तमिलनाडु के तूतीकोरिन में पी जयराज (59) और उनके बेटे जे फेनिक्स के साथ पुलिस बर्बरता के बाद एक और मामला सामने आया है। इस घटना में भी पुलिस की भूमिका संदिग्ध और संवेदनहीन नज़र आई है।
32 साल के युवक ने पुलिस पर आयरन रॉड से पीटने का आरोप लगाया है। घटना के लगभग एक महीने बाद युवक ने शिकायत दर्ज कराई है। इस दौरान वह अस्पताल में भर्ती था क्योंकि उसके पूरे शरीर में कई फ्रैक्चर हैं।
तूतूकड़ी के तिरुचेंदूर में रहने वाले होटल मैनेजर एस मणिकंदन केरल के गुरुवायूर में काम करते हैं। जून की शुरुआत में पुलिस उन्हें गुरुवायूर से उठा कर 500 किलोमीटर दूर तिरुचेंदूर लेकर आई। मणिकंदन का कहना है कि जनवरी में उन्होंने डीएमके विधायक अनिता आर राधाकृष्णन के विरोध में एक वीडियो बना कर फेसबुक पर साझा किया था। इसके चलते उन्हें पुलिस की बर्बरता का सामना करना पड़ा।
दरअसल मद्रास उच्च न्यायालय ने पुलिस की बर्बरता के कारण पी जयराज और जे फेनिक्स की मृत्यु होने के बाद तमिलनाडु में हुए विरोध-प्रदर्शन के बाद जिला न्यायाधीश को आदेश दिया था कि वह ऐसे मामलों पर निगाह रखें। न्यायाधीश के पास मामले की सूचना आने के बाद मणिकंदन को भर्ती कराया गया था।
इसके पहले मणिकंदन को पी सरवनन के सामने पेश किया गया था, वह मजिस्ट्रेट जिनकी भूमिका पर जयराज और फेनिक्स के मामले में काफी सवाल उठे थे। मणिकंदन पर लगाए गए आरोपों के मुताबिक़ उसने अपने वीडियो में नादर समुदाय के बारे में कुछ बातें कही थीं, जिस समुदाय से डीएमके विधायक राधाकृष्णन आती हैं। तूतूकड़ी के नए पुलिस अधीक्षक का कहना है कि मणिकंदन को पूरी सुरक्षा दी जाएगी।
मामले से जुड़ी अब तक की जानकारी के मुताबिक़ जिस तरह मणिकंदन के साथ निर्दयता करके उसे गुरुवायूर से लाया गया, उससे अदालत भी हैरान है। अगर कार्यवाही करने वालों के पास वारंट था तो उन्हें स्थानीय पुलिस की मदद लेनी चाहिए थी।
वीडियो में मणिकंदन ने राधाकृष्णन पर अक्सर अपने समुदाय के लोगों का पक्ष लेने का आरोप लगाया है। जैसे ही उनका वीडियो वायरल हुआ उसके ठीक कुछ समय बाद ही उन्हें और उनके घर वालों को नादर समुदाय के लोगों से धमकियाँ मिलने लगी थी।
इतना ही नहीं 6 जून को पुलिस ने मणिकंदन के पिता (पेशे से पोस्टमास्टर) और उनके भाई को भी तलब किया। 7 जून को गुरुवायूर स्थित उनके घर पर कई लोग मौजूद थे, जिन्होंने खुद को तिरुचेंदूर में कार्यरत पुलिसकर्मी बताया था। इसके बाद उन सभी लोगों ने मणिकंदन को हथकड़ी लगाई और तिरुचेंदूर ले गएl तूतूकड़ी के नज़दीक आते ही उनके साथ मारपीट और ज़्यादती शुरू हो गई थीl
वहाँ उनके पिता और भाई पहले से ही मौजूद थे, उन्हें मणिकंदन से बात नहीं करने दिया गया। 8 जून को मणिकंदन को बताया गया कि तिरुचेंदूर के पुलिस उपाधीक्षक पूछताछ करेंगे। इसके बाद उसे पुलिस थाने के पहले तल पर ले जाया गया और खूब पीटा गया।
मणिकंदन द्वारा की गई शिकायत के अनुसार सुबह के 3 बजे तक पुलिस वाले उसे पीटते रहे, इस दौरान दो डंडे तक टूट गए, डंडे टूटने के बाद प्लास्टिक की पाइप से पीटने लगे। इस दौरान मणिकंदन के पैर के अंगूठे भी टूट गएl
9 जून की शाम 5:30 बजे पुलिस ने उसका हाथ खिड़की से बाँध दिया और लोहे की रॉड से पीटने लगे। पुलिस की ऐसी बर्बरता तब तक जारी रही जब तक मणिकंदन बेहोश नहीं हो गया। इसके बाद पुलिस ने मणिकंदन को इस बारे में किसी से बात न करें की धमकी भी दी। इसके बाद तिरुचेंदूर पुलिस स्टेशन के इन्स्पेक्टर मुथूरमण और उनके सह कर्मियों ने मणिकंदन को मजिस्ट्रेट सर्वनन के सामने पेश किया। जहां मणिकंदन ने यह कहा कि उसे यह चोटें गिरने की वजह से आई हैं और फिर उसे तूतूकड़ी की पेरूरानी जेल में डाल दिया गयाl अपनी शिकायत में मणिकंदन का यह भी कहना है कि उसे जमानत पर बाहर आने के बाद पुलिस वालों से ख़तरा है।