Monday, June 16, 2025
Homeविविध विषयअन्यकुणाल कामरा के आपत्तिजनक ट्विट्स को प्लेटफॉर्म पर क्यों दी गई जगह?: ट्विटर से...

कुणाल कामरा के आपत्तिजनक ट्विट्स को प्लेटफॉर्म पर क्यों दी गई जगह?: ट्विटर से संसदीय समिति ने 7 दिन के अंदर माँगा जवाब

"यह शर्मनाक है कि ट्विटर सुप्रीम कोर्ट और CJI के खिलाफ स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की अपमानजनक टिप्पणियों को अपने मंच पर अनुमति दे रहा है। सुप्रीम कोर्ट और CJI जैसे शीर्ष संवैधानिक अधिकारियों को गाली देने के लिए ट्विटर अपने मंच का दुरुपयोग कर रहा है।"

सुप्रीम कोर्ट और चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के ऊपर आपत्तिजनक ट्वीट करने वाले कुणाल कामरा के मामले पर एक संसदीय कमेटी ने ट्विटर से सवाल पूछे हैं। कमेटी का पूछना है कि आखिर ट्विटर ने सुप्रीम कोर्ट व सीजेआई पर किए गए कामरा के आक्रामक ट्विट्स को क्यों प्लेटफॉर्म पर जगह दी और उसके ख़िलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की। कमेटी ने इन सवालों के जवाब देने के लिए ट्विटर को 7 दिन का समय दिया है।

भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने सोशल मीडिया कंपनी की पॉलिसी हेड महिमा कौल से सख्ती से इस संबंध में प्रश्न किए हैं। मीनाक्षी लेखी के अलावा इस समिति में कॉन्ग्रेस सांसद विवेक तन्खा भी शामिल थे। तन्खा ने भी इस मामले में अपना ट्विटर के ख़िलाफ सख्त रुख व्यक्त किया।

लेखी ने बताया, “यह शर्मनाक है कि ट्विटर सुप्रीम कोर्ट और CJI के खिलाफ स्टैंड-अप कॉमेडियन कुणाल कामरा की अपमानजनक टिप्पणियों को अपने मंच पर अनुमति दे रहा है।” उन्होंने कहा, “सुप्रीम कोर्ट और CJI जैसे शीर्ष संवैधानिक अधिकारियों को गाली देने के लिए ट्विटर अपने मंच का दुरुपयोग कर रहा है।”

कमेटी अध्यक्ष ने बताया कि उनकी समिति में अलग-अलग पार्टी के राजनेता शामिल थे। इसमें कॉन्ग्रेस सांसद विवेक तन्खा, बसपा सांसद रितेश पांडे और बीजेडी सांसद भर्तृहरि महताब शामिल थे। इन सबने ट्विटर पर अपना गुस्सा व्यक्त किया।

गौरतलब है कि पिछले दिनों अर्णब गोस्वामी की रिहाई के बाद सोशल मीडिया पर आई कुणाल कामरा की टिप्पणी पर कोर्ट में अवमानना का केस चलाने का निर्णय लिया गया था। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने कुणाल कामरा के आपत्तिजनक ट्वीट पर अवमानना का केस चलाने की मंजूरी दी थी।

उन्होंने मंजूरी देते हुए लिखा था:

“लोग समझते हैं कि कोर्ट और न्यायाधीशों के बारे में कुछ भी कह सकते हैं। वह इसे अभिव्यक्ति की आजादी समझते हैं। लेकिन संविधान में यह अभिव्यक्ति की आजादी भी अवमानना कानून के अंतर्गत आती है। मुझे लगता है कि ये समय है कि लोग इस बात को समझें कि अनावश्यक और बेशर्मी से सुप्रीम कोर्ट पर हमला करना उन्हें न्यायालय की अवमानना कानून, 1972 के तहत दंड दिला सकता है।”

इसके बाद पिछले सप्‍ताह कुणाल कामरा ने सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाले अपने ट्वीट्स के लिए अवमानना के आरोपों का सामना करते हुए कहा कि वह न तो अपनी टिप्पणी को वापस लेंगे, और न ही उनके लिए माफी माँगेंगे।

कामरा ने सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को संबोधित करते हुए अपना एक पत्र ट्वीट किया, जिसमें उसने लिखा था: “मैं अपने ट्वीट को वापस लेने या उनके लिए माफी माँगने का इरादा नहीं रखता। मेरा मानना है कि वे खुद के लिए बोलते हैं।”

Join OpIndia's official WhatsApp channel

  सहयोग करें  

'द वायर' जैसे राष्ट्रवादी विचारधारा के विरोधी वेबसाइट्स को कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

असम में काली मंदिर के पास फिर फेंका गया गाय का कटा सिर, भड़क उठे हिंदू: पुलिस ने बोदिर अली, हजरत अली, तारा मिया,...

असम के लखीपुर में काली मंदिर के पास गाय का कटा सिर मिलने से स्थानीय हिंदू भड़क उठे। इसके बाद इलाके में तनाव फैल गया।

ब्रिटिश काल में ऑक्सफोर्ड संग्रहालय ले जाए गए 200 से अधिक पूर्वजों के अवशेषों की वापसी के लिए नागा पहुँचे ब्रिटेन, म्यूजियम की निदेशक...

नागा प्रतिनिधिमंडल ब्रिटेन में अपने पूर्वजों के 200 से अधिक मानव अवशेषों की वापसी की माँग कर रहा है, जो औपनिवेशिक काल में ले जाए गए थे।
- विज्ञापन -