बिहार के दरभंगा से दो लोगों की बातचीत का एक ऑडियो सामने आया है। 11 मिनट 41 सेकंड के ऑडियो से पता चलता है कि किस कदर नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के ख़िलाफ़ लोगों के दिलों में ज़हर भरा जा रहा है। ये बातचीत दो मुस्लिमों के बीच की है। इसमें पहला व्यक्ति दूसरे को कॉल कर के कहता है कि स्थिति बहुत भयावह हो गई है और उन सब को एक होकर कुछ करने का वक़्त आ गया है। आप “कुछ करने का समय आ गया है” से अंदाज़ा लगा सकते हैं कि ये किसी बड़े साजिश की बात हो रही है। आगे बातचीत करने से पहले वो आदमी इसकी पुष्टि कर लेता है कि दूसरे व्यक्ति के आसपास जो लोग हैं वो मुस्लिम ही हैं, ताकि इस बातचीत की भनक किसी और को न लगे।
इस फोन कॉल में पहला व्यक्ति बताता है कि मुस्लिम डाक्यूमेंट्स के चक्कर में पड़े हैं और सभी अपना डाक्यूमेंट्स खोजने में लग गए हैं। आगे बढ़ने से पहले बताते चलें कि सरकार ने अभी ऐसा कोई नियम-क़ानून नहीं बनाया है, जिसमें देश भर के मुस्लिमों को उनकी नागरिकता साबित करने के लिए डाक्यूमेंट्स दिखाने की बात कही जाए। असम में एनआरसी लागू हुआ है लेकिन इसमें किसी मजहब या जाति की बात नहीं है। इस बातचीत में पहला व्यक्ति कहता है कि सीएए के तहत हिन्दुओं को तो नागरिकता मिल जाएगी लेकिन मुस्लिमों को साबित करना पड़ेगा।
यहाँ ये भी जानना ज़रूरी है कि सीएए भारत के नागरिकों के लिए है ही नहीं। इसीलिए, इसके द्वारा भारतीय हिन्दुओं के नागरिकता साबित होने की बात ही झूठ है। फोन कॉल पर पहला व्यक्ति आगे कहता है कि मुस्लिमों को कोई भी डाक्यूमेंट्स सरकार को दिखाना ही नहीं चाहिए। साथ ही वो भड़काते हुए आगे बताता है कि मुस्लिम सरकार से कहें कि अगर उनके पास डाक्यूमेंट्स हो भी तो उसे जला दिया जाएगा, सरकार जो करना चाहे, कर ले। वो कहता है कि किसी भी मुस्लिम को कागज़ात के चक्कर में पड़ना ही नहीं चाहिए। अपनी बात के पीछे दलील देते हुए उक्त मुस्लिम व्यक्ति कहता है:
“हम सरकार को अपने डाक्यूमेंट्स क्यों दिखाएँ? इसका सीधा अर्थ है कि सरकार को हमारी नागरिकता पर शक है। सरकार पता लगाए कि कौन लोग बाहरी हैं, हम क्यों कागज़ात दिखाएँ? जब हमें जेल में डाल दिया जाएगा, तब हम कोर्ट को कागज़ दिखा कर अपनी नागरिकता साबित कर देंगे। हम हिन्दू भाइयों को भी समझाएँगे कि तुम्हारे हिंदुस्तानी होने पर लानत है कि सरकार तुम्हें नागरिकता साबित करने को कह रही है। हिन्दुओं से सीएए पर बात नहीं करनी है। इस चीज को मास लेवल पर ले जाने के लिए सभी मुस्लिमों को समझना ज़रूरी है। मैं 3 दिन से यही कर रहा हूँ। अपने उस मामा को फोन कर के भी एनआरसी के बारे में बताया, जिनसे मेरा 3 साल से झगड़ा चल रहा था।”
पहले मुस्लिम व्यक्ति की इन बातों का समर्थन करते हुए दूसरा व्यक्ति कहता है कि ये योजना एकदम सही है क्योंकि इससे सरकार की परेशानी बढ़ जाएगी। पहला व्यक्ति कहता है कि मुस्लिम भाइयों को हिम्मत देना है और इस काम में फोन बहुत बड़ी ताक़त है, इसका पूरा इस्तेमाल करना है। वह फोन की ताकत आगे समझाते हुए कहता है कि चुनाव के दौरान किसे वोट देना है, ये उसके परिवार ने तय ही नहीं किया था। इसके बाद एक-दो हिन्दू लोगों ने उसे कॉल कर के बताया कि किसे वोट देने से फायदा होगा।
जिस ऑडियो को आप सुन रहे हैं वो सिर्फ दो आदमियों के बीच बातचीत भर का ऑडियो नहीं है। यह इंटेलिजेंस एजेंसी के सूत्रों से मिला ऑडियो है। नागरिकता संशोधन कानून के विरोध की आड़ में केंद्र सरकार को अस्थिर करने के लिए इस साजिश की प्लानिंग लंबे समय से की गई है। इस ऑडियो के अलावा ऑपइंडिया के सूत्र ने जो बताया है, वो और भी खौफनाक है। ऐसा इसलिए क्योंकि विरोध को स्थानीय और कानून-विशेष के खिलाफ गुस्से के तौर पर दिखाने के लिए जो साजिश की गई है, दरअसल उसके पीछे हाथ इस्लामिक स्टेट का है। बिहार-झारखंड और उसके बाहर के अपने परिचितों तथा दोस्त-यार को फोन करके सरकार के खिलाफ भड़काने, उन्हें समझाने-बरगलाने के साजिश की पूरी फंडिंग ISIS के द्वारा की गई है।
इंटेलिजेंस एजेंसी के हमारे सूत्र ने यह भी बताया कि इस ऑडियो के आधार पर देश के दूसरे राज्यों में, दूसरी भाषाओं में भी घूम रहे ऐसे ही ऑडियो पर उन लोगों द्वारा जाँच-पड़ताल की जा रही है। सुरक्षा एजेंसियों को इसके बारे में बता दिया गया है। और यही वजह है कि ऑर्गेनिक (स्वतः) दिखने वाले विरोध-प्रदर्शन के पहले से ही प्रशासन मुस्तैद है और जहाँ-जहाँ से उन्हें हिंसक प्रदर्शन होने के इनपुट मिले हैं, वहाँ-वहाँ धारा 144 लगाकर पहले से ही सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं।
एक और उदाहरण का जिक्र करते हुए उसने बताया कि कुछ हिन्दू छात्रों ने न चाहते हुए भी भाजपा को वोट दिया, क्योंकि उनके रिश्तेदारों में से किसी ने फोन कर के उन्हें कसम दिलाई कि उनका वोट भाजपा को ही जाएगा। वह आगे समझाते हुए कहता है कि देखिए, हिन्दू लोग कैसे फोन का इस्तेमाल करते हैं। इस पर दूसरे व्यक्ति ने उसे टोकते हुए कहा कि हिन्दू जो भी कर रहे हैं, ये सिर्फ़ फोन का ही कमाल नहीं है, इसके पीछे और भी बहुत सारी चीजें हैं। वो लोग विचार करते हैं कि उन्हें एक दिन सड़क पर निकल कर लाठी-डंडा नहीं खाना है बल्कि मुस्लिमों को जगाना है, ताकि वो योजना बना कर सड़क पर निकलें।
वो लोग आगे योजना बनाते हैं कि अगर कोई भी मुस्लिम सरकार को डॉक्यूमेंट दिखाने की बात करे तो उसे ये बोलना है कि ऐसा होने पर हम मुस्लिम मिल कर ही तुम्हें मारेंगे। साथ ही वो दोनों इस बात पर चर्चा करते हैं कि डॉक्यूमेंट्स न दिखाने पर सरकार की परेशानी बढ़ेगी और इतने लोगों को जेल में या कैम्प में डालने में सक्षम नहीं हो पाएगी। पहले व्यक्ति ने बताया कि वो जगह-जगह कॉल कर के मुस्लिमों को सीएए विरोधी रैलियों में शामिल होने को कह रहा है। पहला व्यक्ति बताता है कि सीएए और एनआरसी को हर मुस्लिमों को इन दो पॉइंट्स में समझाया जाना चाहिए:
- सीएए के द्वारा मुस्लिमों को छोड़ कर बाकी सभी लोगों को नागरिकता दे दी जाएगी।
- एनआरसी का इस्तेमाल करते हुए सभी मुस्लिमों को डिटेंशन कैम्पस में डाल दिया जाएगा।
वो लोग योजना बनाते हैं कि हर मुस्लिम कम से कम रोज़ 10 लोगों को सीएए और एनआरसी को लेकर समझाए। साथ ही कसम खिलाने की भी योजना बनाई जाए। पहला व्यक्ति आगे कहता है कि सिर्फ़ समझाना ही नहीं है बल्कि लोगों के ख़ून में ग़ुस्सा भरना है कि सीएए और एनआरसी खतरनाक है। वो कहता है- “यही हमारा ईमान है, यही रोज़ा है और यही नमाज़ है।”
इस बातचीत से आप अंदाज़ा लगा सकते हैं कि मुस्लिमों में किस तरह से सीएए को लेकर नकारात्मकता पूरे योजनाबद्ध तरीके से फैलाई जा रही है। ग़लत बातों का प्रचार किया जा रहा है और उन्हें जबरन समझाया जा रहा है कि किस तरह ये क़ानून उनके ख़िलाफ़ है। इसके लिए जो दलीलें दी जा रही हैं, वो भी ग़लत हैं। अगर सिर्फ़ एक फोन कॉल से ऐसी साज़िश रची जा सकती है तो इंटरनेट का इस्तेमाल कर के और क्या-क्या होता होगा, ये आप ख़ुद ही सोचिए।
यह कितना खतरनाक है कि जो ISIS पहले हमारे देश से सिर्फ धर्म के नाम पर आतंकियों की भर्ती करता था, वो अब हमारे देश के भीतर घुसपैठ कर चुका है। पहले ISIS के आतंकी हमारी सुरक्षा के लिए खतरा थे लेकिन बाहरी तौर पर, अब वही हमारी आंतरिक सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं। और यह सब संभव हुआ है क्योंकि कुछ मीडिया गिरोह, कुछ राजनीतिक दल और कुछ भ्रमित-भटके हुए लोग खुद अपनी ही सरकार पर भरोसा न करके अपने देश के खिलाफ सोच रखते हैं, अपने फायदे की रोटी सेंकते हैं।
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