Friday, July 4, 2025
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विश्व के 50 ‘इनोवेटिव इकॉनोमीज़’ में भारत का स्थान: गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति कोविंद का देश के नाम संबोधन, देखें वीडियो

"मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विश्व में सबसे ऊपर की 50 ‘इनोवेटिव इकॉनोमीज़’ में भारत अपना स्थान बना चुका है। यह उपलब्धि और भी संतोषजनक है कि हम व्यापक समावेश पर जोर देने के साथ-साथ योग्यता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं।"

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 73वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर मंगलवार (25 जनवरी, 2022) को राष्ट्र को संबोधित कर रहे हैं। राष्ट्रपति कोविंद ने अपने संबोधिन की शुरुआत देश और विदेश में रहने वाले सभी भारतीयों को बधाई देते हुए की। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस हम सबको एक सूत्र में बाँधने वाली भारतीयता के गौरव का यह उत्सव है।

गणतंत्र दिवस के अवसर पर दिए जाने वाले राष्ट्र के नाम अपने संदेश में राष्ट्रपति देश में अब तक घटित बातों का जिक्र करते हैं साथ ही साथ आने वाली चुनौतियों के बारे में भी देश को अवगत करा रहे हैं।

इस अवसर पर राष्ट्रपति कोविंद ने कहा, “गणतन्त्र दिवस का ये दिन उन महानायकों को याद करने का अवसर भी है, जिन्होंने स्वराज के सपने को साकार करने के लिए अतुलनीय साहस का परिचय दिया और उसके लिए देशवासियों में संघर्ष करने का उत्साह जगाया।” इस मौके पर राष्ट्रपति ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस को भी याद करते हुए कहा, “दो दिन पहले, 23 जनवरी को हम सभी देशवासियों ने ‘जय-हिन्द’ का उद्घोष करने वाले नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की 125वीं जयंती पर उनका पुण्य स्मरण किया है। स्वाधीनता के लिए उनकी ललक और भारत को गौरवशाली बनाने की उनकी महत्वाकांक्षा हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है।”

राष्ट्रपति ने कहा, “हम अत्यंत सौभाग्यशाली हैं कि हमारे संविधान का निर्माण करने वाली सभा में उस दौर की सर्वश्रेष्ठ विभूतियों का प्रतिनिधित्व था। वे लोग हमारे महान स्वाधीनता संग्राम के प्रमुख ध्वज-वाहक थे।”

उन्होंने आगे कहा, “आह्वान किए जाने पर राष्ट्र की सेवा करने के मूल कर्तव्य को निभाते हुए हमारे करोड़ों देशवासियों ने स्वच्छता अभियान से लेकर कोविड टीकाकरण अभियान को जन-आंदोलन का रूप दिया है। ऐसे अभियानों की सफलता का बहुत बड़ा श्रेय हमारे कर्तव्य-परायण नागरिकों को जाता है।

इसके साथ ही राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, “मुझे यह जानकर प्रसन्नता हो रही है कि विश्व में सबसे ऊपर की 50 ‘इनोवेटिव इकॉनोमीज़’ में भारत अपना स्थान बना चुका है। यह उपलब्धि और भी संतोषजनक है कि हम व्यापक समावेश पर जोर देने के साथ-साथ योग्यता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं।”

राष्ट्रपति कोविंद ने इस खास मौके पर राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी को भी याद किया करते हुए कहा, “सन् 1930 में महात्मा गाँधी ने देशवासियों को ‘पूर्ण स्वराज दिवस’ मनाने का तरीका समझाया था। यथाशक्ति रचनात्मक कार्य करने का गाँधी जी का यह उपदेश सदैव प्रासंगिक रहेगा।” उन्होंने कहा कि गाँधी जी चाहते थे कि हम अपने भीतर झांक कर देखें, आत्म-निरीक्षण करें और बेहतर इंसान बनने का प्रयास करें, और उसके बाद बाहर भी देखें, लोगों के साथ सहयोग करें और एक बेहतर भारत तथा बेहतर विश्व के निर्माण में अपना योगदान करें।

उन्होंने देशवासियों को गणतंत्र दिवस को महत्त्व बताते हुए कहा, “भारत का संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वाका अंगिकृत, अधिनयमित और आत्मार्पित किया गया। उस दिन को हम संविधान दिवस के रूप में मनाते हैं। उसके दो महीने बाद 26 जनवरी 1950 से हमारा संविधान पूर्णत प्रभावी हुआ। ऐसा सन् 1930 के उस दिन को यादगार बनाने के लिए किया गया था, जिस दिन भारतवासियों ने पूरी आज़ादी हासिल करने का संकल्प हासिल लिया था। सन् 1930 से 1947 तक हर साल 26 जनवरी को पूर्ण स्वराज दिवस के रूप में मनाया जाता था। इसलिए ये तय किया गया कि उसी दिन से संविधान पूर्णत प्रभावी बनाया जाए।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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