अमेरिकी शॉर्ट सेलर (Short Seller) फर्म हिंडेनबर्ग रिसर्च (Hindenburg Research) की रिपोर्ट के बाद अडानी समूह (Adani Group) के शेयरों की बिकवाली जारी है। रिपोर्ट आने के बाद कंपनी के शेयर 50 प्रतिशत से अधिक गिर चुके हैं। इनमें अभी भी गिरावट जारी है।
देश के प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे (Harish Salve) ने अडानी समूह के प्रमुख गौतम अडानी (Gautam Adani) का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि किसी भारतीय व्यवसायी की वैश्विक उपस्थिति से कोई खुश नहीं हैं। इस तरह की रिपोर्ट तो आनी ही थी।
Adani vs Hindenburg#Exclusive | '…Nobody is happy that India businessman today are making their presence felt in the world..': Senior Advocate, Harish Salve
— IndiaToday (@IndiaToday) February 2, 2023
Full show: https://t.co/uFXAHIHupI
Watch #NewsToday with @sardesairajdeep pic.twitter.com/f7h1BvWqLE
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता साल्वे ने इंडिया टुडे चैनल में अपनी बात रखते हुए कहा कि अडानी समूह पर लगाए गए अधिकांश आरोप सही नहीं लगते। उन्होंने कहा कि गौतम अडानी की अधिकांश संपत्ति रेग्युलेटेड है। उनकी ज्यादातर कंपनियाँ स्टॉक एक्सचेंज में सूचीबद्ध हैं। उनके सारे रिकॉर्ड पब्लिक डोमेन में हैं।
कंपनी पर मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों को लेकर साल्वे ने कहा कि अगर किसी लिस्टेड कंपनी की कोई भी और कहीं भी सब्सिडियरी कंपनी है तो उसे अपनी बैलेंसशीट में दिखाना होता है। इसमें कुछ भी छिपा हुआ नहीं है। उन्होंने कहा कि भारत में बैंक गहन जाँच-पड़ताल करने के बाद ही लोन नहीं देते हैं। अडानी को लोन देने वाले बैंकों ने भी ऐसा किया होगा।
हरीश साल्वे ने कहा कि जब सब कुछ लोगों के सामने हैं तो ऐसा कैसे कहा जा सकता है कि कोई गहन रिसर्च किया और उसमें बहुत कुछ गलत निकल आया। उन्होंने हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट को भारत और भारतीय व्यापारियों पर एक तरह का हमला बताया। उन्होंने कहा कि भारत के विकास को प्रभावित करने की यह कोशिश है।
उन्होंने कहा, “एक समय था जब ब्रिटिश उद्योगपतियों को भारत में निवेश के लिए आकर्षित किया जाता था। अब ब्रिटिश सरकार निवेश के लिए भारतीयों को लुभा रही है। भारत अपनी पुरानी छवि से बाहर आ गया है और दुनिया में अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज करा रहा है। इस बदलाव के ऐसे नतीजे तो सामने आने ही थे।”
हिंडेनबर्ग की रिपोर्ट को लेकर किसी तरह की कानूनी कार्रवाई को लेकर हरीश साल्वे ने कहा कि यह मामला बेहद पेचीदा है। उन्होंने कहा कि भारत में विदेशी कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई करने के लिए कोई लीगल सिस्टम नहीं है। उन्होंने कहा कि अगर अडानी मानहानि का मुकदमा भी करता है तो यह बेहद लंबी प्रक्रिया होगी।
साल्वे ने कहा कि अडानी विपक्ष के लिए बलि का बकरा हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि SEBI को इस संबंध में अडानी से 72 घंटों में जवाब माँगना चाहिए। उनसे हर आरोप पर चर्चा की जानी चाहिए। उन्होंने सेबी की रिपोर्ट को भी सार्वजनिक करने की बात कही।
बता दें कि FPO आने से पहले हिंडेनबर्ग ने अडानी की कंपनी पर कई तरह के आरोप लगाए थे। इनमें शेयरों की वैलुएशन का अधिक होना, मनी लॉन्ड्रिंग, वित्तीय अनियमितता सहित कई आरोप थे। इस पर साल्वे ने कहा कि जब कोई कंपनी IPO या FPO लाती है तो आरोप लगाने का यह सबसे सही तरीका होता है। अडानी मामले में भी यही किया गया।
बता दें कि हिंडेनबर्ग रिसर्च अपनी रिपोर्ट के जरिए कंपनियों पर वित्तीय अनियमितता का आरोप लगाती है और जब उसके शेयर गिरने लगने हैं तो शॉर्ट सेल कर फायदा कमाती है। कंपनी के शेयर जितने गिरेंगे, कंपनी को उतना ही फायदा होगा। इस मामले में हिंडेनबर्ग अमेरिका में जाँच के घेरे में भी है।