कोरोना महामारी के कारण विश्व भर में असमय कई मौतें होने के बाद लोगों में इसे लेकर डर लगातार बना हुआ है। आज यदि हम देखें तो ये दौर वही है जब किसी को अपने कल का नहीं मालूम कि क्या हो जाएगा। ऐसे में जो कोरोना से ग्रस्त हो रहे हैं उन्हें उनके परिवार की चिंता, बैंक अकॉउंट में जमा रकम के अलावा सबसे बड़ी चिंता गूगल अकॉउंट पर सेव जानकारी और सोशल मीडिया अकॉउंट को लेकर जरूर होती होगी। और उन्हें ही क्या, जो कोई भी मृत्यु की कल्पना करता होगा वह आज के समय में यह जरूर सोचता होगा कि आखिर उसके अकॉउंट का क्या होगा?
तो, आइए आज इस अनिश्चितता के दौर में हम आपको यह जानकारी देते हैं कि आखिर मरने के बाद आपके गूगल अकॉउंट्स या सोशल मीडिया का क्या होगा?
सामान्य तौर पर ऐसी कोई टेक्निक नहीं है जो गूगल अकॉउंट को आपके सिवा ये परमिशन दे सके कि वो आपका अकॉउंट एक बार बनने के बाद उसके साथ क्या करेगा। रही बात मौत की कल्पना स्वयं करके उसे बंद करने की तो वो बहुत दूर की बात है। इसके लिए परमिशन या तो गूगल को आप खुद देते हैं या फिर आपके जाने के बाद आपके परिजन गूगल से यह अनुरोध करते हैं कि आपके अकॉउंट का क्या होगा।
गूगल को कैसे परमिशन दे सकते हैं कि आपकी मृत्यु के बाद आपके अकॉउंट का क्या होगा?
- इसके लिए पहले आपको गूगल लॉग इन करना होगा।
- फिर myaccount.google.com पर जाना होगा
- आपके सामने एक इंटरफेस ओपन होगा।
- बाएँ ओर आपको कुछ ऑप्शन नजर आएँगे। इसमें से आपको data and personalization को सिलेक्ट करना होगा।
- इस ऑप्शन के भीतर आपको अपने अकॉउंट के लिए प्लॉन तैयार करने का विकल्प मिलेगा। स्क्रॉल डाउन करने पर एक जगह make an plan for your account लिखा दिखेगा। आपको इसी पर क्लिक करना होगा और अपने अकॉउंट के लिए प्लान तैयार करना होगा।
- जब आप इस पर क्लिक करेंगे तो Inactive account manager खुलेगा। यहाँ आपको स्टार्ट क्लिक करना होगा।
- फिर आपको ऑप्शन मिलेगा कि आखिर गूगल कब समझे कि आपका अकॉउंट इनएक्टिव है और उसे आपकी परमिशन से इसे बंद कर देना है। गूगल आपके सामने 3 माह का समय रखेगा। आप चाहें तो इसे 3 से 6 या 12 और 18 महीनों में भी एक क्लिक से इसे बदल सकते हैं।
- गूगल इस समय सीमा के बाद आपके अकॉउंट को खुद से इन्एक्टिव समझने में सक्षम होगा। वह आपके अकॉउंट पर कोई एक्शन लेने से पहले आपके द्वारा मुहैया कराए गए कुछ कॉन्टैक्ट्स को संदेश भेजेगा और कन्फर्म करेगा कि इस अकॉउंट पर कोई गतिविधि नहीं दर्ज की गई है। क्या यह मान लिया जाए कि अकॉउंट बंद है?
- फोन और ईमेल अपडेट करने के लिए भी नीचे ऑप्शन होंगे।
- आगे आपको मैक्सिमम 10 लोगों के नाम देने की छूट देनी होगी जिनसे आप बताना चाहें कि आपका अकॉउंट डिएक्टिवेट हो चुका है।
- आप चाहें तो इन लोगों को अपने कुछ डेटा एक्सेस करने की छूट भी दे सकते हैं।
- नीचे ऑटोरिप्लाई का ऑप्शन आएगा। यदि आप इस पर क्लिक करेंगे तो आपको भविष्य में मेल करने वाले को गूगल अपने आप बता सकेगा कि आपका अकॉउंट बंद हो चुका है। आप इसमें जो संदेश लिखेंगे, गूगल उसी को आगे फॉर्वर्ड करेगा। ध्यान रहे ये सर्विस सिर्फ उन लोगों के लिए होगी जो आपके कॉन्टैक्ट में होंगे, इसके अतिरिक्त कोई नहीं।
- इन सबको कंप्लीट अपडेट करने के बाद आपके सामने एक ऑप्शन आएगा कि आप इस बात का निर्णय लें कि अकॉउंट इंएक्टिव होने के बाद आपका डेटा डिलीट होगा या नहीं। आपको इसके लिए विकल्प ऑन करना होगा। यदि आप इसे नहीं ऑन करते हैं तो ये डेटा हमेशा ऐसा ही रहेगा।
- बस इसके बाद एक बार रिव्यू प्लान पर क्लिक करें और फिर कन्फर्म प्लान कर क्लिक करें।
मुश्किल से 10 मिनट की इस पूरी प्रक्रिया में आप अपने गूगल अकॉउंट को लेकर सुनिश्चित हो सकेंगे कि आपके अकॉउंट से संबंधित जानकारी का आपके न रहने पर क्या होगा। कई बार हम अपनी गूगल हिस्ट्री, गूगल फोटोज, गूगल मैप्स, गूगल आईडी पर बने सोशल मीडिया अकॉउंट्स की जानकारी नहीं साझा करना चाहते। लेकिन हमारी ना समझी के कारण ये चीजें एक प्लेटफॉर्म पर हमेशा के लिए बची रह जाती हैं। हालाँकि, हमारे मरने के बाद इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि गूगल अकॉउंट का क्या हुआ लेकिन हमारे परिजन इससे प्रभावित हो सकते हैं। ऐसे में बेहतर है कि गूगल अकॉउंट के साथ क्या करना है इसे आप अपने जीते जी तय करें।
इसके अलावा एक स्थिति गूगल अकॉउंट्स को लेकर तब भी उत्पन्न होती है जब हमारे कुछ ऐसे डॉक्यूमेंट उसमें सेव होते हैं जो हमारे मरने के बाद परिवार के लिए अत्यंत महत्तवपूर्ण हो जाते हैं, लेकिन हमारी छोटी सी लापरवाही के कारण उन्हें उसके लिए जद्दोजहद करनी पड़ती है। यदि हम थोड़ी सी सतर्कता बरतें तो आपकी सारी जानकारी शेयर किए गए बिना वह महत्तवपूर्ण डॉक्यूमेंट आपके परिजन आसानी से एक्सेस कर सकते हैं।
सोशल मीडिया अकॉउंट: फेसबुक, इंस्टाग्राम और ट्विटर का आपके मरने के बाद क्या होगा?
वैसे तो गूगल आईडी डिएक्टिवेट होने के बाद वह कहीं भी उपयोग में नहीं लाई जा सकती । लेकिन यदि आप अलग से अपने सोशल मीडिया अकॉउंट को लेकर विचार करते हैं कि उसका क्या हो सकता है, तो बता दें कि फेसबुक आपके अकॉउंट को बंद नहीं करता, बल्कि उसे ‘मेमोरियलाइज’ कर देता है। यानी उनका अकाउंट प्लेटफॉर्म से डिलीट नहीं होता, बल्कि यूजर के ऑनलाइन फ्रेंड्स को मौका देता है कि वो उसकी सभी यादों को सहेज सकें।
मेमोरियलाइज्ड अकाउंट में व्यक्ति के नाम के आगे ‘रिमेंबरिंग’ जुड़ जाता है। अगर मृत व्यक्ति ने अपनी टाइमलाइन लोगों की पोस्ट के लिए ओपन रखी हो, तो लोग उनकी टाइमलाइन पर पोस्ट भी कर सकते हैं। इस अकॉउंट के लोग न तो सजेशन में दिखाई पड़ते हैं, न ही उनसे जुड़ा कोई नोटिफिकेशन किसी को भेजा जाता है। इसी प्रकार व्यक्ति अगर किसी पेज का एडमिन होता है तो उसे भी डिलीट करने का काम फेसबुक अपने आप कर देता है।
मगर, ध्यान रहे फेसबुक ये सब तभी कर सकता है जब आपने लिगेसी कॉन्टैक्ट पर किसी को सेट किया हुआ है। इसका अर्थ है कि कोई ऐसा विश्वसनीय जो आपके जाने के बाद आपका अकॉउंट मैनेज कर सके। आपकी प्रोफाइल पिक आदि बदल सके। रिक्वेस्टों का जावब दे सके। लीगेसी कॉन्टैक्ट को सेट करते हुए अपनी निजता के लिए बिलकुल निश्चिंत रहें, क्योंकि ये उसे आपकी टाइमलाइन पर पोस्ट करने या संदेश पढ़ने की इजाजत नहीं देता। अगर आपकी इच्छा है कि मरने के बाद आपका अकॉउंट डिलीट हो तो लिगेसी कॉन्टैक्ट में ‘रिक्वेस्ट अकाउंट डिलीशन’ सेलेक्ट कर लें।
बता दें कि इंस्टाग्राम की भी पॉलिसी मृत व्यक्ति के लिए बिलकुल सेम है। इंस्टाग्राम पर मृत व्यक्ति के अकॉउंट को रिपोर्ट की जा सकती है और फिर उसे मेमोराइज बना दिया जा सकता है। इसके अतिरिक्त व्यक्ति के परिवार के सदस्य भी अनुरोध कर सकते हैं कि अकॉउंट डिलीट कर दिया जाए। बस इंस्टा पर मौत का सबूत देने के लिए उससे जुड़ा कोई दस्तावेज या न्यूज आर्टिकल उसके सामने सबूत के तौर पर पेश करता होता है।
वहीं, ट्विटर पर प्रक्रिया थोड़ी अलग है। यहाँ मृत व्यक्ति के अकॉउंट डिएक्टिवेट उसके जाने के बाद हो तो जाते हैं। मगर यदि उसके परिजन ट्विटर को रिक्वेस्ट भेजते हैं तो उन्हें अपना आईडी और मृतक की मौत का प्रमाण देना होता है। पिटंरेस्ट पर भी व्यक्ति के जाने के बाद यदि परिवार वाले उसे बंद करने की अपील करें तो अकॉउंट डिएक्टिवेट कर दिया जाता है। साइट यह सुनिश्चित करती है कि वो कोई निजी या लॉग इन से संबंधी जानकारी किसी से शेयर नहीं करेगी।