महाराष्ट्र के पालघर में हिन्दू नागा साधुओं की लिंचिंग के बाद तथाकथित सेकुलरों व मीडिया गिरोह की चुप्पी रह-रहकर कचोटने वाली है। मगर, इस बीच ये ध्यान रखने की आवश्यकता है कि ये पहला मामला नहीं है जब समाज ने हिंदुओं की जान जाने को मात्र एक अपराध बताया और इस खबर को प्राथमिकता देने की बजाय, ये साबित करने में जुट गए कि आखिर क्यों इस खबर में साम्प्रदायिकता नहीं ढूँढी जानी चाहिए। बीते कुछ समय में कई ऐसे मामले आए जब हिंदुओं की सरेआम लिंचिंग हुई। मगर, मीडिया ने खबर में केवल तबरेज और अखलाक को जगह दी। क्योंकि तब अपराधी हिंदू थे।
कुछ उन्हीं नामों के साथ आज हम आपको एक बार फिर वो वाकये याद दिला रहे हैं। जिन्होंने शायद तबरेज या अखलाख से कम दर्द नहीं सहा। मगर उनके लिए वामपंथियों कट्टरपंथियों की सहानुभूति मूक रही। क्योंकि उन्हें मारने वाले इस्लामिक भीड़ का हिस्सा थे
1. विष्णु गोस्वामी– 16 मई 2019 को यूपी के गोंडा जिले में इमरान, तुफैल, रमज़ान और निज़ामुद्दीन ने विष्णु गोस्वामी को पेट्रोल डालकर जिंदा जला दिया। विष्णु की गलती बस ये थी कि वे अपने पिता के साथ लौटते हुए सड़क के किनारे लगे नल पर पानी पीने लगा था। बस इसी दौरान इन्होंने विष्णु व उसके पिता से विवाद बढ़ाया और बात खिंचने पर उसे पेट्रोल डालकर आग के हवाले झोंक दिया।
2.वी.रामलिंगम– तमिलनाडु में दलितों के इलाके में धर्म परिवर्तन की प्रक्रिया को चलता देख वी राम लिंगम ने पीएफआई के कुछ लोगों का विरोध किया था। जिसके बाद 7 फरवरी को पट्टाली मक्कल काची के नेता की घर से खींचकर हत्या कर दी गई । इस मामले में पुलिस ने पाँच लोगों को हिरासत में लिया था- निजाम अली, सरबुद्दीन, रिज़वान, मोहम्मद अज़रुद्दीन और मोहम्मद रैयाज़।
3. ध्रुव त्यागी– बेटी के साथ छेड़खानी का विरोध करने पर 51 वर्षीय ध्रुव त्यागी को सरेआम सबके सामने मोहम्मद आलम और जहाँगीर खान ने धारधार हथियारों से राष्ट्रीय राजधानी के मोती नगर में मौत के घाट उतारा था। इसके बाद इन हत्यारों ने ध्रुव त्यागी के बेटे पर भी हमला किया था। हालाँकि, उस समय पुलिस ने दोनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया था। मगर बाद में पुलिस को पड़ताल से पता चला कि उस दिन उन्हें 11 लोगों ने घेर कर मारा था।
4. चन्दन गुप्ता– कासगंज में तिरंगा यात्रा के दौरान हुई हिंसा में मारे गए अभिषेक उर्फ़ चंदन गुप्ता की हत्या शायद ही किसी के जेहन से निकले। अभी हाल ही में दिल्ली में हुए प्रदर्शनों में इनका नाम एक बार फिर सामने आया था। चंदन का जुर्म सिर्फ़ ये था कि वे 26 जनवरी के मौके पर विहिप और एबीवीपी की तिरंगा यात्रा में शामिल थे। जहाँ मुस्लिम बहुल इलाके में उनपर छत से गोली चला दी गई। घटना में चंदन की मौत हो गई और बाद में पुलिस ने मुख्य आरोपित सलीम को गिरफ्तार किया
4. हीना तलरेजा– साल 2017 में 5 जुलाई को हिना तलरेजा का शव बरामद हुआ। जिसके बाद उनकी हत्या की खबरे सुर्खियों में आई। पड़ताल के बाद मालूम हुआ कि हिना के पति अदनान ने पहले अपनी आँखों के सामने अपने दोस्तों से उसका गैंगरेप करवाया और फिर उसे गोली मारकर हत्या कर दी। बाद में शव को कौशांबी जिले के एक हाइवे पर फेंककर फरार हो गया।
6. अंकित सक्सेना– मुस्लिम गर्लफ्रेंड के परिवार वालों ने जिसे दिल्ली के टैगोर गार्डन की एक गली में सबके सामने मौत के घाट उतारा, उस अंकित शर्मा को भुला पाना नमुमकिन हैं। साल 2018 की 1 फरवरी की वो घटना जिसमें दिल्ली सरकार ने खूब राजनीति की रोटियाँ सेकीं थी। उसमें मुस्लिम लड़की ने खुद बताया था कि उसके परिवारवालों ने उसके प्रेमी अंकित को मारा।
7. प्रशांत पुजारी– साल 2015 में कर्नाटक के सबसे संवेदनशील मेंगलुरु से 40 किलोमीटर दूर मूदबिद्री में 9 अक्टूबर को बीच बाजार में देर शाम को प्रशांत पुजारी की बेहरमी से हत्या की गई। इस मामले में पुलिस ने हनीफ, इब्राहिम, इलियास और अब्दुल रशीद को गिरफ्तार किया। पड़ताल में मालूम हुआ कि प्रशांत को साजिश के तहत मारा गया। वे एक गौ रक्षक थे। जिन्होंने अपने दल के साथ कई बार मवेशियों से लदे ट्रक और लॉरियों को जब्त करवाया था।
8. विधु जैन– साल 2013 में 30 सितंबर को पंजाब के मलेरकोटला में कुछ जिहादियों ने हिंदू बच्चे विभु जैन का बेरहमी से कत्ल किया था। जिस समय विभु का अपहरण हुआ वह 12 साल का था। बाद में खबर आई कि कट्टरपंथियों ने उसे जिंदा जला दिया।
9. ट्विंकल शर्मा– अलीगढ़ के टप्पल में हुआ ये हत्याकांड वो घटना है जिसने सबको सोचने पर मजबूर कर दिया कि अब इंसानियत समाज में बाकी बची भी है या नहीं। इस घटना के आरोपितों का नाम मोहम्मद जाहिद और मोहम्मद असलम था। जिन्होंने केवल 10 हजार के लिए बच्ची के साथ बेरहमी की हर हद पार की। उन्होंने बच्ची को मारने से पहले 8 घंटे उसे इतना मारा था उसकी आँख तक डैमेज हो गई। बाद में उसका शव भी ऐसी जगह फेंका जहाँ उसे कुत्तों ने बुरी तरह नोचा था।
10. सुबोध सिंह– 3 दिसंबर 2018 को स्याना के चिंगरावठी में हुई हिंसा में सुबोध सिंह की हत्या हुई। उनके अलावा इस घटना में 2 और लोगों को मारा गया।
11. डॉ. पंकज नारंग – साल 2016 में दिल्ली के विकासपुरी में पंकज नारंग की हत्या की गई। इसमें 9 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इनमें 4 नाबालिग थे। उनकी मौत का कारण सिर्फ ये था कि उन्होंने अपने भांजे के साथ क्रिकेट खेलने के दौरान कुछ लोगों को मना किया था कि वे गाड़ी तेज न चलाएँ। जिसके बाद उन लोगों ने पंकज नारंग पर हमला कर दिया।
12. रिया गौतम-साल 2017 में दिल्ली में रहकर एयर होस्टेस की ट्रेनिंग ले रही रिया गौतम नाम की लड़की की हत्या की गई। इस वारदात को अंजाम देने वाले का नाम आदिल था। रिया का जुर्म सिर्फ़ ये था कि वे आदिल की पड़ोसी थी और उसकी उससे कई साल से दोस्ती थी। लेकिन एक दिन उसने आदिल से मिलने से मना कर दिया जिसके बाद आदिल ने उसे एक दिन चाकू से गोद डाला। इस मामले में पुलिस ने आदिल के साथ उसके 2 दोस्तों को भी गिरफ्तार किया था। जिनका नाम जुने सलीम अंसारी और फाजिल राजू अंसारी था।
13. बन्धु प्रकाश – बंगाल के मुर्शिदाबाद इलाके में आरएसएस कार्यकर्ता बंधु प्रकाश पाल, उनकी सात माह की गर्भवती पत्नी, तथा आठ साल के बेटे की 8 अक्टूबर 2019 को धारदार हथियार से गला काटकर हत्या कर दी गई थी। जिसने सबको हिलाकर रख दिया था। पहले पुलिस ने इसे निजी कारणों से हुई हत्या बताया था। बाद में इसके पीछे 24000 रुपए का एंगल जोड़ दिया था।
14. प्रीति माथुर- 24 वर्षीय प्रीति माथुर उस लड़की का नाम है जिसे उसके सिरफिरे आशिक ने निजामुद्दीन इलाके में सरेआम चाकूओं से घोंपकर मार डाला।
15. कमलेश तिवारी– हिंदुत्व का झंडा बुलंद कर कट्टरपंथियो के ख़िलाफ मुखर होकर बोलने वाले हिंदू नेता कमलेश तिवारी की मौत ने साल 2019 में सबको झकझोर दिया। जब जाँच हुई तो इसके पीछे न एक लंबी साजिश का खुलासा हुआ बल्कि कट्टरपंथियों की उस हकीकत का भी जो अहमदाबाद से लेकर यूपी तक फैली थी।
16. प्रीति रेड्डी– हैदराबाद का वो मामला जिसने पिछले साल नवंबर महीने के खत्म होते-होते सबको झकझोर दिया। शमसाबाद के टोल प्लाजा के पास घटी घटना में मुख्य आरोपित मोहम्मद पाशा था। जिसने अपने अन्य तीन साथियो के साथ मिलकर उस महिला डॉक्टर का गैंगरेप किया। फिर उसे पेट्रोल डालकर जलने को छोड़ दिया।
17. रतन लाल– 24-25 फरवरी को उत्तरपूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा में वीरगति को प्राप्त हुए रतन लाल का नाम शायद ही आने वाले समय में कोई भूल पाए। एक ऐसा वीर जिसने दिल्ली को जलने से रोकने के लिए खुद को इस्लामिक भीड़ का बलि बना दिया। उनकी पोस्टमार्टम रिपोर्ट्स से पता चला था कि पत्थरबाजी के कारण नहीं बल्कि रतन लाल की मौत गोली लगने के कारण हुई थी।
18. विनोद कुमार– दिल्ली में हुई हिंदूविरोधी हिंसा में मरने वालों में एक नाम 51 वर्षीय विनोद कुमार का है। जिन्हें मुस्लिम आतताइयों ने अल्लाह हू अकबर के नारे लगाते हुए मौत के घाट उतारा और उनकी लाश भेजकर अन्य लोगों को संदेश दिया कि उन्हें रात भर ऐसी लाशें मिलती रहेंगी।
19. अंकित शर्मा- उत्तर-पूर्वी दिल्ली के हिंदू विरोधी दंगों के दौरान IB के अंकित शर्मा की निर्मम तरीके से हत्या हुई थी। उन्हें मारने के दौरान उनपर 400 बार चाकुओं से हमला हुआ था। करीब 6 लोगों ने 2 से 4 घंटे तक उन्हें गोदा था।
20. महाराज कल्पवृक्ष गिरी, सुशील गिरी, निलेश तेलगड़े– महाराष्ट्र के पालघर में मारे गए वो दो साधु और उनका ड्राइवर जिनके कारण आज हिंदुओं की लिंचिंग की घटनाओं पर फिर से लिखने की आवश्यकता पड़ी। जिन्हें एक भीड़ ने पुलिस की उपस्थिति में मार डाला। लेकिन वहाँ मौजूद पुलिसकर्मियों ने चूँ तक न कहा। बल्कि वे सेकुलर लोग इस घटना पर ढाँढस बँधाकर शांत रहने का काम करते दिखे। जो मुस्लिमों को पीड़ित देखकर देश के लोकतंत्र को खतरे में बताने लगते हैं।
21. नीरज प्रजापति– सीएए के समर्थन में 23 जनवरी को आयोजित रैली में शामिल होने पर लोहरदगा के नीरज प्रजापति को मुस्लिमों की हिंसा का शिकार होना पड़ा था। इस हिंसा में न केवल नीरज ने अपनी जान गवाई थी। बल्कि उनके परिजनों के जीने का सहारा भी खत्म हो गया था। तब ऑपइंडिया ने अभियान चलाकर 32 लाख रुपए इकट्ठा किए थे।
गौरतलब है कि ये सूची यही पर समाप्त नहीं होती। ये उन लोगों की लिस्ट से केवल चंद नाम हैं। जिन्हें पिछले सालों में इस्लामी ताकतों ने अपना निशाना बनाया। इनके अतिरिक्त भी कई नाम हैं और होते रहेंगे। क्योंकि हिंदुओं के ख़िलाफ़ ये अपराध करने वाले जानते हैं कि उन्हें ‘सेकुलर मीडिया’ की आड़ हमेशा मिलती रहेगी। जिसमें अंत में उन्हें निर्दोष साबित कर दिया जाएगा।