Tuesday, March 19, 2024
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ज्यादा सुरक्षित-ज्यादा कंट्रोल, क्या एंड्रॉयड को रिप्लेस कर देगा BharOS: देसी ऑपरेटिंग सिस्टम के बारे में जानिए सब कुछ

मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम मार्केट में फिलहाल गूगल का एंड्रॉयड (Android) और एप्पल का आईओएस (iOS) छाया हुआ है। भारतीय भार ओएस का मुकाबला एंड्रॉयड और आईओएस से है। डेवलपर्स का कहना है कि एंड्रॉयड के मुकाबले यह सुरक्षित और कम स्पेस लेने वाला ओएस है।

भारत ने अपना स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम भार ओएस (BharOS) लॉन्च किया है। फिलहाल यह आम यूजर्स के लिए उपलब्ध नहीं है। लेकिन आने वाले दिनों में इससे Android और iOS को कड़ी टक्कर मिलने की उम्मीद है। मंगलवार (25 जनवरी, 2023) को केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान और अश्विनी वैष्णव की उपस्थिती में आईआईटी मद्रास द्वारा विकसित स्वदेशी मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम ‘BharOS’ की टेस्टिंग की गई।

मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम मार्केट में फिलहाल गूगल का एंड्रॉयड (Android) और एप्पल का आईओएस (iOS) छाया हुआ है। भारतीय भार ओएस का मुकाबला एंड्रॉयड और आईओएस से है। डेवलपर्स का कहना है कि एंड्रॉयड के मुकाबले यह सुरक्षित और कम स्पेस लेने वाला ओएस है।

क्या है देसी ऑपरेटिंग सिस्टम BharOS ?

भार ओएस (BharOS) को आईआईटी मद्रास के एक स्टार्टअप जेएंडके ऑपरेशन प्राइवेट लिमिटेड (Jandk Operations Private Limited) ने विकसित किया है। प्रोजेक्ट को विकसित करने में भारत सरकार ने भी वित्तीय सहायता दी है। भार ओएस भी एंड्रॉयड ओपन सोर्स प्रोजेक्ट (AOSP) का इस्तेमाल करता है। इसलिए एंड्रॉयड और भार ओएस में काफी समानता है। वहीं iOS एप्पल का प्रोपराइटरी ऑपरेटिंग सिस्टम है। BharOS और ios में ज्यादा समानता नहीं है।

BharOS की विशेषताएँ

बताया जा रहा है कि BharOS में कोई डिफॉल्ट ऐप या सर्विस उपलब्ध नहीं होगी। इसका मतलब यह है कि यूजर जो ऐप चाहें अपने से डाउनलोड कर सकते हैं। ऐप कई तरह की परमिशन माँगते हैं। ऐसे में कहा जा रहा है कि BharOS अपने यूजर के पास ज्यादा कंट्रोल देगा। वह अपनी पसंद का ऐप डाउनलोड कर सकेगा, जिसके फीचर्स पर उसे ज्यादा भरोसा होगा। यानी BharOS को प्राइवेसी के लिहाज से अधिक सुरक्षित माना जा सकता है। इसके लिए BharOS को अपना प्ले स्टोर डिवेलप करना होगा जहाँ से यूजर को पसंद के ऐप मिल सकें।

प्री एप्लीकेशन स्टोर न होने से यूजर्स को ज्यादा स्टोरेज स्पेस मिलेगा। बताया गया है कि इस ऑपरेटिंग सिस्टम में कोई डिफॉल्ट ऐप भी नहीं होगा। यूजर्स को अनचाहे ऐप का इस्तेमाल करने के लिए भी मजबूर नहीं किया जाएगा। BharOS एंड्रॉयड की तरह नेटिव ओवर द एयर (NOTA) अपडेट प्रदान करेगा। इसका मतलब होता है सॉफ्टवेयर का अपडेट संस्करण (version) डिवाइस पर अपने आप डाउनलोड इंस्टॉल हो जाएगा।

देसी ऑपरेटिंग सिस्टम प्राइवेट ऐप स्टोर सेवाओं (PASS) के द्वारा भी पसंद के ऐप डाउनलोड करने की अनुमति देगा। इसके लिए विश्वसनीय प्राइवेट ऐप्स को ही अनुमति दी जाएगी।

BharOS से जुड़े इन सवालों का जवाब मिलना बाकी

भार ओएस बनाने वाली कंपनी ने अभी तक यह जानकारी नहीं दी है कि वह स्मार्टफोन कंपनियों से किस तरह कनेक्ट करेगी। अभी यह भी साफ नहीं है कि BharOS आम लोगों के लिए कब तक उपलब्ध होगा। ऑपरेटिंग सिस्टम पर चलने वाले फोन सस्ते होंगे या महँगे? BharOS का अपना ऐप स्टोर होगा या नहीं?

यदि भार ओएस यूजर्स को अफना ऐप स्टोर देता है तो इससे गूगल ऐप स्टोर की जरूरत खत्म हो जाएगी। हो सकता है अपने ऐप स्टोर में ओएस ऐसे ऐप्स को प्राथमिकता दे जो भारतीय यूजर्स के लिए ज्यादा यूजर फ्रेंडली हों।

कई बड़ी चुनौतियाँ

मौजूदा बाजार स्थिति को देखते हुए कहा जा सकता है कि BharOS की राह बहुत आसान नहीं होने वाली है। उदाहरण के लिए ज्यादातर भारतीय एंड्रॉयड यूजर जीमेल का इस्तेमाल करते हैं जो स्मार्टफोन की डिफॉल्ट ईमेल सर्विस है। अगर BharOS के ऐप स्टोर पर गूगल के ऐप नहीं होंगे तो कितने लोग BharOS वाला स्मार्टफोन चुनेंगे इस पर संशय होगा। गूगल और मेटा जैसी कंपनियाँ द्वारा उनके फर्स्ट पार्टी ऐप्स को BharOS के पर पोर्ट करवाना आसान नहीं होगा।

स्मार्टफोन कंपनियाँ भी इस ऑपरेटिंग सिस्टम के साथ फोन लॉन्च करने के लिए एकदम से शायद ही तैयार हों। दरअसल ब्लैकबेरी, माइक्रोसॉफ्ट और सैमसंग ने अपने मोबाइल ऑपरेटिंग सिस्टम लॉन्च किए थे। लेकिन उन्हें कामयाबी नहीं मिली। माइक्रोसॉफ्ट का विंडोज फोन बिल्कुल ही अलग ऑपरेटिंग सिस्टम पर था और काफी एडवांस्ड माना गया था, लेकिन नाकामयाब हो गया। इससे समझा जा सकता है कि BharOS के सामने कई बड़ी चुनौतियाँ हैं।

एक दिक्कत यह भी है कि भारत में अधिकतर एंड्रॉयड फोन अब चीन की कंपनियाँ बेच रही हैं। ये चीनी कंपनियाँ आसानी से भारतीय ऑपरेटिंग सिस्टम पर शिफ्ट हो जाएँगी कहना मुश्किल है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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