मगर, फर्क नहीं पड़ा। पिछले कुछ दशकों में तो ऐसी बात आग की तरह लोगों के बीच पहुँची।

आगे बढ़ने से पहले बता दें कि सिफलिस एक ऐसा संक्रमण होता है, जो लैंगिक संबंध बनाने से फैलता है। 16वीं शताब्दी में इसके बारे में पहली बार पता चला था। भारत में इसे पुर्तगाली रोग भी कहा गया। बाद में जैसे-जैसे ये देश में फैला, उसे देख स्पैनिश लेखकों ने भारतीयों को कामुक तक की संज्ञा दे दी थी।

अब चूँकि कुछ बातें पहले ही कई जगह मौजूद थीं कि नेहरू अय्याश किस्म की शख्सियत थे, तो लोगों को ये मानने में भी देर नहीं लगी कि हो सकता है कि मौत का असली का कारण सेक्शुअली ट्रांसमिटेड डिसीज सिफलिस ही रही हो।

एडविना माउंटबेटन और नेहरू के संबंधों पर होती बातें

पता नहीं आपने इस बारे में सुना है या नहीं, लेकिन साल 2017 में राजीव दीक्षित नाम के शख्स ने अपनी एक यूट्यूब वीडियो में नेहरू की मृत्यु पर चौंकाने वाले दावे किए थे। दीक्षित ने कहा था कि लुईस माउंटबेटन की एडविना माउंटबेटन से शादी एक साजिश थी। एडविना को वास्तव में भारत के दो भाग करने के लिए लाया गया था। यहाँ उन्होंने जिन्ना और नेहरू से संबंध बनाए और बाद में 3 जुलाई 1947 को नेहरू की कुछ तस्वीरें खींचकर उन्हें ब्लैकमेल किया, जिसके बाद भारत के विभाजन को मंजूरी मिली।

राजीव दीक्षित की कही इस बात के कहीं से सबूत नहीं मिलते हैं। लेकिन ये सच जरूर है कि लेडी माउंटबेटन के चलते नेहरू के चरित्र पर काफी सवाल उठे थे। कई लेखों में इसका उल्लेख था कि दोनों के बीच बेइंतहा प्यार था, जो एडविना के मरने तक रहा। दोनों के संबंधों पर नेटफ्लिक्स पर द क्राउन नाम से एक सीरीज भी है। 

इतना ही नहीं, स्वयं एडविना के बेटी पामेला इस बात को लिखती हैं, “मेरी माँ के पहले भी प्रेमी थे। मेरे पिता को इसका आभास भी था। शुरू में उनका दिल टूटा, लेकिन नेहरू के मामले में सब अलग था।” पामेला की किताब में नेहरू और उनकी माँ का प्रेम बेहद आध्यात्मिक कहा गया है।

लेडी माउंटबेटन से करीबियों ने दी अटकलों को हवा

मालूम हो कि एडविना से नेहरू के संबंध कैसे भी रहे, लेकिन दोनों की करीबियाँ एक मुख्य वजह ऱहीं कि लोगों ने दोनों की ही मौत के पीछे सिफलिस को वजह माना। ट्विटर पर डॉ वेदिका नाम की यूजर हैं। वह बताती हैं कि कैसे नेहरू और एडविना दोनों एक जैसी परिस्थिति में अलविदा हुए। वह लिखती हैं कि दोनों के ही बहुत सारे प्रेमी थे। एडविना को भी अटैक, स्ट्रोक आया था और वह भी नेहरू की तरह ही मरी थीं।

अपने ट्वीट में डॉ वेदिका नेहरू की मृत्यु का कारण Syphillitic Aortic Aneurysm कहती हैं और समझाती हैं कि हार्टअटैक भी STD से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा इंटरनेट पर ब्लॉग हैं, जो बताते हैं कि नेहरू की मौत के पीछे SYPHILIS-AORTIC ANEURYSM कारण था। वहीं एडविना की मौत के स्पष्ट कारण नहीं हैं। बस ये लिखा गया है कि उनका देहांत सोते में हुआ था।

लुईस माउंटबेटन को भी पसंद करते थे नेहरू?

एडविना के साथ रिलेशन्स को छोड़ दें तो कई जगह लुईस माउंटबेटन से भी नेहरू के समलैंगिक संबंधों पर बात सामने आती है। डेलीमेल में 2009 में प्रकाशित लेख बताता है कि नेहरू दोनों पति-पत्नी को (माउंटबेटन दंपत्ति) को पसंद करते थे और कुछ लोगों को संदेह था कि उनमें बायसेक्शुअल टेंडेंसी थी। वहीं लुईस माउंटबेटन थे, जो अपनी पत्नी की ओर आकर्षित थे लेकिन वह उनके साथ हमबिस्तर नहीं हो पाते थे।

डेलीमेल के लेख से लिया गया स्क्रीनशॉट

लुईस और नेहरू के समलैंगिक संबंधों को तूल इसलिए भी मिलता है क्योंकि भले ही नेहरू के बायसेक्सुअल होने का जिक्र चंद जगहों पर है मगर, लुईस के होमोसेक्सुअल होने के प्रमाण गूगल पर हर दूसरी रिपोर्ट में मिल जाते हैं। 2019 में प्रकाशित द वीक की रिपोर्ट बताती है कि Andrew Lownie नाम के लेखक की एक किताब है – The Mountbattens: Their Lives & Loves, जिसमें अमेरिकी खुफिया एजेंसी एफबीआई के उन दस्तावेजों को एक्सेस करने का जिक्र है। इसमें माउंटबेटन को बायसेक्सुअल कहा गया है। साथ ही ये भी बताया गया है कि वह यूनिफॉर्म वाले लड़कों की ओर आकर्षित होते थे और स्कूली लड़के उन्हें सुंदर लगते थे। मालटा में रहते हुए उनके ड्राइवर ने भी इस बात का खुलासा किया था कि वह ऐसे वैश्यालय का इस्तेमाल करते थे, जहाँ समलैंगिक संबंध बनाए जाते थे।

AIDS तक होने की कही गई बात

यहाँ एक चीज उल्लेखनीय है कि कुछ लोग नेहरू की मौत के पीछे HIV-AIDS को भी कारण मानते हैं। किंतु, इन दावों में सच्चाई नहीं है, क्योंकि एड्स नेहरू की मौत के दो दशक बाद 1986 में चेन्नई की सेक्स वर्कर्स में पाया गया (भारत का पहला केस) था। इसके बाद कई अन्य महिलाएँ भी इससे संक्रमित पाई गई थीं।

रही बात नेहरू से जोड़कर इसे देखने की तो यहाँ भी वहीं थ्योरी काम करती है कि उनके प्रेम संबंधों को लेकर जो चर्चा फैली थी, उसके आधार पर कोई कुछ भी विश्वास कर रहा था। आज भी ट्विटर पर यदि खोजा जाए तो ऐसी बातें पढ़ने को मिलती हैं कि नेहरू को जो हार्टअटैक आया, उसके पीछे मुख्य वजह syphlis था। लेकिन मौजूदा प्रमाण इन दावों की पुष्टि नहीं करते।

ट्विटर पर नेहरू के निधन के पीछे सिफलिस को कारण मानने वाले यूजर
Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024: दूसरे चरण की 89 सीटों पर मतदान, 1198 उम्मीदवारों का फैसला करेंगे मतदाता, मैदान में 5 केंद्रीय मंत्री और 3 राजघरानों...

दूसरे चरण में 5 केंद्रीय मंत्री चुनाव मैदान में हैं, जिसमें वी. मुरलीधरन, राजीव चंद्रशेखर, गजेंद्र सिंह शेखावत, कैलाश चौधरी और शोभा करंदलाजे चुनाव मैदान में हैं।

कॉन्ग्रेस ही लेकर आई थी कर्नाटक में मुस्लिम आरक्षण, BJP ने खत्म किया तो दोबारा ले आए: जानिए वो इतिहास, जिसे देवगौड़ा सरकार की...

कॉन्ग्रेस का प्रचार तंत्र फैला रहा है कि मुस्लिम आरक्षण देवगौड़ा सरकार लाई थी लेकिन सच यह है कि कॉन्ग्रेस ही इसे 30 साल पहले लेकर आई थी।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe