महाराष्ट्र कोरोना संक्रमण से सर्वाधिक प्रभावित राज्य है। देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मुंबई के जोगेश्वरी स्थित HBT (हिंदूहृदयसम्राट बाला साहेब ठाकरे) ट्रॉमा सेंटर भर्ती संक्रमितों के लिए ऑक्सीजन की पर्याप्त आपूर्ति नहीं की जा रही है।
इस अस्पताल का संचालन बीएमसी के जिम्मे है। बताया जा रहा है कि ऑक्सीजन की कमी के कारण दो सप्ताह के भीतर यहॉं कम से कम 12 लोगों की मौत हुई है।
मुंबई मिरर ने हॉस्पिटल में काम कर रहे डॉक्टरों के हवाले से यह जानकारी दी है। मुंबई मिरर की लता मिश्रा ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि हालात देखते हुए ट्रॉमा सेंटर के डॉक्टरों ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विद्या माने को पत्र लिखा है।
पत्र में डॉक्टरों ने लिखा है कि उन्हें आईसीयू में हुई मौतों के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाना चाहिए। उन्होंने पत्र में यह भी कहा है कि साँस के लिए हाँफते हुए मरीजों को मरते देखने के बाद उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है।
जानकारी के मुताबिक 200 बेड पर लगभग 90 प्रतिशत मरीजों को ऑक्सीजन की आपूर्ति की आवश्यकता होती है। एक रेजिडेंट डॉक्टर ने नाम न छापने की शर्त पर मुंबई मिरर को बताया कि ICU की 25 बेड में से 15 मशीनें ऐसी होती हैं, जिसमें Low O2 Pressure की शिकायत रहती है।
एक अन्य रेजिडेंट डॉक्टर, जो पिछले हफ्ते ICU में ड्यूटी पर थे, ने भयावह दृश्य को याद करते हुए कहा, “दो मरीज साँस के लिए हाँफ रहे थे और उन्हें प्रति मिनट 8 से 10 लीटर ऑक्सीजन की जरूरत थी। हालाँकि, आपूर्ति इतनी धीमी थी कि स्क्रीन लगातार कम दबाव वाले O2 का अलर्ट दे रही थी और जब तक मैंने अस्पताल के टेक्नीशियन के साथ दबाव को ठीक करने की कोशिश की, तब तक दोनों मरीजों की मृत्यु हो चुकी थी।”
एक अन्य रेजिडेंट डॉक्टर 51 वर्षीय मरीज की मौत से काफी आहत थे। उन्होंने उस घटना को याद करते हुए बताया, वह आईसीयू में उनका चौथा दिन था। उसकी स्थिति में काफी सुधार आ रहा था। मुझे यकीन था कि वह जल्द ही आईसीयू से बाहर निकल कर आ जाएगा। वे आगे कहते हैं, “उस दिन कम से कम सात वेंटिलेटर लो प्रेशर दिखा रहे थे, इसलिए मैं टेक्नीशियन को बुलाने गया। जब मैं पाँच मिनट में वापस आया, तब तक इमरान की मौत हो चुकी थी। उसकी स्क्रीन पर ‘लो ऑक्सीजन प्रेशर’ दिखाई दे रहा था। उसकी मृत्यु ने मुझे बहुत दुखी किया। आईसीयू हमारे लिए एक निराशाजनक स्थान बन गया है। इन परिस्थितियों की वजह से कोई भी यहाँ ड्यूटी पर नहीं करना चाहता।”
उन्होंने कहा कि अगर वो इस तरह के मामलों की वजह से मरीजों मरीजों की जान नहीं बचा सकते हैं, तो भी इतना प्रयास करने की क्या आवश्यकता है। रिपोर्ट में कहा गया कि गुरुवार को एक 51 वर्षीय वकोला निवासी अस्पताल में हाँफता हुआ आया। एक रेजिडेंट डॉक्टर ने कहा कि वे उसे एडमिट नहीं कर सकते हैं, क्योंकि अस्पताल में ऑक्सीजन की आपूर्ति के साथ कोई बेड उपलब्ध नहीं था। आधे घंटे बाद उसकी मौत हो गई।
कोरोना संक्रमित मरीजों का इलाज करने वाले डॉक्टरों के अनुसार, ज्यादातर मरीज जो भर्ती होते हैं वे गंभीर रूप से साँस लेने में कठिनाई से पीड़ित होते हैं। प्रत्येक मरीज को प्रति मिनट 3 से 10 लीटर ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है। एक आईसीयू डॉक्टर ने कहा, “अब आप अस्पताल में ऑक्सीजन की आवश्यकता की कल्पना कर सकते हैं।”
अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विद्या माने ने स्वीकार किया कि वर्तमान में अस्पताल ऑक्सीजन की माँग को पूरा करने के लिए जूझ रहा है, लेकिन उन्होंने कम आपूर्ति के कारण किसी भी मौत से इनकार कर दिया।
डॉक्टर माने ने कहा, “जब हमने 50 कोविड -19 बेड शुरू किए थे तब 100 जंबो ऑक्सीजन सिलेंडर की आवश्यकता थी। अब 200 बेड के साथ हमने सिलेंडर की संख्या 350 तक बढ़ा दिया है। यह सच है कि हमारी माँग अधिक है, क्योंकि वर्तमान में हमें कई गंभीर मामले मिल रहे हैं। इनमें से लगभग सभी को ऑक्सीजन सपोर्ट की आवश्यकता होती है। मरीजों की मौत इसलिए हो गई है क्योंकि वे गंभीर अवस्था में अस्पताल पहुँचे थे।”
उन्होंने कहा कि गुरुवार को रेजिडेंट डॉक्टरों द्वारा इस मुद्दे को उनके संज्ञान में लाने के बाद अस्पताल ने 500 सिलेंडरों के लिए ऑर्डर दिया है। डॉ. माने ने आगे कहा कि एचबीटी ट्रॉमा हॉस्पिटल फायर सेफ्टी मानदंडों के अनुसार एक बड़े ऑक्सीजन लिक्विड टैंक लगाने के लिए फिट नहीं है। उन्होंने कहा, “हम मेडिकल ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट लगाकर इस समस्या को हल करने की कोशिश कर रहे हैं।”