Friday, April 19, 2024
Homeदेश-समाजकई पीड़ित तो अब जिंदा भी नहीं... : जिस प्रोफेसर का 12 साल पहले...

कई पीड़ित तो अब जिंदा भी नहीं… : जिस प्रोफेसर का 12 साल पहले कट्टरपंथियों ने काटा था हाथ, उन्होंने PFI बैन होने पर कहा- ‘अब मैं बस मौन रहना चाहता हूँ’

टीजे जोसेफ ने कहा कभी-कभी चुप रहना बोलने से बेहतर होता है। शांत और सरल स्वभाव वाले प्रो जोसफ ने कहा कि एक नागरिक के तौर पर वे केंद्र सरकार की मंशा भली-भांति समझ रहे हैं, पर अभी कोई नजरिया व्यक्त नहीं करना चाहेंगे।

मोदी सरकार द्वारा हाल ही में कट्टरपंथी संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ़ इंडिया (PFI) पर 5 सालों का प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उस प्रोफेसर का बयान सामने आया है, जिनका 12 वर्ष पूर्व 4 जुलाई 2010 को पीएफआई के लोगों ने हाथ काट दिया था। प्रोफेसर का नाम टीजे जोसेफ है। पैगंबर मोहम्मद के अपमान के आरोप में उन पर हमला हुआ था।

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार प्रोफेसर टी जे जोसेफ ने पीएफआई प्रतिबंधित होने पर कहा, “मैं कोई प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता हूँ। PFI के कई पीड़ित तो आज जिंदा भी नहीं रहे होंगे। मैं उन पीड़ितों को याद करते हुए मौन रहना चाहता हूँ।”

उन्होंने आगे कहा कि कभी-कभी चुप रहना बोलने से बेहतर होता है। शांत और सरल स्वभाव वाले प्रो जोसफ ने कहा कि एक नागरिक के तौर पर वे केंद्र सरकार की मंशा भली-भांति समझ रहे हैं, पर अभी कोई नजरिया व्यक्त नहीं करना चाहेंगे। उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि वे इस मामले में खुद भी पीड़ित रहे हैं।

पैगंबर मोहम्मद के अपमान के आरोप में काटा हाथ

साल 2010 में प्रोफेसर टीजे जोसेफ न्यूमैन कॉलेज में पढ़ाते थे। यह केरल के लडुक्की जिले के थोडूपुझा क्षेत्र में आने वाला एक नामी कॉलेज है। कट्टरपंथियों का आरोप था कि प्रोफेसर ने परीक्षा के दौरान प्रश्न पत्र में पैगंबर मोहम्मद के नाम का इस्तेमाल करके उनका अपमान किया। हालाँकि प्रोफेसर ने सफाई देते हुए कहा था कि पेपर में जिस प्रश्न पर बवाल हुआ उसे प्रसिद्ध लेखक पीटी कुंजू मोहम्मद की किताब से लिया गया था।

टीजे जोसेफ की सफाई के बावजूद भी कट्टरपंथीयों ने 4 जुलाई 2010 को एक हमले में उनका हाथ काट दिया। उन पर 7 लोगों ने हमला किया था, जिसमें से मुख्य आरोपित का नाम नजीब था। इस मामले में साल 2015 में इस केस में PFI के 13 सदस्यों को NIA कोर्ट ने सजा सुनाई थी।

उलटे हाथ से लिखी आत्मकथा

आपको बताते चलें कि टी जे जोसेफ राइट हेंडर थे, लेकिन जब उनका सीधा हाथ काटा गया। उसके बाद से ही वे बाएँ हाथ से लिखने की प्रेक्टिस करने लगे थे। उन्होंने हमले के 10 साल बाद एक आत्मकथा अपने उलटे हाथ से लिखी। उनकी आत्मकथा को इंग्लिश में भी ‘ए थाउजेंड कट्स’ नाम से प्रकाशित किया गया।

इस आत्मकथा में प्रोफेसर ने बताया है कि कैसे उस समय कॉलेज प्रशासन से लेकर उनके तमाम सहयोगियों और यहाँ तक कि चर्च ने भी उनका साथ छोड़ दिया था और उसी डिप्रेशन में उनकी पत्नी ने भी आत्महत्या कर ली थी। बताया यह भी जा रहा है कि प्रोफेसर जोसेफ ने ‘भ्रान्तनु स्तुति’ नाम से दूसरी किताब भी प्रकाशित की है। यह किताब उनके द्वारा तैयार किए गए प्रश्न पत्र में पूछे गए विवादित सवाल पर आधारित है।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

लोकसभा चुनाव 2024 के पहले चरण में 21 राज्य-केंद्रशासित प्रदेशों के 102 सीटों पर मतदान: 8 केंद्रीय मंत्री, 2 Ex CM और एक पूर्व...

लोकसभा चुनाव 2024 में शुक्रवार (19 अप्रैल 2024) को पहले चरण के लिए 21 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 102 संसदीय सीटों पर मतदान होगा।

‘केरल में मॉक ड्रिल के दौरान EVM में सारे वोट BJP को जा रहे थे’: सुप्रीम कोर्ट में प्रशांत भूषण का दावा, चुनाव आयोग...

चुनाव आयोग के आधिकारी ने कोर्ट को बताया कि कासरगोड में ईवीएम में अनियमितता की खबरें गलत और आधारहीन हैं।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe